UP के पांचवें मुख्यमंत्री, क्यों जाटों के सपनें में आते थे ? Chaudhary Charan Singh | Baten UP Ki
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- เผยแพร่เมื่อ 5 ก.พ. 2025
- चौधरी चरण सिंह एक हैं पर उनके रूप अनेक हैं. उनके व्यक्तित्व की न जाने कितनी तहें हैं, कितनी परतें हैं. हर तह में नये चरण सिंह हैं. अपनी पूरी पहचान और परिभाषा के साथ. वैसे किसानो का नेता कहा जाता था इन्हें, ज़रा सी आँख घूमने पर किसानों की समस्या दिख जातीं थी इन्हें . ना चाहते हुए भी एक इंसान के मन में इसकी रेख खिंच जाती थी. ऐसे व्यक्तिव्य के इंसान थे ये। ऐसा व्यक्तिवा था उत्तर प्रदेश के 5वें मुख्यमंत्री चौधरी चरण सिंह।
अगर इनके बारे में जाने तो ये 23 दिसंबर 1902 को गाजियाबाद जिले के हापुड़ में जन्में थे। वैसे इन्होने भी आगरा विश्वविद्यालय से लॉ में डिग्री ली. वैसे यार ये सारे मुख्यमंत्रियों को ला की पढ़ाई इतनी क्यों पसंद आती थी, खैर 1928 में गाजियाबाद में वकालत करने के साथ ही समाज के लोगों की समस्याओं को गौर से देखने लगे. ये वो वक्त था जब देश में गांधी का कहा चलता था. जनता उनके पीछे-पीछे चलती थी. 1929 में लाहौर में कांग्रेस ने पूर्ण स्वराज्य का ऐलान किया. नेहरू कांग्रेस के सबसे बड़े नेता माने जाते थे. चरण सिंह ने इस से प्रभावित होकर गाजियाबाद में कांग्रेस कमिटी का गठन किया. 1930 में सविनय अवज्ञा आंदोलन शुरू हुआ. अब गाजियाबाद में समंदर तो था नहीं. तो चरण सिंह हिंडन नदी के किनारे पहुंच गये. नमक बनाने. फिर क्या महीने के लिए जेल हो गई. फिर वापसी के बाद चरण सिंह बिल्कुल ही स्वतंत्रता आंदोलन में आ गये.
1937 में चुनाव हुए. बागपत से चरण सिंह विधान सभा के लिए चुने गये. फिर विधानसभा में किसानों की फसल से संबंधित एक बिल पेश किया. ये उस वक्त का क्रांतिकारी बिल था. क्योंकि ब्रिटिश सरकार ने मुगलिया टैक्स सिस्टम को हटाकर भारतीय किसानों को ही सबसे ज्यादा चोट पहुंचाई थी.
इसके बाद चरण सिंह ने कई क्रांतिकारी काम किये फिर दौर आया सिस्टम को सिस्टम में लाने का
3 अप्रैल 1967 ये वही दिन है जब पहली बार किसान नेता चौधरी चरण सिंह यूपी के मुख्यमंत्री बने, लेकिन 17 अप्रैल 1968 को उन्होंने मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया। इसके बाद हुए बीच चुनाव में उन्हें फिर सफलता मिली और वह दूसरी बार 17 फरवरी 1970 को यूपी के मुख्यमंत्री बने। इसके बाद उन्होंने केंद्र की राजनीति में कदम रखा। उन्होंने मोरारजी देसाई की सरकार में केन्द्रीय गृहमंत्री बनने के बाद मंडल और अल्पसंख्यक आयोग की स्थापना की। इसी दौरान उनके व मोरारजी देसाई के बीच मतभेद हुए तो उन्होंने बगावत करते हुए जनता दल पार्टी भी छोड़ दी।
मोरारजी देसाई की सरकार गिरी तो कांग्रेस व दूसरी दलों के समर्थन से चौधरी चरण सिंह 28 जुलाई 1979 को देश के पांचवे प्रधानमंत्री बने। इसके बाद इंदिरा गांधी ने शर्त रखी थी, कि उनकी पार्टी व उनके खिलाफ दर्ज मुकदमे वापस लिए जाएं, लेकिन सिद्धांतवादी चौधरी चरण सिंह ने उनकी शर्त नहीं मानी और 14 जनवरी 1980 को प्रधानमंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया। इस दौरान उन्होंने देश के किसानों की स्थति सुधारने और उनके अधिकारों के लिए लगातार काम किया। 29 मई 1987 को चौधरी चरण सिंह ने अंतिम सांस ली।
