हनुमान जी की मूर्ति जमीन मे से निकली स्वयम्भू /गोलाशन हनुमान जी

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  • เผยแพร่เมื่อ 19 ก.ย. 2024
  • सांचौर उपखंड क्षेत्र के गोलासन ग्राम में स्थित प्राचीन विशाल हनुमानजी मंदिर उपखंड क्षेत्र ही नहीं बल्कि आसपास के क्षेत्रों की जनता के आस्था का केन्द्र बना हुआ है। मंदिर में हर पूर्णिमा को मेला लगता है। मंदिर करीब 700 वर्ष पुराना बताया जा रहा है। पुजारी रतनपुरी महाराज के अनुसार गोलासन में स्थित गोचर भूमि पर अत्यधिक जालों के वृक्ष होने से सुनसान था।
    एक दिन ग्वाला गायों व भेड़ बकरियों का चरा रहा था, इस दौरान साधु वेश में एक महात्मा प्रकट होकर ग्वाले के सामने आए। इस दौरान महात्मा ने कहा कि गोचर भूमि में कहीं पर आवाज सुनाई दे तब शांत रहना एवं किसी भी प्रकार की आवाज नहीं करनी यह कहकर कुछ समय के बाद महात्मा लुप्त हो गए, लेकिन कुछ देर बाद गोचर भूमि में जोर से गर्जना हुई, जिसपर चर रहे पशु डरकर इधर-उधर भागने लगे। चर रहे पशुओं को भागते देख ग्वाले ने पशुओं को ठहरने के लिए आवाज लगा दी।
    ग्वाले की आवाज सुनते ही गोचर भूमि में जोर से हो रही गर्जन बंद हो गई एवं गर्जना वाले स्थान पर जाकर देखा तो हनुमान जी की प्रतिमा बाहर आई हुई थी। बताया जा रहा है, कि ग्वाले द्वारा आवाज लगने की वजह से प्रतिमा पूरी जमीन से बाहर नहीं आई एवं आधे पैर आज भी जमीन के अंदर दबे है।
    जालोर. गोलासन हनुमान मंदिर में स्थापित हनुमान प्रतिमा।
    प्रतिमा के साथ कुई आई थी बाहर, जहां श्रद्धालु चढ़ाते है तेल सिंदूर
    गोलासन गोचर भूमि में हनुमानजी की प्रतिमा के साथ - साथ उनके पैरों के आगे एक कुई भी जमीन से बाहर आई थी। कुई में अब श्रद्धालु दर्शन के दौरान तेल सिंदूर चढ़ाते है। पुजारी ने बताया कि कुई अत्यधिक गहरी है, जहां कई बार लोगों ने पता करने की कोशिश की गई थी, लेकिन उसके गहराई की सीमा अब तक पता नहीं चल पाया है। ग्रामीणों के सहयोग से 1984 में मंदिर निर्माण शुरू हुअा। 1999 में प्राण प्रतिष्ठा हुई।
    जालोर. सांचौर स्थित गोलासन हनुमानजी मंदिर।
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