क्षत्रिय, राजपूत शब्दों का मतलब एक ही होता है, राजपूत शबद बहुत बाद मे आया, पहले क्षत्रिय ही बोलते थे , और दुसरी बात किसी भी शिलालेख पर गुर्जर क्षत्रिय कहीं पर भी नही लिखा है और ना ही राजपूत क्षत्रिय लिखा है इसलिए ये बात अनडरसटुड है कि इतिहास मे जो क्षत्रिय शबद बार बार आया है वो राजपूत के लिए ही आया है ।
@@santoshkunwar1972 जो राजस्थान का हिस्सा है उस क्षेत्र के क्षत्रियों को राजपूत बोलने लगे पूरे भारत की क्षत्रीय को राजपूत नहीं बोलने लगे समझे ना और राजपूत विदेशी शक कुशान और हूणों के वंशज हैं।
सर जी बहुत ही सुन्दर वर्णन किया गया है गुर्जर सम्राट मिहिर भोज के विषय में.. विषय केवल यही है कि वे क्या थे.. जिसपर आपके द्वारा विस्तृत जानकारी दी गई है.. चूँकि विषय इतिहास से संबंधित है और इतिहास सदैव ही स्वयं के द्वारा किया जाने वाला शोध का विषय है.. पर अपन का मत है कि सभी को स्वयं शोध अवश्य करना चाहिए.. क्योंकि वर्तमान समय में इतिहास से छेड़छाड़ कर केवल सत्ता प्राप्ति का साधन निर्माण करने का प्रयोग की परम्परा की जा रही है.. ऐनी वे.. ..आभार 🙏
मैं चौहान (गुर्जर) क्षत्रिय होने के बावजूद शाकाहारी और सनातनी हू जबकि राजपूत मांसाहारी और बली देने वाले कबीले जैसी मादक शराबी तामसी प्रवृत्ति के लोग होते हे ये अक्सर विष्णु या शिव को छोड़ कर अलग अलग देवियों को पूजते हे जो शराब और मांस जीव की बलि की मांग करती है राजपूतों का सनातन से कोई लेना देना नही है. सनातनी दूध दही घी छाछ से शक्ति प्राप्ति करते हे और जैसे छाछ-राबड़ी गुर्जरों के कलेवा (breakfast) के साथ जुड़ा हुआ आहार हे. इनके लक्षण मुसलमान और तुर्को से ज्यादा मेल खाते है जैसे ये लोग बहुत ज्यादा परदा अभिमान और क्रोध करते है छोटी सी बात का बुरा मान जाते हे और जल्दी से किसी को माफ नहीं कर पाते बदला लेके ही रहते हे इसीलिए ये लोग विश्वासघाती के चरित्र से बदनाम हे और दोस्ती के लायक नही समझे जाते ये आसानी से दूसरी हिंदू जातियों में घुल मिल नहीं पाते और आइसोलेशन में रहते है (जिसे रावला बोलते है) क्योंकि ये विदेशी है। जबकि हम गुर्जर हमेशा ही जाटों और यादवों के साथ बहुत ज्यादा घुल मिल के रहते हे। सिर्फ हम गुर्जर ही पुराने क्षत्रियों की संतान है।
Mai bhi Yehi sochta hu Ki jub rajput word hi itna late use mai aya to raja mihirbhoj rajput kese ho skte hai Mostly historians rajputs ko hun mante hai Or ye kyi had tk fit bhi lgta hai Kyuki 500 600 ad mai inke attack suru hue Inke haav bhavv bhi ek dum huns sai match krte hai Fir bohot sai hun MP or Rajasthan side bs bhi gye Or bilkul ye log bhi bali partha or masahar krte the(hun bhi same the) Or sbse main point jo isse prove krta hai Wo hai chandrabardai ki pritviraj mai likhi bate Jisme usne likha hai ki rajput hawan kund sai nikle hai(ab ye jaduu to hai ni koi)isss baat ko decode krne wale khte hai ki muni agastiya nai hawan krke inhe sanatan mai join kraya Or west border ki security ka wada liya Fir inhe kshatriya ka title diya(kyuki ye bhi ek ldne wali jati thi) Ise to saaf hi ho jata hai Hn itna ho skta hai ki tym k sath sath kuch parivaro nai politicial relationships ache krne k liye rajput or gujjar vivahh kiye ho Ye misunderstanding iss wjh sai paida ho skti hai 🕉❤️❤️
गुर्जर शब्द संस्कृत से लिया गया है जिसका हिन्दी अनुवाद शत्रु विनाशक है और वर्ण व्यवस्था के अनुसार क्षत्रिय एक वर्ण है ना कि जाति जिसमें कई जातियाँ सम्मिलित हैं । पुराणों में गुर्जर जाति के निवास क्षेत्र को ही गुर्जरात्रा कहा गया है।
बिल्कुल सही कहा भाई क्षत्रिय वर्ण है और उस वर्ण में अनेक जाति आती है मराठा गुर्जर जाट राजपूत रेडी कुर्मी वगैरह बहुत सारे लेकिन यह दिमाग परगिरे हुए राजपूत पूरे क्षत्रिय कोही राजपूत बोल देते हैं और वैसे भी इन राजपूतों की उत्पत्ति विदेशी शक कुशान और हूनो से मानी जाती है।
