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Poorab Times
India
เข้าร่วมเมื่อ 28 มิ.ย. 2012
पूरब टाइम्स (Tourism & Culture) यू ट्यूब चैनल है जिसमें छत्तीसगढ़ की संस्कृति, पर्यटन ,मनोरंजन व मोटिवेशन के वीडियोज़ सहित रायपुर, भिलाई , दुर्ग, राजनांदगांव व बिलासपुर सहित के गणमान्य नागरिको के इंटरव्यू के वीडियोज़ देखने मिलेंगे. अगर आपको वीडियोज़ अच्छे लगते हैं है तो वीडियोज़् को लाइक कीजियेगा व इस चैनल को जरूर सब्सक्राइब कीजियेगा , आप सभी का धन्यवाद्
- मधुर चितलांग्या , संपादक 9229293777
Dear friends, Poorab Times (Tourism & Culture) is youtube channel . In our youtube channel we are focusing on c.g. tourism, culture, chhattisgarh's famous personality's interview, entertainment and motivational videos.
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कुंभ मेला क्या है,कितने प्रकार का होता है और कब से शुरू हुआ
#kumbhmelaprayagraj #kumbh2025 #prayagrajkumbh #mahakumbh2025 #kumbhmela
कुंभ मेला दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक और सांस्कृतिक मेला है। इस मेले में देश-दुनिया से करोड़ों लोग आस्था की डुबकी लगाने आते हैं। कुंभ मेले का आयोजन भारत में चार स्थानों पर होता है। इसमें हरिद्वार, नासिक, उज्जैन और प्रयागराज शामिल है। इस दौरान श्रद्धालु गंगा, गोदावरी और क्षिप्रा नदी में आस्था की डुबकी लगाते हैं। वहीं, प्रयागराज में लोग संगम में स्नान करते हैं।
अर्धकुंभ मेला, कुंभ मेले का मध्य चरण होता है. यह मेला हर छह साल में हरिद्वार और प्रयागराज में लगता है. अर्ध का मतलब आधा होता है. इस मेले में भी लोग पवित्र नदियों में डुबकी लगाते हैं और पुण्य कमाते हैं.
पूर्णकुंभ मेला, कुंभ मेले की एक श्रेणी है. यह मेला हर 12 साल में एक बार लगता है. यह मेला प्रयागराज में संगम तट पर आयोजित होता है. पूर्णकुंभ मेले का महत्व बहुत ज़्यादा है.
महाकुंभ मेला प्रयागराज में 12 बार पूर्णकुंभ हो जाते हैं, तो उसे एक महाकुंभ का नाम दिया जाता है। पूर्णकुंभ 12 वर्ष में एक बार लगता है और महाकुंभ 12 पूर्णकुंभ में एक बार लगता है। इस प्रकार वर्षों की गणना करें, तो यह 144 सालों में एक बार आयोजित होता है। इस वजह से इसे महाकुंभ कहा जाता है। यह सबसे बड़ा मेला होता है
महाकुंभ मेला का अमृत कलश से क्या संबंध है? समुद्र मंथन के बाद अमृत पाने के लिए देवताओं और असुरों में संघर्ष हुआ जिसके बाद अमृत कलश यानी कुंभ को लेकर देवता भाग गए जिससे अमृत की कुछ बूंदें पृथ्वी आ गिरी. अमृत की जो चार बूंदे चार जगहों पर गिरी उन्हीं जगहों पर कुंभ मेला लगता है. ये जगहें हैं प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक .
कुछ ग्रंथों में बताया गया है कि कुंभ मेला का आयोजन 850 साल से भी ज्यादा पुराना है। आदि शंकराचार्य द्वारा महाकुंभ की शुरुआत की गई थी। कुछ कथाओं में बताया गया है कि कुंभ का आयोजन समुद्र मंथन के बाद से ही किया जा रहा है। जबकि कुछ विद्वानों का कहना है कि गुप्त काल के दौरान से ही इसकी शुरुआत हुई थी। लेकिन सम्राट हर्षवर्धन से इसके प्रमाण देखने को मिलते हैं। इसी के बाद शंकराचार्य और उनके शिष्यों द्वारा संन्यासी अखाड़ों के लिए संगम तट पर शाही स्नान की व्यवस्था की गई थी।
क्यों सिर्फ प्रयागराज में ही लगता है महाकुंभ?
