- 1 364
- 58 718
डॉ रवि शंकर पाण्डेय
India
เข้าร่วมเมื่อ 19 เม.ย. 2007
जय श्री राम
प्रिय मित्र,
आप विजयी हों!
परमपिता परमात्मा श्री रामजी की विशेष कृपा से वर्तमान बुद्धि को "जीवनमुक्त" की अवस्था प्राप्त हुई। "श्री शिवजी की पवित्र सेवा" के अलावा, अब कोई निजी प्रयोजन नहीं रहा। चित्त श्री रामजी के कमलवत चरणों में अनन्य भाव से स्थित हो चुका है। प्रभु की कृपा से सृष्टि में उपस्थित सम्पूर्ण भोग, ऐश्वर्य, ब्रह्माजी तक के सभी पद, मानव अस्तित्व के सम्पूर्ण लाभ (धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष), सम्पूर्ण क्रिया (श्राद्ध, यज्ञ, योग एवं ज्ञान), सम्पूर्ण यश, सम्पूर्ण नारी (श्री, लक्ष्मी, वाक, स्मृति, मेधा, धृति, क्षमा एवं कीर्ति), सम्पूर्ण ज्ञान और सम्पूर्ण वैराग्य से बुद्धि अनासक्त हो चुकी है। जगत में मात्र भक्ति का ही नाता रहा, जिसका अंत किसी काल में भी सम्भव नहीं है। वर्तमान बुद्धि के अलौकिक अनुभव का श्रवण, समीक्षा और धारणा करके भगवान की अनन्य भक्ति को प्राप्त कर लें। यही मनुष्य जन्म का सर्वोच्च लाभ है। दिव्य ज्ञान एवं अनन्य भक्ति हेतु- rspandeyils.tripod.com
डॉ. रवि शंकर पाण्डेय
मूल निवासी: 150, कुशहाँ, अदलपुरा, मिर्जापुर-231304
प्रिय मित्र,
आप विजयी हों!
परमपिता परमात्मा श्री रामजी की विशेष कृपा से वर्तमान बुद्धि को "जीवनमुक्त" की अवस्था प्राप्त हुई। "श्री शिवजी की पवित्र सेवा" के अलावा, अब कोई निजी प्रयोजन नहीं रहा। चित्त श्री रामजी के कमलवत चरणों में अनन्य भाव से स्थित हो चुका है। प्रभु की कृपा से सृष्टि में उपस्थित सम्पूर्ण भोग, ऐश्वर्य, ब्रह्माजी तक के सभी पद, मानव अस्तित्व के सम्पूर्ण लाभ (धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष), सम्पूर्ण क्रिया (श्राद्ध, यज्ञ, योग एवं ज्ञान), सम्पूर्ण यश, सम्पूर्ण नारी (श्री, लक्ष्मी, वाक, स्मृति, मेधा, धृति, क्षमा एवं कीर्ति), सम्पूर्ण ज्ञान और सम्पूर्ण वैराग्य से बुद्धि अनासक्त हो चुकी है। जगत में मात्र भक्ति का ही नाता रहा, जिसका अंत किसी काल में भी सम्भव नहीं है। वर्तमान बुद्धि के अलौकिक अनुभव का श्रवण, समीक्षा और धारणा करके भगवान की अनन्य भक्ति को प्राप्त कर लें। यही मनुष्य जन्म का सर्वोच्च लाभ है। दिव्य ज्ञान एवं अनन्य भक्ति हेतु- rspandeyils.tripod.com
डॉ. रवि शंकर पाण्डेय
मूल निवासी: 150, कुशहाँ, अदलपुरा, मिर्जापुर-231304
धरती के सभी मनुष्यों के लिए दिव्य बुद्धि के दाता एवं सभी विघ्नो के हर्ता श्री विनायकजी की कृपा
धरती के सभी मनुष्यों के लिए दिव्य बुद्धि के दाता एवं सभी विघ्नो के हर्ता श्री विनायकजी की कृपा
माघ कृष्णा नवमी, बुद्धवार, जनवरी 22, 2025
प्रिय मित्र,
आपको श्री गणेशजी का आशिर्वाद प्राप्त हो! आप सभी विजयी हों! जय श्री राम! जय श्री कृष्णा!! हर हर महादेव!!! मित्र, श्री गणेशजी के आशिर्वाद से ही कोई जीव अपने बुद्धि को दिव्य बना सकता है। दिव्य एवं स्थिर बुद्धि के माध्यम से ही कोई जीव श्री शिवजी की अनन्य भक्ति को प्राप्त कर सकता है यही मनुष्य जीवन से जीव का वास्तविक विजय है। धरती पर किसी मनुष्य को वास्तविक विजय प्राप्त हो, यह मात्र श्री रामजी की कृपा एवं संत भाव और आचरण से ही सम्भव है। इस स्वप्नवत् संसार में आपके इस मित्र को श्री रामजी की विशेष कृपा का बोध हुआ और सृष्टि चक्र से ही मन का संबन्ध समाप्त हो गया। धरती के प्रत्येक स्त्री एवं पुरुष के अन्तःकरण में श्री सीतारामजी का निवास है- आपके इस मित्र को इस रहस्य का अनुभव प्रत्यक्ष से बढ़कर हो चुका है। श्रीमद्भगवद्गीताजी साक्षात जगत-आधार परमात्मा श्री कृष्णजी का दिव्य प्रेम ही हैं। प्रभु का अन-आश्रित एवं आसक्ति-रहितम भाव होने से श्रीमद्भगवद्गीताजी की महिमा अनन्त हैं। अन्तःकरण में अविद्याजनित अहंकार, अज्ञान, अभिमान एवं आसक्ति रुपी दुर्भाव का एक कण भी अपने अन्तःकरण में रखने वाले किसी भी मनुष्य को श्री गीताजी के वर्णन करने का अधिकार ही नही है। जय श्री राम! मित्र! आकाश के अन्दर सभी जीव मात्र एक ही परमात्मा श्री रामजी से उत्पन्न