।।जब पीव सै परचा भया भूली तन सिणगार अब सुख बिलसै पीव को नही देह की सार ।। सार करै जो देह की तो परसण होय न कन्त । रामचरण तन मन दिया बिलसै सुख अनन्त ।। चाही मिटया चिंता गई ले सुखमणि का भोग । सुरति शब्द हिलमिल रमैं सो कहिये संजोग ।। स्वामीजी महाराज फरमाते है कि हर धर्म सम्प्रदाय के अपने अपने ड्रेस कोड है अपने अपने तिलक छाप है कंठी माला है बालों का रख रखाव है किसी ने बाल बढ़ा रखे है किसी ने साफ़ कर रखे हैं कोई तन पर वस्त्र धारण कर रखता है कोई उघाड़ा ही फिर रहा है । अपने अपने दंड कमंडल है । लोटा डोरी हरे काले नीले गेरूआ गुलाबी लाल रंगीन सफेद कपड़े पहने घूमते हैं । ये सब साधुता दरसाने का ढंग है अपने आप को परमात्मा का प्रेमी जाहिर करने के लिए है । जैसे एक विवाहिता का श्रृंगार होता है । अपने पति को रिझाने के लिए करीब करीब सभी संतो पीर फकीरो ने आत्मा की तुलना नारी से और परमात्मा की तुलना पुरुष पति से की है । फरमाते है कि जब आप परमात्मा का अनुभव करने लगोगे तो फिर आपको तिलक छाप करो ना करो कोई फर्क नही पड़ता घर मे रहो वन में रहो जो कुछ पहनावा है बाहरी दिखावा है । इससे निज ज्ञान का कोई सरोकार नही है । आप सिंगार की बात करते हो उस मस्ती के दौरान तो अपने आस पास का देह तक का ध्यान नही रहता । देह खलडी है ये किसी की नही रही सब इसको छोड़ कर गए हैं चाहे अवतरित अवतार हो या पीर मुर्शीद संत सतगुरु शिष्य सब इसको यही छोड़ गए ये तो जरिया मात्र है इसमें हो कर रास्ता जाता है। मालिक के दर का बस जिस राह से गुजरते है उस रास्ते के पत्थर नही लिए चलते । धणी को ये बिल्कुल पसंद नही आता कि उसकी औरत किसी और का ख्याल भी करे । असल संजोग सही मायने में जो फकीरी है जो सन्यास है। क्या है घरबार छोड़ना भीख मांगना मेकअप करके घूमना नही असल संजोग सुरति शब्द का मेल है अपनी चेतना को तमाम संसार से अपनी देह से निकाल कर अनन्त में शब्द धुंन रामनाम में लगाना ही संजोग है ।
पिया बन रह्या हे ना जा कोन मिलावे मेरे पीव से मै हिरणी मेरा पिया हे पारधि मारे शब्द के बाण । जिस के लागे वो तन जाने दूजे नर के जान । कोन मिलावे मेरे पीव से
Sart saheb ji bhakht ji
Satsaheb satnam satkabir
Sat saheb ji❤
Sat Saheb Ji🙏🙏
राधास्वामी जी राधास्वामी जी
कबीरदास जी की वाणी के गाने वाले व श्रवण करने वालोें को साहेब कबीरदास जी का आशीर्वाद प्राप्त हो
Sat Saheb ji
अतिसुनदर भजन
Beautiful BaniKabirJiSatSahibjiOk
।।जब पीव सै परचा भया भूली तन सिणगार अब सुख बिलसै पीव को नही देह की सार ।।
सार करै जो देह की तो परसण होय न कन्त । रामचरण तन मन दिया बिलसै सुख अनन्त ।।
चाही मिटया चिंता गई ले सुखमणि का भोग । सुरति शब्द हिलमिल रमैं सो कहिये संजोग ।।
स्वामीजी महाराज फरमाते है कि हर धर्म सम्प्रदाय के अपने अपने ड्रेस कोड है अपने अपने तिलक छाप है कंठी माला है बालों का रख रखाव है किसी ने बाल बढ़ा रखे है किसी ने साफ़ कर रखे हैं कोई तन पर वस्त्र धारण कर रखता है कोई उघाड़ा ही फिर रहा है ।
