Masha Allah... Mufti sahab ne buht hi achi baat batai or buht gor karne wali baat hai, Islam me phr bhi mouqa dya jata hai, Lkn country k kanoon me koi mouqa nhi milta,... saza ho hi jati hy.....
Science ne na to earth,banaya or Nahi sun,moon,ok. ... Mai pagal nhi hu ki God ko na Manu...aap time ko loss na Kare.....logo ko gumrah Karne me....aap science padhe...ok
Oh bhai 😂 jinki misaly ap dy rahy hain wo country k law ki violation ki punishment hain or saza e mout unmay sy b koi nhi hai. Apki bat is k brabar tab hoti jab duniya ka koi b mulak chorny py saza e mout dayta. Or wasy b agar ye qanon kl ko koi hindu ya Christan state bna lyn k humra muzab chor k Muslims hony waly ki saza mout hai to wahai py rona dona shuru hojay ga apka
Ye law sirf Muslim me hi 1400 phle se tum log koi bhi law tumhara apna nhi hi logo ko dekh ke daily law bnakar Tod dete ho tum log Ager tum muslim se non muslim bnte ho to ye bat apne dil me rkho kisi ko btao nhi publicly Apke uper koi sja nhi hogi
Please arrange debate with purshottam kulshrest he is misqouting wrong hadis and translating koran. Anybody have mifti sahab number please call and speak with him.
@@narendrasingh-fn4cg mahendra paal ko 2004 me zakir naik ne invite kiya tha wo bhaag gya tha.. Or challenge dene se nhi hota hai. Or mahendra pal arya ek jaahil aadmi hai jiska jawaab to me khud deta hun or usko challenge v kiya hai mene.. Camere ke saamne mujhse debate kar le wo
@@bradleypitt5533 तो ठीक है आप ही हमें इस्लाम समझा दीजिए कि क्या अन्य देशों में मुसलमानों को उनको धार्मिक रीति से कार्य करने देना चाहिए या उस पर प्रतिबंध लागू कर देना चाहिए?? अर्थात क्या कोई भी गैर मुस्लिम देश अपने यहां के मुसलमानों को भी उनकी धार्मिक स्वतंत्रता की आजादी नहीं देना चाहिए??
कुरआन क्या है ? क़ुरआन ईश-वाणी अर्थात ईश्वर की वाणी है ( वह ईश्वर जो एक है, जिसको किसी की आवश्यकता नहीं पड़ती, जिसके पास न माता पिता है न संतान, न उसका कोई भागीदार है) उस ईश्वर ने मानव को अपनी सृष्टी के एक कोने धरती पर बसाया तो उसको जीवन बिताने के नियमों से भी अवगत किया वैसे ही जैसे कोई कम्पनी कोई सामान तैयार करती है तो उसके प्रयोग करने का नियम भी बताती है। अतः उसने मानव मार्गदर्शन हेतु हर युग और हर देश में मानव में से ही कुछ संदेष्टाओं को भेजा जिन में से अधिक संदेष्टाओं पर ग्रन्थ भी उतारा ताकि संदेष्टा उसके द्वारा मानव को अपने पैदा किए जाने के उद्धेश्य से अवगत करते रहें। सब से अन्त में ईश्वर ने मानव के लिए अन्तिम संदेष्टा मुहम्मद सल्ल0 को "विश्व नायक" बनाकर भेजा और उन पर " क़ुरआन " अवतरित किया जो सम्पूर्ण मानव का मार्गदर्शक है। क़ुरआन अरबी भाषा में "आकाशीय दूत" (ईश्वरीय आदेशों के पालन हेतु