है। इसलिए जगत के ईश्वर श्री रामजी का अंश बनकर आप विमल यश की प्राप्ति एवं अपने अविनाशी स्वरूप परमानन्द का अनुभव कर सकते हैं। दिव्य शोध से यह शाश्वत निष्कर्ष अनुभव में आ गया है कि अनादि ब्रह्म परमात्मा श्रीरामजी ही आदिशक्ति (सीताजी) श्रद्धास्वरूपा (पार्वतीजी) विश्वास स्वरूप (श्री शिवजी) एवं पवित्र बुद्धि के दाता श्री गणेशजी के रूप में सबके हृदय में प्रतिष्ठित हैं। मित, इन पांचो अनादि ब्रह्मकी कृपा आप इस वीडियो के माध्यम से प्राप्त करके अपने अविनाशी, सत्य एवं अनुपम स्वरूप का अनुभव बहुत ही आसानी से प्राप्त कर सकते हैं। आप सत्य भाव को प्राप्त हों! जिससे आपका कुल सहित परमकल्याण हो, मात्र इसी भाव की प्रेरणा आपके इस मित्र डॉ. रवि शंकर पाण्डेय के अंतःपुर से प्रगट हुई है। इसलिए, बिना किसी कुतर्क के सबसे पहले अपने भाव में यह धारण कर लें कि आपके इस मित्र की बुद्धि (हानि-लाभ, जीवन-मरण, यश-अपयश, हर्ष-विषाद, ज्ञान-अज्ञान, अहंकार-अभिमान) एवं व्यवहार जगत के बाहर निःष्कामपुर में स्थायी रूप से परमानन्द की अवस्था में स्थिर हो चुकी है। मित्र! व्यवहार के लिए साम (Conciliation) दाम (Gift) दंड (Coercion) भेद (Discrepancy) में से किसी एक न एक का सहयोग लेना ही होगा, जो अब आपके इस मित्र के अंग नही रहे। अब आपका यह मित्र, व्यवहार जगत से बिल्कुल मुक्त है। इसलिए, आप इस मित्र के माध्यम से जो भी ज्ञान प्राप्त करेंगे, ये सभी मात्र श्रीमद्भगवद्गीताजी, श्रीरामचरितमानसजी एवं श्री शिवजी के दिव्य भाव ही होंगें, व्यवहार जगत का अंग नहीं। मित्र! यह अवस्था मानव बुद्धि की कल्पना के बाहर है।
आपका यह मित्र स्वार्थ, मोह-माया और आसक्ति से बिल्कुल मुक्त हो चुका है। मित्र! स्वार्थ की सीमा मात्र देवी-देवता ऋषि-मुनि मनुष्य एवं आसुरी वृत्तियों को धारण करने वाले जीव तक ही सीमित है। इन सभी के पदों का परित्याग हो जाने से यह बुद्धि स्वार्थ की सीमा को पार कर गई। अब यह मन-बुद्धि एवं शरीर सेवक है और श्री रामजी ही इसके स्वामी हैं। मित्र! सत्य एवं परोपकार के माध्यम से ही आप अपने बुद्धि को श्री रामजी की दासी बना सकते हैं। इसके लिए श्री राम भक्ति के अलावा अन्य कर्मफल की इच्छा, कर्तित्व अभिमान एवं प्रति उपकार की भावना से मन को मुक्त रखना ही होगा। इसी क्रिया से आपके मित्र का मन-बुद्धि, प्राण एवं सम्पूर्ण शरीर ही अनन्त परमात्मा का सेवक हो चुका है। दिव्य शोध एवं परमात्मा की प्रेरणा से यह रहस्य स्पष्ट हुआ कि- सेवक भाव से ही कोई जीव शान्ति को प्राप्त कर सकता है। इस भाव में राग-रोष-इर्ष्या; मद-मोह-ममता; लालच-कामना-क्रोध, कपट-दम्भ-अभिमान; एवं साम-दाम-दंड-भेद के 16 दुर्भाव का किसी एक स्वाँस में भी स्थान नहीं होता- यह आपके मित्र का निजी अनुभव है। आपकी आत्मा भी परमात्मा श्री रामजी का ही अंश है। यदि आप पवित्र भाव एवं पूरी सावधानी से विचार करेंगें, तभी यह ज्ञान अनुभव में आजायेगा कि- आप इस सृष्टि चक्र में श्री सीतारामजी का सगुण साकार स्वरूप ही हैं। मित्र, आपका वास्तविक स्वरूप परमदिव्य अंतरात्मा है, जो निर्गुण-निराकार सच्चिदानन्दघन ब्रह्म से अभिन्न हैं। मित्र! आपके आत्मारामजी की महिमा अनन्त है; फिर भी संक्षेप में, ये मायाकृत तीनो गुणों से सर्वदा सम्बन्ध रहित, अचल, अविनाशी, परमचेतन एवं स्वभाव से ही सभी सुखों की राशि अर्थात आधार हैं। आप इस दिव्य भाव का अनुभव मात्र श्री शिवजी की अनन्य भक्ति के मार्ग से ही कर सकते हैं, दूसरा कोई उपाय है ही नही। इसलिए श्री शिवजी की भक्ति मनुष्य जीवन के लिए बीज ही है। दिव्य बुद्धि के दाता एवं विघ्नहर्ता श्री विनायकजी की कृपा से ही आप इस ज्ञान को धारण कर सकते हैं। यह दिव्य उपदेश आपके ही आत्माराम अर्थात श्री रामजी का है- और आपके इस मित्र का निजी अनुभव है। संक्षेप में, यहीं आत्माराम ही आपका वास्तविक स्वरूप हैं। अर्थात अविनाशी सत्य हैं। इस दिव्य भाव को अन्तःकरण में धारण करते ही आप हमेशा के लिए मृत्यु के भय से मुक्त हो जाएंगे, यही अभय की अवस्था ही मनुष्य जन्म एवं जीवन का परमलाभ है। जय श्री राम! हर हर महादेव! !!!
