सभी विचारों ,परेशानियों ,बीमारियो से दूर कर देती ,बस सुनने की कोशिश करनी है ,बाद में तो बिना प्रयास के आती,और हमे खिंचती हैं ,बस अंदर बाहर चुप होने से सुनाई देती
नमन नमन कोटि कोटि प्रणाम 🙏❤️🙌🙏❤️🙌बहुत ही बढ़िया स्पष्ट किया है परन्तु अनाहत के बाद क्या चुप साधन में डूबना उचित है या अनाहत के आनन्द में ही आनन्दमय रहकर मस्त रहना ही उचित है 👶🙇👌🙏🙇👌आप कोटि कोटि प्रणाम साष्टांग नमन
जब निर्धवनी का अनुभव होगा तो उसे आप चुप कहें या अनाहत कोई भेद नहीं, गहरी चुप्पी में ही वह नाद गूंज रहा है, और यह आपका निजी अनुभव ही आपको बोध करवाए गा। कोटि कोटि प्रणाम 🌿🌺🌿🌺🌿🙏
Anahad naad to chal hi Raha hai, prantu jab Tak hamara Mann vicharon se bhara hai tab tak sunai na dega, aur jab ye man nirvichar ho Jaye ga to maun ki us awastha mein ye pata chale ga ki yeh anahad naad ki dhwani to chal hi Rahi hai 🙏🌺 Prem vandan 🙏🌺
।।अखण्ड सारशबद मार्ग दर्शन-संतो की वाणी।।अक्षर पुरुष एक पेड है, निरंजन वाकी डार, तीनो देवता शाखा है, पात रुप संसार। हम ही अलखअविनाशी है, मूल रूप करतार, अनंत कोटि ब्रम्हांडो का मै ही सिरजन हार।।01।।भेद परमपिता का ना जानकर, झूठे देही गुरुआ साहेब कबीर जी बन बैठे। पढ पढ कर दो चार ग्रंथो को,विश्व गुरु तुम बन बैठे।।जिसे खोजते ब्रम्हा थाके, सुर नर मुनि अरु देवा। कहे कबीर सुन भाई साधू, करो अखण्ड सतगुरु सेवा।।02।।अधर दीप सतगुरु का आसन होई, कोटि कोटि मे पहुंचे कोई। दशो दिशा जहाँ झिलमिल छाजा,,बाजे सुमंगल अनहद बाजा।।गुण तीनो की भगति मे, डूब रहा संसार। कहत कबीर निज नाम बिन, नहि होवे भवसागर पार।।03।।,,साँई अरुण जी महाराज नासिक महाराष्ट्र को सादर समर्पित,,सालिकराम सोनी,,7898158018-🙏🏻🌹
@@mohammadahmad9473spirituality wale channel per ek vdo h brainstorming on consciousness name se vaha pure chetna or sound of silence ki baat ho rahi h
merae andar pura din shabad chalta hai koi na koi shabad chalta hai jab subah sounk uthati hu tab bji koi na koi shabad chal raha hota hai iska kya matlab hoga
Agar Bina pryas ke hi apke andar yeh shabd chalta hai to yeh ati shubh hai, is bhaav ko aur gehra hone de, Bhajan kirtan aur bhaav se sune, apki oorja aur zyada bad jaye gi🙏🌺
अब आप एक करिपा कर के इस संशय को और स्पष्ट कर दें तो आप का बहुत बहुत धन्यवाद नमन नमन साष्टांग अनाहत में कभी कभी बल्कि ज़्यादातर ऊँचा की ही ध्वनि होती है क्योंकि वही मेरा जाप मन्त्र हैं पर कई बार वेदांतिक भजन गूँजते रहते हैं उन्हीं की ध्वनि सुनाई देती रहती है 🙏❤️🙌🙏❤️🙌क्या फ़ोन पर बात कर सकते हैं मैं ऑस्ट्रेलिया से आप से जुड़ी ह नमन साष्टांग नमन 🙏❤️🙌🙏❤️🙌
मैं अति आनंदित हूं की आप ध्यान साधना में गेहरी रुचि रखती हैं और ये वेडियोस प्रेम पूर्वक सुनती हैं, परंतु अनाहत नाद कोई ऊंचा या धीमे स्वर में नही , वह तो बस अपने आप ही बजता रहता है, वेदान्तिक भजन या कोई और भजन तो किसी साधन से पैदा होते हैं, या हमारे ही अवचेतन मन में होते हैं जो गूंजने लगते हैं, परंतु अनाहत तो जैसे एक हाथ की ताली , जो बिना किसी साधन के , जो कभी प्रारंभ ही नही हुआ, बस सदा से ही है और जैसे ही मन के पार हुए तो वह सुनाई देने लगता है🙏🌺
Mantra chanting which U hear is one step closer to hear Naad sound. Listen Sitar or Tabla or flute U would surely uplift Ur consciousness. Make sure these instruments must be in background while mediating eyes closed only listening. Become one with the sound.
