33. परावर्तना स्वाध्याय - 1 | Recap - Sessions 1-5 | Mirror Now | Sadhvi Yugal Nidhi Kripa

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  • เผยแพร่เมื่อ 21 ต.ค. 2024

ความคิดเห็น • 21

  • @pritamchhajed8047
    @pritamchhajed8047 5 หลายเดือนก่อน

    मत्थेण वंदामी मा.सा.
    आपने बहुत बड़ी कृपा की ।
    अनंत अनंत धन्यवाद।

  • @swaranjain7885
    @swaranjain7885 5 หลายเดือนก่อน

    😢 Matheinvandami sadhviyugalJee🙏🙏🙏vNidhikripaJeeurimlasadhvi

  • @tilakrajbabel
    @tilakrajbabel 5 หลายเดือนก่อน

    Mathen vandami maharasb

  • @pratibhajain4231
    @pratibhajain4231 5 หลายเดือนก่อน

    🙏🙏🙏

  • @swaranjain7885
    @swaranjain7885 5 หลายเดือนก่อน +1

    JaiJinender 🙏

  • @satishchandrajain2182
    @satishchandrajain2182 5 หลายเดือนก่อน

    13:20
    🙏🏻 ओं णमो सिद्धाणं।🙏🏻
    🙏🏻 ओं अर्हं नमः। 🙏🏻
    🙏🏻 णमो लोए सव्वसाहूणं। 🙏🏻
    🙏🏻 Helpful n Useful 🙏🏻
    🙏🏻 Thank U! So Very Much for Sharing 🙏🏻
    🙏🏻 Jai Jinendra n Uttam Kshama! 🙏🏻
    Jai Bharat! 🇮🇳 🙏🏻
    (2024 May 19 Sun 17:31 OnW)

    • @satishchandrajain2182
      @satishchandrajain2182 4 หลายเดือนก่อน

      13:20
      🙏🏻 ओं णमो सिद्धाणं।🙏🏻
      🙏🏻 ओं अर्हं नमः। 🙏🏻
      🙏🏻 णमो लोए सव्वसाहूणं। 🙏🏻
      🙏🏻 Helpful n Useful 🙏🏻
      🙏🏻 Thank U! So Very Much for Sharing 🙏🏻
      🙏🏻 Jai Jinendra n Uttam Kshama! 🙏🏻
      Jai Bharat! 🇮🇳 🙏🏻
      (2024 May 26 Sun 20:44 OnW)

  • @satishchandrajain2182
    @satishchandrajain2182 5 หลายเดือนก่อน

    सम्यग दर्शन ज्ञान चारित्र आत्मा के स्व को मानना जानना लिनता यह गुण है।

  • @satishchandrajain2182
    @satishchandrajain2182 5 หลายเดือนก่อน

    भाव आत्मा में होते है, मन भाव नहीं करता। ... मन जड़ साधन है जब भाव मन से गुजरते है तब वह विचार होते है और बार बार विचार करना चिंतन होता है।

  • @ratannath4647
    @ratannath4647 5 หลายเดือนก่อน

    🪔❤️🌺💐👏👏

  • @pritamchhajed8047
    @pritamchhajed8047 5 หลายเดือนก่อน

    मत्थेण वंदामी मा.सा.
    अभी यह प्रवचन सुनते सुनते मेरे मन में एक प्रश्न आया है की
    अगर किसी जीव को उसके पूर्व भव में सम्यक दर्शन की प्राप्ति हुई हो तो सामान्य व्यक्ति और उसके जीवन जीने में क्या अंतर नजर आ सकता है ???

  • @pritamchhajed8047
    @pritamchhajed8047 5 หลายเดือนก่อน

    मेरे मनमें यह सवाल इसलिए है क्योंकि
    बचपन से मैंने बहुत सारे व्रत नियम पचखाण लिए थे ।
    पर जबसे आत्मधर्मके ओर मुडा हूं मेरे व्रत नियम एक एक करके छुटते जा रहे हैं ।
    इसलिए आपसे अनुरोध है की कृपया करके मार्गदर्शन प्रदान करने की कृपा कीजिए
    धन्यवाद
    प्रीतम छाजेड पुणे