भारत को मुस्लिम काल में हिन्दुस्तान कहा जाने लगा तो क्याभारत और हिन्दुस्तान अलग अलग हो गये राजा के परिवार को राजपूत कहा जाता था आम क्षत्रियों को राजपूत नहीं कहा जाता था ऐसे ही क्षत्रियों को मुस्लिम काल में राजपूत शब्द अधिक प्रचलित होने के कारण राजपूत शब्द जाति के रुप में प्रयोग होने लगा दोनों एक ही है
एक्चुअली जाति क्या है सभी मनुष्य की जाति एक ही है हम मानव है जाती तो जानवरों में होती है मनुष्य में कोई जाति नहीं होती हां यह बात अलग देश में विभिन्न प्रकार के राजवंशों का राज रहा है उन राजवंशों ने अपनी अलग अलग पहचान बनाई गुर्जर प्रतिहार राजवंश एक पहचान है उस समय के राजाओं की उसमें कुछ घटाया बढ़ाया नहीं जा सकता देश में विभिन्न प्रकार के इतिहासकारों ने अपने अलग-अलग मत दे कर इतिहास को बिगाड़ने की कोशिश की क्योंकि इतिहास मतों और मान्यताओं से नहीं चलता इतिहास समकालीन साहित्य ग्रंथों शिलालेखों ताम़ पत्रों विदेशी यात्रियों के आधार पे लिखा होना चाहिए धन्यवाद सर ने अच्छी जानकारी दी
सम्राट मिहिर भोज गुर्जर ही थे उनके वंशिका नाम ही गुर्जर प्रतिहार वंश है। और जैसे कि आपने बताया राजपूत जाति 950 ईसवी में उत्पन्न हुई और राजपूत भारत के क्षत्रिय नहीं है वह विदेशी शक कुषाण और हूनों के वंशज है इन विदेशी शक कुशाण और हूनों को राजस्थान के आबू पर्वत पर अग्नि संस्कार करके हिंदू बनाया वही राजपूत कहलाए और राजपूत भी बोलते हैं उनकी उत्पत्ति राजस्थान के आबू पर्वत पर किए गए अग्निकुंड से हुई।
इतिहासकार ने तो गुर्जरों को भी कुषाण की संतान बताया है जिसमें आज भी इनकी गोत्र कसाना है मेवाड़ के गोयल वंश का इतिहास पढ़ ले एक बार जिसमें बप्पा रावल राणा सांगा महाराणा प्रताप जैसे सुरवीर पैदा हुए5 वी सदी से मेवाड़ पर राज कर रहे हैं
भाई भगवान आपकी लंबी आयु दे और आपको स्वस्थ रखे रियाल और सच बात कहने वाले को कभी भी दुख और तकलीफ नहीं होगी क्योंकि दादा अमीर बहुत रियल एंड कंफर्म गुर्जर थे गुर्जर थे पृथ्वीराज चौहान वीडियो एंड कंफर्म गुर्जर है और महाराणा चंदन गुर्जर की औलाद उदयवीर गुर्जर के पुत्र महाराणा प्रताप
चलो मान लिया कि गुर्जर नाम किसी जाति विशेष का ना होकर किसी जगह विशेष का है तो फिर उस जगह में हर जाती के लोग रहते होंगे तो फिर उनको गुर्जर क्यू नही कहा हमे ही क्यु कहा दूसरी बात 12 वी शताब्दी के बाद आया है नाम राजपूत अगर हिस्ट्री में हो तो बताना हमे भी
Gujrat me bahot jaatiya apne jaati naam k aage gurjar lagati hai jese gurjar Jain, gurjar mahesvari samaj, gurjar dhobi ,naai bahot lagaate hai usaka ye matlab nahi ki vo gujjar hai 👍
इतिहास अगर आपने पडा हो तो इसमे एक गुजर , इसके बीच मे आधा ज है , मेरे की बोर्ड मे नही आ रहा है , आपके गुर्जर लगता है, गुजर और गुर्जर मे बहुत फर्क है लेकिन इतिहासकारों ने शब्दों को तोड मरोड़ के पेश किया, गुजर से शुरू हुआ शब्द तोड कर गुर्जर कर दिया ।
Bhat sahi jara gujrat k Jain se pucho konse Jain ho wo bolenge gurjar Jain , gurjar bhram bhi hote jine gurjar godh bhramna kehlate h , agr prof chaiye toh bolna mil jaenge
गधे, गुरजरात्रा में निवास करने वाली प्रत्येक जाति के नाम के आगे गुर्जर लगता है । गुर्जर गौड़ ब्राह्मण, गुर्जर जैन समाज आदि। गुजरात में निवास करने वाले प्रत्येक व्यक्ति को गुर्जर कहा जाता है जैसे पंजाब में निवास करने वाले को पंजाबी और बिहार में निवास करने वाले को बिहारी। गवार गूजर , भैंस चराना छोड़ कर पढ़ना लिखना सीख ले।
आईआईटी गांधीनगर और पुरातत्व विभाग द्वारा किए गए ग्राउंड-पेनेट्रेटिंग रडार (जीपीआर) की जांच में सोमनाथ मंदिर के नीचे एल आकार की संरचना को बौद्ध संरचना माना जाता है।