th-cam.com/video/-Bm7HbNFS3w/w-d-xo.htmlsi=GzPscqoe1VRSCzzh
डॉ. रवि शंकर पाण्डेय
माघ कृष्णा नवमी, बुद्धवार, जनवरी 22, 2025
प्रिय मित्र,
आपको श्री गणेशजी का आशिर्वाद प्राप्त हो! आप सभी विजयी हों! जय श्री राम! जय श्री कृष्णा!! हर हर महादेव!!! मित्र, श्री गणेशजी के आशिर्वाद से ही कोई जीव अपने बुद्धि को दिव्य बना सकता है। दिव्य एवं स्थिर बुद्धि के माध्यम से ही कोई जीव श्री शिवजी की अनन्य भक्ति को प्राप्त कर सकता है यही मनुष्य जीवन से जीव का वास्तविक विजय है। धरती पर किसी मनुष्य को वास्तविक विजय प्राप्त हो, यह मात्र श्री रामजी की कृपा एवं संत भाव और आचरण से ही सम्भव है। इस स्वप्नवत् संसार में आपके इस मित्र को श्री रामजी की विशेष कृपा का बोध हुआ और सृष्टि चक्र से ही मन का संबन्ध समाप्त हो गया। धरती के प्रत्येक स्त्री एवं पुरुष के अन्तःकरण में श्री सीतारामजी का निवास है- आपके इस मित्र को इस रहस्य का अनुभव प्रत्यक्ष से बढ़कर हो चुका है। श्रीमद्भगवद्गीताजी साक्षात जगत-आधार परमात्मा श्री कृष्णजी का दिव्य प्रेम ही हैं। प्रभु का अन-आश्रित एवं आसक्ति-रहितम भाव होने से श्रीमद्भगवद्गीताजी की महिमा अनन्त हैं। अन्तःकरण में अविद्याजनित अहंकार, अज्ञान, अभिमान एवं आसक्ति रुपी दुर्भाव का एक कण भी अपने अन्तःकरण में रखने वाले किसी भी मनुष्य को श्री गीताजी के वर्णन करने का अधिकार ही नही है। जय श्री राम! मित्र! आकाश के अन्दर सभी जीव मात्र एक ही परमात्मा श्री रामजी से उत्पन्न है। इसलिए जगत के ईश्वर श्री रामजी का अंश बनकर आप विमल यश की प्राप्ति एवं अपने अविनाशी स्वरूप परमानन्द का अनुभव कर सकते हैं। दिव्य शोध से यह शाश्वत निष्कर्ष अनुभव में आ गया है कि अनादि ब्रह्म परमात्मा श्रीरामजी ही आदिशक्ति (सीताजी) श्रद्धास्वरूपा (पार्वतीजी) विश्वास स्वरूप (श्री शिवजी) एवं पवित्र बुद्धि के दाता श्री गणेशजी के रूप में सबके हृदय में प्रतिष्ठित हैं। मित, इन पांचो अनादि ब्रह्मकी कृपा आप इस वीडियो के माध्यम से प्राप्त करके अपने अविनाशी, सत्य एवं अनुपम स्वरूप का अनुभव बहुत ही आसानी से प्राप्त कर सकते हैं। आप सत्य भाव को प्राप्त हों! जिससे आपका कुल सहित परमकल्याण हो, मात्र इसी भाव की प्रेरणा आपके इस मित्र डॉ. रवि शंकर पाण्डेय के अंतःपुर से प्रगट हुई है। इसलिए, बिना किसी कुतर्क के सबसे पहले अपने भाव में यह धारण कर लें कि आपके इस मित्र की बुद्धि (हानि-लाभ, जीवन-मरण, यश-अपयश, हर्ष-विषाद, ज्ञान-अज्ञान, अहंकार-अभिमान) एवं व्यवहार जगत के बाहर निःष्कामपुर में स्थायी रूप से परमानन्द की अवस्था में स्थिर हो चुकी है। मित्र! व्यवहार के लिए साम (Conciliation) दाम (Gift) दंड (Coercion) भेद (Discrepancy) में से किसी एक न एक का सहयोग लेना ही होगा, जो अब आपके इस मित्र के अंग नही रहे। अब आपका यह मित्र, व्यवहार जगत से बिल्कुल मुक्त है। इसलिए, आप इस मित्र के माध्यम से जो भी ज्ञान प्राप्त करेंगे, ये सभी मात्र श्रीमद्भगवद्गीताजी, श्रीरामचरितमानसजी एवं श्री शिवजी के दिव्य भाव ही होंगें, व्यवहार जगत का अंग नहीं। मित्र! यह अवस्था मानव बुद्धि की कल्पना के बाहर है।
आपका यह मित्र स्वार्थ, मोह-माया और आसक्ति से बिल्कुल मुक्त हो चुका है। मित्र! स्वार्थ की सीमा मात्र देवी-देवता ऋषि-मुनि मनुष्य एवं आसुरी वृत्तियों को धारण करने वाले जीव तक ही सीमित है। इन सभी के पदों का परित्याग हो जाने से यह बुद्धि स्वार्थ की सीमा को पार कर गई। अब यह मन-बुद्धि एवं शरीर सेवक है और श्री रामजी ही इसके स्वामी हैं। मित्र! सत्य एवं परोपकार के माध्यम से ही आप अपने बुद्धि को श्री रामजी की दासी बना सकते हैं। इसके लिए श्री राम भक्ति के अलावा अन्य कर्मफल की इच्छा, कर्तित्व अभिमान एवं प्रति उपकार की भावना से मन को मुक्त रखना ही होगा। इसी क्रिया से आपके मित्र का मन-बुद्धि, प्राण एवं सम्पूर्ण शरीर ही अनन्त परमात्मा का सेवक हो चुका है। दिव्य शोध एवं परमात्मा की प्रेरणा से यह रहस्य स्पष्ट हुआ कि- सेवक भाव से ही कोई जीव शान्ति को प्राप्त कर सकता है। इस भाव में राग-रोष-इर्ष्या; मद-मोह-ममता; लालच-कामना-क्रोध, कपट-दम्भ-अभिमान; एवं साम-दाम-दंड-भेद के 16 दुर्भाव का किसी एक स्वाँस में भी स्थान नहीं होता- यह आपके मित्र का निजी अनुभव है। आपकी आत्मा भी परमात्मा श्री रामजी का ही अंश है। यदि आप पवित्र भाव एवं पूरी सावधानी से विचार करेंगें, तभी यह ज्ञान अनुभव में आजायेगा कि- आप इस सृष्टि चक्र में श्री सीतारामजी का सगुण साकार स्वरूप ही हैं। मित्र, आपका वास्तविक स्वरूप परमदिव्य अंतरात्मा है, जो निर्गुण-निराकार सच्चिदानन्दघन ब्रह्म से अभिन्न हैं। मित्र! आपके आत्मारामजी की महिमा अनन्त है; फिर भी संक्षेप में, ये मायाकृत तीनो गुणों से सर्वदा सम्बन्ध रहित, अचल, अविनाशी, परमचेतन एवं स्वभाव से ही सभी सुखों की राशि अर्थात आधार हैं। आप इस दिव्य भाव का अनुभव मात्र श्री शिवजी की अनन्य भक्ति के मार्ग से ही कर सकते हैं, दूसरा कोई उपाय है ही नही। इसलिए श्री शिवजी की भक्ति मनुष्य जीवन के लिए बीज ही है। दिव्य बुद्धि के दाता एवं विघ्नहर्ता श्री विनायकजी की कृपा से ही आप इस ज्ञान को धारण कर सकते हैं। यह दिव्य उपदेश आपके ही आत्माराम अर्थात श्री रामजी का है- और आपके इस मित्र का निजी अनुभव है। संक्षेप में, यहीं आत्माराम ही आपका वास्तविक स्वरूप हैं। अर्थात अविनाशी सत्य हैं। इस दिव्य भाव को अन्तःकरण में धारण करते ही आप हमेशा के लिए मृत्यु के भय से मुक्त हो जाएंगे, यही अभय की अवस्था ही मनुष्य जन्म एवं जीवन का परमलाभ है। जय श्री राम! हर हर महादेव! !!!