परम पूज्य पारस रूपी समर्थ सद्गुरुदेव श्री रामलाल जी सियाग की जय। पूर्ण समर्पण सहित सद्गुरुदेव को प्रणाम। 🙏 फोटो में सफेद कुर्ताधारी दिव्यात्मा समर्थ सद्गुरूदेव श्री रामलाल जी सियाग* हैं एवं उनके बगल में दादा गुरूदेव *ब्रह्मलीन बाबा श्री गंगाईनाथ जी योगी* हैं। *सिद्धयोग* भारतीय योग दर्शन यानी ईश्वर से मिलने की सरल साधना है। एक बार श्री गुरुदेव के विडियो या ऑडियो में अद्भुत् शक्तिशाली *संजीवनी मंत्र* सुनते ही कुंडलिनी शक्तिपात दीक्षा हो जाती है। कोशिश यह करनी है कि इस मन्त्र को होंठ-जीभ हिलाए बिना मन-ही-मन जपें। 24 घंटे संजीवनी मंत्र का तेल की धार की तरह सघन नाम जप करें। यदि कभी भूल भी जाएं, तो जब भी आपको याद आए, संजीवनी मंत्र जपना शुरू कर दें। ध्यान दो वक्त (सुबह और शाम) ख़ाली पेट अवश्य करें। ध्यान में बैठते समय 1-2 मिनट तक खुली आँखों से गुरुदेव की फोटो काे देखें और गुरुदेव जी से गर्मी के मौसम में 15 मिनट ध्यान मे बैठने का टाईम माँगें एवं सर्दी के मौसम में 30 मिनट ध्यान मे बैठने की आज्ञा मांगें। ध्यान के समय आज्ञा चक्र, जहां पर तिलक या बिंदी लगाते है, वहां गुरुदेव की फोटो को देखने का प्रयास करें और जब वे दिख जाएं, तो आप उनसे अपने कष्ट काटने की प्रार्थना करें। फिर मन-ही-मन गुरु-मंत्र (संजीवनी मंत्र) का जाप शुरू कर दें। ध्यान के लिए गुरुदेव से मांगी गई समय की अवधि पूरी होते ही अपने आप आंख खुल जाएंगी यानी आप ध्यान से बाहर आ जाएंगे। ध्यान के अलावा, कहीं भी आते-जाते, खाते-पीते, नहाते-धोते, लैट्रिग अथवा पेशाब करते हुए, रात को सोते समय भी मंत्र जपते रहें। ध्यान के दौरान आपके शरीर में शारीरिक ज़रूरत या आपके रोग के अनुरूप (उसके निवारण के लिए) यदि किसी भी प्रकार की कोई ऑटोमेटिक यौगिक क्रिया/क्रियाएं हों, तो आप घबराएं नहीं। ध्यान पूरा होते ही ये क्रियाएं अपने आप बन्द हो जाएंगी। बच्चे, पुरुष एवं महिलाएं तीसों दिन (यानी 4 दिन छोड़ने की आवश्यकता नहीं है) तथा सूतक व ग्रहण-काल में भी निरन्तर नाम-जप व ध्यान कर सकते हैं। खाने-पीने का किसी भी प्रकार का कोई परहेज़ नहीं है। हां, इस साधना द्वारा होनेवाले चमत्कारी रूपान्तरण के कारण मांसाहार, शराब किसी भी प्रकार का नशा अपने-आप छूट जाता है। बुरी आदतों से मुक्ति मिल जाती है। मन में हमेशा आनन्द छाया रहता है। नाम-जप ही इस साधना की चाबी है। समस्त जाति, धर्म के लोग *सिद्धयोग* की इस सरल साधना को कर सकते हैं। पढ़ाई में एकाग्रता, असाध्य बीमारियों (जैसे - कैंसर एड्स, दमा, कोरोना), धरण, भूत-प्रेत, जादू-टोना, ग्रह-नक्षत्र दोष, वास्तु दोष, नशे (जैसे - शराब, अफ़ीम, गुटका, खैनी, सिगरेट, बीड़ी के सेवन की बुरी लत) की समस्याएं, किसी भी तरह की बीमारी, पारिवारिक रिश्ते अच्छे होंगे घर में प्रेम प्यार व खुशियाँ बढ़ेगी।शारीरिक - मानसिक - आर्थिक इत्यादि सभी प्रकार की समस्याएं धीरे-धीरे पूरी तरह ख़त्म हो जाएंगी। अधिक जानकारी के लिए गुरुदेव के दिव्य आलेख व स्पीच पढ़ें-सुनें। आपको अपने-आप अपने सभी सवालों के जवाब मिल जाएंगे। *सिद्धयोग* वास्तव में गागर में सागर है। फिर भी यदि कोई जिज्ञासा या सवाल हो, तो मोबाइल नं० - 9466941248, 7668968161 पर नि:संकोच सम्पर्क करें। ईश्वर, प्रत्याक्षानूभुुति व साक्षात्कार का विषय है, न कि कथा-प्रवचन का और न ही बहस का। *सिद्धयोग* पूर्णत: नि:शुल्क है। अर्जुन का साथ जैसे हर पल भगवान् श्रीकृष्ण ने दिया, वैसे ही समर्थ गुरुदेव जी आपका साथ हर पल देंगे। पीड़ित मानवता की सेवा हेतु आप इसका प्रचार-प्रसार नि:स्वार्थ भाव से करें। अपने परिवार व परिचितों को *सिद्धयोग* के बारे में बताएं, क्योंकि आपको भी किसी और ने बताया है। मंज़िल पर पहुंचना है, तो चलना तो आपको ही पड़ेगा। ध्यान के दौरान यदि कोई अनुभूति हो, तो आप किसी को भी निसंकोच बता सकते हैं। वेवसाइट : www.the-comforter.org आश्रम का पता : *अध्यात्म विज्ञान सत्संग केन्द्र (A.V.S.K.)*, चौपासनी, होटल लेरिया के पास, जोधपुर (राजस्थान) 0291 2753699 / +91 9784742595 www.the-comforter.org Email: avsk@the-comforter.org संजीवनी मंत्र हेतु कॉल करें : 07533006009 यूट्यूब चैनल पर गुरुदेव को सुनें : m.th-cam.com/channels/Egr-rY3J5tuj0NM8n2lPDg.html
