ब्रह्मलीन प्रज्ञाचक्षु शरणानन्दजी की *"क्रांतिकारी विचारधारा"* में साधक को किसी के पदचिन्हों पर नहीं चलना है, अपितु निज विवेक के प्रकाश में रहना हैं। अर्थात अपनी आँखों देखना है, अपने पैरों चलना हैं।_
_📢 रामसुखदासजी की अभूतपूर्व दुर्लभ _*_खोज_*_ को "स्वर्ण अक्षरों में लिखके रखिए" क्योंकि विश्व को _*_" एक-मत "_*_ करने वाली शरणानन्दजी की विचारधारा अकाटय हैं, अद्वितीय हैं, सर्वोच्च हैं।_ 🌐●▬▬▬ஜ۩۞۩ஜ▬▬▬▬●🌐
Jai shree ram
Ram Ji Ram Swamiji 💐🙏
Ram ram sa
Ram ram ji
Ram ram Ram Ram
ब्रह्मलीन प्रज्ञाचक्षु शरणानन्दजी की *"क्रांतिकारी विचारधारा"* में साधक को किसी के पदचिन्हों पर नहीं चलना है, अपितु निज विवेक के प्रकाश में रहना हैं। अर्थात अपनी आँखों देखना है, अपने पैरों चलना हैं।_
राम जी राम सा
Ram ji ram
जय सिया राम जी
_📢 रामसुखदासजी की अभूतपूर्व दुर्लभ _*_खोज_*_ को "स्वर्ण अक्षरों में लिखके रखिए" क्योंकि विश्व को _*_" एक-मत "_*_ करने वाली शरणानन्दजी की विचारधारा अकाटय हैं, अद्वितीय हैं, सर्वोच्च हैं।_ 🌐●▬▬▬ஜ۩۞۩ஜ▬▬▬▬●🌐
Ram