प्रकाश से पैदा की गई जाति जिनको "फरिशता" कहते हैं जो ईश्वर के अधीन होते हैं ) जिब्रील के माध्यम से अन्तिम ईश्दुत मुहम्मद सल्ल0 पर 23 वर्ष की लम्बी अवधि में थाड़ा थोड़ा करके अवतरित हुआ। न तो इसे मुहम्मद सल्ल0 ने लिखा है और न ही आपके किसी साथी का उसमें कोई हस्तक्षेप रहा है। क़ुरआन जैसे जेसे अवतरित होता मुहम्मद सल्ल0 अपने अनुभवि लिपिक से अपनी निगरानी में लिपिबद्ध करवा लेते। फिर उसे सुनते और साथियों को संठस्थ करा देते। इस प्रकार क़ुरआन मुहम्मद सल्ल0 की मृत्यु से पूर्व ही पूर्ण रूप में संकलित हो गया तथा संकलन कर्म भी ईश्वर के आदेशानुसार हुआ। मुहम्मद सल्ल0 का उसमें कोई हस्तक्षेप नहीं रहा। क़ुरआन का यह सब से बड़ा गुण है कि इसके लेखन कोई इनसान नहीं बल्कि स्वयं अल्लाह की ओर से अवतरित हुआ है। अगली पोस्ट में हम बताएंगे कि अन्य धार्मिक ग्रन्थों की तुलना में क़ुरआन की विशेषताएं क्या हैं। तब तक के लिए अनुमति दीजिए, धन्यवाद।
कुरआन के संख्यात्मक चमत्कार क़ुरआन ईश्वर की ओर से अवतरित सम्पूर्ण मानव के लिए एक उत्तम उपहार और रहती दुनिया तक के लिए एक महान चमत्कार है। क़ुरआन स्वयं घोषणा करता हैः "आप कह दीजिए कि यदि प्रत्येक मानव तथा सारे जिन्नात मिल कर इस क़ुरआन के समान लाना चाहें तो उन सब के लिए इसके समान लाना असम्भव है। यधपि वह (परस्पर) एक दूसरे के सहायक भी बन जाएं।" (सूरः बनी इस्राईल 17 आयत 88) क़ुरआन उस अल्लाह की वाणी है जो संसार का उत्पत्तिकर्ता, शासक और ज्ञानी है। जो लोगों के वर्तमान अतीत और भविष्य का जानने वाला है। क़रआन का चमत्कार रहती दुनिया तक बाक़ी रहेगा। प्रतिदिन नवीन शौध के आधार पर क़ुरआन से सम्बन्धित अदभूत प्रकार की चमत्कारियाँ हमारे समक्ष प्रकट हो रही हैं। उन चमत्कारियों में से एक कुरआन के शब्दों में संख्यात्मक समानताओं का पाया जाना है जो स्पष्ट प्रमाण हैं कि कुरआन पृथ्वी व आकाश के सृष्टिक्रता की ओर से अवतरित किया हुआ महान ग्रन्थ है। क़ुरआनी शब्दों में समानताओं और चमत्कारियों का पाया जाना वास्तव में बड़ा आश्चर्यजनक विषय है। मुसलमान विद्वानों ने नवीनतम सांख्यिकीय उपकरण और कंप्यूटर के माध्यम से आज के आधुनिक युग में इस गणितीय चमत्कार को मानव के सामने पेश किया है। यह चमत्कार संख्या पर आधारित है और आँकड़े स्वयं बालते हैं जिसे न चर्चा का विषय बनाया जा सकता है और न ही इसका इनकार किया जा सकता है। अल्लाह ने चाहा कि शब्दों का यह चमत्कार आज के युग में उदित हो ताकि प्रगतिशिल लोगों के लिए क़ुरआन विश्वास का आधार बने। क़ुरआन कहता हैः " हम अवश्य उन्हें अपनी निशानियाँ धरती व आकाश में देखाएंगे और स्वयं उनकी अपनी ज़ात में भी यहाँ तक कि उन पर खुल जाए कि सत्य यही है।" ( हा मीम सज्दा 41 आयत 53) तो लीजिए यह हैं कुछ क़ुरआन के संख्यात्मक आंकड़ेः क़ुरआन में कुछ शब्द ऐसे हैं जो अपने समान शब्द अथवा अपने से विलोम शब्द के साथ दोहराए गए हैं उदाहरण के लिए देखिएः हयात (जीवन) 145 बार दोहराया गया है .......... तो मौत 145 बार ही दोहराया गया है। सालिहात (नेकियाँ) 167 बार दोहराया गया है ....... तो सय्येआत (बुराइयाँ) 167 बार ही दोहराया गया है। दुनिया 115 बार दोहराया गया है......... तो आखिरत 115 बार ही दोहराया गया है। मलाईकः (स्वर्गदूतों) 88 बार दोहराया गया है .......... तो शैतान 88 बार ही दोहराया गया है। मुहब्बः (प्यार) 83 बार दोहराया गया है...........