अनाहत की ध्वनि कहां से आ रही है? क्या यह ध्वनि सत्य चेतन सत्ता से पहले भी थी? सदगुरु कबीर साहेब अपने अमृत वचनो में कह रहे है कि जाप मरे अजपा मरे, अनहद भी मर जाय। सुरति समानी शब्द में, ताको काल न खाय।। यहां सदगुरु कबीर साहेब कह रहे है कि जाप,अजपा जाप और अनहद ये सब ही विनाश धर्मी है। ध्यान,समाधि की साधनाएं मनुष्य देह में आईं आत्मा कोक्या भवसागर से आवागमन मुक्त कर सकते है? कृपया अपना प्रभाव डालने की कृपा करे। धन्यवाद जी
ना कोई अनुभव करने वाला बचे गा ना कोई अनुभव बचे गा, क्यों की सुरती शब्द में पूर्णता खो जाती है, कुछ बचता ही नही, पहले तू तू करते हुए मैं खत्म होता है फिर तू भी समाप्त हो जाता है, परंतु पहले उस निर्धवनी तक तो पहुंचना होगा।🙏🌿🌺 अगर मेरा या उत्तर आपके अनुकूल न हो तो क्षमा चाहता हूं, क्यूं की मैं अभी शिष्य हूं और सीख रहा हूं। प्रणाम 🙏🌿🌺
आदरणीय श्रीमान जी साहब जी जिस अनहद सुनने की बात आप कह रहे है यह अनहद धुन कहां से आ रही है? इसको समझाने की प्रार्थना की थी। परन्तु आपने इस संबंध कुछ नहीं कहा। आप शब्द सुरति के परिणाम पर आ गये।जब आपको शब्द(नाम) और सुरति की जानकारी है तब आपको अपने प्रवचनों में शरीर के प्रति होने वाली क्रिया ओं के ऊपर समय व्यर्थ करने संबंधी विडियो बनाने की जरुरत नही है। मैं यह अनुभव किया है कि अनेकों साधक अपने गुरु की आज्ञा व ज्ञान के अनुसार साधना नहीं करते हुए इस मायावी शरीर में स्वयं भी उलझ जाते है और भक्त समाज को भी शरीर में ही उलझाकर रखते है। शरीर मरणधर्मी है जबकि मनुष्य शरीर में आई आत्मा के पास और सकल शरीरों में रहने वाले जीवों के पास शब्द और सुरति निरन्तर सदैव उपस्थित रहती है। मानव शरीर (स्त्री पुरुष) तथा अन्य शरीरों में आएं जीवों में बस एक ही अन्तर है कि मानव देह में आये जीवों के अतिरिक्त अन्य सभी शरीरों में रहने वाले जीवों/जीवात्माओं की सुरति उनके शरीरों के आकार प्रकार के अनुसार बिल्कुल विस्मृति की दशा में रहती है । स्वयं की और शब्द की जानकारी जीव/जीवात्मा / आत्मा को मानव देह प्राप्ति के पश्चात ही होती है। अशरीरी आत्मा ओं में भी शब्द और सुरति निरन्तर सदैव मौजूद रहती है। परन्तु इनकी साधना के विषय में साधक बात नही करते और जीवों को निर्थक शब्दों में पांच नामों में,ऊं ओंकार, ररंकार निरंकार निरंजन,सोहं जैसे नामो में तथा शब्द धुन /अनहद सुनने जैसी शरीर संबंधी भौतिक साधनाओं में उलझा देते है। यह सब शरीर की उपस्थिति तक सीमित है। इससे अधिक कुछ नहीं है। आपने कहा कि शब्द सुरति में खो जाता हैया सुरति शब्द में खो जाती है ऐसा कहना ठीक नही क्यों खोने से सबकुछ अनिश्चित और अंधकार युक्त हो जाता है। जहां तक अनुभव के वर्णन करने की बात आपने कहीं है , आत्म अनुभव और शब्द सुरति,निरति से संबंधित अनुभव की बात है यह विषय गुरु सदगुरु के निरीक्षण में शिष्य की साधना के ऊपर निर्भर करता है। सदगुरु कबीर साहेब ने स्पष्ट समझाया कि आत्म अनुभव ज्ञान की , जो कोई पूछे बात। ज्यों गूंगा गुड़ खायकर, कहे कौन को स्वाद। शब्द का सुरति में समाहित होना या शब्द सुरति का एक लह में रहने की साधना के अनुभव का वर्णन करने की और आत्म अनुभव का वर्णन करने की जरुरत नहीं है। साधारण साधक शिष्य में इस अनुभव का वर्णन करने की सामर्थ्य भी नही है। सप्रेम सादर चरण वंदना। पावनचरणकमलों में सादर सप्रेम कोटि-कोटि नमन। 🙏🙏🙏