गुर्जर वंश के शिलालेख)???? नीलकुण्ड, राधनपुर, देवली तथा करडाह शिलालेख में प्रतिहारों को गुर्जर कहा गया है ।राजजर शिलालेख” में वर्णित “गुर्जारा प्रतिहारवन” वाक्यांश से। यह ज्ञात है कि प्रतिहार गुर्जरा वंश से संबंधित थे। ब्रोच ताम्रपत्र 978 ई० गुर्जर कबीला(जाति) का सप्त सेंधव अभिलेख हैं पाल वंशी,राष्ट्रकूट या अरब यात्रियों के रिकॉर्ड ने प्रतिहार शब्द इस्तेमाल नहीं किया बल्कि गुर्जरेश्वर ,गुर्जरराज,आदि गुरजरों परिवारों की पहचान करते हैं। बादामी के चालुक्य नरेश पुलकेशियन द्वितीय के एहोल अभिलेख में गुर्जर जाति का उल्लेख आभिलेखिक रूप से हुआ है। राजोरगढ़ (अलवर जिला) के मथनदेव के अभिलेख (959 ईस्वी ) में स्पष्ट किया गया है की प्रतिहार वंशी गुर्जर जाती के लोग थे नागबट्टा के चाचा दड्डा प्रथम को शिलालेख में “गुर्जरा-नृपाती-वाम्सा” कहा जाता है, यह साबित करता है कि नागभट्ट एक गुर्जरा था, क्योंकि वाम्सा स्पष्ट रूप से परिवार का तात्पर्य है। महिपाला,विशाल साम्राज्य पर शासन कर रहा था, को पंप द्वारा “गुर्जरा राजा” कहा जाता है। एक सम्राट को केवल एक छोटे से क्षेत्र के राजा क्यों कहा जाना चाहिए, यह अधिक समझ में आता है कि इस शब्द ने अपने परिवार को दर्शाया। भडोच के गुर्जरों के विषय दक्षिणी गुजरात से प्राप्त नौ तत्कालीन ताम्रपत्रो में उन्होंने खुद को गुर्जर नृपति वंश का होना बताया प्राचीन भारत के की प्रख्यात पुस्तक ब्रह्मस्फुत सिद्धांत के अनुसार 628 ई. में श्री चप (चपराना/चावडा) वंश का व्याघ्रमुख नामक गुर्जर राजा भीनमाल में शासन कर रहा था 9वीं शताब्दी में परमार जगददेव के जैनद शिलालेख में कहा है कि गुर्जरा योद्धाओं की पत्नियों ने अपनी सैन्य जीत के परिणामस्वरूप अर्बुडा की गुफाओं में आँसू बहाए। । मार्कंदई पुराण,स्कंध पुराण में पंच द्रविडो में गुर्जरो जनजाति का उल्लेख है। अरबी लेखक अलबरूनी ने लिखा है कि खलीफा हासम के सेनापति ने अनेक प्रदेशों की विजय कर ली थी परंतु वे उज्जैन के गुर्जरों पर विजय प्राप्त नहीं कर सका सुलेमान नामक अरब यात्री ने गुर्जरों के बारे में साफ-साफ लिखा है कि गुर्जर इस्लाम के सबसे बड़े शत्रु है जोधपुर अभिलेख में लिखा हुआ है कि दक्षिणी राजस्थान का चाहमान वंश गुर्जरों के अधीन था कहला अभिलेख में लिखा हुआ है की कलचुरी वंश गुर्जरों के अधीन था चाटसू अभिलेख में लिखा हुआ है की गूहिल वंश जोकि महाराणा प्रताप का मूल वंस है वह गुर्जरों के अधीन था पिहोवा अभिलेख में लिखा हुआ है कि हरियाणा का शासन गुर्जरों के अधीन था खुमाण रासो के अनुसार राजा खुमाण गुर्जरों के अधीन था भिलमलक्काचार्यका ब्रह्मा स्फूट सिद्धांत उद्योतनसुरी की कुवलयमाला कश्मीरी कवि कल्हण की राजतरंगिणी प्रबन्ध कोष ग्रन्थ व खुमान रासो ग्रंथ के अनुसार गुर्जरों ने मुसलमानों को हराया और खुमान रासो राम गया अभिलेख बकुला अभिलेख दौलतपुर अभिलेख गुनेरिया अभिलेख इटखोरी अभिलेख पहाड़पुर अभिलेख घटियाला अभिलेख हड्डल अभिलेख रखेत्र अभिलेख राधनपुर और वनी डिंडोरी अभिलेख राजशेखर का कर्पूर मंजरी ग्रंथ, काव्यमीमांसा ग्रंथ ,विध्दशालभंजिका ग्रंथ कवि पंपा , जैन आचार्य जिनसेन की हरिवंश पुराण आदि के द्वारा दिया गया
सम्राटो के सम्राट चक्रवर्ती सम्राट "असोक" समूचे विश्व के एकमात्र अद्वितीय महानतम सम्राट है विश्व मे भारत की पहचान अद्वितीय चक्रवर्ती सम्राट असोक के नाम से है नमो बुद्धाय जय सम्राट असोक जय भीम 🙏🙏🙏
राजपुताना में शामिल होने वाला सबसे पहला राजवंश गुर्जर-प्रतिहार था। अब तुम ही देखो गुर्जर स्थान वाचक है या जाति वचक। हिसाब से देखा जाए तो प्रतिहार राजपूत थे।
Wo sab tik hai par jab gujar pihar vans tha tab aaj ki gujar jati ko kiya bolte hai itihas sab ke samnay aajaye ga or aaj ki gujar jati ne kitni bar Nam bdla hai
महापुरूष कभी किसी जाति के नहीं होते बल्कि वे मानव समाज के लिए कार्य करते हैं अतः सम्पूर्ण समाज को प्रेरणा देने वाले सभी समाज की विरासत होते हैं,ये ओर भी अच्छा है कि हमारे समाज की ,देश की रक्षा करने वाले वीर उत्पन्न करने वाली जातियां, क्षत्रिय ओर गूर्जर दोनों ही उनको सम्मल्लित विरासत माने ,विवाद के स्थान पर सब मिलकर उन्हें प्रेरणा लें।हम सब मिलकर समाज को ऊंचा ऊठायें। इतिहास में हमारे विवादों, अनावश्यक अंहकार के कारण समाज की हुई क्षति से हम सभी को सबक लेकर आगे बढ़ना चाहिए।🙏🎉
Sir'Can you translate your speach in english or urdu or in romin urdu if it possible please do it thanks.If you can write your trancript in english or urdu or in romun urdu please do it because many many gurjar in northen who not understand the hindi will be helpful to them to undestand thus your priseless lecture thanjs.
