24 July 2024
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- เผยแพร่เมื่อ 4 ต.ค. 2024
- दोस्तों मैं चतुर्थ केदार श्री रुद्रनाथ जी की यात्रा के लिए गया परंतु यात्रा आरंभ किए जाने वाले सागर गांव के बारे में जानकर आश्चर्यचकित हो गया,इसी अनुभव और सनातनी गौरवपूर्ण इतिहास को आपके सम्मुख रखने का प्रयास कर रहा हूं।
आशा करता हूं कि आपको पसंद आयेगा।
Jay Shri Ram,
बहुत अच्छी जानकारी दी आपने बहुत बहुत धन्यवाद आपका बड़े भाई साहब, 🙏🙏
Bahut badiya Sir
बहुत ही सुंदर भारती ज़ी आपकी यात्रा सुगम और सफल रहे।👍🙏
Adhbhut 🙏🏻🙏🏻
🙏🌹ati sundar
महर्षि च्ववन नाम था जी उनका जिन्होंने सगर की माता का उपचार कर उनको गर सहित जन्म में सहायता की थी वाल्मीकि रामायण और श्रीमद भागवत महापुराण में तो यही दिया हुआ है सर 😊
सहायता की होगी परंतु आश्रम औरव ऋषि जी का ही था।
और्व हिन्दू पौराणिक ग्रन्थों और मान्यताओं के अनुसार प्राचीन समय के तपस्वी ऋषि च्यवन के पुत्र थे। महर्षि च्यवन एक महान् ऋषि थे, जिनका विवाह आरुषी से हुआ था, जिससे उन्हें 'और्व' नामक पुत्र प्राप्त हुआ था। और्व को 'ऊर्व' नाम से भी जाना जाता था।
@@vyyaasजानकारी देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद,आप जैसे सहयोगियों की सहायता से अपने इतिहास की सच्चाइयों को उजागर किया जा सकता है।