घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर के दर्शन और यात्रा की जानकरी I Grishneshwar Jyotirlinga I Aurangabad I
ฝัง
- เผยแพร่เมื่อ 7 ต.ค. 2024
- Top Place to see in Aurangabad
Top Place to see Near Verul
Top Place to see in Maharashtra
Grineshwar Jyotirlinga !! After Lockdown !! Live Darshan
Maharashtra Toursim
Aurangabad Toursim
Full Information about Grineshwar Jyotirlinga
Full Information about Ellora Cave
• बौद्ध और जैन धर्म के ब...
How to Travel !! Travel Guide
Where to Stay
Cheapest Hotel Only Rs.300.00
Best Hotel Near Grineshwar Jyotrinlinga
Only Rs.300.00
Full Travel Guide
Nearest Railway Station Aurangabad
Delhi to Aurangabad
IRCTC Indian Railway
Train No.12716 Daily 01.00 PM from Delhi to 9.40 AM at Aurangabad
Fare Detail
2S - Rs.375.00
SL - Rs.620.00
3A - Rs.1630.00
2A - Rs.2335.00
1A - Rs.3955.00
Aurangabad to Verul by Taxi Only Rs.60.00
शिवजी के 12 ज्योतिर्लिंगों में से यह आखिरी ज्योतिर्लिंग है। यह महाराष्ट्र प्रदेश में दौलताबाद से 12 मील दूर वेरुळ गांव के पास स्थित है। पुराणों में इस ज्योतिर्लिंग के लिए यह कथा वर्णित है। एक अत्यंत तेजस्वी ब्राह्मण सुधर्मा दक्षिण देश में देवगिरिपर्वत के पास रहता था। इसकी पत्नी का नाम सुदेहा था। ये दोनों आपस में बेहद प्रेम करते थे। इनकी कोई संतान नहीं थी। ज्योतिष-गणना से यह पता चला था कि सुदेहा गर्भवती नहीं हो सकती है। लेकिन फिर भी वो संतान चाहती थी। तब सुदेहा ने अपने पति यानी सुधर्मा से कहा कि वो उसकी छोटी बहन से दूसरा विवाह कर लें। सुधर्मा ने पहले तो यह बात नहीं मानी लेकिन सुदेहा की बार-बार की जिद्द ने सुधर्मा को झुका ही दिया।
सुधर्मा अपनी पत्नी की छोटी बहन घुश्मा को विवाह कर घर ले आया। घुश्माअत्यंत विनीत और सदाचारिणी स्त्री थी। साथ ही शिव शंकर की परम भक्त भी थी। घुश्मा प्रतिदिन 101 पार्थिव शिवलिंग बनाती थी और पूरे मन के साथ उनका पूजन करती थी। शिवजी की कृपा ऐसी रही कि कुछ ही समय बाद उसके घर में एक बालक ने जन्म लिया। दोनों बहनों की खुशी का ठिकाना न रहा। दोनों बेहद प्यार से रह रही थीं। लेकिन पता नहीं कैसे सुदेहा के मन में एक गलत विचार घर कर गया। उसने सोचा कि इस घर में सब तो घुश्मा का ही है मेरा कुछ भी नहीं।
इस बात को सुदेहा ने इतना सोचा की यह बात उसके मन में घर कर गई। सुदेहा सोच रही थी कि संतान भी उसकी है और उसके पति पर भी घुश्मा ने हक जमा रखा है। घुश्मा का बालक भी बड़ा हो गया है और उसका विवाह भी हो गया है। इन्हीं सब कुविचारों के साथ एक दिन उसने घुश्मा के युवा पुत्र को रात में सोते समय ही मौत के घाट उतार दिया। वहीं, उसके शव को तालाब में फेंक दिया। यह वही तालाब था जहां घुश्मा हर रोज पार्थिव शिवलिंगों को फेंका करती थी।
जब सुबह हुई तो पूरे घर में कोहराम मच गया। घुश्मा और उसकी बहू फूट-फूटकर रोने लगे। लेकिन घुश्मा ने शिव में अपनी आस्था नहीं छोड़ी। उसने हर दिन की तरह ही इस दिन भी शिव की भक्ति की। पूजा समाप्त होने के बाद जब वो पार्थिव शिवलिंगों को फेंकने तालाब पर गई तो उसका बेटा तालाब के अंदर से निकलकर आता हुआ दिखाई पड़ा। बाहर आकर वो हमेशा की तरह घुश्मा के चरणों पर गिर पड़ा।
ऐसा लग रहा था कि वो कहीं से घूमकर आ रहा हो। तभी शिव जी प्रकट हुए। उन्होंने घुश्मा से वर मांगने को कहा। लेकिन शिव जी सुदेहा की इस करतूत से बेहद क्रोधित थे और वो अपने त्रिशूल से सुदेहा का गला काटने के लिए उद्यत थे। लेकिन घुश्मा ने शिवजी से हाथ जोड़कर विनती की कि वो उसकी बहन को क्षमा कर दें। जो उसने किया है वो जघन्य पाप है लेकिन शिवजी की दया से ही उसे उसका पुत्र वापस मिला है। अब सुदेहा को माफ कर दें।
घुश्मा ने शिव जी से प्रार्थना की कि लोक-कल्याण के लिए वो इसी स्थान पर हमेशा के लिए निवास करें। शिवजी ने घुश्मा की दोनों बातें मान लीं और ज्योतिर्लिंग के रूप मे प्रकट होकर वहीं निवास करने लगे। शिवभक्त घुश्मा के आराध्य होने के कारण ही इनका नाम घुश्मेश्वर महादेव पड़ा। इसे घृष्णेश्वर के नाम से भी जाना जाता है।
Thank you Bhai for sharing ur experience 👍
Har Har Mahadev 🙏
What is current dress code for men in temple?
Kuch bhi pehan sakte h No Dress Code
@@m2solotraveller maine suna men keliye shirt and belt utarna padta hai.
Jab mein Gya tha tab toh aisa kuch nhi tha sab ne normal kapde pehne the
Thank you, nice information from video