.Pahele Gurjar Pratihaar Pashupalak likhe, Phir Gurjar Pratihar Harishchandra Brahmin likhe,ye etihas karo ki kami hai,ab Rajput kaha ja raha hai , Jab Gurjar Pratihaar Vansh va Pal Vansh va Rastrakoot Vansh , Kannoj par ladai ker rahe the ,Tab Rajput Jati ka uday bhi nahi hua tha ,ye etihaskaro ki kami hai ye paise leker ke etihas ko ulta seedha likhte hai ,sahi yahi hai ki Gurjar Pratihar Pashupalak the ,
रबारी (राह-बाड़ी) और गुर्जर (गुर-जर) दोनों एक दूसरे से पूरक हैं। रबारी एक फारसी शब्द हैं और गुर्जर एक मंगोलियन भाषा है। जिसका मतलब होता "घुमंतू " पशुपालक जो चरागाह के खोज में सर्दी में दक्षिणी एशिया में आ जाते थे और गर्मी में उत्तरी एशिया में चल जाते थे। गुर्जर-जात जो पशुपालक पशुपालन के साथ खेती के काम भी करता था। आगे जात शब्द "जाट" बन गया।
भाई तुम समझते नही हो पहले जो सूर्यवंशी ओर चन्द्रवंशी क्षत्रिय राजा जिनके वंशज कालान्तर मे 36 राजवंश मे बंटे हुए थे उनके वंशजो को राजपुत्र यानि की राजा के पुत्र यानि राजकुमार Prince आदि नामो से राजपूत बोला जाने लगा।।। पहले जो क्षत्रिय होते थे ऊनके नाम के पीछे सिंह शब्द भी नही लगता था जैसे राजा राम राजा कृष्ण महाराणा प्रताप पृथ्वीराज चौहान राणा सांगा राणा कुम्भा राणा हम्मीरदेव आदि सिंह नाम का प्रयोग कालान्तर मे किया जाने लगा।।। गुर्जर शब्द शब्द का प्रयोग स्थानवाची जोकि 8 सदी बाद गुजर्त्रा जो कि राजस्थान के दक्षिण पश्चिम भाग बाडमेर जालोर जोधपुर ओर गुजरात का भाग जिस पर प्रतिहार शासको ने अपनी विजय पताका हासिल की।।जिसके के कारण उनको स्थानीय ओर विदेशी लेखको ने गुर्जर या जूर्ज राजा की उपाधी दी गयी।। आज की वर्तमान रियासतो मे इनके वंशज राज कर रहे है समन्दसर नागोद मालवाडा खानैती त्रिठलू अलीपुरा इनरियासत मे जाके उनके आप बोलना की आप गूजर है तो आपको वो क्या जबाज देते है ।।इनके पास सब वंशावली सुरक्षित रखी हुई है।।।
Mihir bhoj rajpoot hi the kyo ki inke rajya ko jo kshetra hai wahan To gujjaro ki shankhaya bahut Kam hai.enka jo rajya kshetra hai wahan to rajpooto ki sankhya jyada hai
Rajput jati me 1:- Pratihar ya Parihar , 2:- Pramar ya Parmar , 3:- Chahman ya Chauhan, 4:- Chalukya ya Solanki va Baghel, Ye charo Agni Vanshi hai ,ye Surya Vanshi nahi hai , Gurjar Pratihar Surya Vanshi hai , Isliye ye Rajput nahi hai , Jay Hind Jay Bharat
आज कल अपने आप को गुर्जर बताने वाले 5 साल पहले गुजर या गूजर बताते हैं अपने आप को। जिस तरह हरियाणा की व्यक्ति हरियाणवी, पंजाब की व्यक्ति पंजाबी उसी तरह गुर्जरत्रा का व्यक्ति गुर्जर होता है
सम्राट मेहयर भोज गुर्जर क्षत्रीय थे।। राजपुतो का इतिहास उत्तपति बहुत ही खराब है।।
क्षत्रिय, राजपूत शब्दों का मतलब एक ही होता है, राजपूत शबद बहुत बाद मे आया, पहले क्षत्रिय ही बोलते थे , और दुसरी बात किसी भी शिलालेख पर गुर्जर क्षत्रिय कहीं पर भी नही लिखा है और ना ही राजपूत क्षत्रिय लिखा है इसलिए ये बात अनडरसटुड है कि इतिहास मे जो क्षत्रिय शबद बार बार आया है वो राजपूत के लिए ही आया है ।
@@santoshkunwar1972 जो राजस्थान का हिस्सा है उस क्षेत्र के क्षत्रियों को राजपूत बोलने लगे पूरे भारत की क्षत्रीय को राजपूत नहीं बोलने लगे समझे ना और राजपूत विदेशी शक कुशान और हूणों के वंशज हैं।
@@santoshkunwar1972 mughal ke time tum logon ki utpatti hui abb tum samjh sakte ho ki tum kiski aulaad ho
@@santoshkunwar1972 😂😂😂😂
Dhanyabad guru g
Gurjaro se nikli ek saakha rajput kahlai 🙏👈
नेचुरली गुर्जर उस समय राजपूत words आया ही नहीं। 1236 में। ये वर्ड आया था।। क्षत्रिय। थे आज राजपूत भी क्षत्रिय हैं
गुर्जर प्रतिहार साम्राज्य के सूर्यवंशी महाराजा महिरभोज की जय हो।
सर जी बहुत ही सुन्दर वर्णन किया गया है गुर्जर सम्राट मिहिर भोज के विषय में..
विषय केवल यही है कि वे क्या थे..
जिसपर आपके द्वारा विस्तृत जानकारी दी गई है..
चूँकि विषय इतिहास से संबंधित है और इतिहास सदैव ही स्वयं के द्वारा किया जाने वाला शोध का विषय है..
पर अपन का मत है कि सभी को स्वयं शोध अवश्य करना चाहिए..
क्योंकि वर्तमान समय में इतिहास से छेड़छाड़ कर केवल सत्ता प्राप्ति का साधन निर्माण करने का प्रयोग की परम्परा की जा रही है..
ऐनी वे..
