वाल्मीकि के जाति पर नया अनुसन्धान: अनुसन्धानक -आचार्य डॉ मदन पति त्रिपाठी

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  • เผยแพร่เมื่อ 3 ก.พ. 2025

ความคิดเห็น • 16

  • @gopalupadhyay8142
    @gopalupadhyay8142 18 วันที่ผ่านมา +1

    Satya Hai

    • @mptripathi2237
      @mptripathi2237  18 วันที่ผ่านมา

      Heartiest thanks to you so much

  • @mptripathi2237
    @mptripathi2237  16 วันที่ผ่านมา

    आपने यह जानना चाहा है कि वर्ण-व्यवस्था कब शुरू हुई तो वर्ण-व्यवस्था अति प्राचीन वैदिक काल से ही प्रारंभ थी जिसका पुष्ट तथा विकसित रूप पौराणिक काल में दिखने लगा था, यह मैं ऐसे ही नहीं बल्कि साक्ष्यों और प्रमाणों के आधार पर कह रहा हूं। इसके प्रमाण मे ऋग्वेद के अति प्राचीन पुरुष सूक्त को प्रस्तुत कर रहा हूं -
    " ब्राह्मणो$स्य मुखमासीद् बाहूराजन्य: कृत: ।
    ऊरू तदस्य यद् वैश्य: पद्भ्याम् शूद्रो$जायत ।।
    इसके अतिरिक्त इस वर्ण-व्यवस्था का उल्लेख विभिन्न ग्रन्थों, पुराणों तथा उपनिषदों आदि में भी पर्याप्त रूप से मिलता है। उदाहरणार्थ श्रीमद्भगवद्गीता में भगवान श्रीकृष्ण स्वयं अपने श्रीमुख से वर्ण-व्यवस्था के बारे में कहते हैं -
    " चातुर्वर्ण्य मया सृष्टा गुणकर्मविभागश:"

  • @mptripathi2237
    @mptripathi2237  8 วันที่ผ่านมา

    आप तिलमिला कर गलत बात या ग़लत आरोप लगा रहे हैं।

  • @anilkumarverma8813
    @anilkumarverma8813 17 วันที่ผ่านมา

    वे शुद्र थे और शुद्र ही रहेंगे।

    • @mptripathi2237
      @mptripathi2237  17 วันที่ผ่านมา

      अपने अतार्किक और अनुचित हठधर्मिता के आगे किसी सत्य तथ्य को न सुनना और न मानना, इसका तो सौम्यता की भाषा में कोई जवाब नहीं है। क्योंकि इसका जवाब तो सिर्फ "शठे शाठ्यं समाचरेत्" ही है ।

  • @anilkumarverma8813
    @anilkumarverma8813 17 วันที่ผ่านมา

    बाल्मीकि जाती अनुसूचित जाति में आते हैं।इसी समुदाय में बाल्मीकि मुनि का जन्म हुआ था।

    • @mptripathi2237
      @mptripathi2237  17 วันที่ผ่านมา

      आपके वक्तव्य के सन्दर्भ में मेरे निम्न तथ्य द्रष्टव्य हैं ---
      1-महर्षि वाल्मीकि के समय में"अनुसूचित जाति" नाम की कोई जाति ही नहीं थी। फिर उनके अनुसूचित जाति के होने का कोई प्रश्न ही नहीं उठता ।
      2-वाल्मीकि के समय में मुख्य रूप से चार जातियां थीं - ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, शूद्र और सम्बंधित उपजातियां।
      3- किसी व्यक्ति के नाम पर जाति नहीं होती है। इस तरह तो मोहन जाति,सोहन जाति,करीम जाति आदि सभी जातियां ही बन जायेंगी।
      4- वाल्मीकि के बारे में कोई भी प्राचीन लिखित साक्ष्य या प्रमाण यह प्रमाणित नहीं करता कि वह जंगली उपजातियों या वर्तमान में तथाकथित दलित जाति के थे।
      5-वाल्मीकि-रामायण तथा वाल्मीकि के समय के त्रेताकालीन तथा अन्य सभी प्राचीन इतिहासों और पुराणों के लिखित साक्ष्यों व प्रमाणों से उनका ब्राह्मण होना ही सिद्ध होता है,जो पूर्णतः असन्दिग्ध है।

