सदियां बीती जिस चाहत में

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  • เผยแพร่เมื่อ 12 พ.ค. 2024
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    🪷🌺 जय श्री राम 🌺🪷
    तर्ज: उठ जाग मुसाफिर भोर भई...
    सदियाँ बीती जिस चाहत में, शुभ दिन देखो वह आया है।
    पावन मंदिर श्री राम लला का, हमने वहीं बनाया है।
    मन का सूखापन दूर हुआ , आनंद की वर्षा छाई है।
    उठ देख अयोध्या नगरी ने नववधु सा खुद को सजाया है।
    घेरा था हमे आशंका ने और फैली घोर निराशा ने;
    आशा की नवकिरणे आई, जीवन औषधि को पाया है।
    कठपुतली बनकर नाच रहे, कब से गैरों के इशारे पर;
    सपने होने साकार लगे, जब मंत्र एकता पाया है।
    सागर की लहरें आती है, श्री राम वंदना गाती है।
    बतलाती लंका जाने को यहीं पावन सेतु बनाया है।
    मजबूत हमारी बाँहे है और लक्ष्य दिखाती राहें है।
    पग पग निर्भय बढ़ते जाते, जय जय श्रीराम गुँजाया है।
    ठोकर खाये दिन बीत गए, अब राष्ट्र ने खुद को संभाला है।
    उल्लासित तन मन चहके 'हित', जब रामभजन को गाया है।
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