..आभार 🙏
गुर्जर प्रतिहार सम्राट मिहिर भोज जी की जय हो।।
राजपूतो का तो खुद का इतिहास ही 13वी सदी के बाद शुरू होता है
मैं चौहान (गुर्जर) क्षत्रिय होने के बावजूद शाकाहारी और सनातनी हू जबकि राजपूत मांसाहारी और बली देने वाले कबीले जैसी मादक शराबी तामसी प्रवृत्ति के लोग होते हे ये अक्सर विष्णु या शिव को छोड़ कर अलग अलग देवियों को पूजते हे जो शराब और मांस जीव की बलि की मांग करती है राजपूतों का सनातन से कोई लेना देना नही है. सनातनी दूध दही घी छाछ से शक्ति प्राप्ति करते हे और जैसे छाछ-राबड़ी गुर्जरों के कलेवा (breakfast) के साथ जुड़ा हुआ आहार हे. इनके लक्षण मुसलमान और तुर्को से ज्यादा मेल खाते है जैसे ये लोग बहुत ज्यादा परदा अभिमान और क्रोध करते है छोटी सी बात का बुरा मान जाते हे और जल्दी से किसी को माफ नहीं कर पाते बदला लेके ही रहते हे इसीलिए ये लोग विश्वासघाती के चरित्र से बदनाम हे और दोस्ती के लायक नही समझे जाते ये आसानी से दूसरी हिंदू जातियों में घुल मिल नहीं पाते और आइसोलेशन में रहते है (जिसे रावला बोलते है) क्योंकि ये विदेशी है। जबकि हम गुर्जर हमेशा ही जाटों और यादवों के साथ बहुत ज्यादा घुल मिल के रहते हे। सिर्फ हम गुर्जर ही पुराने क्षत्रियों की संतान है।
Mai bhi Yehi sochta hu
Ki jub rajput word hi itna late use mai aya to raja mihirbhoj rajput kese ho skte hai
Mostly historians rajputs ko hun mante hai
Or ye kyi had tk fit bhi lgta hai
Kyuki 500 600 ad mai inke attack suru hue
Inke haav bhavv bhi ek dum huns sai match krte hai
Fir bohot sai hun MP or Rajasthan side bs bhi gye
Or bilkul ye log bhi bali partha or masahar krte the(hun bhi same the)
Or sbse main point jo isse prove krta hai
Wo hai chandrabardai ki pritviraj mai likhi bate
Jisme usne likha hai ki rajput hawan kund sai nikle hai(ab ye jaduu to hai ni koi)isss baat ko decode krne wale khte hai ki muni agastiya nai hawan krke inhe sanatan mai join kraya
Or west border ki security ka wada liya
Fir inhe kshatriya ka title diya(kyuki ye bhi ek ldne wali jati thi)
Ise to saaf hi ho jata hai
Hn itna ho skta hai ki tym k sath sath kuch parivaro nai politicial relationships ache krne k liye rajput or gujjar vivahh kiye ho
Ye misunderstanding iss wjh sai paida ho skti hai
🕉❤️❤️
लेकिन इतिहास करो ने तो तुम्हें किसानों की औलाद बताया है इसमें तुम्हारी कसाना जाती भी आती है
गुर्जर शब्द संस्कृत से लिया गया है जिसका हिन्दी अनुवाद शत्रु विनाशक है और वर्ण व्यवस्था के अनुसार क्षत्रिय एक वर्ण है ना कि जाति जिसमें कई जातियाँ सम्मिलित हैं ।
पुराणों में गुर्जर जाति के निवास क्षेत्र को ही गुर्जरात्रा कहा गया है।
बिल्कुल सही कहा भाई क्षत्रिय वर्ण है और उस वर्ण में अनेक जाति आती है मराठा गुर्जर जाट राजपूत रेडी कुर्मी वगैरह बहुत सारे लेकिन यह दिमाग परगिरे हुए राजपूत पूरे क्षत्रिय कोही राजपूत बोल देते हैं और वैसे भी इन राजपूतों की उत्पत्ति विदेशी शक कुशान और हूनो से मानी जाती है।
जो गुर्जर है उसको गुर्जर ही बोलेंगे जो राजपूत है उसको राजपूत कहेंगे । हिंदू भइयों प्यार से रहो ।
इतिहास तो इतिहास होता है उसको झूटलाया नहीं जा सकता है। हम सम्राट मिहिरभोज को गुर्जर प्रतिहार ही कहते आए है तो वे गुर्जर ही थे ना की राजपूत
भारत को मुस्लिम काल में हिन्दुस्तान कहा जाने लगा तो क्याभारत और हिन्दुस्तान अलग अलग हो गये राजा के परिवार को राजपूत कहा जाता था आम क्षत्रियों को राजपूत नहीं कहा जाता था ऐसे ही क्षत्रियों को मुस्लिम काल में राजपूत शब्द अधिक प्रचलित होने के कारण राजपूत शब्द जाति के रुप में प्रयोग होने लगा दोनों एक ही है
एक्चुअली जाति क्या है सभी मनुष्य की जाति एक ही है हम मानव है जाती तो जानवरों में होती है मनुष्य में कोई जाति नहीं होती हां यह बात अलग देश में विभिन्न प्रकार के राजवंशों का राज रहा है उन राजवंशों ने अपनी अलग अलग पहचान बनाई गुर्जर प्रतिहार राजवंश एक पहचान है उस समय के राजाओं की उसमें कुछ घटाया बढ़ाया नहीं जा सकता देश में विभिन्न प्रकार के इतिहासकारों ने अपने अलग-अलग मत दे कर इतिहास को बिगाड़ने की कोशिश की क्योंकि इतिहास मतों और मान्यताओं से नहीं चलता इतिहास समकालीन साहित्य ग्रंथों शिलालेखों ताम़ पत्रों विदेशी यात्रियों के आधार पे लिखा होना चाहिए धन्यवाद सर ने अच्छी जानकारी दी
सम्राट मिहिर भोज गुर्जर ही थे उनके वंशिका नाम ही गुर्जर प्रतिहार वंश है। और जैसे कि आपने बताया राजपूत जाति 950 ईसवी में उत्पन्न हुई और राजपूत भारत के क्षत्रिय नहीं है वह विदेशी शक कुषाण और हूनों के वंशज है इन विदेशी शक कुशाण और हूनों को राजस्थान के आबू पर्वत पर अग्नि संस्कार करके हिंदू बनाया वही राजपूत कहलाए और राजपूत भी बोलते हैं उनकी उत्पत्ति राजस्थान के आबू पर्वत पर किए गए अग्निकुंड से हुई।
इतिहासकार ने तो गुर्जरों को भी कुषाण की संतान बताया है जिसमें आज भी इनकी गोत्र कसाना है मेवाड़ के गोयल वंश का इतिहास पढ़ ले एक बार जिसमें बप्पा रावल राणा सांगा महाराणा प्रताप जैसे सुरवीर पैदा हुए5 वी सदी से मेवाड़ पर राज कर रहे हैं
भाई भगवान आपकी लंबी आयु दे और आपको स्वस्थ रखे रियाल और सच बात कहने वाले को कभी भी दुख और तकलीफ नहीं होगी क्योंकि दादा अमीर बहुत रियल एंड कंफर्म गुर्जर थे गुर्जर थे पृथ्वीराज चौहान वीडियो एंड कंफर्म गुर्जर है और महाराणा चंदन गुर्जर की औलाद उदयवीर गुर्जर के पुत्र महाराणा प्रताप
चलो मान लिया कि गुर्जर नाम किसी जाति विशेष का ना होकर किसी जगह विशेष का है तो फिर उस जगह में हर जाती के लोग रहते होंगे तो फिर उनको गुर्जर क्यू नही कहा हमे ही क्यु कहा दूसरी बात 12 वी शताब्दी के बाद आया है नाम राजपूत अगर हिस्ट्री में हो तो बताना हमे भी
Gujrat me bahot jaatiya apne jaati naam k aage gurjar lagati hai jese gurjar Jain, gurjar mahesvari samaj, gurjar dhobi ,naai bahot lagaate hai usaka ye matlab nahi ki vo gujjar hai 👍
Raja ke bete ko rajputra kahte hai
इतिहास अगर आपने पडा हो तो इसमे एक गुजर , इसके बीच मे आधा ज है , मेरे की बोर्ड मे नही आ रहा है , आपके गुर्जर लगता है, गुजर और गुर्जर मे बहुत फर्क है लेकिन इतिहासकारों ने शब्दों को तोड मरोड़ के पेश किया, गुजर से शुरू हुआ शब्द तोड कर गुर्जर कर दिया ।
Bhat sahi jara gujrat k Jain se pucho konse Jain ho wo bolenge gurjar Jain , gurjar bhram bhi hote jine gurjar godh bhramna kehlate h , agr prof chaiye toh bolna mil jaenge
गधे, गुरजरात्रा में निवास करने वाली प्रत्येक जाति के नाम के आगे गुर्जर लगता है । गुर्जर गौड़ ब्राह्मण, गुर्जर जैन समाज आदि। गुजरात में निवास करने वाले प्रत्येक व्यक्ति को गुर्जर कहा जाता है जैसे पंजाब में निवास करने वाले को पंजाबी और बिहार में निवास करने वाले को बिहारी।
गवार गूजर , भैंस चराना छोड़ कर पढ़ना लिखना सीख ले।
सनातन धर्म के रक्षक #क्षत्रिय_गुर्जर !!