तो ताअत ( आज्ञाकारिता) 83 बार ही दोहराया गया है। हुदा (मार्गदर्शन) 79 बार दोहराया गया है ...........तो रहमत (दया) 79 बार ही दोहराया गया है। शिद्दत (तीव्रता) 102 बार दोहराया गया है .......... तो सब्र (धैर्य) 102 बार ही दोहराया गया है। अस्सलाम (शांति)50 बार दोहराया गया है .......... तो तय्येबात (पाकीज़गियाँ) 50 बार ही दोहराया गया है। इब्लीस (शैतान) 11 बार दोहराया गया है ......... तो अल्लाह से शरण मांगना 11 बार ही दोहराया गया है। जहन्नम (नरक) और उसके डेरिवेटिव 77 बार दोहराया गया है ....... तो जन्नत (स्वर्ग) और उसके डेरिवेटिव 77 बार ही दोहराया गया है। अर्र-जुल (पुरुष) 24 बार दोहराया गया है ......... तो अल-मरअः (स्त्री) 24 बार ही दोहराया गया है। क़ुरआन में कुछ शब्द ऐसे हैं जिनके बीच संतुलित और सटीक रूप में सांख्यिकिय बराबरी पाई जाती हैः उदाहरण-स्वरूप साल में 12 महीने होते हैं ............ तो शह्र ( महीना) 12 बार ही दोहराया गया है साल में 365 दिन होते हैं तो शब्द यौम (दिन) 365 बार ही दोहराया गया है। अब हमें बताईए कि क़ुरआन के शब्दों की संख्याओं में भी इस प्रकार संतुलन का पाया जाना क्या यह स्पष्ट प्रमाण नहीं कि यह ग्रन्थ मानव रचित नहीं अपितु संसार के सृष्टा की ओर से अवतरित किया हुआ है। संदर्भ: (1) मोजज़तुल-अरक़ाम वत्तरक़ीम फील क़ुरआनिल करीम- (पवित्र कुरआन के संख्यात्मक चमत्कार) अब्दुल रज्जाक नौफल - - दारल-किताब अल-अरबी 1982 (2) अलइजाज़ अल-अददी लिलक़ुरआन अल-करीम (पवित्र कुरआन के संख्यात्मक चमत्कार) : अब्दुल रज्जाक
Masha Allah...
Mufti sahab ne buht hi achi baat batai or buht gor karne wali baat hai, Islam me phr bhi mouqa dya jata hai, Lkn country k kanoon me koi mouqa nhi milta,... saza ho hi jati hy.....
Bahat bahat sukria mufti sahab Allah appko qabol farmaye aamin
اللہ تعالی آپ کو جزاء خیر عطاء فرمائے امین ٹم امیں بھت ھی صیح کلام ھے 🌹✔🇮🇳✔🌹
Alhamdulillah.....bohut achha laga
ماشاءاللہ ماشاءاللہ
بہت خوب مفتی صاحب !
Bhutkhub masahallah subhanallah
Masha Allah
Bahut Bahut Bahut Behtareen....Iss Topic Per Aaj Pahli Baar Itna Achchha Jawab Sunn Raha Hu....Allah Aap Ko Salamat Rakhe...Aamen
Zabardast Mufti Sahab
Alhamdulillah
GREAT INFORMATION
bahut khub mufti sahab
allah ap ki umar ko aur draz kare
Dislike krne wale murtad hi honge... 😀
جزاك الله
Mashaallah
Sukriya
Mashallah Bahut Ache Se Samjhe Sahab
Mufti sahab me aapka program pabandi ke sath suntan hun
Thanks Bhai...
