VC27 28b शरीरका तादाम्यरूपी अज्ञान त्यजकर अपने स्वरूपका बोध करनेकी तीव्र इच्छाको मुमुक्षता कही है।

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  • เผยแพร่เมื่อ 25 พ.ย. 2024
  • #koham3469
    अहंकारादिदेहान्तान्बन्धानज्ञानकल्पितान्‌ । स्वस्वरूपावबोधेन मोक्तुमिच्छा. मुमुक्षता॥ २८ ॥ अहंकारसे लेकर देहपर्यन्त जितने अज्ञान-कल्पित बन्धन हैं, उनको अपने स्वरूपके ज्ञानद्वारा त्यागनेकी इच्छा “मुमुक्षुता' है।

ความคิดเห็น • 4

  • @navanitpandya5196
    @navanitpandya5196 10 วันที่ผ่านมา +1

    Jay Shree Krushna bhai

  • @rahulsing4213
    @rahulsing4213 8 วันที่ผ่านมา +1

    जय सीताराम मैं आपके ग्रुप में जुड़ना चाहता हूं कृपया मेरा उत्तर दें

    • @koham3469
      @koham3469  8 วันที่ผ่านมา +1

      अध्यात्ममें आप की रुचि का अभिवादन। अपना मोबाईल नंबर बताईए, आप को ग्रूप में शामिल कर लेंगे। जय श्रीकृष्ण।🙏

    • @koham3469
      @koham3469  7 วันที่ผ่านมา

      @rahulsing4213 अपना मोबाईल नंबर बताईए, आप को WhatsApp ग्रूप में शामिल कर लेंगे। जय श्रीकृष्ण।🙏