#Mihirbhoj ❣️🙏
Gurjar samrat mihir bhoj ki 🙏🙏
Gurjar samrat ki jai ho 🙏
Rajpoot are hybrid of Jat Meena Bheel
Gurjar
Sir ji संस्कृत भाषा की उत्पत्ति कब हुई कृपया बताइए 🙏
बहुत सुंदर तरिके से आपने बताया, आपको साधुवाद।
आईआईटी गांधीनगर और पुरातत्व विभाग द्वारा किए गए ग्राउंड-पेनेट्रेटिंग रडार (जीपीआर) की जांच में सोमनाथ मंदिर के नीचे एल आकार की संरचना को बौद्ध संरचना माना जाता है।
*Gurjar pratihar samrat mihir bhoj mahan* _jai ho gurjar samaj_ ❤️💫
Rajput me Pratihar ya Parihar Agni Vanshi hai,
Lekin
Gurjar Pratihar Surya Vanshi the,
Isliye Gurjar Pratihar Rajput nahi the,
Gurjar hi the mhan mihir bhoj..... Rajput nhi the
अगर राजपूत होते तो कहीं ना कहीं तो इतिहास में लिखा होता वह गुज्जर थे
सर आप सुलझे हुए है और निष्पक्ष जानकारी देते है
Jai gujjar raja respect 🙏 punjab
सम्राट मिहिरभोज गूर्जर थे क्योंकि उनके अभिलेखों में गूर्जर लिखा हूआ है।
Kshatriya or Rajput kul ek he h
U r right Rajput word came into use from 13th century onwards.Present day rajput caste has multiple ethnic origin
भाई साहब दादरी में गुर्जर सम्राट मिहिरभोज की मूर्ति गुर्जर समाज के द्वारा लगवाई गई है माननीय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी के द्वारा नहीं लगवाई है
भाई ये तो बताना था
राजपूत को पहले क्या बोलते थे
क्षत्रिय 🚩
अधूरी जानकारी दी
ओर गुर्जर प्रतिहार क्षत्रिय थे
Wonderful information
.........sir
ThNXx s0 much
Gurjar pratihar samrat mihirbhoj ki jay ho 🙏🙏🙏🙏
Kshatriya raja mihir bhoj ki jay.
Jai rajputana ❤
Gurjar sthanvachak word h na ki jaativachak . And there is no proofs which claims gurjar pratihar was non rajput caste .
गुर्जर वंश के शिलालेख)????
नीलकुण्ड, राधनपुर, देवली तथा करडाह शिलालेख में प्रतिहारों को गुर्जर कहा गया है ।राजजर शिलालेख” में वर्णित “गुर्जारा प्रतिहारवन” वाक्यांश से। यह ज्ञात है कि प्रतिहार गुर्जरा वंश से संबंधित थे।
ब्रोच ताम्रपत्र 978 ई० गुर्जर कबीला(जाति)
का सप्त सेंधव अभिलेख हैं
पाल वंशी,राष्ट्रकूट या अरब यात्रियों के रिकॉर्ड ने प्रतिहार शब्द इस्तेमाल नहीं किया बल्कि गुर्जरेश्वर ,गुर्जरराज,आदि गुरजरों परिवारों की पहचान करते हैं।
बादामी के चालुक्य नरेश पुलकेशियन द्वितीय के एहोल अभिलेख में गुर्जर जाति का उल्लेख आभिलेखिक रूप से हुआ है।
राजोरगढ़ (अलवर जिला) के मथनदेव के अभिलेख (959 ईस्वी ) में स्पष्ट किया गया है की प्रतिहार वंशी गुर्जर जाती के लोग थे
नागबट्टा के चाचा दड्डा प्रथम को शिलालेख में “गुर्जरा-नृपाती-वाम्सा” कहा जाता है, यह साबित करता है कि नागभट्ट एक गुर्जरा था, क्योंकि वाम्सा स्पष्ट रूप से परिवार का तात्पर्य है।
महिपाला,विशाल साम्राज्य पर शासन कर रहा था, को पंप द्वारा “गुर्जरा राजा” कहा जाता है। एक सम्राट को केवल एक छोटे से क्षेत्र के राजा क्यों कहा जाना चाहिए, यह अधिक समझ में आता है कि इस शब्द ने अपने परिवार को दर्शाया।
भडोच के गुर्जरों के विषय दक्षिणी गुजरात से प्राप्त नौ तत्कालीन ताम्रपत्रो में उन्होंने खुद को गुर्जर नृपति वंश का होना बताया
प्राचीन भारत के की प्रख्यात पुस्तक ब्रह्मस्फुत सिद्धांत के अनुसार 628 ई. में श्री चप
(चपराना/चावडा) वंश का व्याघ्रमुख नामक गुर्जर राजा भीनमाल में शासन कर रहा था
9वीं शताब्दी में परमार जगददेव के जैनद शिलालेख में कहा है कि गुर्जरा योद्धाओं की पत्नियों ने अपनी सैन्य जीत के
परिणामस्वरूप अर्बुडा की गुफाओं में आँसू बहाए।
। मार्कंदई पुराण,स्कंध पुराण में पंच द्रविडो में गुर्जरो जनजाति का उल्लेख है।
अरबी लेखक अलबरूनी ने लिखा है कि खलीफा हासम के सेनापति ने अनेक प्रदेशों की विजय कर ली थी परंतु वे उज्जैन के गुर्जरों पर विजय प्राप्त नहीं कर सका
सुलेमान नामक अरब यात्री ने गुर्जरों के बारे में साफ-साफ लिखा है कि गुर्जर इस्लाम के सबसे बड़े शत्रु है
जोधपुर अभिलेख में लिखा हुआ है कि दक्षिणी राजस्थान का चाहमान वंश गुर्जरों के अधीन था
कहला अभिलेख में लिखा हुआ है की कलचुरी वंश गुर्जरों के अधीन था