Science ne na to earth,banaya or Nahi sun,moon,ok. ... Mai pagal nhi hu ki God ko na Manu...aap time ko loss na Kare.....logo ko gumrah Karne me....aap science padhe...ok
Who are you Aadmi mazhab manne ke liye free hona chahiye iska matlab ye he ki ye saza sirf Islamic state me milegi
Buhat acha mera mind Mai v galat Fahmy tha
That is a goof point.
mufti sahb
agar is k shak shubhaat clear na ho to?
Every one justifies his fault in comparison with others.
Asalamalaikum Sahab
Assalamualaikum
If a person does not love life then what these laws meant to him?
Quran mai kaha likha hai ke Murtad ki saza Moat hai
What is your responsibility in helping one individual to live?
Hinid me bol
Where is respect for individuality ?
***Propaganda Phelany Walon Se Bi Debet Karen***
Oh bhai 😂 jinki misaly ap dy rahy hain wo country k law ki violation ki punishment hain or saza e mout unmay sy b koi nhi hai. Apki bat is k brabar tab hoti jab duniya ka koi b mulak chorny py saza e mout dayta. Or wasy b agar ye qanon kl ko koi hindu ya Christan state bna lyn k humra muzab chor k Muslims hony waly ki saza mout hai to wahai py rona dona shuru hojay ga apka
Ye law sirf Muslim me hi 1400 phle se tum log koi bhi law tumhara apna nhi hi logo ko dekh ke daily law bnakar Tod dete ho tum log
Ager tum muslim se non muslim bnte ho to ye bat apne dil me rkho kisi ko btao nhi publicly
Apke uper koi sja nhi hogi
Please arrange debate with purshottam kulshrest he is misqouting wrong hadis and translating koran. Anybody have mifti sahab number please call and speak with him.
आपके सभी तर्क निरर्थक एवं वाहियात है
तुम्हारा दिल जानता है
😂 jab jawaab nhi hota na to yahi kehte h tere jaise log
@@bradleypitt5533 इस मुल्ले को बोलिए कि यह महेंद्र पाल आर्य का डाउट क्लियर कर दे ---- उन्होंने तो इस्लाम पर चैलेंज दे रखा है
@@narendrasingh-fn4cg mahendra paal ko 2004 me zakir naik ne invite kiya tha wo bhaag gya tha..
Or challenge dene se nhi hota hai.
Or mahendra pal arya ek jaahil aadmi hai jiska jawaab to me khud deta hun or usko challenge v kiya hai mene.. Camere ke saamne mujhse debate kar le wo
@@bradleypitt5533 तो ठीक है आप ही हमें इस्लाम समझा दीजिए कि क्या अन्य देशों में मुसलमानों को उनको धार्मिक रीति से कार्य करने देना चाहिए या उस पर प्रतिबंध लागू कर देना चाहिए??
अर्थात क्या कोई भी गैर मुस्लिम देश अपने यहां के मुसलमानों को भी उनकी धार्मिक स्वतंत्रता की आजादी नहीं देना चाहिए??
Backwass kar raha hai yeh molvi. Islam main mazhab change karney per koi sea nahi.
Acha hazrat aap kya islamic university of madina se farig hain😂
अबे तुम लोग की इस्लाम और कुरान क्या है
Islam or kuran ko samaj na heto mufti sahab se rabta karo
Bhai Abhi batata hu quran kiya he
Aary samjaji dhongi ye baat nhi samjh sakte
कुरआन क्या है ?