    • @balinderbhumbak8279
      @balinderbhumbak8279 17 วันที่ผ่านมา

      आपको इतिहास का बिल्कुल भी ज्ञान नहीं है.
      पहले वर्ण व्यवस्था होती ही नहीं थी, और ना ही कोई जाति व्यवस्था होती थी. आपको ज्ञान नहीं है.
      आप घिसी पिटी बातें, सोशल मीडिया से पढ़ कर बता रहे हो।
      यह बात सिद्ध हो चुकी है कि महर्षि वाल्मीकि जी का वाल्मीकि समाज के साथ अटूट संबंध है।

  • @balinderbhumbak8279
    @balinderbhumbak8279 18 วันที่ผ่านมา

    आपने कोई भी गहन रिसर्च नहीं की।
    महर्षि वाल्मीकि जी के टाइम पर जाति पाती होती ही नहीं थी।

    • @mptripathi2237
      @mptripathi2237  17 วันที่ผ่านมา

      @@balinderbhumbak8279 "महर्षि वाल्मीकि जी के टाईम पर जाति -पाति नहीं होती थी"ऐसी बात तो कोई साधारण अज्ञानी नहीं बल्कि महा अज्ञानी व्यक्ति ही कह सकता है। क्योंकि स्वयं राम भी क्षत्रिय वंश में उत्पन्न हुए थे।उस समय वर्ण-व्यवस्था केवल थी ही नहीं अपितु समाज में पूरी तरह लागू था,यह केवल मैं नहीं अपितु सभी इतिहास और पुराण कहते हैं और वे इसके प्रबल साक्षी हैं। रही बात कि मैंने कोई गहन रिसर्च नहीं किया है तो इसका निर्णय आप जैसा अज्ञानी नहीं विद्वत्जन ही कर सकते हैं। धन्यवाद।

    • @balinderbhumbak8279
      @balinderbhumbak8279 17 วันที่ผ่านมา

      आपको इस बात का ज्ञान ही नहीं है कि बाद के लेखकों ने रामायण के अंदर बहुत ज्यादा चेंज कर दिया।

    • @mptripathi2237
      @mptripathi2237  16 วันที่ผ่านมา

      ​@@balinderbhumbak8279आप ही जैसे लोग थे, जो मनुस्मृति जलाये थे,तो ऐसे व्यक्तियों की भी कमी नहीं जो वाल्मीकि रामायण के किसी चैप्टर को निकाल कर और किसी चैप्टर को जोड़कर आप जैसी बातें कह कर अपना उल्लू सीधा करना चाहते हैं।

    • @balinderbhumbak8279
      @balinderbhumbak8279 16 วันที่ผ่านมา

      आप मनुस्मृति को मानने वाले व्यक्ति हो

  • @balinderbhumbak8279
    @balinderbhumbak8279 17 วันที่ผ่านมา

    यह इस व्यक्ति को कोई भी ज्ञान नहीं है.
    महर्षि वाल्मीकि जी का संबंध वाल्मीकि समुदाय के साथ है

    • @mptripathi2237
      @mptripathi2237  16 วันที่ผ่านมา

      @@balinderbhumbak8279 उस व्यक्ति को आप कह रहे हो कि "यह इस व्यक्ति को कोई भी ज्ञान नहीं है"जो व्यक्ति पी एच् डी की डिग्री प्राप्त है।कई विषयों में आचार्य है। तथा भारत सरकार द्वारा अपने ज्ञान के लिए पुरस्कृत तथा सम्मानित है । यदि कोई व्यक्ति आपके अज्ञान का समर्थन न करे तो वह व्यक्ति अज्ञानी है? आपके बहुत से ऐसे सवाल जो आपने आक्रोश में आकर अभद्रतापूर्ण ढंग से पूछा है और जो ऊलूल -जलूल बेकार के बिल्कुल बचकाना सवाल थे, मैंने उन्हें सिरे से खारिज कर दिए हैं। अपनी गलत बात पर अड़े रहना, आक्रोशपूर्ण बातें करना, किसी के तर्क, साक्ष्य और प्रमाण को न सुनना, यह सब जो आप में है,यह सब मनुष्य के नहीं मनुष्येतरों के लक्षण हैं।