    • @SadhviYugalNidhiKripa
      @SadhviYugalNidhiKripa  5 หลายเดือนก่อน

      drive.google.com/file/d/1aqmvr6xLvBL6e6cLhg_Vy0ougCPdxu8i/view?usp=sharing

    • @pritamchhajed8047
      @pritamchhajed8047 5 หลายเดือนก่อน

      ​@@SadhviYugalNidhiKripa
      मत्थेण वंदामी मा.सा.
      बहुत-बहुत धन्यवाद
      आपने बहुत बड़ी कृपा की
      मैंने बार-बार उसे सुना
      आपने बहुत अच्छी तरह से समझाया है
      जो बात मैं समझ पाया हूं वह आपके सामने रख रहा हूं।
      प्रयास कर्म है
      अनायास धर्म है
      मिथ्या दृष्टि प्रयत्न पूर्वक व्रत नियम का पालन करता है तो शुभ कर्म का बंधन होता है ।
      सम्यक दृष्टि व्यक्ति से व्रत नियम का पालन अनायास ही हो जाता है कर्ताभाव रहित हो जाता है इसलिए उनके कर्मों की निर्जरा होती है ।
      क्या यह सही समझा है यह बताने की कृपा करें
      धन्यवाद
      प्रितम छाजेड़ पुणे

  • @pritamchhajed8047
    @pritamchhajed8047 5 หลายเดือนก่อน

    मत्थेण वंदामी मा.सा.
    व्रत नियम आदि करनेसे सम्यकदर्शन होता है
    या सम्यक दर्शन होनेपर व्रत नियम आपनेआप हो जाएंगे ??
    प्रीतम छाजेड़ पुणे

    • @SadhviYugalNidhiKripa
      @SadhviYugalNidhiKripa  5 หลายเดือนก่อน

      drive.google.com/file/d/1aqmvr6xLvBL6e6cLhg_Vy0ougCPdxu8i/view?usp=sharing

    • @pritamchhajed8047
      @pritamchhajed8047 5 หลายเดือนก่อน

      ​@@SadhviYugalNidhiKripa
      मत्थेण वंदामी मा.सा.
      बहुत-बहुत धन्यवाद
      आपने बहुत बड़ी कृपा की
      मैंने बार-बार उसे सुना
      आपने बहुत अच्छी तरह से समझाया है
      जो बात मैं समझ पाया हूं वह आपके सामने रख रहा हूं।
      प्रयास कर्म है
      अनायास धर्म है
      मिथ्या दृष्टि प्रयत्न पूर्वक व्रत नियम का पालन करता है तो शुभ कर्म का बंधन होता है ।
      सम्यक दृष्टि व्यक्ति से व्रत नियम का पालन अनायास ही हो जाता है कर्ताभाव रहित हो जाता है इसलिए उनके कर्मों की निर्जरा होती है ।
      क्या यह सही समझा है यह बताने की कृपा करें
      धन्यवाद

  • @pritamchhajed8047
    @pritamchhajed8047 5 หลายเดือนก่อน

    मत्थेण वंदामी मा.सा.
    बहुत-बहुत धन्यवाद
    आपने बहुत बड़ी कृपा की
    मैंने बार-बार उसे सुना
    आपने बहुत अच्छी तरह से समझाया है
    जो बात मैं समझ पाया हूं वह आपके सामने रख रहा हूं।
    प्रयास कर्म है
    अनायास धर्म है
    मिथ्या दृष्टि प्रयत्न पूर्वक व्रत नियम का पालन करता है तो शुभ कर्म का बंधन होता है ।
    सम्यक दृष्टि व्यक्ति से व्रत नियम का पालन अनायास ही हो जाता है कर्ताभाव रहित हो जाता है इसलिए उनके कर्मों की निर्जरा होती है ।
    क्या यह सही समझा है यह बताने की कृपा करें
    धन्यवाद

    • @SadhviYugalNidhiKripa
      @SadhviYugalNidhiKripa  5 หลายเดือนก่อน

      drive.google.com/file/d/1iI4X-inaK3mVefwPc9IKduyBVsDahY4L/view?usp=sharing

  • @satishchandrajain2182
    @satishchandrajain2182 5 หลายเดือนก่อน

    पानी का स्वभाव आग बुझाना है प्यास बुझाना नहीं ... पानी की अवस्था / पर्याय का स्वभाव प्यास बुझाना है।

  • @bhupinderjain2641
    @bhupinderjain2641 5 หลายเดือนก่อน

    🙏🙏🙏