क़ुरआन ईश-वाणी अर्थात ईश्वर की वाणी है ( वह ईश्वर जो एक है, जिसको किसी की आवश्यकता नहीं पड़ती, जिसके पास न माता पिता है न संतान, न उसका कोई भागीदार है)
उस ईश्वर ने मानव को अपनी सृष्टी के एक कोने धरती पर बसाया तो उसको जीवन बिताने के नियमों से भी अवगत किया वैसे ही जैसे कोई कम्पनी कोई सामान तैयार करती है तो उसके प्रयोग करने का नियम भी बताती है। अतः उसने मानव मार्गदर्शन हेतु हर युग और हर देश में मानव में से ही कुछ संदेष्टाओं को भेजा जिन में से अधिक संदेष्टाओं पर ग्रन्थ भी उतारा ताकि संदेष्टा उसके द्वारा मानव को अपने पैदा किए जाने के उद्धेश्य से अवगत करते रहें।
सब से अन्त में ईश्वर ने मानव के लिए अन्तिम संदेष्टा मुहम्मद सल्ल0 को "विश्व नायक" बनाकर भेजा और उन पर " क़ुरआन " अवतरित किया जो सम्पूर्ण मानव का मार्गदर्शक है।
क़ुरआन अरबी भाषा में "आकाशीय दूत" (ईश्वरीय आदेशों के पालन हेतु प्रकाश से पैदा की गई जाति जिनको "फरिशता" कहते हैं जो ईश्वर के अधीन होते हैं ) जिब्रील के माध्यम से अन्तिम ईश्दुत मुहम्मद सल्ल0 पर 23 वर्ष की लम्बी अवधि में थाड़ा थोड़ा करके अवतरित हुआ। न तो इसे मुहम्मद सल्ल0 ने लिखा है और न ही आपके किसी साथी का उसमें कोई हस्तक्षेप रहा है।
क़ुरआन जैसे जेसे अवतरित होता मुहम्मद सल्ल0 अपने अनुभवि लिपिक से अपनी निगरानी में लिपिबद्ध करवा लेते। फिर उसे सुनते और साथियों को संठस्थ करा देते। इस प्रकार क़ुरआन मुहम्मद सल्ल0 की मृत्यु से पूर्व ही पूर्ण रूप में संकलित हो गया तथा संकलन कर्म भी ईश्वर के आदेशानुसार हुआ। मुहम्मद सल्ल0 का उसमें कोई हस्तक्षेप नहीं रहा।
क़ुरआन का यह सब से बड़ा गुण है कि इसके लेखन कोई इनसान नहीं बल्कि स्वयं अल्लाह की ओर से अवतरित हुआ है। अगली पोस्ट में हम बताएंगे कि अन्य धार्मिक ग्रन्थों की तुलना में क़ुरआन की विशेषताएं क्या हैं। तब तक के लिए अनुमति दीजिए, धन्यवाद।
कुरआन के संख्यात्मक चमत्कार
क़ुरआन ईश्वर की ओर से अवतरित सम्पूर्ण मानव के लिए एक उत्तम उपहार और रहती दुनिया तक के लिए एक महान चमत्कार है। क़ुरआन स्वयं घोषणा करता हैः "आप कह दीजिए कि यदि प्रत्येक मानव तथा सारे जिन्नात मिल कर इस क़ुरआन के समान लाना चाहें तो उन सब के लिए इसके समान लाना असम्भव है। यधपि वह (परस्पर) एक दूसरे के सहायक भी बन जाएं।" (सूरः बनी इस्राईल 17 आयत 88)
क़ुरआन उस अल्लाह की वाणी है जो संसार का उत्पत्तिकर्ता, शासक और ज्ञानी है। जो लोगों के वर्तमान अतीत और भविष्य का जानने वाला है। क़रआन का चमत्कार रहती दुनिया तक बाक़ी रहेगा।
प्रतिदिन नवीन शौध के आधार पर क़ुरआन से सम्बन्धित अदभूत प्रकार की चमत्कारियाँ हमारे समक्ष प्रकट हो रही हैं। उन चमत्कारियों में से एक कुरआन के शब्दों में संख्यात्मक समानताओं का पाया जाना है जो स्पष्ट प्रमाण हैं कि कुरआन पृथ्वी व आकाश के सृष्टिक्रता की ओर से अवतरित किया हुआ महान ग्रन्थ है।