सिर्फ प्रयागराज में ही लगता है महाकुंभ प्रयागराज में लगने वाले महाकुंभ का महत्व अधिक माना गया है। दरअसल, यहां तीन पवित्र नदियों गंगा, यमुना और सरस्वती का संगम है। जिस वजह से यह स्थान अन्य जगहों की तुलना में अधिक महत्वपूर्ण है। ऐसी मान्यता है कि जो व्यक्ति इन तीन नदियों के संगम में शाही स्नान करता है उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है।
बता दें सरस्वती नदी लुप्त हो चुकी हैं लेकिन, वह धरती का धरातल में आज भी बहती हैं। ऐसी मान्यता है कि जो व्यक्ति इन तीन नदियों के संगम में शाही स्नान करता है उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसलिए प्रयागराज में इसका महत्व अधिक माना जाता है।
कुंभ मेला दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक और सांस्कृतिक मेला है। इस मेले में देश-दुनिया से करोड़ों लोग आस्था की डुबकी लगाने आते हैं। कुंभ मेले का आयोजन भारत में चार स्थानों पर होता है। इसमें हरिद्वार, नासिक, उज्जैन और प्रयागराज शामिल है। इस दौरान श्रद्धालु गंगा, गोदावरी और क्षिप्रा नदी में आस्था की डुबकी लगाते हैं। वहीं, प्रयागराज में लोग संगम में स्नान करते हैं।
अर्धकुंभ मेला, कुंभ मेले का मध्य चरण होता है. यह मेला हर छह साल में हरिद्वार और प्रयागराज में लगता है. अर्ध का मतलब आधा होता है. इस मेले में भी लोग पवित्र नदियों में डुबकी लगाते हैं और पुण्य कमाते हैं.
पूर्णकुंभ मेला, कुंभ मेले की एक श्रेणी है. यह मेला हर 12 साल में एक बार लगता है. यह मेला प्रयागराज में संगम तट पर आयोजित होता है. पूर्णकुंभ मेले का महत्व बहुत ज़्यादा है.
महाकुंभ मेला प्रयागराज में 12 बार पूर्णकुंभ हो जाते हैं, तो उसे एक महाकुंभ का नाम दिया जाता है। पूर्णकुंभ 12 वर्ष में एक बार लगता है और महाकुंभ 12 पूर्णकुंभ में एक बार लगता है। इस प्रकार वर्षों की गणना करें, तो यह 144 सालों में एक बार आयोजित होता है। इस वजह से इसे महाकुंभ कहा जाता है। यह सबसे बड़ा मेला होता है
महाकुंभ मेला का अमृत कलश से क्या संबंध है? समुद्र मंथन के बाद अमृत पाने के लिए देवताओं और असुरों में संघर्ष हुआ जिसके बाद अमृत कलश यानी कुंभ को लेकर देवता भाग गए जिससे अमृत की कुछ बूंदें पृथ्वी आ गिरी. अमृत की जो चार बूंदे चार जगहों पर गिरी उन्हीं जगहों पर कुंभ मेला लगता है. ये जगहें हैं प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक .
कुछ ग्रंथों में बताया गया है कि कुंभ मेला का आयोजन 850 साल से भी ज्यादा पुराना है। आदि शंकराचार्य द्वारा महाकुंभ की शुरुआत की गई थी। कुछ कथाओं में बताया गया है कि कुंभ का आयोजन समुद्र मंथन के बाद से ही किया जा रहा है। जबकि कुछ विद्वानों का कहना है कि गुप्त काल के दौरान से ही इसकी शुरुआत हुई थी। लेकिन सम्राट हर्षवर्धन से इसके प्रमाण देखने को मिलते हैं। इसी के बाद शंकराचार्य और उनके शिष्यों द्वारा संन्यासी अखाड़ों के लिए संगम तट पर शाही स्नान की व्यवस्था की गई थी।
क्यों सिर्फ प्रयागराज में ही लगता है महाकुंभ?
