अथ ज्ञान परिचय | Ath Gyan Parichaya | Amargranth Sahib by Sant Rampal Ji Maharaj
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- เผยแพร่เมื่อ 26 ก.ค. 2023
- अथ ज्ञान परिचय | Ath Gyan Parichaya | Amargranth Sahib by Sant Rampal Ji Maharaj
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सतगुरु दीन दयाल दयाला नजरी हैं नजर निहाला।।1।।
सतगुरु अगम भूमि सें आये। निर्भय पद निज नाम सुनाये।।2।।
कर हंसा प्रतीति हमारी। सतगुरु त्यारै नर और नारी।।3।।
कोई बेटा बाप रू भाई। कोई मात पिता कुल दाई।।4।।
कोई काका कै नांय बोलै। कोई ताऊ सें होय ओल्हे।।5।।
कोई मामा भाणिज भीना। जिसका तिस क्यूं नहीं दीन्हा।।6।।
कोई दादा पोता नांती। चलतैं कोई संग न साथी।।7।।
कोई फूफसरा ननदोई। यौ ज्यूं का त्यूं ही होई।।8।।
कहीं पीतसरा पति धारी। कहीं तायसरा बुझ भारी।।9।।
कहीं जेठ जिठानी खसमां। ये सबही हो गये भस्मां।।10।।
कहीं भाभी देवर साली। इन नातौं बड़ घर घाली।।11।।
कहीं बहिन भांनिजो फुफी। याह फूटि गई भ्रम कूपी।।12।।
कहीं बेटी बहू भई रे। समझैं नहीं अकलि गई रे।।13।।
ये हैं दोजिख के लपकू। देखो गूलरि के गपकू।।14।।
यौंह नाता छारम छारा। बूडे़ दरिया बार न पारा।।15।।
यौह चैरासी झक झोला। सब हो गये घोल मथोला।।16।।
हम कारवान होय आये। महलौं पर ऊंट बताये।।17।।
बोलैं पादशाह सुलताना। तूं रहता कहां दिवाना।।18।।
दूजैं कासिद गवन किया रे। डेरा महल सराय लिया रे।।19।।
जब हम महल सराय बर्ताइ । सुलतानी कूं तांवर्र आइ ।।20।।
अरे तेरे बाप दादा पड़ पीढी। ये बसे सराय में गीदी।।21।।
ऐसैं ही तूं चलि जाई। यौं हम महल सराय बताई।।22।।
अरे र्कोइ कासिद कूं गहि ल्यावै। इस पंडित खांनें द्यावै।।23।।
ऊठे पादशाह सुलताना। वहां कासिद गैब छिपाना।।24।।
तीजै बांदी होय सेज बिर्छाइ । तन तीन कोरड़े र्खाइ ।।25।।
तब आया अनहद हांसा। सुलतानी गहे खवासा।।26।।
मैं एक घड़ी सेजां र्सोइ । तातैं मेरा योह हवाल र्होइ ।।27।।
जो सोवैं दिबस रू राता। तिन का क्या हाल बिधाता।।28।।
तब गैबी भये खवासा। सुलतानी हुये उदासा।।29।।
यौह कौन छलावा र्भाइ । याका कछु भेद न र्पाइ ।।30।।
चौथे जोगी भये हम जिन्दा। लिन्हें तीन कुत्ते गलि फंदा।।31।।
दीन्ही हम सांकल डारी। सुलतानी चले बाग बाड़ी।।32।।
बोले पातशाह सुलताना। कहां सें आये जिन्द दिवाना।।33।।
ये तीन कुत्ते क्या कीजै। इनमें सें दोय हम कूं दीजै।।34।।
अरे तेरे बाप दादा है र्भाइ । इन बड़ बदफैल कर्माइ ।।35।।
यहां लोह लंगर शीश लर्गाइ । तब कुत्यौं धूम मचाई।।36।।
अरे तेरे बाप दादा पड़ पीढी। तूं समझै क्यूं नहीं गीदी।।37।।
अब तुम तख्त बैठकर भूली। तेरा मन चढने कूं शूली।।38।।
जोगी जिन्दा गैब भया रे। हम ना कछु भेद लह्या रे।।39।।
बोले पादशाह सुलताना। जहां खड़े अमीर दिवाना।।40।।
येह च्यार चरित्र बीते। हम ना कछु भेद न लीते।।41।।
वहां हम मार्या ज्ञान गिलोला। सुलतानी मुख नहीं बोला।।42।।
तब लगे ज्ञान के बानां। छाड़ी बेगम माल खजाना।।43।।