चाटसू अभिलेख में लिखा हुआ है की गूहिल वंश जोकि महाराणा प्रताप का मूल वंस है वह गुर्जरों के अधीन था
पिहोवा अभिलेख में लिखा हुआ है कि हरियाणा का शासन गुर्जरों के अधीन था
खुमाण रासो के अनुसार राजा खुमाण गुर्जरों के अधीन था
भिलमलक्काचार्यका ब्रह्मा स्फूट सिद्धांत
उद्योतनसुरी की कुवलयमाला कश्मीरी कवि कल्हण की राजतरंगिणी
प्रबन्ध कोष ग्रन्थ व खुमान रासो ग्रंथ के अनुसार गुर्जरों ने मुसलमानों को हराया और खुमान रासो
राम गया अभिलेख
बकुला अभिलेख
दौलतपुर अभिलेख
गुनेरिया अभिलेख
इटखोरी अभिलेख
पहाड़पुर अभिलेख
घटियाला अभिलेख
हड्डल अभिलेख
रखेत्र अभिलेख
राधनपुर और वनी डिंडोरी अभिलेख
राजशेखर का कर्पूर मंजरी ग्रंथ, काव्यमीमांसा ग्रंथ ,विध्दशालभंजिका ग्रंथ
कवि पंपा ,
जैन आचार्य जिनसेन की हरिवंश पुराण आदि के द्वारा दिया गया
Jay Ho Gurjar pratihar Samrat Mihir Bhoj
Very nice video..Aaj pta chala asli itihas..thanks sir..
Rajput Samrat Mihir bhoj Pratihar
Jay Rajputana
मलेच्छ आक्रमणकारी मुस्लिमो के लिए प्रयोग किया जाने वाला शब्द है। उस से पहले तक यवन कहा जाता था।
सम्राटो के सम्राट चक्रवर्ती सम्राट "असोक" समूचे विश्व के एकमात्र अद्वितीय महानतम सम्राट है
विश्व मे भारत की पहचान अद्वितीय चक्रवर्ती सम्राट असोक के नाम से है
नमो बुद्धाय
जय सम्राट असोक
जय भीम
🙏🙏🙏
आपकी वाणी अद्वितीय है
क्षत्रिय राजपूत चक्रवर्ती सम्राट मिहिर भोज प्रतिहार
Good very good
राजपुताना में शामिल होने वाला सबसे पहला राजवंश गुर्जर-प्रतिहार था। अब तुम ही देखो गुर्जर स्थान वाचक है या जाति वचक। हिसाब से देखा जाए तो प्रतिहार राजपूत थे।
Bhai sahab bilkul sahi jaankari di aap ne
Rajput hi kshatriya hai asli Bhai
गुर्जर एक क्षेत्रवाचक शब्द है इस कारण खिलजी , दयानंद सरस्वती , महात्मा गांधी , जिन्ना , अकबर आदि को भी गुर्जर लिखा गया है ।
क्षत्रिय सम्राट मिहिर भोज प्रतिहार ❤❤🚩🚩💪💪💪💪
सम्राट महिर भोज ये राजपुत क्षत्रिय थे जय राजपुताना
Somnath Temple par ek video bnaye sir plzzzzzz
नागभट्ट के वंशज , मतलब ब्राम्हण ? एक गुजर गुट इसवी पूर्व से था , उनके बारे मे संशोधन जरुरी है !
जय गुर्जर सम्राट माहिर भोज 🚩🚩🚩
Rajput Shabd jo hai vah 13वीं Shatabdi Mein Aaya Hai Aap please provide the name book jismein 950 isvi Mein Rajput shabda hai
गुर्जर प्रतिहार वंश से थे मिहिर भोज
Right information
Wo sab tik hai par jab gujar pihar vans tha tab aaj ki gujar jati ko kiya bolte hai itihas sab ke samnay aajaye ga or aaj ki gujar jati ne kitni bar Nam bdla hai
Jay rajputana
Sahi jankari
700 ई. से 1200 ई. तक काल काल राजपूत काल है
😂😂😂😂
Bilkull Kai Itihas Karo me Is Kal Ko Rajput kaal Hi Kaha hai Munot Naynsi,Gs Ojha etc
महापुरूष कभी किसी जाति के नहीं होते बल्कि वे मानव समाज के लिए कार्य करते हैं अतः सम्पूर्ण समाज को प्रेरणा देने वाले सभी समाज की विरासत होते हैं,ये ओर भी अच्छा है कि हमारे समाज की ,देश की रक्षा करने वाले वीर उत्पन्न करने वाली जातियां, क्षत्रिय ओर गूर्जर दोनों ही उनको सम्मल्लित
विरासत माने ,विवाद के स्थान पर सब मिलकर उन्हें प्रेरणा लें।हम सब मिलकर समाज को ऊंचा ऊठायें। इतिहास में हमारे विवादों, अनावश्यक अंहकार के कारण समाज की हुई क्षति से हम सभी को सबक लेकर आगे बढ़ना चाहिए।🙏🎉
Good sir 👌👍
Jai gurjar samrat mihirbhoj ji🙏🙏
Ncrt book me hai our padaya jata haimahir bhoj gugar gugar hai
Good
bht bht Dhanyabad sir
Sir please bharat ka savidhan padaeye na....🙏🙏🙏🙏for compatative exam
Chaar vansh search Karo chalukya chauhan pratihar parmar
GREAT 👍
WE ARE STAR DUST
WE ARE PRITHVIVANSHI
Sir'Can you translate your speach in english or urdu or in romin urdu if it possible please do it thanks.If you can write your trancript in english or urdu or in romun urdu please do it because many many gurjar in northen who not understand the hindi will be helpful to them to undestand thus your priseless lecture thanjs.