क़ुरआनी शब्दों में समानताओं और चमत्कारियों का पाया जाना वास्तव में बड़ा आश्चर्यजनक विषय है। मुसलमान विद्वानों ने नवीनतम सांख्यिकीय उपकरण और कंप्यूटर के माध्यम से आज के आधुनिक युग में इस गणितीय चमत्कार को मानव के सामने पेश किया है।
यह चमत्कार संख्या पर आधारित है और आँकड़े स्वयं बालते हैं जिसे न चर्चा का विषय बनाया जा सकता है और न ही इसका इनकार किया जा सकता है। अल्लाह ने चाहा कि शब्दों का यह चमत्कार आज के युग में उदित हो ताकि प्रगतिशिल लोगों के लिए क़ुरआन विश्वास का आधार बने। क़ुरआन कहता हैः " हम अवश्य उन्हें अपनी निशानियाँ धरती व आकाश में देखाएंगे और स्वयं उनकी अपनी ज़ात में भी यहाँ तक कि उन पर खुल जाए कि सत्य यही है।" ( हा मीम सज्दा 41 आयत 53)
तो लीजिए यह हैं कुछ क़ुरआन के संख्यात्मक आंकड़ेः
क़ुरआन में कुछ शब्द ऐसे हैं जो अपने समान शब्द अथवा अपने से विलोम शब्द के साथ दोहराए गए हैं उदाहरण के लिए देखिएः
हयात (जीवन) 145 बार दोहराया गया है .......... तो मौत 145 बार ही दोहराया गया है।
सालिहात (नेकियाँ) 167 बार दोहराया गया है ....... तो सय्येआत (बुराइयाँ) 167 बार ही दोहराया गया है।
दुनिया 115 बार दोहराया गया है......... तो आखिरत 115 बार ही दोहराया गया है।
मलाईकः (स्वर्गदूतों) 88 बार दोहराया गया है .......... तो शैतान 88 बार ही दोहराया गया है।
मुहब्बः (प्यार) 83 बार दोहराया गया है...........तो ताअत ( आज्ञाकारिता) 83 बार ही दोहराया गया है।
हुदा (मार्गदर्शन) 79 बार दोहराया गया है ...........तो रहमत (दया) 79 बार ही दोहराया गया है।
शिद्दत (तीव्रता) 102 बार दोहराया गया है .......... तो सब्र (धैर्य) 102 बार ही दोहराया गया है।
अस्सलाम (शांति)50 बार दोहराया गया है .......... तो तय्येबात (पाकीज़गियाँ) 50 बार ही दोहराया गया है।
इब्लीस (शैतान) 11 बार दोहराया गया है ......... तो अल्लाह से शरण मांगना 11 बार ही दोहराया गया है।
जहन्नम (नरक) और उसके डेरिवेटिव 77 बार दोहराया गया है ....... तो जन्नत (स्वर्ग) और उसके डेरिवेटिव 77 बार ही दोहराया गया है।
अर्र-जुल (पुरुष) 24 बार दोहराया गया है ......... तो अल-मरअः (स्त्री) 24 बार ही दोहराया गया है।
क़ुरआन में कुछ शब्द ऐसे हैं जिनके बीच संतुलित और सटीक रूप में सांख्यिकिय बराबरी पाई जाती हैः उदाहरण-स्वरूप
साल में 12 महीने होते हैं ............ तो शह्र ( महीना) 12 बार ही दोहराया गया है
साल में 365 दिन होते हैं तो शब्द यौम (दिन) 365 बार ही दोहराया गया है।
अब हमें बताईए कि क़ुरआन के शब्दों की संख्याओं में भी इस प्रकार संतुलन का पाया जाना क्या यह स्पष्ट प्रमाण नहीं कि यह ग्रन्थ मानव रचित नहीं अपितु संसार के सृष्टा की ओर से अवतरित किया हुआ है।
संदर्भ: (1) मोजज़तुल-अरक़ाम वत्तरक़ीम फील क़ुरआनिल करीम- (पवित्र कुरआन के संख्यात्मक चमत्कार) अब्दुल रज्जाक नौफल - - दारल-किताब अल-अरबी 1982
(2) अलइजाज़ अल-अददी लिलक़ुरआन अल-करीम (पवित्र कुरआन के संख्यात्मक चमत्कार) : अब्दुल रज्जाक
Masha Allah