सुलतानी जोग लिया रे। सतगुरु उपदेश दिया रे।।44।।
छाड्या ठारा लाख तुरा रे। जिस लागै माल बुरा रे।।45।।
छाड़े गज गैंवर जल हौडा। अब भये बाट के रोड़ा।।46।।
संग सोलह सहंस सुहेली। एक सें एक अधिक नवेली।।47।।
छाडे़ हीरे हिरंबर लाला। सुलतानी मोटे ताला।।48।।
जिन लोक पर्गंणा त्यागा। सुनि शब्द अनाहद लाग्या ।।49।।
पगड़ी की कौपीन बनाई। शालौं की अलफी लाई।।50।।
शीश किया मुंह कारा। सुलतानी तज्या बुखारा।।51।।
गण गंधर्व इन्द्र लरजे। धन्य मात पिता जिन सिरजे।।52।।
भया सप्तपुरी पर शाका। सुलतानी मारग बांका।।53।।
जिन पांचैं पकड़ि पछाड्या इनका तो दे दिया बाड़ा।।54।।
सुनि शब्द अनाहद रता। जहां काल कर्म नहीं जाता।।55।।
नहीं कच्छ मच्छ कुरंभा। जहां धौल धरणि नहीं थंभा।।56।।
नहीं चंद्र सूर जहां तारा। नहीं धौल धरणि गैंनारा।।57।।
नहीं शेष महेश गणेश। नहीं गौरा शारद भेषा।।58।।
जहां ब्रह्मा विष्णु न बानी। नहीं नारद शारद जानी।।59।।
जहां नहीं रावण नहीं रामा। नहीं माया का बिश्रामा।।60।।
जहां परसुराम नहीं पर्चा । नहीं बलि बावन की चर्चा ।।61।।
नहीं कंस कान्ह कर्ता रा। नहीं गोपी ग्वाल पसारा।।62।।
यौंह आँवन जान बखेड़ा। यहाँ कौंन बसावै खेड़ा।।63।।
जहाँ नौ दशमा नहीं र्भाइ । दूजे कूं ठाहर नाँही।।64।।
जहां नहीं आचार बिचारा। र्कोइ शालिग पूजनहारा।।65।।
बेद कुराँन न पंडित काजी। जहाँ काल कर्म नहीं बाजी।।66।।
नहीं हिन्दू मुसलमाना। कुछ राम न दुवा सलामा।।67।
जहाँ पाती पान न पूजा। र्कोइ देव नहीं है दूजा।।68।।
जहाँ देवल धाम न देही। चिन्ह्यों क्यूं ना शब्द सनेही ।।69।।
नहीं पिण्ड प्राण जहां श्वासा। नहीं मेर कुमेर कैलासा।।70।।
नहीं सत्ययुग द्वापर त्रेता। कहूं कलियुग कारण केता।।71।।
यौह तो अंजन ज्ञान सफा रे। देखो दीदार नफा रे।।72।।
निःबीज सत निरंजन लोई। जल थल में रमता सोई।।73।।
निर्भय निरगुण बीना। सोई शब्दअतीतं चीन्हा।।74।।
अडोल अबोल अनाथा। नहीं देख्या आवत जाता।।75।।
हैं अगम अनाहद सिंधा। जोगी निरगुण निरबंधा।।76।।
कछु वार पार नहीं थाहं। सतगुरु सब शाहनपति शाहं।।77।।
उलटि पंथ खोज है मीना। सतगुरु कबीर भेद कहैं बीना।।78।।
यौह सिंधु अथाह अनूपं। कछु ना छाया ना धूपं।।79।।
जहां गगन धूनि दरबानी। जहां बाजैं सत्य सहिदानी ।।80।।
सुलतान अधम जहां राता। तहां नहीं पांच तत का गाता।।81।।
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बाढ़ की मार झेल रहे लोगों को रोटी, सब्जी, दूध, दवाई बांटकर संत रामपाल जी महाराज के शिष्यों ने दिया मानवता का संदेश।
आज पूरे विश्व में संत रामपाल जी महाराज ही एकमात्र तत्वदर्शी पूर्ण गुरु है जो प्रमाणिक और सत भक्ति तथा सच्चा नाम दीक्षा दे कर पूरे विश्व का कल्याण कर रहे हैं
कबीर साहेब ही वो परमात्मा है जिसके लिए कुछ भी असंभव नहीं है , जिसने पूरी दुनिया बनाई ।
Jai ho bandi chhod ki jai ho 🙏 🙏 🙏 🙏
Mat pita mil jayege lakha chaurasi mahe sat guru seva bandgi fir milegi naye 🌹🥰🥰
पूर्ण परमात्मा कबीर साहिब जी है
Amrit varsha