th-cam.com/video/-Bm7HbNFS3w/w-d-xo.htmlsi=GzPscqoe1VRSCzzh
डॉ. रवि शंकर पाण्डेय
มุมมอง: 56
วีดีโอ
चौदह (14) मिनट में मोह के दलदल को पार करने का आसान उपाय
มุมมอง 8214 วันที่ผ่านมา
प्रिय मित्र, आप सभी विजयी हों! जय श्री राम! जय श्री कृष्णा!! हर हर महादेव!!! इस स्वप्नवत् संसार में श्रीमद्भगवद्गीताजी साक्षात जगत-आधार परमात्मा श्री कृष्णजी का दिव्य प्रेम हैं। प्रभु का अन-आश्रित एवं आसक्ति-रहित भाव होने से श्रीमद्भगवद्गीताजी महिमा अनन्त हैं। अंतःकरण में अविद्या-जनित अहंकार, अज्ञान, अभिमान का एक कण भी अपने अन्तःकरण रखने वाले किसी भी मनुष्य को गीताजी का वर्णन करने का अधिकार ही ...
अनन्त की अवस्था से मानव समुदाय के लिए दिव्य दर्शन- डॉ रवि शंकर पाण्डेय
มุมมอง 202หลายเดือนก่อน
अन्तःकरण को विशुद्ध करने के लिए दिव्य ज्ञान का प्रकाश पौष कृष्णा द्वितीया, शनिवार, 21 December 2024 प्रिय मित्रों, हर हर महादेव! मित्रों, पूरे आकाश में ऐसी कोई भी रासायनिक या जैव रासायनिक अभिक्रिया नहीं है, जो जीव या प्राण तत्व की रचना कर सके। आकाश के अंदर उपस्थित सभी जीव अनाश्रित, अनन्त एवं आसक्तिराहित्तम आत्माराम अर्थात श्री रामजी से ही उत्पन्न हैं। जीन या डीएनए में चेतना का एक अंश मात्र भी उ...
आत्म अनुभव के उपरांत साधु के पद का भी तिनके की भांति परित्याग हो जाता है
มุมมอง 126หลายเดือนก่อน
पौष कृष्णा द्वितीया, मंगलवार, 17 December 2024 प्रिय मित्रों, अंतःकरण को विशुद्ध करने के लिए दिव्य ज्ञान का प्रकाश प्रकट हो चुका है। आत्म अनुभव हो जाने पर ब्रह्मा जी के प्रपंच से संबंध समाप्त हो जाता है और यह अनुभव मात्र श्री शिव जी की कृपा से ही कोई मनुष्य कर सकता है। हर हर महादेव! मित्रों, पूरे आकाश में ऐसी कोई भी रासायनिक या जैव रासायनिक अभिक्रिया नहीं है, जो जीव या प्राण तत्व की रचना कर सके...
क्षत्रिय पुरुष का कर्म धर्म रक्षा का है न कि उपदेश का
มุมมอง 165หลายเดือนก่อน
।जय श्रीराम। ।जय श्रीराम। ।जय श्रीराम। "क्षत्रिय पुरुष का कर्म धर्म रक्षा का है न कि उपदेश का" तत्वज्ञान की जिज्ञासा: राम जियावन सिंह बाबू राम जियावन सिंहजी का अनुभव एवं जिज्ञासा श्री गुरुजी आपके कमलवत चरणों में कोटि-कोटि बार प्रणाम स्वीकार हो। आपकी कृपा से यह दास इस शरीर से अलग अपने स्वरूप का अनुभव भगवान श्री रामजी के अंश रूप में करने लगा। श्री रामचरितमानस का हजारों बार पाठ इस शरीर के माध्यम स...
दो अक्षर के ज्ञान से परमानन्द का प्रत्यक्ष अनुभव
มุมมอง 129หลายเดือนก่อน
प्रिय मित्र, आपका परमकल्याण हो! कल्याण के मार्ग पर चलने के लिए निश्चय करना, आपका कर्तव्य है, निश्चयात्मिकता बुद्धि की शक्ति एवं मार्गदर्शन प्रदान करना- आपके मित्र का परम कर्तव्य है। इसको पाने के लिए धरती का प्रत्येक मनुष्य परम स्वतंत्र है। इसलिए अधिकार, आज्ञा एवं उपदेश की सीमा के परेय बुद्धि की अनन्त अवस्था होने के बाद भी शुद्ध अन्तःकरण से आपको स्वभाविक सन्तोष की प्राप्ति हेतु दिव्य प्रेरणा प्र...
सबका कल्याण मात्र एक कौतुक- डॉ. रवि शंकर पाण्डेय
มุมมอง 686หลายเดือนก่อน
जय श्री राम - जय श्री कृष्णा प्रिय मित्रों, आप सभीकी जय हो! श्री रामजी का विमल यश (दिव्य गुणों के समूह) धरती के प्रत्येक मनुष्य के लिए दिव्य आशीर्वाद हैं और मुक्ति, धन, धार्मिक योग्यता और दिव्य निवास [परमधाम] के लिए सर्वश्रेष्ठ मार्गदर्शन हैं। किसी मनुष्य को विमल यश की प्राप्ति मात्र निष्काम वेद विहित सेवा से होती है। जनमानस प्रभु के इन दिव्य गुणोंको किस प्रकार धारण कर सकता है- इसका उपाय आपके इ...