मिहिर भोज जी केवल गुर्जर प्रतिहार थे l
जय हो राजपुत क्षत्रिय सम्राट महिर भोज जी की जय हो
Jai ho gurjar samrath mihir bhoj
.Pahele Gurjar Pratihaar Pashupalak likhe, Phir Gurjar Pratihar Harishchandra Brahmin likhe,ye etihas karo ki kami hai,ab Rajput kaha ja raha hai , Jab Gurjar Pratihaar Vansh va Pal Vansh va Rastrakoot Vansh , Kannoj par ladai ker rahe the ,Tab Rajput Jati ka uday bhi nahi hua tha ,ye etihaskaro ki kami hai ye paise leker ke etihas ko ulta seedha likhte hai ,sahi yahi hai ki Gurjar Pratihar Pashupalak the ,
रबारी (राह-बाड़ी) और गुर्जर (गुर-जर) दोनों एक दूसरे से पूरक हैं। रबारी एक फारसी शब्द हैं और गुर्जर एक मंगोलियन भाषा है। जिसका मतलब होता "घुमंतू " पशुपालक जो चरागाह के खोज में सर्दी में दक्षिणी एशिया में आ जाते थे और गर्मी में उत्तरी एशिया में चल जाते थे। गुर्जर-जात जो पशुपालक पशुपालन के साथ खेती के काम भी करता था। आगे जात शब्द "जाट" बन गया।
सही जानकारी
Rajput samrat mihirbhoj pratihar ki jay ho
Gurjar Samrat Mihirbhoj Partihar ki... jai 👈
Gurjar logo ka Gurjar Desh tha 🏇🚩
Bhartiyo ka Bharat Desh h 🏇🚩
Please make saparate video on Somnath temple
Jay Gurjar Samrat
सही
जानकारी दी
Sir gurjar caste ka ulllekh first time aihol abhilekh me milta h jo Raja pulekisian 2ne banwaya tha
भाई तुम समझते नही हो पहले जो सूर्यवंशी ओर चन्द्रवंशी क्षत्रिय राजा जिनके वंशज कालान्तर मे 36 राजवंश मे बंटे हुए थे उनके वंशजो को राजपुत्र यानि की राजा के पुत्र यानि राजकुमार Prince आदि नामो से राजपूत बोला जाने लगा।।। पहले जो क्षत्रिय होते थे ऊनके नाम के पीछे सिंह शब्द भी नही लगता था जैसे राजा राम राजा कृष्ण महाराणा प्रताप पृथ्वीराज चौहान राणा सांगा राणा कुम्भा राणा हम्मीरदेव आदि सिंह नाम का प्रयोग कालान्तर मे किया जाने लगा।।।
गुर्जर शब्द शब्द का प्रयोग स्थानवाची जोकि 8 सदी बाद गुजर्त्रा जो कि राजस्थान के दक्षिण पश्चिम भाग बाडमेर जालोर जोधपुर ओर गुजरात का भाग जिस पर प्रतिहार शासको ने अपनी विजय पताका हासिल की।।जिसके के कारण उनको स्थानीय ओर विदेशी लेखको ने गुर्जर या जूर्ज राजा की उपाधी दी गयी।।
आज की वर्तमान रियासतो मे इनके वंशज राज कर रहे है
समन्दसर
नागोद
मालवाडा
खानैती
त्रिठलू
अलीपुरा
इनरियासत मे जाके उनके आप बोलना की आप गूजर है तो आपको वो क्या जबाज देते है ।।इनके पास सब वंशावली सुरक्षित रखी हुई है।।।
Jai rajputana jai bhawani
Gujjar pratihar samrat mihir bhoj ki jai 🙏🙏
Chamar jaati ka itihaas or ant par ak video banaye
Mihir bhoj rajpoot hi the kyo ki inke rajya ko jo kshetra hai wahan
To gujjaro ki shankhaya bahut Kam hai.enka jo rajya kshetra hai wahan to rajpooto ki sankhya jyada hai
Rajput cast h hi nahi gujjar cast h
Rajput jati me 1:- Pratihar ya Parihar ,
2:- Pramar ya Parmar ,
3:- Chahman ya Chauhan,
4:- Chalukya ya Solanki va Baghel,
Ye charo Agni Vanshi hai ,ye Surya Vanshi nahi hai ,
Gurjar Pratihar Surya Vanshi hai ,
Isliye ye Rajput nahi hai ,
Jay Hind
Jay Bharat
Haaaaa Jai shree Ram 🚩🚩🚩🚩
Gurjar Samrat Mihir Bhoj Mahan
I am Parihar 🚩 haaaaaa 🙏
राजपूत शब्द बाद मे आया
Truth information
जय जय श्री गुर्जरात्रा 😊😅❤😊😅😊
सर कोलिय गण के बारेमे बताये ये लोग आज कौन है
जय राजपुत सम्राट महिर भोज प्रतिहार
आज कल अपने आप को गुर्जर बताने वाले 5 साल पहले गुजर या गूजर बताते हैं अपने आप को। जिस तरह हरियाणा की व्यक्ति हरियाणवी, पंजाब की व्यक्ति पंजाबी उसी तरह गुर्जरत्रा का व्यक्ति गुर्जर होता है