Kabira darshan Sadhu ka parmatma ave yad lekhe me bohi gadi baki ke din badh 🥰🥰🥰🥰🥰🥰
गुरू बिन काहू न पाया ज्ञाना, ज्यों थोथा भुष छड़े मूढ़ किसाना।
गुरू बिन वेद पढ़े जो प्राणी, समझे न सार रहे अज्ञानी।
कबीर, नौ मन सूत उलझिया, ऋषि रहे झख मार।
सतगुरू ऐसा सुलझा दे, उलझै ना दूजी बार।।
इसी प्रकार तत्वदर्शी संत से पूर्ण परमात्मा के तत्व ज्ञान के द्वारा पूर्णब्रह्म की महिमा से परीचित हो जाने के पश्चात् साधक पूर्ण रूप से(अनन्य मन से) उस पूर्ण परमात्मा(परमेश्वर) पर सर्व भाव से आश्रित हो जाता है।
बहुत ही मार्मिक वाणी मालिक की
🔅 संत रामपाल जी महाराज की बताई सतभक्ति से आज लाखों परिवार रोगों से मुक्त होकर सुखी जीवन जी रहे हैं।
काल लोक/पृथ्वी लोक में सब कर्म बंधन से बंधे हैं। जीव को तीनों गुणों के प्रभाव से विवश कर सब कार्य करवाया जाता है।
जबकि सतलोक में किसी गुण का कोई दवाब नहीं है। जीव पूर्णतया स्वतंत्र है।
Geart knowledge by sant rampal ji maharaj ka
SantRampalJiMaharaj
भक्त को चाहिए कि भक्ति-साधना तथा मर्यादा का पालन अन्तिम श्वांस तक करे। जैसे शूरवीर युद्ध के मैदान में या तो मार देता है या स्वयं वीरगति को प्राप्त हो जाता है। वह पीछे कदम नहीं हटाता। संत तथा भक्त का रणक्षेत्र भक्ति मन्त्र जाप तथा मर्यादा है।
सच्चा गुरु तत्वज्ञान (सच्चा आध्यात्मिक ज्ञान) प्रदान करता है जिसके द्वारा व्यक्ति अनन्त भगवान को प्राप्त करता है।
Take refuge in Sant Rampal Ji Maharaj ☘वर्तमान में सारे प्रमाण और ज्ञान देखकर पूरी धरती पर अगर कोई संत है तो वह सिर्फ SaintRampalJiM जी है, संत रामपाल जी महाराज ज़ी
पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब जी हमारे घोर पाप का भी नाश कर देते है
साल में कई बार खुशी के अवसरों पर लोगों को घर घर जाकर भंडारे के लिए निमंत्रण देने वाले संत रामपाल जी महाराज के शिष्यों ने बाढ़ प्रभावित इलाकों में भी घर-घर जाकर बांटी राहत सामग्री।
लोगों ने अपनापन महसूस किया।
संत रामपाल जी महाराज जी के सत्संग वचन सुनकर उनसे नाम उपदेश प्राप्त करके जुड़ने के बाद जीवन के सभी दुःख समाप्त हो जाऐंगे। सत्संग से मनुष्य को जीवन के मूल कर्त्तव्य का ज्ञान होता है,
मनुष्य सारे विकार त्याग देता है। उसके जीवन में सुखों की बहार आ जाती है, किसी भी प्रकार का दुःख
नहीं रहता।
बंदी छोड़ सतगुरु रामपाल जी भगवान जी की जय हो ❤
Satsang ki aadi ghadi tapke barsh hajar toohi barabar hai nahi kahe kabir vichaar 🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰
Anmol gyan he
Anmol gyan
Tatav Gyan
वेदों में प्रमाण है कबीर साहिब जी भगवान है
पूर्ण गुरु तत्त्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज ही अब पार कर सकते हैं
𝐒𝐚𝐭 𝐬𝐚𝐡𝐞𝐛 𝐣𝐢
गरीब, अनंत कोटि ब्रह्मंड का एक रति नहीं भार। सतगुरू पुरूष कबीर हैं कुल के सृजनहार।।