सिर्फ प्रयागराज में ही लगता है महाकुंभ प्रयागराज में लगने वाले महाकुंभ का महत्व अधिक माना गया है। दरअसल, यहां तीन पवित्र नदियों गंगा, यमुना और सरस्वती का संगम है। जिस वजह से यह स्थान अन्य जगहों की तुलना में अधिक महत्वपूर्ण है। ऐसी मान्यता है कि जो व्यक्ति इन तीन नदियों के संगम में शाही स्नान करता है उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है।
बता दें सरस्वती नदी लुप्त हो चुकी हैं लेकिन, वह धरती का धरातल में आज भी बहती हैं। ऐसी मान्यता है कि जो व्यक्ति इन तीन नदियों के संगम में शाही स्नान करता है उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसलिए प्रयागराज में इसका महत्व अधिक माना जाता है।
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बालिका दिवस के अवसर पर तुलाराम स्कूल एवं महावीर स्कूल के छात्राओं ने लाइफ केयर का निरीक्षण किया
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मिजोरम के अनमोल पर्यटन स्थल ,प्रकृति और रोमांच का संगम |Precious tourist places of Mizoram |
มุมมอง 812 ชั่วโมงที่ผ่านมา
Precious tourist places of Mizoram poorab times news paper poorabtimes news durg news bhilai news chhattisgarh taja samachar aaj ki taja khabar latest news newstoday fatat taja samachar poorabtajasamachar short and fast news
छत्तीसगढ़ के विश्व स्तरीय कलाकार |World class artist of Chhattisgarh |
มุมมอง 412 ชั่วโมงที่ผ่านมา
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मेघालय: जहां प्रकृति बिखेरती है अपना जादू | Meghalaya: Where nature spreads its magic |
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#Meghalaya # DawkiLake #Dawki #shillong#Where #nature #spreads its #magic मेघालय, अपनी प्राकृतिक सुंदरता और हरे-भरे परिदृश्य के लिए प्रसिद्ध, भारत के सबसे आकर्षक पर्यटन स्थलों में से एक है। अगर आप शांति और रोमांच का अनुभव करना चाहते हैं, तो मेघालय आपके लिए एक आदर्श गंतव्य है। आइए, मेघालय के प्रमु स्थानों और उसकी यात्रा से जुड़ी जानकारी पर नजर डालें। मुख्य पर्यटन स्थल शिलॉन्ग मेघालय की राजधानी श...
ललित ढीमर का टिकट काटने से आक्रोशित हुए वार्डवासी,वापस टिकट दिए जाने की मांग की
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जयंती विशेष : लाला लाजपत राय की जीवन से जुड़ी रोचक बातें
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ऑल इंडिया केमिस्ट एसोसिएशन: 50वीं वर्षगांठ पर दुर्ग में रक्तदान शिविर
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मरही माता के दर्शन से भूत प्रेत बाधा एवं शारीरिक कष्ट होते है दूर / Marhi mata
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पराक्रम दिवस/ नेताजी सुभाष चंद्र बोस के क्रांतिकारी विचार, इतिहास एवं महत्व
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आर्य नगर दुर्ग राधा कृष्ण मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम किया गया
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असम: भारत का प्राकृतिक और सांस्कृतिक स्वर्ग |Assam: India's Natural and Cultural Paradise |
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4 दिवसीय व्यापार महोत्सव 2025 का हुआ समापन, वैशाली नगर विधायक विशेष रूप से उपस्थित रहे.