असाध्य एवं अजेय मानसिक रोगों का जड़ से उन्मूलन करने का आसान उपाय
มุมมอง 1102 หลายเดือนก่อน
असाध्य एवं अजेय मानसिक रोगों का जड़ से उन्मूलन करने का आसान उपाय प्रिय श्रद्धालु मित्रों, जय श्री राम! आप सभी विजयी हों!!! सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड के प्रत्येक जीव अनादि ब्रह्म परमात्मा से ही उत्पन्न हैं। ब्रह्माण्ड में सभी जीवों के पूजनीय प्राण दाता श्री शिवजी की ही एकमात्र सत्ता है- सर्वप्रथम अपनी बुद्धि में इस अटल भाव को धारण कर लें। दिव्य शोध एवं भगवद् प्रेरणा से यह अनुभव में आ गया कि परम आदर के...
श्री राम नाम के आधार बिना वाणी या कोई भी आचरण शोभा को प्राप्त हो ही नहीं सकते
มุมมอง 652 หลายเดือนก่อน
दुर्लभ ज्ञान एवं प्रेम भक्ति के अनन्य मार्गदर्शन के लिए दृढ़ सिद्धान्त मंगलवार 19 नवंबर 2024 प्रिय मित्रों, जय श्री राम!!! आप सभी का परमकल्याण हो, जहाँ भाव है वही प्रभाव है। यद्यपि आपके इस मित्र डॉ रवि शंकर पाण्डेय को सम्पूर्ण सृष्टि में कुछ भी जानना और जनाना शेष नहीं रहा, फिर भी, श्री शिवजी की प्रेरणा से जो भाव प्रकट हो रहे हैं, इनको जानकर आप अहंकार का विनाश करके, कल्याण के मार्ग पर चलकर, अपने...
मनुष्य शरीर का परम लक्ष्य पूर्णता को प्राप्त करना है- कार्तिक शुक्ला, पूर्णिमा, शुक्रवार, 15/11/2024
มุมมอง 862 หลายเดือนก่อน
 मनुष्य शरीर का परम लक्ष्य पूर्णता को प्राप्त करना है कार्तिक शुक्ला, पूर्णिमा, शुक्रवार, 15 नवंबर 2024 प्रिय मित्र, धरती के प्रत्येक मनुष्य को चेतना (प्रकाश) मात्र उसके अभेद तत्व आत्मा से ही प्राप्त होती है। प्रभु की कृपा से आपके इस मित्र को अनुभव हुआ कि सभी जीव एकही अ- अनासक्त, आ- आसक्ति रहितम् स- सर्वशक्तिमान परमात्मा से ही उत्पन्न हुए हैं [गीता 9/15-19], किसी भी स्वरूप का अलग से कोई अस्तित...
डॉ. रवि शंकर पाण्डेय के 50 वर्षों की दिव्य अनुभूतियाँ
มุมมอง 2192 หลายเดือนก่อน
डॉ. रवि शंकर पाण्डेय के 50 वर्षों की दिव्य अनुभूतियाँ कार्तिक शुक्ला, अक्षय नवमी, रविवार, 10 नवम्बर 2024 श्री शिवजी की भक्ति की महिमा अनिर्वचनीय है::  मित्र! धर्म, अर्थ, काम एवं मोक्ष- मानव जन्म एवं जीवन के चारों लाभ एवं निजी इच्छा से मन पूर्ण रूप से मुक्त होता है। मोह- माया- ममता- मद- मान- मत्सर का भी अन्त होता है। इन सभी दिव्य मानसिक अवस्था का अनुभव बाबू राम जियावन सिंहजी परिवार सहित विगत 8 ...
श्रीमद्भगवद्गीता एवं ब्राह्मण भाव में अन्तर नहीं- विशेष दिव्य शोध का निष्कर्ष
มุมมอง 1042 หลายเดือนก่อน
प्रिय मित्र, सृष्टि चक्र की चारों अवस्थाओं एवं मनुष्यों के अंतःकरण की प्रवृत्तियों पर विशेष दिव्य शोध हुआ। दिव्य शोध हेतु अन्तःकरण को दिव्य भाव से परिपूर्ण करना किसी भी इच्छुक मित्र के लिए प्राथमिक आवश्यक कार्य है। इन अकल्पनीय दिव्य शोध के निष्कर्ष का अनुभव करने के लिए भी आपके मन का श्रद्धालु एवं प्रसन्न होना आवश्यक है। सावधान होकर, प्रसन्न मन से अपने भाव (धृति) में धारण कर लीजिएगा कि अखण्ड ज्ञ...
दीपावली के दिव्य अवसर पर कृतार्थ स्वरूप की प्राप्ति हेतु ज्ञान का प्रकाश- आत्म अनुभव का दिव्य अवसर
มุมมอง 572 หลายเดือนก่อน
कार्तिक कृष्णा चतुर्दशी एवं अमावस्या, गुरुवार, 31 अक्टूबर 2024 कृतार्थ स्वरूप की प्राप्ति हेतु दिव्य ज्ञान का प्रकाश प्रिय मित्र! जहाँ तक परमात्मा में मेरी आस्था और विश्वास है, जगत में जहाँ तक प्रकाश का विषय है, मात्र एकलौते श्री रामजी (आपकी आत्मा) इन सबके प्रकाशक हैं। प्रभु, भ्रामक शक्ति (माया) के भगवान और दिव्य बुद्धि और सद्गुणों के निवास स्थान हैं। चुकि, भ्रामक शक्ति अचेतन पदार्थों के ब्रह्म...
आसक्ति-रहितम् एवं स्वभाविक सन्तोष हेतु स्पष्ट मार्गदर्शन- जगत का सबसे बड़ा धन सन्तोष है
มุมมอง 1142 หลายเดือนก่อน
आपका परमकल्याण हो! कल्याण के मार्ग पर चलने के लिए निश्चय करना, आपका कर्तव्य है, निश्चयात्मिकता बुद्धि की शक्ति एवं मार्गदर्शन प्रदान करना- आपके मित्र का परम कर्तव्य है। इसको पाने के लिए धरती का प्रत्येक मनुष्य परम स्वतंत्र है। इसलिए अधिकार, आज्ञा एवं उपदेश की सीमा के परेय बुद्धि की अनन्त अवस्था होने के बाद भी शुद्ध अन्तःकरण से आपके लिए स्वभाविक सन्तोष की प्राप्ति हेतु दिव्य प्रेरणा प्रकट हुई है...