हरियाणा में आई बाढ़ से कई जिलों के बहुत से गांव एक दूसरे के कट गए हैं व सब कुछ जलमग्न हो गया है। ऐसे में बाढ़ग्रस्त इलाकों में आवश्यक वस्तुओं का अभाव जीवन के लिए एक चुनौती बना हुआ है। जीवन के इस मुश्किल दौर में संत रामपाल जी महाराज ने सभी बाढ़ प्रभावित इलाकों में दूध, सब्जी, रोटी दवाई आदि की व्यवस्था कर मानवता की अद्भुत मिसाल पेश की है।
श्रद्धा से सत्य भक्ति करने से अविनाशी परमात्मा की प्राप्ति होती है अर्थात् पूर्ण मोक्ष होता है। पूर्ण संत भिक्षा व चंदा मांगता नहीं फिरेगा। 🌱
कबीर साहेब समर्थ अविनाशी परमात्मा है
Ram nam kadva lage mithe lage daam duvidha me dono gaye maya mili na ram
कबीर, प्रीती बहुत संसार में, नाना विधि की सोय।
उत्तम प्रीती सो जानियो, सतगुरु से जो होय।।
अति सुन्दर अनमोल वचन 🙏🙏🙏🙇🏻♂️🙇🏻♂️
Kabir Is Supreme God
Jagatguru Tavtdarshi Sant Rampal Ji Bhagavan Ji Ke Param Pavan Charno Me Dass Ka Koti Koti Dandvat Pranam He 🙏🙏🌹
जिस समय सर्व सन्त जन शास्त्र विधि त्यागकर मनमानी पूजा द्वारा भक्त समाज को मार्ग दर्शन कर रहे होते हैं। तब अपने तत्वज्ञान का संदेशवाहक बन कर स्वयं कबीर प्रभु ही आते हैं।
साचा शब्द कबीर का, सुनकर लागे आग ।
अज्ञानी सौ जल जल मरै पर ,ज्ञानी जावे जाग ।।
Very nice satsang
कबीर जी - सतगुरु आये दया करि ऐसे दीनदयाल ।
बन्दी छोड़ विरदतास का जठराग्नि प्रतिपाल ।।गरीब, सतगुरू को क्या दीजिए, तन मन धन और शीश !
पिंड प्राण कुर्बान कर, जिन भक्ति दई बख्शीस !!कबीरा साधु दर्शन राम के, मुख पर बसे सुहाग।
दर्श उन्हीं के होते हैं, जिनके पूर्ण भाग।
कबीर,एकै साधै सब सधै,सब साधे सब जाय।
माली सींचे मूल कहूं,फलै फूलै अघाय।।
True saint
गरीब जल थल पृथ्वी गगन में बाहर भीतर एक।
पूर्ण ब्रह्म कबीर है अविगत पुरुष अलेख।।
कबीर,पीछे लाग्या जाऊ था, मै लोक वेद के साथ।
रास्ते में सतगुरू मिले, दीपक दे दिया हाथ।।
तीन देवा कमल दल बसे,ब्रह्मा विष्णु महेश।
प्रथम इन की वंदना,फिर सुन सत गुरु ऊपदेश।।
🙏🙏🙏🙏
❣️
❤❤❤❤
गरीब, तीन लोक का राज है, ब्रह्मा विष्णु महेश।
ऊँचा धाम कबीर का, सतलोक प्रदेश।।
🙏
Right way of worship 🥰🥰
Great knowledge
Kabir is god 🙏🙏🙏
पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब
मानुष जन्म पाय कर जो नहीं रटै हरि नाम।
जैसे कुंआ जल बिना फिर बनवाया क्या काम।।
मानुष जन्म दुर्लभ है, ये मिले ना बारंबार।
जैसे तरवर से पत्ता टूट गिरे, वो बहुर न लगता डार।।🙏
Great saint rampal ji maharaj
Very good
गरीब, राम नाम निज सार है, मूल मंत्र मन मांहि।
पिंड ब्रह्मंड सें रहित है, जननी जाया नाहिं।।
Sant rampal ji only one sant who deliver true spritual knowledge about vedas and gita 🌎🙇🏽♀️💫🙏
Very nice
सत साहेब जी 🙏🙇♀️
Almighty God is Kabir saheb ji🙏 🙇♀️
तत्वदर्शी सन्त वह होता है जो वेदों के सांकेतिक शब्दों को पूर्ण विस्तार से वर्णन करता है जिससे पूर्ण परमात्मा की प्राप्ति होती है वह वेद के जानने वाला कहा जाता है। 🌱
Ek deva ek leva dootam koi kahu ka pita nahin pitam.
