जोधा अकबर का महल और उनका रहस्यमय बेडरूम ! फतेहपुर सीकरी ! Fatehpur Sikri history in Hindi

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  • เผยแพร่เมื่อ 10 ต.ค. 2023
  • जोधा अकबर का महल और उनका रहस्यमय बेडरूम ! फतेहपुर सीकरी ! Fatehpur Sikri history in Hindi
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    Jodha Bai history in Hindi
    जोधा बाई का जन्म 1 अक्टूबर 1542 को हुआ था। जोधा बाई आमेर (जयपुर) के राजा भारमल की बेटी थीं। वह एक हिंदू राजकुमारी थी लेकिन उसने एक मुस्लिम राजा अकबर से शादी की। उन्हें आधुनिक भारतीय इतिहास लेखन में अकबर और मुगलों के धार्मिक मतभेदों को सहन करने और बहु जातीय और बहु संप्रदाय के विस्तार के भीतर उनकी समावेशी नीतियों के प्रति सहिष्णुता का एक उदाहरण माना जाता था।
    जोधा बाई का जन्म हीर कुंवारी(Heer Kunwari) के रूप में हुआ था। उनका अन्य नाम हीरा कुंवारी और हरका बाई था।
    मुगल इतिहास में उनका नाम मरियम-उज-जमानी(Mariam-Uz-Zamani) था। यह उपाधि उन्हें उनके पति अकबर द्वारा उनके बेटे जहाँगीर को जन्म देने के बाद दी गई थी।
    अकबर के साथ जोधाबाई का विवाह 6 फरवरी 1562 को 20 वर्ष की उम्र में हुई थी।
    मरियम-उज-जमानी को मुगल सम्राट अकबर और उनके बेटे जहांगीर के शासनकाल(Reign) के दौरान हिंदुस्तान की रानी माँ(Queen Mother Of Hindustan)के रूप में जाना जाता था।
    जोधाबाई सबसे लंबे समय तक हिंदू मुगल महारानी रहीं। उनका कार्यकाल 43 वर्षों तक रहा।
    हीर कुंवारी के साथ अकबर का विवाह जोधाबाई और अकबर के पिता के बीच एक राजनीतिक गठबंधन( Political Alliance) के कारण हुआ था।
    चूंकि जोधाबाई हिंदू(Hindu) थी इसलिए इस विवाह के बाद सम्राट अकबर(King Akbar) ने हिंदू धर्म के लिए अधिक अनुकूल दृष्टिकोण से देखा और इस धर्म को सम्मान दिया। अकबर से शादी के बाद भी हीर कुंवारी ने इस्लाम धर्म(Islam Dharm) नहीं अपनाया और वह हमेशा एक हिंदू बनी रही।
    सम्राट अकबर की कई पत्नियां थी लेकिन वह जोधाबाई को अधिक प्रेम करता था। हिंदू होने के बावजूद उन्होंने मुगल घराने में बहुत सम्मान कायम रखा। जोधा को अकबर के पहले और आखिरी प्यार के रूप में जाना जाता था।
    मरियम-उज-जमानी के अलावा जोधा ने मल्लिका-ए-मुअज्जमा(Mallika-E-Muezzama), मल्लिका-ए-हिंदुस्तान और वली निमात बेगम की उपाधि भी धारण की, जिसका अर्थ है ईश्वर का उपहार(Gift Of God)।
    वह वली निमात मरियम-उज-जमानी(Vali Nimat Mariam Uj Jamani) बेगम नामक शीर्षक से आधिकारिक दस्तावेज जारी करती थी।
    अकबर ने जोधा को शाही महल में प्रथागत हिंदू संस्कार करने की अनुमति दी। उन्होंने उसे महल में एक हिंदू मंदिर बनाए रखने की अनुमति भी दी। वास्तव में अकबर भी कभी-कभी जोधाबाई के साथ पूजा में भाग लेता था।
    माना जाता है कि जोधाबाई एक व्यापार(Trade) कुशल महिला थीं और मुगल साम्राज्य में मसाले और रेशम का व्यापार देखती थीं।
    वर्ष 1623 में जोधाबाई की मृत्यु हो गई। मृत्यु के बाद जोधाबाई को उनकी इच्छा के अनुसार उन्हें उनके पति की कब्र के पास दफनाया गया था।
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