श्री शिवजी, श्री रामजी एवं श्री कृष्ण भगवान को सखा बनाने का आसान उपाय- डॉ रवि शंकर पाण्डेय
มุมมอง 1414 หลายเดือนก่อน
प्रिय मित्र, जय श्री राम!!! इस स्वप्नवत जगत में जहाँ से किसी जीव को कोई पंचभूत का रूप प्राप्त होता है और श्रद्धा भाव का अनुभव होता है, उसे माँ कहते हैं। कालचक्र की कोई अवस्था हो, धरती माता के गोद का कोई स्थान हो अर्थात कोई भूभाग हो, माँ हमेशा श्रद्धा की ही मूर्ति होती हैं। धरती के प्रत्येक लाल अपनी ही माताजी को गौरीजी की मूर्ति का सम्मान प्रदान कर सकते हैं। ब्रह्म अवस्था में विशुद्ध एवं विलक्षण...
स्वास्थ्य, आदर्श मानव धर्म एवं वास्तविक शान्ति का यथार्थ निरुपण
มุมมอง 1094 หลายเดือนก่อน
स्वास्थ्य, आदर्श मानव धर्म एवं वास्तविक शान्ति का यथार्थ निरुपण
अनन्य निष्ठा एवं सेवक भाव से अविनाशी भाव का अनुभव और अनंत परमात्मा श्रीरामजी की प्राप्ति का सरल उपाय
มุมมอง 2104 หลายเดือนก่อน
अनन्य निष्ठा एवं सेवक भाव से अविनाशी भाव का अनुभव और अनंत परमात्मा श्रीरामजी की प्राप्ति का सरल उपाय
"जय श्री राम" के वास्तविक स्वरूप का निरूपण- डॉ. रवि शंकर पाण्डेय
มุมมอง 1744 หลายเดือนก่อน
"जय श्री राम" के वास्तविक स्वरूप का निरूपण- डॉ. रवि शंकर पाण्डेय
श्री शिवजी की उपासना का आसान उपाय- डॉ. रवि शंकर पाण्डेय
มุมมอง 2884 หลายเดือนก่อน
श्री शिवजी की उपासना का आसान उपाय- डॉ. रवि शंकर पाण्डेय
स्वाभाविक सन्तोष, विवेक, वैराग्य, ज्ञान-विज्ञान, स्वाधीन अवस्था एवं भक्ति की प्राप्ति हेतु दर्शन
มุมมอง 1414 หลายเดือนก่อน
स्वाभाविक सन्तोष, विवेक, वैराग्य, ज्ञान-विज्ञान, स्वाधीन अवस्था एवं भक्ति की प्राप्ति हेतु दर्शन
ज्ञान वही सार्थक है जो आपको अपने वास्तविक स्वरूप का दर्शन करा दे। श्री रामजी की आदर्श शिक्षा
มุมมอง 1034 หลายเดือนก่อน
ज्ञान वही सार्थक है जो आपको अपने वास्तविक स्वरूप का दर्शन करा दे। श्री रामजी की आदर्श शिक्षा
अविद्या जनित मोह निशा से मुक्ति हेतु- निजी आत्म अनुभव का स्पष्ट ज्ञान
มุมมอง 954 หลายเดือนก่อน
अविद्या जनित मोह निशा से मुक्ति हेतु- निजी आत्म अनुभव का स्पष्ट ज्ञान
समता- एक मत- सब कर मत खगनायक एहा। करिअ राम पद पंकज नेहा॥
มุมมอง 1065 หลายเดือนก่อน
समता- एक मत- सब कर मत खगनायक एहा। करिअ राम पद पंकज नेहा॥
Divine Opportunity for Self Realization- Dr. Ravi Shankar Pandey
มุมมอง 1395 หลายเดือนก่อน
Divine Opportunity for Self Realization- Dr. Ravi Shankar Pandey
The Real Form ( true nature ) of every human being is the Supreme Eternal (SOUL)
มุมมอง 565 หลายเดือนก่อน
The Real Form ( true nature ) of every human being is the Supreme Eternal (SOUL)
बुद्धि- आशा-तृष्णा, शोक-मोह एवं संदेह-भ्रम से मुक्त होती है। सभी मित्र अक्षय आनन्द पासकते हैं
มุมมอง 1086 หลายเดือนก่อน
बुद्धि- आशा-तृष्णा, शोक-मोह एवं संदेह-भ्रम से मुक्त होती है। सभी मित्र अक्षय आनन्द पासकते हैं
अनन्य भाव की प्राप्ति का सरल उपाय- निजी अनुभव
มุมมอง 2966 หลายเดือนก่อน
अनन्य भाव की प्राप्ति का सरल उपाय- निजी अनुभव
Golden Opportunity for BHU Kutumba & each individual of World
มุมมอง 916 หลายเดือนก่อน
Golden Opportunity for BHU Kutumba & each individual of World
दिव्य बुद्धि के दाता एवं विघ्नहर्ता श्री विनायकजी की कृपा- डॉ. रवि शंकर पाण्डेय
มุมมอง 797 หลายเดือนก่อน
दिव्य बुद्धि के दाता एवं विघ्नहर्ता श्री विनायकजी की कृपा- डॉ. रवि शंकर पाण्डेय
आप ‘श्री सीतारामजी के सगुण साकार स्वरूप’ ही हैं। निजी अनुभव- राम जियावन सिंह
มุมมอง 977 หลายเดือนก่อน
आप ‘श्री सीतारामजी के सगुण साकार स्वरूप’ ही हैं। निजी अनुभव- राम जियावन सिंह
Self is ultimate power
Shiv Swaroop Roop Parmatma Dr. Ravi Shankar Pandeyji ke Charanon mein Das Ramdas ka Koti-Koti Pranam! Jay Shri Ram! Jay Shri Ram guruji! Das Ramdas ke liye Aap hi Ram hain Aap hi Krishna hain Aap hi Shiv hain, kyunki aap Mukt AVN Virakt avastha mein sthit hain. Yah ek Parmatma ka hi Swaroop hota hai. Jay Shri Ram!!! Jay Shri Ram!!! Har Har Mahadev!!!