Yeh mann ke hone se lekar mann ke na hone tak ki sadhna hai, jab aapko lagne Lage ki pehle mann tha lekin ab koi vichar koi trang nahi hai, to mann ka na hona arthat ek gehri chuppi ka anubhav hota hai aur us chuppi mein hi yeh naad sunai deta hai, chahe to aap ise anahat chakra ka jagna kehlen 🙏🌺
@@divineconnection12 ji dhanyawad aap ka ..🙏bachapan se hi eshwar kripa se yeh naad bhitar gunj raha hai..or chobiso gante sunai padta hai..bas bhitar mudte hi Anubhav main aata hai...🌹🙏😇
Anahad naad sirf paad ko kahte hai kyoki paad Bina nikale apne aap aata hai agar paad na nikle to insan mar jayega isliye sirf paad he anahad naad hota hai or paad mai he Bina bajaye sato sur nikalte hai 😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂
सभी विचारों ,परेशानियों ,बीमारियो से दूर कर देती ,बस सुनने की कोशिश करनी है ,बाद में तो बिना प्रयास के आती,और हमे खिंचती हैं ,बस अंदर बाहर चुप होने से सुनाई देती
@@yogitabirari9544 जी यही सत्य है 🙏
Bahut hi sweet ।। Bahut hi pyaari hoti hai ।। 🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉
Dhanyawad 🙏🌺
श्रीराम जय राम जय जय राम ।
श्रीराम जय राम जय राम राम ।
जय श्री राम 🙏🌺
JAI SATYA SANATAN DHARM 🙏🚩🕉️🇮🇳
Jai sanatan ki 🌺🙏
Jai Gurudev Pranam.
Jai guru dev 🙏🌺
Pranaam 🌺🙏
Apurva Shrut...❤Anhad dhun..🌹🙏
Hari Om Tat Sat 🙏🌺
Wahhh...aapka aawaj aur bolne ki shaili..hamare man ko shant kar deti hai
Utsahit karne ke liye
Bahut bahut dhanyawad 🙏🌺
Prem vandan 🙏🌺
@@divineconnection12 🙏🙏🙏♥️
Maharshi raman aapko vadan
Prem vandan 🙏🌺
हरि ॐ तत् सत्
हरि ॐ तत् सत् 🙏
बेहद की परमशांति सोचो बोलो परमशांति मिलेगी।
🙏🌺
श्रीराम जय राम जय जय राम
जय श्रीराम 🙏🌺
❤❤❤
🙏🌺🌺🌿🌿🌺🌺🙏
ध्वनि ऊर्जा है और ऊर्जा कभी नष्ट नही होती, रूपांतरित होती है, वह रूप अनाहद भी हो सकता हैं
जी अपने सत्य कहा,
ऊर्जा नष्ट नहीं होती रूपांतरित होती है
🙏🌺
Ati uttam 🙏🙏🙏🙏💐💐
🌻🌻🌻🌻🌻 27-06-2023
Dhanyawad 🙏🌺🌼🌺🌼🌺🙏
Hari oooum tat sat prabhu .🙏🙏❤🌄🌅🌺🌹🌷🌹🌺 Thank you so much univers 🙏
🌺🙏Hari Om tat sat 🙏🌺
🙏🏻Bahut bahut Dhanyawaad aapka🙂🙏🏻
Dhanyawad 🙏🌿🙂
🌷Osho 🌷 🙏
My Beloved. .
Aapne Osho ki Pic. .
Thumbnail mein used kiya Hai !!
But,
Voice Aapki Hai...
Yaa. ..
Anyway. ..
""Ek Onkaar Satnaam ""
Mein Osho ne Bataaya Hai. .🙏
Anyway.
Universe mein Ho rahii Dhwani Main Sunti Hoon. ..But,
Khud ke Andar Nahi suni 🙏.
Beloved master osho🙏🌺
Universe ki dhwani sunte sunte aap apne andar bhi sunne lagen gi🙏🌺
नमन नमन कोटि कोटि प्रणाम 🙏❤️🙌🙏❤️🙌बहुत ही बढ़िया स्पष्ट किया है परन्तु अनाहत के बाद क्या चुप साधन में डूबना उचित है या अनाहत के आनन्द में ही आनन्दमय रहकर मस्त रहना ही उचित है 👶🙇👌🙏🙇👌आप कोटि कोटि प्रणाम साष्टांग नमन
जब निर्धवनी का अनुभव होगा तो उसे आप चुप कहें या अनाहत कोई भेद नहीं, गहरी चुप्पी में ही वह नाद गूंज रहा है, और यह आपका निजी अनुभव ही आपको बोध करवाए गा।
कोटि कोटि प्रणाम 🌿🌺🌿🌺🌿🙏
Consciousness aur sound of silence ek kaise hai please ise samjhaye
Jab apki consciousness ka level itna high ho jata hai to sirf silence hi bachta hai , usko hi sound of silence bolte hain🙏🌺
Sandeep maheswari sir ki video se aaye ho to unki or videos bhi to h na mere Bhai vo dekho
बहुत बहुत धन्यवाद 🙏🙏❤️🙏
अनाहत नाद सुनाई देता है...🔔
तब मन (वासना) की गहरी चाल को समझ सकते हो...