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पर्यवेक्षक विकास उपाध्याय ने दुर्ग नगर निगम चुनाव के लिए राजीव भवन में ली बैठक
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वित्त मंत्री ओपी चौधरी एवं भाजपा प्रदेशाध्यक्ष किरणदेव सिंह व्यापार महोत्सव 2025 में हुए शामिल
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रोजाना खाली पेट 2 खजूर खाने दूर होती हैं बीमारियां
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रॉयल क्रिस्टल गार्डन में आयोजित व्यापार महोत्सव के दूसरे दिन हुआ रंगारंग कार्यक्रम
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ओडिशा के 5 प्रसिद्ध मंदिर |Famous temples of Odisha |
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सिविक सेंटर के रॉयल क्रिस्टल गार्डन में व्यापार महोत्सव 2025 प्रारंभ
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केरल के 10 बेहतरीन पर्यटन स्थल |10 best tourist places in Kerala |
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दुर्ग कांग्रेस ने छग सरकार पर पिछड़ा वर्ग की उपेक्षा का लगाया आरोप
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केमिस्ट एंड डिस्ट्रीब्यूशन संगठन ने दवाई की ऑनलाइन डिलीवरी बंद करने हेतु प्रेस वार्ता की
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दुर्ग जिला अस्पताल को भाजपा कार्यकर्ता मासूब अली ने दी एंबुलेंस सेवा
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सांची: कला, स्थापत्य और भारतीय संस्कृति का अद्वितीय केंद्र
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दुर्ग | मकर संक्रांति पर कांग्रेसियों ने वृद्धाश्रम में किया प्रसाद वितरण
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जानें मकर संक्रांति क्यों मनाते हैं, क्या है पौराणिक कथाएं
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सिलीगुड़ी में घूमने के लिए बेहतरीन जगहें | Best places to visit in Siliguri |
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👍
मिज़ोरम के सबसे खूबसूरत और शांत पर्यटन स्थलों में से एक है। यह शहर अपनी सुरम्य पहाड़ियों, हरियाली और अनछुए प्राकृतिक सौंदर्य के लिए प्रसिद्ध है।
Lalitdhimar❤❤❤❤❤
ललित भैया को टिकटमिलना चाहिए क्योंकि कांग्रेस वाले टिकट मिलने के बाद कैंसिल करके दूसरे को देना ललित भैया के साथ बहुत गलत किया है
👍
मेघालय अपने नेचुरल लैंडस्केप के लिए देशभर में प्रसिद्ध है. यह जगह पहाड़ों और खूबसूरत वनस्पतियों से घिरा है. यहां दूर-दूर से लोग कई तरह की एडवेंचर्स एक्टिविटी को एन्जॉय करने आते हैं.
Ahh adorable
This is an Albino Burmese python. Burmese pythons are Native to Southeast Asia and have nothing at all to do with Africa.
भारत के स्वतंत्रता संग्राम में अद्वितीय योगदान देने वाले महान नेता लाला लाजपत राय का नाम इतिहास के पन्नों में स्वर्ण अक्षरों में अंकित है। उन्हें प्यार से पंजाब केसरी' और शेर-ए-पंजाब' कहा जाता है। 28 जनवरी 1865 को पंजाब के मोगा जिले में जन्मे लाला लाजपत राय भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के प्रमुख स्तंभों में से एक थे।
👌
Adress number do na bhai
असम भारत का एक महत्वपूर्ण राज्य है जिसका स्थान, ऐतिहासिक महत्व, विविधता और प्राकृतिक सौंदर्य इसे अलग बनाते हैं. असम का इतिहास बहुत प्राचीन है और इसे महाभारत काल से जोड़ा जाता है. यह स्थान बौद्ध धरोहर, पाल राजवंश, वैष्णव धरोहर और अनेक अन्य संस्कृति और ऐतिहासिक स्थलों के लिए प्रसिद्ध है.
छत्तीसगढ़ में 3000 सहायक शिक्षकों को निकालने मैं इसी का हाथ है
ओपी चौधरी जैसे घटिया आदमी आज तक कोई पैदा नहीं हुआ होगा
3दिस विश्व दिव्यांग दिवस CG Govt का दण्डात्मक,तानाशाह रवैए, दिखावा RPWD ACT 1990 से 2016 हर बार, देश के अंतिम निशक्त को दिव्यांग से फ़र्जी बना दिए? दिए पर :-मात्र भाषा व श्रेणी 7 से 21 क्यूँ?मोदी सरकार तभी तो, बर्बरतापूर्ण करते छ.ग सर्व दिव्यांग जनो के साथ रोड,भवन पर बंधक बनाते.