Shiv Swaroop Roop Parmatma Dr. Ravi Shankar Pandeyji ke Charanon mein Das Ramdas ka Koti-Koti Pranam! Jay Shri Ram! Jay Shri Ram guruji! Das Ramdas ke liye Aap hi Ram hain Aap hi Krishna hain Aap hi Shiv hain, kyunki aap Mukt AVN Virakt avastha mein sthit hain. Yah ek Parmatma ka hi Swaroop hota hai. Jay Shri Ram!!! Jay Shri Ram!!! Har Har Mahadev!!!
श्री गुरुजी आपके कमलवत चरणों में कोटि-कोटि बार प्रणाम। आप धरती पर श्री रामजी के भाव ही हैं। आप ही की कृपा से यह दिलीप शर्मा रामदास बन चुका है। जय श्री राम❤❤❤
જય શ્રી માં બેમુખી ચામુંડા માતાજી જય શ્રી સદગુરૂ દત્તાત્રેય ભગવાન ૐ શાંતિ ૐ શુભ ઉતરાયણ
જય શ્રી માં બેમુખી ચામુંડા માતાજી જય શ્રી સદગુરૂ દત્તાત્રેય ભગવાન ૐ શાંતિ ૐ શુભ ઉતરાયણ
Jai jai shree Ram
!! जय श्री राम !!
!!जय री राम !!
!! जय श्रीराम !! 🙏🙏🙏🙏🙏
गुरु भगवान को नमन 🎉🎉
Jay sri Ram
Guru ji ham abhi unmarried hai biwaah agar aap anuimati aur sahmat ho to aap se prabhavit aur apke sanindh hai apna sampoorv jivan vaytit karna chahte hu ❤ Guru ji ham apko hi shiv mante hai kripya apne sath rhane ki anumati pradaan kijiye 🌹😘😘😊😊❤
मोहिनीजी को अनन्य भक्ति हेतु दिव्य उपदेश- drive.google.com/file/d/17aiGm7Lvsq9DRoxDN6PDt3KXXzO45lXi/view?usp=drivesdk श्री रामजी एवं देवराज जी की जिज्ञासा- अनन्त, अनाश्रित, एवं आसक्तिरहितम् की अवस्था, कैसे प्राप्त हुई? drive.google.com/file/d/17CyX75T8b7-MGh2ckKSOkaKR9dyHHWYt/view?usp=drivesdk श्री शिवजी की प्रेरणा th-cam.com/video/6SD6IVRGSAQ/w-d-xo.htmlsi=O5WCdb8qaa8pGoh4
Jai guruji aapki video dekh ke bhut acha laga aap hume marg darshan dijiye aapse hum kaise mil sakte hai aap humko apni sharan me le lijiye apana shishya bana lijiye koti koti pranaam
मोहिनी बच्ची! इस जगत में श्री शिवजी की भक्ति एक मात्र साधन है, जिसके द्वारा धरती के प्रत्येक मनुष्य परमानन्द का अनुभव कर सकते हैं। यह निजी अनुभव है। यह दिव्य अनुभव मात्र वही प्राप्त कर सकता है जो कपट का परित्याग प्रत्येक श्वाँस में कर सके। इसका सरल उपाय एवं समाधान आपके मित्र के पास प्रभु श्री शिवजी की कृपा से उपलब्ध है। आत्मा अनुभव के लिए लिंग पर दिए गए ज्ञान का अमृत पान कर लीजिएगा फिर कोई पवित्र जिज्ञासा हो, तो व्हाट्सएप 9369226241 के माध्यम से प्रगट कर दीजिएगा। मार्गदर्शन अवश्य हो जाएगा। डॉ . रवि शंकर पाण्डेय drive.google.com/file/d/1D_V2TsyT49_Q_6i-vUjpu7X7bmIrmrkD/view?usp=drivesdk
!! जय श्री राम !!
!! जय श्री राम !!
Guru ji pranam sant koun hai,guru koun hai,sacche guru ki kya pahchan hai,santo ko kitne shreni me bat sakte hai ,rajesh tripathi
राजेशजी परम श्रद्धा के साथ इस ज्ञान का अमृत पान करियेगा। जिज्ञासा का समाधान अवश्य हो जाएगा। drive.google.com/file/d/15jIkTQSKS7c9k86ryIC22CfcY9Ki-jpl/view?usp=drivesdk सन्त एवँ राक्षसों के लक्षण- श्री राम जी। डॉ रवि शंकर पाण्डेय th-cam.com/video/cHTjdIGf9KQ/w-d-xo.htmlsi=C6efYXwF03uPsnx2
Jai siya Ram
Har har mahadev, sadar pranam
!! जय श्रीराम !! 🙏🙏🙏🙏🙏
Pranam Divya shree jee
!! हर हर महादेव !! 🙏🙏🙏🙏🙏
Naari ko leke apke vichar janana chahte hn baba ji
❤❤❤ hii DRRSP🎉
Jai shree ram jee,❤🎉🎉
❤❤🎉🎉
डा साहब के दर्शन कहां हो सकते हैं। मानिए एक राम के नाते। जय श्री सीताराम 🙏🙏🌹🌹
जय श्री राम!! सृष्टि में जब भी परमात्मा का अवतार होता है तो ब्राह्मण के प्रति पवित्र प्रेम का मार्गदर्शन प्रभु चरित्र के द्वारा अवश्य कर देते हैं। प्रमाण के लिए प्रभु श्री रामजी ब्राह्मण देवता गुरु वशिष्टजी का चरणोंदक स्वीकार करते हैं और कृष्ण रूप से गर्ग ऋषि के चरणों में प्रणाम करते हैं। प्रभु श्रीशिवजी की प्रेरणा से आपका यह मित्र ब्राह्मण भाव में अपने चित् को स्थिर कर चुका है। मित्र! इस अनन्त की अवस्था में किसी व्यवहार से संबन्ध जोड़ना तो दूर की बात है; अधिकार, आज्ञा एवं उपदेश के माध्यम से भी आपका यह मित्र किसी रूप से कोई संबन्ध जोड़ ही नहीं सकता। दिव्य अनुभव अवश्य प्रकट कर सकता है। Address for Communication: Sri Rama Aadhaar Shanti Kendra, 05, Saraiya Kamarghata, Sindhora, Chunar, Mirzapur- 231304 UP India WhatsApp Number- +91-936-922-6241 Email- rspandey@outlook.in
🙏🌹श्री राम जय राम जय जय राम 🌹🙏
!! जय जय श्री राम !!
