भरत मनावन भाग-1 रामलीला समिति चकिया द्वारा आयोजित 2024

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  • เผยแพร่เมื่อ 8 ต.ค. 2024
  • राम को मनाने वन को चले भरत लाल
    रामलीला समिति चकिया द्वारा भरत मनावन नामक लीले का मंचन किया गया। जिसमें भगवान राम के वन जाने के बाद उनके पिता दशरथ की मृत्यु होने पर भरत जी को उनके ननिहाल से बुलाया जाता है। भरत जी ननिहाल से अयोध्या आते हैं और जब उनकी माता कैकई द्वारा महाराज दशरथ की मृत्यु का समाचार तथा भाई राम के वन जाने का समाचार सुनते हैं तो दुखी हो जाते हैं और अपनी माता कैकई को बुरा भला कहने लगते हैं। जिस पर महर्षि वशिष्ठ उनको समझाते हैं और अयोध्या पर शासन करने की बात कहते हैं लेकिन भरत जी अयोध्या की सत्ता को ठुकरा कर अपने भाई राम को लेने के लिए वन जाते हैं। जहां पर रास्ते में निषाद राज से मुलाकात होती है। निषाद राज भरत जी को लेकर भगवान राम के पास पहुंचते हैं और वहां पर भरत जी तथा उनकी तीनों माताएं और महर्षि वशिष्ठ भगवान राम से अयोध्या वापस आने की बात करते हैं लेकिन प्रभु श्री राम 14 वर्ष के बाद अयोध्या आने की बात करते हैं। जिस पर भरत जी उनके चरण पादुका को लेकर अयोध्या को चले जाते हैं और अयोध्या के सिंहासन पर श्री राम की चरण पादुका को रखकर राज्य चलाते हैं। मुख्य अतिथि के रूप में सदर विधायक जय किशन साहू भी उपस्थित रहे। लीले के दौरान मुख्य भूमिका में क्रांति, संतोष, झब्बू, अशोक, संस्कार, लव कुमार, आदेश, टनटन आदि लोग थे।

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