श्री गोविन्दाय नमो नमः। श्री कृष्ण जी मंत्र। Mantra Meditation Tune||

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  • เผยแพร่เมื่อ 8 ก.พ. 2025
  • श्री गोविन्दाय नमो नमः। श्री कृष्ण जी मंत्र। Mantra Meditation Tune||
    1. अचला : भगवान।
    2. अच्युत : अचूक प्रभु या जिसने कभी भूल न की हो।
    3. अद्भुतह : अद्भुत प्रभु।
    4. आदिदेव : देवताओं के स्वामी।
    5. अदित्या : देवी अदिति के पुत्र।
    6. अजन्मा : जिनकी शक्ति असीम और अनंत हो।
    7. अजया : जीवन और मृत्यु के विजेता।
    8. अक्षरा : अविनाशी प्रभु।
    9. अमृत : अमृत जैसा स्वरूप वाले।
    10. अनादिह : सर्वप्रथम हैं जो।
    11. आनंद सागर : कृपा करने वाले।
    12. अनंता : अंतहीन देव।
    13. अनंतजीत : हमेशा विजयी होने वाले।
    14. अनया : जिनका कोई स्वामी न हो।
    15. अनिरुद्धा : जिनका अवरोध न किया जा सके।
    16. अपराजित : जिन्हें हराया न जा सके।
    17. अव्युक्ता : माणभ की तरह स्पष्ट।
    18. बाल गोपाल : भगवान कृष्ण का बाल रूप।
    19. बलि : सर्वशक्तिमान।
    20. चतुर्भुज : चार भुजाओं वाले प्रभु।
    21. दानवेंद्रो : वरदान देने वाले।
    22. दयालु : करुणा के भंडार।
    23. दयानिधि : सब पर दया करने वाले।
    24. देवाधिदेव : देवों के देव।
    25. देवकीनंदन : देवकी के लाल (पुत्र)।
    26. देवेश : ईश्वरों के भी ईश्वर।
    27. धर्माध्यक्ष : धर्म के स्वामी।
    28. द्वारकाधीश : द्वारका के अधिपति।
    29. गोपाल : ग्वालों के साथ खेलने वाले।
    30. गोपालप्रिया : ग्वालों के प्रिय।
    31. गोविंदा : गाय, प्रकृति, भूमि को चाहने वाले।
    32. ज्ञानेश्वर : ज्ञान के भगवान।
    33. हरि : प्रकृति के देवता।
    34. हिरण्यगर्भा : सबसे शक्तिशाली प्रजापति।
    35. ऋषिकेश : सभी इन्द्रियों के दाता।
    36. जगद्गुरु : ब्रह्मांड के गुरु।
    37. जगदीशा : सभी के रक्षक।
    38. जगन्नाथ : ब्रह्मांड के ईश्वर।
    39. जनार्धना : सभी को वरदान देने वाले।
    40. जयंतह : सभी दुश्मनों को पराजित करने वाले।
    41. ज्योतिरादित्या : जिनमें सूर्य की चमक है।
    42. कमलनाथ : देवी लक्ष्मी के प्रभु।
    43. कमलनयन : जिनके कमल के समान नेत्र हैं।
    44. कामसांतक : कंस का वध करने वाले।
    45. कंजलोचन : जिनके कमल के समान नेत्र हैं।
    46. केशव : लंबे, काले उलझा ताले जिसने।
    47. कृष्ण : सांवले रंग वाले।
    48. लक्ष्मीकांत : देवी लक्ष्मी के देवता।
    49. लोकाध्यक्ष : तीनों लोक के स्वामी।
    50. मदन : प्रेम के प्रतीक।
    51. माधव : ज्ञान के भंडार।
    52. मधुसूदन : मधु-दानवों का वध करने वाले।
    53. महेन्द्र : इन्द्र के स्वामी।
    54. मनमोहन : सबका मन मोह लेने वाले।
    55. मनोहर : बहुत ही सुंदर रूप-रंग वाले प्रभु।
    56. मयूर : मुकुट पर मोरपंख धारण करने वाले भगवान।
    57. मोहन : सभी को आकर्षित करने वाले।
    58. मुरली : बांसुरी बजाने वाले प्रभु।
    59. मुरलीधर : मुरली धारण करने वाले।
    60. मुरली मनोहर : मुरली बजाकर मोहने वाले।
    61. नंदगोपाल : नंद बाबा के पुत्र।
    62. नारायन : सबको शरण में लेने वाले।
    63. निरंजन : सर्वोत्तम।
    64. निर्गुण : जिनमें कोई अवगुण नहीं।
    65. पद्महस्ता : जिनके कमल की तरह हाथ हैं।
    66. पद्मनाभ : जिनकी कमल के आकार की नाभि हो।
    67. परब्रह्मन : परम सत्य।
    68. परमात्मा : सभी प्राणियों के प्रभु।
    69. परम पुरुष : श्रेष्ठ व्यक्तित्व वाले।
    70. पार्थसारथी : अर्जुन के सारथी।
    71. प्रजापति : सभी प्राणियों के नाथ।
    72. पुण्य : निर्मल व्यक्तित्व।
    73. पुरुषोत्तम : उत्तम पुरुष।
    74. रविलोचन : सूर्य जिनका नेत्र है।
    75. सहस्राकाश : हजार आंख वाले प्रभु।
    76. सहस्रजीत : हजारों को जीतने वाले।
    77. सहस्रपात : जिनके हजारों पैर हों।
    78. साक्षी : समस्त देवों के गवाह।
    79. सनातन : जिनका कभी अंत न हो।
    80. सर्वजन : सब कुछ जानने वाले।
    81. सर्वपालक : सभी का पालन करने वाले।
    82. सर्वेश्वर : समस्त देवों से ऊंचे।
    83. सत्य वचन : सत्य कहने वाले।
    84. सत्यव्त : श्रेष्ठ व्यक्तित्व वाले देव।
    85. शंतह : शांत भाव वाले।
    86. श्रेष्ठ : महान।
    87. श्रीकांत : अद्भुत सौंदर्य के स्वामी।
    88. श्याम : जिनका रंग सांवला हो।
    89. श्यामसुंदर : सांवले रंग में भी सुंदर दिखने वाले।
    90. सुदर्शन : रूपवान।
    91. सुमेध : सर्वज्ञानी।
    92. सुरेशम : सभी जीव-जंतुओं के देव।
    93. स्वर्गपति : स्वर्ग के राजा।
    94. त्रिविक्रमा : तीनों लोकों के विजेता।
    95. उपेन्द्र : इन्द्र के भाई।
    96. वैकुंठनाथ : स्वर्ग के रहने वाले।
    97. वर्धमानह : जिनका कोई आकार न हो।
    98. वासुदेव : सभी जगह विद्यमान रहने वाले।
    99. विष्णु : भगवान विष्णु के स्वरूप।
    100. विश्वदक्शिनह : निपुण और कुशल।
    101. विश्वकर्मा : ब्रह्मांड के निर्माता।
    102. विश्वमूर्ति : पूरे ब्रह्मांड का रूप।
    103. विश्वरूपा : ब्रह्मांड हित के लिए रूप धारण करने वाले।
    104. विश्वात्मा : ब्रह्मांड की आत्मा।
    105. वृषपर्व : धर्म के भगवान।
    106. यदवेंद्रा : यादव वंश के मुखिया।
    107. योगि : प्रमुख गुरु।

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