अनाहत नाद:- मन की मौत...
जी अपने सत्य कहा
अनाहत नाद : मन की मौत
DAMRU ,Tabla ,Flute , TANPURA and shank sounds are very similar to naad which are going on in the body.
🙏🌺
आपके सराहनीय कार्य के लिए आपका दिल से धन्यवाद। जय गुरुदेव।🙏🏻💐🙏🏻
उत्साहित करने के लिए अति धनयवाद
जय गुरू देव 🌺🌿🌺🌿🌺🌿🌺🙏
Radhaswami Ji 🙏🏻
Radhaswami ji 🙏🌺
Naman.
Naman 🙏🌺🌺🙏
बहुत अदभुत बताया, यह अनहद तो पहला स्टेप है, डोरी है पकड़ने के लिए, असली सफर बाद में शुरू होता हे, संतो ने बताया।
प्रणाम🙏
अपने सत्य कहा 🙏🌺
क्या वो ध्वनि sannte की आवाज है।।
किर्पया स्पष्टीकरण करे
जी अपने सत्य कहा, सन्नाटे की आवाज़ होती है वह
Pranam guruji kya anhad naad hum kano se sunate hai ya atma ki awaj hai to suxm kano se hi sunate hai ple jawab dijiye
Anahad naad to chal hi Raha hai, prantu jab Tak hamara Mann vicharon se bhara hai tab tak sunai na dega, aur jab ye man nirvichar ho Jaye ga to maun ki us awastha mein ye pata chale ga ki yeh anahad naad ki dhwani to chal hi Rahi hai 🙏🌺
Prem vandan 🙏🌺
Dhanyawad guruji
@@mahadevbirje8828 बहुत आभार 🙏🌺
Maharishi Raman ,🙏🙏🙏,aap ko charan sprsh.
Hari Om tat sat 🙏🌺
Sir can you make long videos.. like 30 minites or more..😍😍🕊️🕊️🕊️🕊️🕊️🕊️
Ya sure will try to make little more longer videos, and thanks for appropriating this little effort.
Thanks🙏🌺🌿🌺🌿🌺🌿🙏
Regards. Regards regards
Thanks thanks thanks 🙏🌺🙂
बहुत बहुत आभार 🙏
धन्यवाद🙏🌿
।।अखण्ड सारशबद मार्ग दर्शन-संतो की वाणी।।अक्षर पुरुष एक पेड है, निरंजन वाकी डार, तीनो देवता शाखा है, पात रुप संसार। हम ही अलखअविनाशी है, मूल रूप करतार, अनंत कोटि ब्रम्हांडो का मै ही सिरजन हार।।01।।भेद परमपिता का ना जानकर, झूठे देही गुरुआ साहेब कबीर जी बन बैठे। पढ पढ कर दो चार ग्रंथो को,विश्व गुरु तुम बन बैठे।।जिसे खोजते ब्रम्हा थाके, सुर नर मुनि अरु देवा। कहे कबीर सुन भाई साधू, करो अखण्ड सतगुरु सेवा।।02।।अधर दीप सतगुरु का आसन होई, कोटि कोटि मे पहुंचे कोई। दशो दिशा जहाँ झिलमिल छाजा,,बाजे सुमंगल अनहद बाजा।।गुण तीनो की भगति मे, डूब रहा संसार। कहत कबीर निज नाम बिन, नहि होवे भवसागर पार।।03।।,,साँई अरुण जी महाराज नासिक महाराष्ट्र को सादर समर्पित,,सालिकराम सोनी,,7898158018-🙏🏻🌹
प्रणाम🙏🌺
शत शत नमन 🙏🌺
Thankyou ❤
Thankyou🌿🌺🌿🌺🌿🌺
Saund of silence
Yes appsolutley right 🙏🌿🌺
Dhanywad
Dhanyawad 🙏🌺
जय हो
जय हो 🙏🌺
बिना हाथ पैर की बात
🙏🙏❤🙏🙏
🙏🌺🌳🌺🌳🌺🙏
Chetna aur anhadnaad ek kaise hai please ise samjhaye kya anhanaad chetna ki goonj hai
@@UsuebsuushdhieyMai unke videos dekhta hoon lekin unhone is topic per abhi Tak koi baat hi nahin ki
@@mohammadahmad9473spirituality wale channel per ek vdo h brainstorming on consciousness name se vaha pure chetna or sound of silence ki baat ho rahi h
@@mohammadahmad9473 brainstorming on consciousness Sandeep maheswari name h
@@mohammadahmad9473 brainstorming on consciousness
Consciousness wali brainstorming session dekho pura
MAHARSHI LOVE
