माहुँनाग तलाह || देव नृत्य चीख पड़ी महिला || Mahunag Talah Suni Shimla || Himachal Pradesh
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- เผยแพร่เมื่อ 7 ต.ค. 2024
- #माहुँनाग#तलाह #देव #नृत्य || Mahunag Talah ||
दोस्तों एक बार फिर से आपके सामने हिमाचली पहाड़ी संस्कृति की एक झलक प्रस्तुत है।
दोस्तों हमारी पहाड़ी संस्कृति से धीरे धीरे ये सभी चीजें लुप्त होती जा रही है आजकल युवा पीढ़ी इस पहाड़ी संस्कृति की और कोई विशेष ध्यान नहीं दे रही है।
पहाड़ी संस्कृति को बनाए रखने के लिये हमारे इस वीडियो को ज्यादा से ज्यादा शेयर करें।
ताकि विलुप्त हो रही इस हिमाचली पहाड़ी संस्कृति को ऐसे ही सजों कर रखा जा सकें।
Friends again show a glimpse of Himachali hill culture in front of you.
Friends, gradually all these things are disappearing from our mountainous culture. Nowadays the younger generation is not paying any special attention to this mountainous culture.
Share this video as much as possible to maintain mountain culture.
In order to keep the extinct Himachali hill culture in such a way as possible.
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TH-cam channel.. / @rjdesh
मूल माहुंनाग मंदिर करसोग
माहुंनाग जी का मंदिर जिला मंडी की तहसील करसोग मैं स्थित है । यह करसोग से 37 किलोमीटर और शिमला से वाया तत्तापानी 80 किलोमीटर की दुरी पर है ।मूल माहुंनाग का मुख्या मंदिर बखारी कोठी ग्राम पंचायत सवामाहूँ तहसील करसोग में है । इसके मुख्य 12 मंदिर है जो है नरोल में जल देवता , बनेच , राहिकोट मैं द्वाहली , बेलु में नंगा, पाली में महाकाली, शिरगल में बाण भगवती , कोट में रक्सेटा , शडोट में धुनिया , भारती , कक्नो में मशाणु , चैरा , खून , खोब तलाह भज्जी में । माहुनाग जी को दानवीर कर्ण का अवतार माना जाता है । देव बड़ेयोगी माहुंनाग जी के गुरु है । माहुंनाग मंदिर में सवा किलो सोने का मेहरा है । और चांदी के 8 छत्र है । माहुंनाग के रथ में शिरे का केवल एक ही छत्र होता है किनारे के 4 नहीं । यह मंदिर ऊँची पहाड़ी पर स्थित है । यहाँ से दूर दूर तक बहुत सी पहाड़ियां दिखाई देती है । यहाँ से शिकारी माता की पहाड़ियां भी दिखाई देती है । माहुनाग जी मूल माहुनाग के रूप में प्रसिद्ध है । महाभारत के युद्ध में अर्जुन ने छल से कर्ण का वध किया परन्तु अर्जुन का हृदय ग्लानी से भर गया । कर्ण का अंतिम संस्कार करने के लिए कर्ण का शव अर्जुन ने अपने नाग मित्रों कि सहायता से सतलुज के किनारे ततापानी के समीप लाकर यहाँ कर्ण का अंतिम संस्कार कर दिया । उसी चिता से एक नाग प्रकट हुआ और वहीँ समीप बस गया ।
आशा करते है आपको हमारा ये वीडियो पसंद आया होगा ।
Jai devta nag maharaj ji
Jai ho 🙏🏻
Jainagdevta
Jai ho
Jai deva kripa bnana sab PR prabhu♥️♥️♥️♥️
Jai ho