एक देश -एक चुनाव | one nation -one election | debate| Kavya Bhardwaj

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  • เผยแพร่เมื่อ 12 ม.ค. 2025
  • एक देश -एक चुनाव | one nation -one election | debate| Kavya Bhardwaj
    मुझे लगता है कि तर्कविहीन, तथ्यविहीन, आधारहीन, निराधार बातों के साथ आज देश को गुमराह करने का प्रयास किया जा रहा है कि सभी चुनाव एक साथ कराए जाने चाहिए । क्या भारत जैसे विशाल देश में जिसकी जनसंख्या लगभग 135 करोड़ हो , उस राष्ट्र में एक साथ चुनाव कराया जाना संभव होगा ? कदापि यह संभव नहीं हो सकता ..... चुनाव भी एक नहीं नहीं , पंचायत से लेकर देश के सर्वोच्च सदन लोकसभा तक के चुनाव एक साथ.. । मात्र सोचने पर ही यह विषय बड़ा हास्यास्पद एवं बिना सोच-विचार का लगता है ।
    क्या संपूर्ण राष्ट्र में एक साथ चुनाव संपन्न हो सकना संभव होगा ? जब पूरा राष्ट्र वैश्विक महामारी कोविड-19 से लड़ रहा था उस समय हमारे देश ने दो दो तैयार की और दुनिया को भारत की ताकत का एहसास करवाया । फिर भी पूरे देश में वैक्सीनेशन कितना , किस गति से कितने समय में हो पाया , उसकी जानकारी आप सब को है । जब पूरे देश में जीवन रक्षक वैक्सीन लगाना ही एक साथ संभव नहीं हो पाया तो फिर चुनाव जैसे लोकतंत्र के महापर्व को कैसे एक साथ संपन्न करवाया जा सकता है ?
    क्या हमारा देश आर्थिक और व्यवस्थात्मक रूप से इसके लिए इतना तैयार है कि हम लोगों को एक साथ चुनाव करवाने के लिए प्रेरित भी करें और इसका सुचारू आयोजन भी ?
    क्या आज हमारे देश की सुरक्षा व्यवस्था इतनी पुख्ता और मजबूत है कि वह संपूर्ण देश में एक साथ सभी मत पेटियों, ईवीएम मशीन एवं चुनाव बूथों पर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम कर सकती है ?
    क्या राष्ट्र के पास इतने अधिकारी और कर्मचारी है जो कुशलपूर्वक बिना किसी अव्यवस्था के पूरे देश में सभी चुनाव एक साथ संपन्न करवा सकें ?
    क्या हमारे संपूर्ण राष्ट्र की भौगोलिक और प्राकृतिक स्थिति एक जैसी है, जहां आप चुनाव एक ही समय में एक साथ संपन्न करवा सकेंगे ?
    ऐसे और भी अनेक तथ्य हमारे समक्ष प्रश्नचिन्ह बन कर खड़े हो जाते हैं , जिनका समाधान अभी किसी के पास नहीं है ।
    लेकिन फिर भी हम संपूर्ण राष्ट्र में एक साथ चुनाव करवाने की बात कर रहे हैं तो ऐसी आधारविहीन बातों को प्रस्तुत करके हम क्या संदेश देना चाहते हैं ? जब देश का चुनाव आयोग एक ही राज्य में चुनाव के लिए 8-8 चरणों की व्यवस्था करता है तो फिर वह संपूर्ण राष्ट्र में एक साथ कैसे चुनाव संपन्न करवा सकता है ?
    जहाँ अलग अलग होने वाले मतदान में भी मतों का औसत प्रतिशत 55 से 60 प्रतिशत के बीच में रहता हो वहाँ एक साथ चुनाव में ये प्रतिशत कितना नीचे आएगा उसका अंदाजा हम नहीं लगा पा रहे हैं । ऐसे में कैसे नेता चुने जाएंगे , वे कितने विकास के कार्य करवाएंगे, क्या इन सभी के बारे में कभी किसी ने विचार किया ही नहीं है ? नहीं...एक साथ चुनाव संपन्न करवा कर अपने कर्तव्यों की इतिश्री नहीं की जा सकती । कुछ बातें कहने सुनने में तो बहुत अच्छी लगती हैं पर वास्तविकता के धरातल पर जाते ही दम तोड देती हैं । कोई निर्णय लेना बहुत ही आसान होता है, लेकिन जब आप उसे लागू करते हैं तो उससे पहले आपको कई पहलुओं पर गंभीरता से विचार करना होगा ।

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