छ.ग Govt मे सर्व निशक्त/नये नाम मात्र दिव्यांगो को सामाजिक सुरक्षा पेंशन मात्र 350रू से 500रू भारत के सभी राज्यो मे निम्न स्तर का पेंशन मुहैय्या को INC govt के 5 वर्षों मे एवं BJP के 15वर्षो के कार्यकाल और वर्तमान सरकार के बावजूद हम दिव्यांग जनो को बार-बार मांग पर अनसुना पूरा हो
आज देश नाम मात्र दिव्यांग देकर,हम सर्व निशक्तो पर सामा.सु.अधिकार RPWD ACT 2016 बाद भी,3 दिसंबर विश्व दिव्यांग दिवस पर पैदल मार्च छ.ग शासन का तानाशाह, दण्डात्मक रवैए बंधक बनाकर अत्याचार क्यूँ ?ठीक इसी तरह महिलाओ और किसानो को लोलीपॉप,लालच देकर,अंतिम व्यक्ति को कुचलते देश से बचाओ।
3दिस विश्व दिव्यांग दिवस CG Govt का दण्डात्मक,तानाशाह रवैए, दिखावा RPWD ACT 1990 से 2016 हर बार, देश के अंतिम निशक्त को दिव्यांग से फ़र्जी बना दिए? दिए पर :-मात्र भाषा व श्रेणी 7 से 21 क्यूँ?मोदी सरकार तभी तो, बर्बरतापूर्ण करते छ.ग सर्व दिव्यांग जनो के साथ रोड,भवन पर बंधक बनाते.
छ.ग Govt मे सर्व निशक्त/नये नाम मात्र दिव्यांगो को सामाजिक सुरक्षा पेंशन मात्र 350रू से 500रू भारत के सभी राज्यो मे निम्न स्तर का पेंशन मुहैय्या को INC govt के 5 वर्षों मे एवं BJP के 15वर्षो के कार्यकाल और वर्तमान सरकार के बावजूद हम दिव्यांग जनो को बार-बार मांग पर अनसुना पूरा हो
आज देश नाम मात्र दिव्यांग देकर,हम सर्व निशक्तो पर सामा.सु.अधिकार RPWD ACT 2016 बाद भी,3 दिसंबर विश्व दिव्यांग दिवस पर पैदल मार्च छ.ग शासन का तानाशाह, दण्डात्मक रवैए बंधक बनाकर अत्याचार क्यूँ ?ठीक इसी तरह महिलाओ और किसानो को लोलीपॉप,लालच देकर,अंतिम व्यक्ति को कुचलते देश से बचाओ।
Mana kok nggak mekar mekar sih,,zz
बहुत प्रभावशाली आयोजन किया गया है चैम्बर ऑफ़ के कॉमर्स के द्वारा जिसमें बहुत बड़े स्तर पर ज्ञान के कई आयाम और विभिन्न स्टाल लगाये गये है जो वाकई मे भ्रमण करने योग्य है बहुत ही खूबसूरत और ज़बरदस्त आयोजन
👍
ओडिशा, जिसे 'मंदिरों की धरती' के रूप में जाना जाता है, भारतीय संस्कृति और आध्यात्मिकता का प्रमुख केंद्र है। जगन्नाथ पुरी का मंदिर न केवल ओडिशा बल्कि पूरे भारत में श्रद्धालुओं के लिए एक प्रमुख तीर्थ स्थल है। इसके अलावा, ओडिशा में कई प्राचीन और भव्य मंदिर हैं जो वास्तुकला, धार्मिकता और इतिहास के दृष्टिकोण से बहुत महत्वपूर्ण हैं।
Nice
👍
भारत की दक्षिण-पश्चिमी सीमा पर अरब सागर और सह्याद्रि पर्वत श्रृंखलाओं के मध्य स्थित केरल भारत का सबसे प्राचीन और ऐतिहासिक स्थलों वाला राज्य है। इसकी राजधानी तिरुवनन्तपुरम है। यहां की भाषा मलयालम है। आइये जानते हैं केरल के पर्यटन स्थलों के बारे में संक्षिप्त जानकारी।
Bahut sundar
What a beautiful vlog of Kanha National Park 😍. It’s unbelievable to see how much this place has grown. I loved my visit here back in 2018! Like and support from Bangalore ❤️
