VC27 28b शरीरका तादाम्यरूपी अज्ञान त्यजकर अपने स्वरूपका बोध करनेकी तीव्र इच्छाको मुमुक्षता कही है।
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- เผยแพร่เมื่อ 25 พ.ย. 2024
- #koham3469
अहंकारादिदेहान्तान्बन्धानज्ञानकल्पितान् । स्वस्वरूपावबोधेन मोक्तुमिच्छा. मुमुक्षता॥ २८ ॥ अहंकारसे लेकर देहपर्यन्त जितने अज्ञान-कल्पित बन्धन हैं, उनको अपने स्वरूपके ज्ञानद्वारा त्यागनेकी इच्छा “मुमुक्षुता' है।
Jay Shree Krushna bhai
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