अपने अपने दंड कमंडल है । लोटा डोरी हरे काले नीले गेरूआ गुलाबी लाल रंगीन सफेद कपड़े पहने घूमते हैं ।
ये सब साधुता दरसाने का ढंग है अपने आप को परमात्मा का प्रेमी जाहिर करने के लिए है । जैसे एक विवाहिता का श्रृंगार होता है ।
अपने पति को रिझाने के लिए करीब करीब सभी संतो पीर फकीरो ने आत्मा की तुलना नारी से और परमात्मा की तुलना पुरुष पति से की है ।
फरमाते है कि जब आप परमात्मा का अनुभव करने लगोगे तो फिर आपको तिलक छाप करो ना करो कोई फर्क नही पड़ता घर मे रहो वन में रहो जो कुछ पहनावा है बाहरी दिखावा है ।
इससे निज ज्ञान का कोई सरोकार नही है । आप सिंगार की बात करते हो उस मस्ती के दौरान तो अपने आस पास का देह तक का ध्यान नही रहता ।
देह खलडी है ये किसी की नही रही सब इसको छोड़ कर गए हैं चाहे अवतरित अवतार हो या पीर मुर्शीद संत सतगुरु शिष्य सब इसको यही छोड़ गए ये तो जरिया मात्र है इसमें हो कर रास्ता जाता है।
मालिक के दर का बस जिस राह से गुजरते है उस रास्ते के पत्थर नही लिए चलते ।
धणी को ये बिल्कुल पसंद नही आता कि उसकी औरत किसी और का ख्याल भी करे । असल संजोग सही मायने में जो फकीरी है जो सन्यास है।
क्या है घरबार छोड़ना भीख मांगना मेकअप करके घूमना नही असल संजोग सुरति शब्द का मेल है अपनी चेतना को तमाम संसार से अपनी देह से निकाल कर अनन्त में शब्द धुंन रामनाम में लगाना ही संजोग है ।
Radhaswami ji
Sat saheb ji
👌👌👌👌🙏🙏🙏🙏
Very nice ji
दरश दिवानी पीव की हे , रटती मै पीया हे पीया
पिया मिले तो जी सकू हे
तज सकूगी सहज जीया
कोन मिलावे मेरे पीव से
पिया की मारी हुई मै वैरागन लोग कहे तन रोग
पिया बिन के योग
कोन मिलावे मेरे पीव ते
पिया बन रह्या हे ना जा
कोन मिलावे मेरे पीव से
मै हिरणी मेरा पिया हे पारधि
मारे शब्द के बाण ।
जिस के लागे वो तन जाने दूजे नर के जान ।
कोन मिलावे मेरे पीव से
Satsaheb satguru saheb kabir ki jai ho,satsaheb indermuni maharaj ji satsaheb 🙏🙏
Badi surili aawaz h👌👌
Sat Sahib jii. Nice Bahjan,with great voice. Thanks for sharing 👌
Sat Saheb
Satnam guruji ko adesh
चेतावनी लागी रह है ,ये गति लखे ना कोई
अगम पंथ के महल में , अनहद वाणी हो
Sabi se nivedan h ki bejan karo isse badkar kuch na h
सत् साहेब जी🙏🙏🙏🙏🌹🌹🌹🌹
shat shib
कह कबीर सुनो हे जोगन तन मन धन बिसरा
sat saheb Pritam palam
sat saheb ji
Very very nice
satsaheb Maharaj ki vani ko
Koin milav mare pir
Sat sahib
Sat sahib ji
नाम नयन मे रम रहा हे, जाने विरला कोई
जिसने सतगुरू मिल गया हे ,ताको मालूम हो
घट के तन चढ देख ले हे अपने पिया का नूर
Sat saheb, plz write where this samadhi
Very very very nice song....😊😊
घट के तन चढ देख ले , अपने पिया का नूर
shat shib