🙏🕉️🕉️🕉️🙏
OSHO LOVE
🕉️🙏🌺🙏🕉️
merae andar pura din shabad chalta hai koi na koi shabad chalta hai
jab subah sounk uthati hu tab bji koi na koi shabad chal raha hota hai
iska kya matlab hoga
Agar Bina pryas ke hi apke andar yeh shabd chalta hai to yeh ati shubh hai, is bhaav ko aur gehra hone de, Bhajan kirtan aur bhaav se sune, apki oorja aur zyada bad jaye gi🙏🌺
इस अन उपस्थिति को देखना ही साधना है
🙏🌺
अब आप एक करिपा कर के इस संशय को और स्पष्ट कर दें तो आप का बहुत बहुत धन्यवाद नमन नमन साष्टांग अनाहत में कभी कभी बल्कि ज़्यादातर ऊँचा की ही ध्वनि होती है क्योंकि वही मेरा जाप मन्त्र हैं पर कई बार वेदांतिक भजन गूँजते रहते हैं उन्हीं की ध्वनि सुनाई देती रहती है 🙏❤️🙌🙏❤️🙌क्या फ़ोन पर बात कर सकते हैं मैं ऑस्ट्रेलिया से आप से जुड़ी ह नमन साष्टांग नमन 🙏❤️🙌🙏❤️🙌
मैं अति आनंदित हूं की आप ध्यान साधना में गेहरी रुचि रखती हैं और ये वेडियोस प्रेम पूर्वक सुनती हैं, परंतु अनाहत नाद कोई ऊंचा या धीमे स्वर में नही , वह तो बस अपने आप ही बजता रहता है, वेदान्तिक भजन या कोई और भजन तो किसी साधन से पैदा होते हैं, या हमारे ही अवचेतन मन में होते हैं जो गूंजने लगते हैं, परंतु अनाहत तो जैसे एक हाथ की ताली , जो बिना किसी साधन के , जो कभी प्रारंभ ही नही हुआ, बस सदा से ही है और जैसे ही मन के पार हुए तो वह सुनाई देने लगता है🙏🌺
Mantra chanting which U hear is one step closer to hear Naad sound. Listen Sitar or Tabla or flute U would surely uplift Ur consciousness. Make sure these instruments must be in background while mediating eyes closed only listening. Become one with the sound.
परम पूज्य पारस रूपी समर्थ सद्गुरुदेव श्री रामलाल जी सियाग की जय। पूर्ण समर्पण सहित सद्गुरुदेव को प्रणाम। 🙏
फोटो में सफेद कुर्ताधारी दिव्यात्मा समर्थ सद्गुरूदेव श्री रामलाल जी सियाग* हैं एवं उनके बगल में दादा गुरूदेव *ब्रह्मलीन बाबा श्री गंगाईनाथ जी योगी* हैं। *सिद्धयोग* भारतीय योग दर्शन यानी ईश्वर से मिलने की सरल साधना है। एक बार श्री गुरुदेव के विडियो या ऑडियो में अद्भुत् शक्तिशाली *संजीवनी मंत्र* सुनते ही कुंडलिनी शक्तिपात दीक्षा हो जाती है। कोशिश यह करनी है कि इस मन्त्र को होंठ-जीभ हिलाए बिना मन-ही-मन जपें। 24 घंटे संजीवनी मंत्र का तेल की धार की तरह सघन नाम जप करें। यदि कभी भूल भी जाएं, तो जब भी आपको याद आए, संजीवनी मंत्र जपना शुरू कर दें। ध्यान दो वक्त (सुबह और शाम) ख़ाली पेट अवश्य करें। ध्यान में बैठते समय 1-2 मिनट तक खुली आँखों से गुरुदेव की फोटो काे देखें और गुरुदेव जी से गर्मी के मौसम में 15 मिनट ध्यान मे बैठने का टाईम माँगें एवं सर्दी के मौसम में 30 मिनट ध्यान मे बैठने की आज्ञा मांगें। ध्यान के समय आज्ञा चक्र, जहां पर तिलक या बिंदी लगाते है, वहां गुरुदेव की फोटो को देखने का प्रयास करें और जब वे दिख जाएं, तो आप उनसे अपने कष्ट काटने की प्रार्थना करें। फिर मन-ही-मन गुरु-मंत्र (संजीवनी मंत्र) का जाप शुरू कर दें। ध्यान के लिए गुरुदेव से मांगी गई समय की अवधि पूरी होते ही अपने आप आंख खुल जाएंगी यानी आप ध्यान से बाहर