धन्यवाद पूरब टाइम्स 😊
Nice
👍
भारत का इतिहास और संस्कृति विश्वभर में प्रसिद्ध है, और इस सांस्कृतिक धरोहर का एक अद्वितीय उदाहरण मध्यप्रदेश के सांची में देखने को मिलता है। सांची एक ऐतिहासिक और धार्मिक स्थल है, जो अपनी प्राचीन स्तूपों, मठों, और बौद्ध अवशेषों के लिए प्रसिद्ध है। यह स्थल विशेष रूप से बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए महत्वपूर्ण है और यहाँ के ऐतिहासिक स्मारक भारतीय स्थापत्य कला और संस्कृति के अद्भुत उदाहरण प्रस्तुत करते हैं। सांची को यूनेस्को द्वारा 1989 में विश्व धरोहर स्थल के रूप में मान्यता प्राप्त हुई थी, जो इसे और भी खास बनाता है।
Nice
सिलीगुड़ी, जिसे अक्सर भारत के पूर्वोत्तर राज्यों का प्रवेश द्वार माना जाता है, पश्चिम बंगाल का एक हलचल भरा शहर है जो अपनी प्राकृतिक सुंदरता, जीवंत संस्कृति और प्रसिद्ध स्थान के लिए जाना जाता है. यह शहर प्राकृतिक सुंदरता, सांस्कृतिक अनुभवों और आधुनिक सुविधाओं का मिश्रण प्रदान करता है.
👍
Nice
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छेरछेरा पर्व पौष पूर्णिमा के दिन छत्तीसगढ़ में बड़े ही धूमधाम और उल्लास के साथ मनाया जाता है. इस साल 2025 में छेरछेरा 13 जनवरी सोमवार को मनाया जाएगा. इसे छेरछेरा पुन्नी या छेरछेरा तिहार भी कहते हैं. इसे दान लेने-देने का पर्व माना जाता है. ऐसी मान्यता है कि इस दिन दान करने से घरों में धन-धान्य की कोई कमी नहीं होती. इस दिन छत्तीसगढ़ में बच्चे और बड़े, सभी घर-घर जाकर अन्न का दान ग्रहण करते हैं
👍
मध्य प्रदेश, जिसे 'भारत का दिल' कहा जाता है, अपनी सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहर के लिए प्रसिद्ध है। यह राज्य प्राचीन गुफाओं का खजाना है, जो न केवल अद्भुत कलाकृतियों और नक्काशियों से सुसज्जित हैं, बल्कि भारत के समृद्ध इतिहास की झलक भी पेश करती हैं। यहां की गुफाएँ प्राकृतिक सुंदरता और मानव कौशल का एक अद्वितीय संगम हैं। यदि आप इतिहास, कला और संस्कृति में रुचि रखते हैं, तो मध्य प्रदेश की इन प्रसिद्ध गुफाओं की यात्रा अवश्य करें।
Nice
साहित्य, कला और अध्यात्म की नगरी देवास मप्र का प्रमुख स्थल है। किवदंती है कि दो देवियों के वास के कारण ही इस शहर नाम देवास पड़ा, वहीं कुछ इतिहासविद कहते हैं कि दिवासा नामक अंग्रेज व्यापारी के यहां आगमन के चलते इसका नाम देवास हुआ, लेकिन धार्मिक आस्था ने देवियों के वास को ही देवास नाम का इतिहास माना।
Nice
Nice
🙏🙏🙏🙏🙏
👍👍👍
Nice
7 जनवरी को छत्तीसगढ़ में माता राजिम या कहे कि राजिम तेलिन दाई की जयंती मनाई जाती है. तैलिक(साहू) समाज की कुल गौरव माता राजिम भगवान विष्णु की भक्त थीं. कहते हैं कि उनके नाम पर राजीव लोचन मंदिर का नाम पड़ा. राजिम माता की कहानी सदियों पुरानी है.
👍