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गृहस्थी की दशा बुरी क्यों -2 ?(स्वाध्याय साधना शिविर) स्वामी विवेकानन्द परिव्राजक जी।
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- เผยแพร่เมื่อ 18 มิ.ย. 2024
- सनातन महान वैदिक ज्ञान विज्ञान प्रवाह ....... बिना ज्ञान के ध्यान अधुरा ही होता है । जैसे मनुष्य को छोटे से छोटे काम सीखने, किसी न किसी से देखना सीखना पडता है, सुखी रहने का आखरी उपाय मोक्ष रुप साधन भी किसी आध्यात्मिक गुरु या शिक्षक से सीखना प़डता है तभी लाभ होता है । योगाभ्यास आध्यात्म व ध्यान योग विषयक, विस्तार से उचित शिक्षा पाने के लिए हमें follow करें :-
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Namasteji swamiji dhanyabad om
स्वामी जी नमस्ते
Pranam acharya ji ki charonome
गजब की शिक्षा स्वामीजी को नमन👌🙏💐🕉️
Bahut bahut dhanyawad swamiji 🙏❤🎉
Sadar namaste swamiji 🙏 bahut bahut dhanyawad swamiji 🙏💐👌💐🙏
आदरणीय सादर नमस्ते स्वामी जी।🙏
Swami ji ke charno mai Naman ❤
Pranaam GuruJi 🕉️🌷
जय श्रीराम
🙏🙏🙏🙏
प्रणाम स्वामी जी दीपक कुमार फिरोजपुर पजाब
Job asa ho to shree Ram ,krishna or muni rusi o ne sadi kyun kiya.
प्रणाम स्वामी जी
नमस्ते जी 🙏
वह वैदिक काल था उनकी शिक्षा गुरुकुल में हुई थी और उनके आपस में गुण कर्म स्वभाव मिलाकर विवाह किए जाते थे राम जी आदि आदर्श गृहस्थ थे।
और वे विवाह इसलिए करते थे क्योंकि उन्हें इसकी आवश्यकता थी वे संसार के सुख दुःख का परीक्षण करना चाहते थे गृहस्थ आश्रम के माध्यम से धर्म की रक्षा करना चाहते थे।