!! जय श्रीराम !!
अनंत परमात्मा की प्राप्ति का दिव्य अवसर- साढ़े 8 वर्षों का दिव्य अनुभव- रामजी भाद्रपद शुक्ला, अनंत चतुर्दशी मंगलवार, 17 सितंबर 2024 प्रिय मित्रों, जय श्री राम!!! श्री गुरुजी की कृपा से श्री शिवजी की अनन्य भक्ति प्राप्त हुई और ब्रह्माजी के प्रपंच से मन मुक्त हुआ। श्री गुरुजी के दिव्य भाव एवं आचरण से अनुभव हुआ कि परमात्मा का अनुभव हो जाने पर मोह- माया- ममता; मद- मान- मत्सर का अन्त होता है। धर्म, अर्थ, काम एवं मोक्ष- चारों पदार्थों एवं निजी इच्छा से मन पूर्ण रूप से मुक्त होता है। मित्रों! वर्तमान समय में इन दिव्य भावों का एकमात्र उदाहरण डॉ. रवि शंकर पाण्डेयजी आज भी जगत में उपलब्ध हैं। मन की निर्मलता के लिए अविद्या जनित- "अहंकार के परित्याग का दृढ़ संकल्प" होना परम आवश्यक है। आपके इस मित्र को इन दिव्य भावनाओं का अनुभव- विलक्षण वैज्ञानिक, संत डॉ रवि शंकर पाण्डेय जी के दिव्य भाव, आचरण एवं उपदेश से हुआ। श्री गुरुजी के दिव्य आचरण से मुझे परिवार सहित इस भाव का बोध हो गया कि "अहम् का भाव वास्तव में एक वहम् (भ्रम) है " यह शोध निष्कर्ष श्री गुरुजी द्वारा अमेरिका के यूनिवर्सिटी आँफ मिसौरी, स्कूल आफ मेडिसिन में शोध के दौरान- मनुष्य में पाए जाने वाले सभी 48,804 जीन (सुत्रों) का विश्लेषण करने के बाद निकला है। इन सभी गुणसूत्रों के विश्लेषण करने के बाद श्री गुरुजी इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि "प्राकृतिक तत्वों में चेतना का एक कण भी नहीं" है। इन दिव्य विलक्षण शोध के रहस्य जानने के लिए जगत को श्री गुरुजी की अवस्था का अनुभव होना आवश्यक है। श्री गुरुजी साढ़े 08 वर्षों से श्री राम आधार शान्ति केन्द्र पर स्थिर है। दिव्य अनुभव को संक्षेप में ही जनमानस के लिए प्रदान कर चुके हैं। इस वीडियो के दर्शन से आप अनंत परमात्मा को अवश्य प्राप्त कर लेंगे। इसलिए आप सभीसे विनम्र निवेदन है कि इस वीडियो का दर्शन श्रद्धाभाव से अवश्य कर लीजिएगा। राम जियावन सिंह
जय हो प्रभु आपकी जय हो, प्रभु कृपा करें स्वरूप बोध कैसे हो ❤😂🎉
!! जय श्री राम !!
हे देव पुरुष मेरे कोटिशः प्रणाम स्वीकार करें ❤😂🎉
!! जय श्रीराम !!
कोटि कोटि चरण में प्रणाम 😂😂😂❤
Rajesh Tripathi ki tarf se sadar pranam.
!! जय गुरुदेव !!
Jai sri ram🕉️🕉️🕉️🕉️pranam
Jai sri ram jai siya ram ❤ Prnaam 🎉 13:01 13:01
हरि ॐ तस्तत , !! जय श्रीराम !!
जय हो प्रभु आपकी जय हो, हे भगवत प्राप्त देव मेरे कोटि कोटि प्रणाम स्वीकार करें ❤😂🎉
Sitaram
जीवन मुक्त महापुरुष की जय हो
जय हो प्रभु आपकी, जय जय सियाराम ❤😂🎉
जय श्री राम
Admi ki asamay mrityu kyon. Hoti hai?
जय हो प्रभु आपकी जय हो, जय जय सियाराम ❤😂🎉
जय श्री राम, जय श्री गुरुदेव महाराज, मित्रों, राग-द्वेष से रहित होकर वेद विहित निःष्काम कर्म ही बन्धन को काटने का एक अस्त्र है। यह अनुभव इस दास को श्री गुरु जी के मार्गदर्शन आचरण एवं भाव से प्राप्त हुआ। इनका जगत में दूसरा विकल्प है ही नहीं। श्री गुरु जी से अनेकों दिव्य अनुभव प्राप्त हुए जैसे मनुष्य की बुद्धि से मोह-माया-ममता-मद-मान-मत्सर का अन्त होता है। धर्म, अर्थ, काम एवं मोक्ष- चारों पदार्थों एवं निजी इच्छा से श्री गुरुजी का मन पूर्ण रूप से मुक्त हैं। श्री शिवजी की कृपा से श्री गुरुजी के अंतः करण से अहंता-आसक्ति-कामना-कर्मफल-इच्छा का अन्त हो चुका है। मनुष्य का शरीर मात्र एक साधन है, जिसके द्वारा सभी जीव परम धाम की यात्रा कर सकते हैं। यह दास का निजी अनुभव है न कि कोई कोरी कल्पना। मैं सभी मित्रों से उनके कल्याण के लिए अनुरोध करना चाहूँगा कि परम श्रद्धा के साथ श्री राम आधार शान्ति केन्द्र पर जाकर श्री गुरुजी का सानिध्य अवश्य प्राप्त कर लें। श्री गुरुजी के बारे में इस दास का विशेष अनुभव जानने के लिए श्रद्धालु th-cam.com/play/PLy281mtFJe4nRkFZBMzUkputD5zdIPwc6.html&si=IqqbhaXvrqnJtphV की समीक्षा और दर्शन पवित्र भाव से अवश्य कर लें। दिलीप शर्मा उर्फ रामदास चुनार मिर्जापुर
!! जय श्रीराम !! जय शिवशंकर पार्वती 🙏🙏🙏🙏🙏