⛳ नकली धर्म गुरुओं
ने हिन्दू समाज का जीवन बर्बाद कर दिया
संत रामपाल जी महाराज का धन्यवाद करते हैं जिन्होंने गीता का सही ज्ञान दिया और हिन्दू धर्म की लाज रखी...
Supreme God is Kabir
कबीर परमात्मा पाप का शत्रु है, पाप विनाशक हैं।
कबीर परमात्मा सम्पूर्ण शांति दायक है - यजुर्वेद अध्याय 5 मंत्र 32
सर्व शक्तिमान परमेश्वर कबीर"
पूर्ण परमात्मा आयु बढ़ा सकता है और कोई भी रोग को नष्ट कर सकता है। - ऋग्वेद मण्डल 10 सुक्त 161 मंत्र 2, 5, सुक्त 162 मंत्र 5, सुक्त 163 मंत्र 1 - 3
Sat sahib
बहुत बढ़िया सत्संग !
Bahut Achcha Satsang hai
कबीर, ये तन विष की बेलड़ी, गुरु अमृत की खान।
शीश दिए जो गुरु मिले, तो भी सस्ता जान।।
यह मानव शरीर विषय-विकारों रुपी विष का घर है। गुरु तत्वज्ञान रुपी अमृत की खान है। ऐसा गुरु शीश दान करने से मिल जाए तो सस्ता जानें। शीश दान अर्थात गुरु दीक्षा किसी भी मूल्य में मिल जाए।
Sat saheb ji
jay malik ki
Bahut anmol vani
बहुत अच्छा लगता है ये ज्ञान
Sat saheb ji 🙏❤️
बहुत ही मार्मिक वाणी परमेश्वर जी की।
Sat sahebji
Bahut anmol vachan
सतगुरु के लक्षण कहूं, मधूरे बैन विनोद। चार वेद षट शास्त्र, कहै अठारा बोध।।
सतगुरु गरीबदास जी महाराज अपनी वाणी में पूर्ण संत की पहचान बता रहे हैं कि वह चारों वेदों, छः शास्त्रों, अठारह पुराणों आदि सभी ग्रंथों का पूर्ण जानकार होगा।
केहरी नाम कबीर हैं, विषम काल गजराज ।
सुनत आवाज भजन की,भाग जए तुरन्त ।
Anmol Gyaan
anmol tatv gyan
Anmol gyaan
अति का भला न बोलना, अति की भली न चूप।
अति का भला न बरसना, अति की भली न धूप॥
तत्व ज्ञान
अनमोल वचन
परमात्मा साकार है व सहशरीर है (प्रभु राजा के समान दर्शनीय है)
यजुर्वेद अध्याय 5, मंत्र 1, 6, 8, यजुर्वेद अध्याय 1, मंत्र 15, यजुर्वेद अध्याय 7 मंत्र 39, ऋग्वेद मण्डल 1, सूक्त 31, मंत्र 17, ऋग्वेद मण्डल 9, सूक्त 86, मंत्र 26, 27, ऋग्वेद मण्डल 9, सूक्त 82, मंत्र 1 - 3
True Guru
નળાના દી હૈ તો તે લુહ તો मनाइए बाख़बर सतगुरु रामपाल जी महाराज से सच्ची इबादत / भक्ति प्राप्त करके।
❤❤❤
Greatly Appreciated Vani🙏
जो पूर्ण सतगुरु होगा उसमें चार मुख्य गुण होते हैं:-
गुरू के लक्षण चार बखाना, प्रथम वेद शास्त्र को ज्ञाना (ज्ञाता)।
दूजे हरि भक्ति मन कर्म बानी, तीसरे समदृष्टि कर जानी।
चौथे वेद विधि सब कर्मा, यह चार गुरु गुण जानो मर्मा।
कबीर सागर के अध्याय ‘‘जीव धर्म बोध‘‘ के पृष्ठ 1960
Life changing satsang
Supreme god kabir
Very Very nice satsang
Very nice Satsang
Very nice satsang 🙏
Anmol gan
Nice satsang
कबीर, गुरू गोविंद दोनों खड़े, किसके लागूं पाय। बलिहारी गुरू आपणा, गोविन्द दियो बताय।।
Nice Amrit vani
Kabir is supreme God