चमत्कारी सिद्धियों की सच्चाई क्या? || आचार्य प्रशांत, पतंजलि योगसूत्र पर (2019)

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  • เผยแพร่เมื่อ 30 ก.ย. 2024
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    वीडियो जानकारी: शब्दयोग सत्संग, 25.04.2019, अद्वैत बोधस्थल, ग्रेटर नॉएडा, भारत
    प्रसंग:
    कायरूपसंयमात्तद्ग्राह्यशक्तिस्तम्भे
    चक्षुःप्रकाशासंप्रयोगेऽन्तर्धानम् ॥ ३.२१॥
    भावार्थ: शरीर के रूप में संयम करने से योगी अंतर्धान हो जाता है।
    भुवनज्ञानं सूर्ये संयमात् ॥ ३.२६॥
    भावार्थ: सूर्य में संयम करने से योगी को समस्त लोकों का ज्ञान हो जाता है।
    कायाकाशयोः सम्बन्धसंयमाल्लघुतूल-
    समापत्तेश्चाकाशगमनम् ॥ ३.४२॥
    भावार्थ: किसी भी हल्की वस्तु जैसे कि रुई आदि में संयम करने से आकाश में चलने की शक्ति आ जाती है।
    ~पतंजलि योग सूत्र, विभूतिपाद
    ~ सिद्धियों की सच्चाई क्या है?
    ~ क्या सिद्धियाँ साधना में रुकावट होती हैं?
    ~ पतंजलि योगसूत्र को कैसे समझें?
    ~ क्या अध्यात्म में शक्तियाँ अर्जित करी जाती हैं?
    संगीत: मिलिंद दाते
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