इनके बारे में कई किस्से मशहूर हैं कहा जाट है 1979 में जब वह देश के प्रधानमंत्री थे तो एक दिन कानून व्यवस्था का हाल जानने के लिए काफिले को दूर खड़ा कर इटावा जिला के ऊसराहार थाने में मैला कुर्ता और धोती पहनकर पहुंच गए। उन्होंने दरोगा से बैल चोरी की रिपोर्ट लिखने को कहा, लेकिन दरोगा ने बिना रिपोर्ट लिखे उन्हें चलता कर दिया। उनके जाते समय एक सिपाही रिपोर्ट लिखने के लिए खर्चा-पानी मांगा। अंत में 35 रुपये में रिपोर्ट लिखना तय हुआ। मुंशी ने रिपोर्ट लिखकर कहा कि बाबा अंगूठा लगाओगे या हस्ताक्षर करोगे। इस पर उन्होंने चौधरी चरण सिंह लिख दिया और जेब से प्राइम मिनिस्टर ऑफ इंडिया की मुहर निकालकर लगा दी। यह देख थाने में हड़कंप मच गया। इसके बाद उन्होंने पूरे ऊसराहार थाने को सस्पेंड कर दिया था।
मेरठ निवासी सुमेर सिंह कहते हैं कि चौधरी चरण सिंह और जाटों को लेकर एक और किस्सा है। जब अजित सिंह जीवित थे तो हर चुनाव में मतदान से पहले रात के समय चौधरी चरण सिंह बड़े-बुजुर्ग जाटों के सपने में आते थे। सपने में आकर वे रोते थे और कहते थे- कि मुझे भूल गए। मेरे बेटे की न सही, लेकिन मेरी इज्जत की चिंता करो। चलो इस बार मेरे नाम पर अजित को वोट देना। मतदान के दिन सभी जाट पसीजकर रालोद को वोट दे देते थे।
#uttarpradesh #upelection2022 #chaudharycharansingh
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किसानों के मुखिया और समाजवादी नेता को नमन। झुकते तो हम किसी के आगे ना चाहे इंदिरा गांधी हो या मोदी....
धन्यवाद बातें यूपी की 🙏 🙏 🙏
Thank you so much Mam for interesting information
Thanks for liking
Thanks mam 🙏🙏🙏🙏👌👌
Jayant chaudhary jindabad jindabad jindabad jindabad ❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤
Mam please aisi hi video wali series hamesa late rahiyega....
Thanks Mam.....
You are superb Mam 🤗 but today I miss your super match suit with vindi😍.
Jy ho prabhu....बिंदी रह गई
Nice session history ka 👍👍👍👍👍👍 thankyou Mam 🙏🏾🙏🏾🙏🏾🙏🏾
Most welcome 😊
Thank you ma'am 🙏🙏🙏
Thank you mam ❣️❣️
Thank you mam 🙏
Jai kisan,
Thanks mam
RLD party jindabad jindabad jindabad jindabad jindabad ❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤
Veri nice video
Nice
Super
Good
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बड़े दुर्भाग्य की बात यह है कि चौधरी साहब भारतीय गणतंत्र के पहले प्रधानमंत्री थे, जो लोक सभा में बहुमत साबित ही नहीं कर पाए क्योंकि इंदिरा गांधी ने समर्थन वापस ले लिया था
Thanku so much mam
Jai rld ♥️♥️♥️♥️♥️
Sensational awesome sound frequency
Thanks for listening
चरण सिंह यूनिवर्सिटी 1970 हरियाणा हिसार बना थी
Hapur🤟
Sister,❤😊
Kya khoob mem
Jabtak Suraj Chand Rhega Chaudhary Sabh ka Naam Rhega Chaudhary Charan Singh Ji Amar Rhe
Top lagi mam
Sandar
Nice mam
please make video on ahc ro aro exam corruption
Chaudhary sahab UP ke 5th CM ke sath desh ke 5th PM bhi the.
How to join bate up ki
Good morning madam ji 👍🙏
Hmari virasat h ye
Choudhary charan singh ने लेखपाल का sthifa कब माँगा था
APMC bill turant pesh krdia tha
Sapno me jarur aate honge kyonki sirf jaaton ke bare me hi sochte the.
Charan.singh.never.sponsered.Ajit.singh.he.sponsered.mulayam
मुरारी Desai विदेशी ब्राह्मण है कांग्रेस की तरफ से और चौधरी चरण सिंह जाट है भारतीय
जवाहर लाल नेहरू विदेश से आये हुए विदेशी ब्राह्मण है
Thank you ma'am Ji 🙏