आ जाएंगे। ध्यान के अलावा, कहीं भी आते-जाते, खाते-पीते, नहाते-धोते, लैट्रिग अथवा पेशाब करते हुए, रात को सोते समय भी मंत्र जपते रहें। ध्यान के दौरान आपके शरीर में शारीरिक ज़रूरत या आपके रोग के अनुरूप (उसके निवारण के लिए) यदि किसी भी प्रकार की कोई ऑटोमेटिक यौगिक क्रिया/क्रियाएं हों, तो आप घबराएं नहीं। ध्यान पूरा होते ही ये क्रियाएं अपने आप बन्द हो जाएंगी। बच्चे, पुरुष एवं महिलाएं तीसों दिन (यानी 4 दिन छोड़ने की आवश्यकता नहीं है) तथा सूतक व ग्रहण-काल में भी निरन्तर नाम-जप व ध्यान कर सकते हैं। खाने-पीने का किसी भी प्रकार का कोई परहेज़ नहीं है। हां, इस साधना द्वारा होनेवाले चमत्कारी रूपान्तरण के कारण मांसाहार, शराब किसी भी प्रकार का नशा अपने-आप छूट जाता है। बुरी आदतों से मुक्ति मिल जाती है। मन में हमेशा आनन्द छाया रहता है। नाम-जप ही इस साधना की चाबी है। समस्त जाति, धर्म के लोग *सिद्धयोग* की इस सरल साधना को कर सकते हैं। पढ़ाई में एकाग्रता, असाध्य बीमारियों (जैसे - कैंसर एड्स, दमा, कोरोना), धरण, भूत-प्रेत, जादू-टोना, ग्रह-नक्षत्र दोष, वास्तु दोष, नशे (जैसे - शराब, अफ़ीम, गुटका, खैनी, सिगरेट, बीड़ी के सेवन की बुरी लत) की समस्याएं, किसी भी तरह की बीमारी, पारिवारिक रिश्ते अच्छे होंगे घर में प्रेम प्यार व खुशियाँ बढ़ेगी।शारीरिक - मानसिक - आर्थिक इत्यादि सभी प्रकार की समस्याएं धीरे-धीरे पूरी तरह ख़त्म हो जाएंगी। अधिक जानकारी के लिए गुरुदेव के दिव्य आलेख व स्पीच पढ़ें-सुनें। आपको अपने-आप अपने सभी सवालों के जवाब मिल जाएंगे। *सिद्धयोग* वास्तव में गागर में सागर है। फिर भी यदि कोई जिज्ञासा या सवाल हो, तो मोबाइल नं० -
9466941248, 7668968161
पर नि:संकोच सम्पर्क करें।
ईश्वर, प्रत्याक्षानूभुुति व साक्षात्कार का विषय है, न कि कथा-प्रवचन का और न ही बहस का। *सिद्धयोग* पूर्णत: नि:शुल्क है।
अर्जुन का साथ जैसे हर पल भगवान् श्रीकृष्ण ने दिया, वैसे ही समर्थ गुरुदेव जी आपका साथ हर पल देंगे। पीड़ित मानवता की सेवा हेतु आप इसका प्रचार-प्रसार नि:स्वार्थ भाव से करें। अपने परिवार व परिचितों को *सिद्धयोग* के बारे में बताएं, क्योंकि आपको भी किसी और ने बताया है। मंज़िल पर पहुंचना है, तो चलना तो आपको ही पड़ेगा। ध्यान के दौरान यदि कोई अनुभूति हो, तो आप किसी को भी निसंकोच बता सकते हैं।
वेवसाइट :
www.the-comforter.org
आश्रम का पता :
*अध्यात्म विज्ञान सत्संग केन्द्र (A.V.S.K.)*,
चौपासनी, होटल लेरिया के पास, जोधपुर (राजस्थान)
0291 2753699 /
+91 9784742595
www.the-comforter.org
Email: avsk@the-comforter.org
संजीवनी मंत्र हेतु कॉल करें : 07533006009
यूट्यूब चैनल पर गुरुदेव को सुनें :
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अनाहत की ध्वनि कहां से आ रही है? क्या यह ध्वनि सत्य चेतन सत्ता से पहले भी थी? सदगुरु कबीर साहेब अपने अमृत वचनो में कह रहे है कि
जाप मरे अजपा मरे,
अनहद भी मर जाय।
सुरति समानी शब्द में,
ताको काल न खाय।।
यहां सदगुरु कबीर साहेब कह रहे है कि जाप,अजपा जाप और अनहद ये सब ही विनाश धर्मी है। ध्यान,समाधि की साधनाएं मनुष्य देह में आईं आत्मा कोक्या भवसागर से आवागमन मुक्त कर सकते है?
