हैदाखान बाबा जी,1922 में नेपाल सीमा में समाधिस्थ हो गए, एक नदी में,1970 में फिर हैड़ाखान में प्रकट हुए,स्वयं शिव स्वरूप ही हैं,1984 में इन्होंने स्वयं शरीर त्यागा था, मृत्यु नहीं हुई थी ,साक्षात शिव ही हैं, नीम करौली बाबा जी के अनुसार! हां , महावतार गोरक्षनाथ अलग हैं
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Aabhar
हैदाखान बाबा जी,1922 में नेपाल सीमा में समाधिस्थ हो गए, एक नदी में,1970 में फिर हैड़ाखान में प्रकट हुए,स्वयं शिव स्वरूप ही हैं,1984 में इन्होंने स्वयं शरीर त्यागा था, मृत्यु नहीं हुई थी ,साक्षात शिव ही हैं, नीम करौली बाबा जी के अनुसार! हां , महावतार गोरक्षनाथ अलग हैं