कृपया अपना प्रभाव डालने की कृपा करे। धन्यवाद जी
ना कोई अनुभव करने वाला बचे गा ना कोई अनुभव बचे गा, क्यों की सुरती शब्द में पूर्णता खो जाती है, कुछ बचता ही नही, पहले तू तू करते हुए मैं खत्म होता है फिर तू भी समाप्त हो जाता है, परंतु पहले उस निर्धवनी तक तो पहुंचना होगा।🙏🌿🌺
अगर मेरा या उत्तर आपके अनुकूल न हो तो क्षमा चाहता हूं, क्यूं की मैं अभी शिष्य हूं और सीख रहा हूं।
प्रणाम 🙏🌿🌺
आदरणीय श्रीमान जी साहब जी जिस अनहद सुनने की बात आप कह रहे है यह अनहद धुन कहां से आ रही है? इसको समझाने की प्रार्थना की थी। परन्तु आपने इस संबंध कुछ नहीं कहा। आप शब्द सुरति के परिणाम पर आ गये।जब आपको शब्द(नाम) और सुरति की जानकारी है तब आपको अपने प्रवचनों में शरीर के प्रति होने वाली क्रिया ओं के ऊपर समय व्यर्थ करने संबंधी विडियो बनाने की जरुरत नही है।
मैं यह अनुभव किया है कि अनेकों साधक अपने गुरु की आज्ञा व ज्ञान के अनुसार साधना नहीं करते हुए इस मायावी शरीर में स्वयं भी उलझ जाते है और भक्त समाज को भी शरीर में ही उलझाकर रखते है। शरीर मरणधर्मी है जबकि मनुष्य शरीर में आई आत्मा के पास और सकल शरीरों में रहने वाले जीवों के पास शब्द और सुरति निरन्तर सदैव उपस्थित रहती है। मानव शरीर (स्त्री पुरुष) तथा अन्य शरीरों में आएं जीवों में बस एक ही अन्तर है कि मानव देह में आये जीवों के अतिरिक्त अन्य सभी शरीरों में रहने वाले जीवों/जीवात्माओं की सुरति उनके शरीरों के आकार प्रकार के अनुसार बिल्कुल विस्मृति की दशा में रहती है । स्वयं की और शब्द की जानकारी जीव/जीवात्मा / आत्मा को मानव देह प्राप्ति के पश्चात ही होती है। अशरीरी आत्मा ओं में भी शब्द और सुरति निरन्तर सदैव मौजूद रहती है। परन्तु इनकी साधना के विषय में साधक बात नही करते और जीवों को निर्थक शब्दों में पांच नामों में,ऊं ओंकार, ररंकार निरंकार निरंजन,सोहं जैसे नामो में तथा शब्द धुन /अनहद सुनने जैसी शरीर संबंधी भौतिक साधनाओं में उलझा देते है।
यह सब शरीर की उपस्थिति तक सीमित है। इससे अधिक कुछ नहीं है।
आपने कहा कि शब्द सुरति में खो जाता हैया सुरति शब्द में खो जाती है ऐसा कहना ठीक नही क्यों खोने से सबकुछ अनिश्चित और अंधकार युक्त हो जाता है। जहां तक अनुभव के वर्णन करने की बात आपने कहीं है , आत्म अनुभव और शब्द सुरति,निरति से संबंधित अनुभव की बात है यह विषय गुरु सदगुरु के निरीक्षण में शिष्य की साधना के ऊपर निर्भर करता है। सदगुरु कबीर साहेब ने स्पष्ट समझाया कि
आत्म अनुभव ज्ञान की ,
जो कोई पूछे बात।
ज्यों गूंगा गुड़ खायकर,
कहे कौन को स्वाद।
शब्द का सुरति में समाहित होना या शब्द सुरति का एक लह में रहने की साधना के अनुभव का वर्णन करने की और आत्म अनुभव का वर्णन करने की जरुरत नहीं है। साधारण साधक शिष्य में इस अनुभव का वर्णन करने की सामर्थ्य भी नही है। सप्रेम सादर चरण वंदना। पावनचरणकमलों में सादर सप्रेम कोटि-कोटि नमन। 🙏🙏🙏
@@shripalchauhan8562 यह अनहद धुन कहीं से नही आ रही, यह चल ही रही है, जो कभी शुरू नही हुई, ध्यानियों ने मन के पार होकर इसे सुना।
प्रेम वंदन 🙏🌺
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Anhadnaad kise sunayi deti hai jiska anahat chakra jagrut ho unhe sunai deti hai..?!
Yeh mann ke hone se lekar mann ke na hone tak ki sadhna hai, jab aapko lagne Lage ki pehle mann tha lekin ab koi vichar koi trang nahi hai, to mann ka na hona arthat ek gehri chuppi ka anubhav hota hai aur us chuppi mein hi yeh naad sunai deta hai, chahe to aap ise anahat chakra ka jagna kehlen 🙏🌺
@@divineconnection12 ji dhanyawad aap ka ..🙏bachapan se hi eshwar kripa se yeh naad bhitar gunj raha hai..or chobiso gante sunai padta hai..bas bhitar mudte hi Anubhav main aata hai...🌹🙏😇
आप दोनों के विचार किसी हद तक विचारणीय हैं।
5:45
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Kingri Kabir Guru Arijan Dev Ji
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Make On NAADBINDU UPANISHADS 🙏🏻
Sure I will try my best to make it
माफ़ करना ऊँचा शब्द नहीं हैं ओंकार है
Iska matlab anhad naad koi dkwani nahi ye maun ko darshata hai
Ya fir ye aatma ki awaj hai
Brainstorming on consciousness name se h dekho
@@Usuebsuushdhiey usme kabhi consciousness ya sound of silence ko explain Kiya ye nahin kisi mai bataya ki ye dono ek kaise hai
@@mohammadahmad9473 ha batya h dekho to sahi
हाय रे जनता का पैसा
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😢noitrest
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अनाहत नाद होता है. अनहद नही!
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Anahad naad sirf paad ko kahte hai kyoki paad Bina nikale apne aap aata hai agar paad na nikle to insan mar jayega isliye sirf paad he anahad naad hota hai or paad mai he Bina bajaye sato sur nikalte hai 😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂
Aap dhanya Hain 🙏
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