मुनिराज के मुख से अपने पूर्व सुन के वृषभ से ना का वैराग्य और अधिक बढ़ने लगा और उसने गुणधर्म मुनिराज से एरिका दीक्षा ले ली. इस प्रकार औषधी दान में प्रसिद्ध वृषभसेना की कहानी समाप्त हुई.
उसे वहां मुनिराज दिखाई दिए तुझे जब यह ज्ञात हुआ तो तू वहां आई और तूने मुनिराज को पहले जैसा ही शांत पाया. तब तुझे योग्य गुणों की कीमत आई. तू बहुत पछताe, तूने अपने को बहुत धिक्कारा. मुनिराज से अपने अपराध की क्षमा मांगी मुनिराज का कष्ट दूर करने की बहुत कोशिश की उनके लिए औषधि तैयार की उससे तेरे पाप कर्मों की स्थिति बहुत घट गई
राजा ने पृथ्वी चंद्र को नहीं छोड़ा यह बात वृषभ सेना की ज्ञान में आए इसलिए उसकी रानी नारायण दत्ता ने वृषभ सेना के नाम से यह daanshaलाएं बनवाई हैं वृषभ सेना ने राजा से बात कर पृथ्वी चंद्र को कैद से छुड़वा दिया पृथ्वी चंद्र ने वृषभ सिंह का बहुत उपकार माना और राजा उग्रसेन रानी वृषभ सेना का बहुत सुंदर चित्र बनवाया
राजा का क्रोध देखकर मैं पिंगला को कुछ समझ तो नहीं आया लेकिन वह वहां से बहुत दूर भाग गया राजा ने उसके पीछे अपने सिपाही भेजे और वृषभ से ना को समुद्र में फेंक देने का आदेश दिया वृषभ सेनानी प्रतिज्ञा की कि यदि मैं संकट से बच्ungi तो आर्यika दीक्षा लूंगी
वृषभsena के नाम से दानशाला बनवाई. रूपवती को लगा की वृषभ सेना ने अपने नाम से दानशाला बनवाई हैं और उसने मुझे बताया नहीं. रूपवती को वृषभ सेना पर बहुत क्रोध आया और उसने वृषभ सेना से बात की
धनपति सेठ Dhanshri sethani Dhay रूपvati कुत्तa रूपवती की माँ की आंखे रूपवती की प्रसिद्धि उग्रसेन v राजा मेघपिंगल की शत्रुता उग्रसेन ne रनपिंगल सेनापति को चढ़ाई जल के स्रोतो में विष Ran पिंगल भाग कर लौट आया राजा की इच्छा विवाह की Astanika पूजा पशु पक्षियों v कैदियों llको बंधनमुक्त करना होगा Vrishbhsena पटरानी बनारस का राजा पृथ्वी चंद्र कैद था पृथ्वी चंद राजा की रानी नारायण दत्ता
राजा uग्रसेन ने राजा पृथ्वी चंद्र को राजा मेघ पिंगला पर चढ़ाई करने की आज्ञा दी मेघ पिंगला राजा उग्रसेन के दरबार मे स्वयं उपस्थित हो गया मेघ पिंगला राजा पृथ्वी चंद्र से बहुत डरता था वह uग्रसेन का सामंत राजा बन गया राजा उग्रसेन की मेघ पिंगल पर बहुत कृपा हो गई दो कंबल भेंट में आए एक कंबल वृषभ से ना को और एक कंबल मेघ पिंगल को भेंट कर दिया राजा उग्रसेन ने मेक पिग मेघ पिंगला की रानी उसे कंबल को ओढ़ कर एक दिन वृषभ से नाक से मिलने आई वृषभ सेना का कंबल मेघ पिंगला के कंबल से बदल गया मेरी पिंगला उसे कंबल को ओढ़ कर राज दरबार आया राजा ने पहचान लिया कि यह तो वृषभ से ना का कंबल है और उसको बहुत क्रोध आया राजा अग्रसेन को वृषभ से ना और मेघ पिंगल के प्रति संदेह हो गया
रानी ऋषभ सिंह राजा आजा के अनुसार समुद्र में डाल दी गई देवों ने वृषभ से ना को सिंहासन पर विराजमान किया वृषभ सेना के शील का महात्म्य देखकर राजा उग्रसेन को बहुत पश्चाताप हुआ उन्होंने वृषभ सेना से अपने इस अपराध की क्षमा मांगी वृषभ से ना अपनी प्रतिज्ञा पर दृढ़ थी ऋषभ सिंह और राजा उग्रसेन गुणधर मुनिराज के पास गए वृषभ सेना ने पूछा कि मुनिराज मैंने ऐसे क्या कर्म करे हैं कि मुझे उसका यह फल भोगना पड़ा तो पूर्व जन्म में नाग श्री नाम की लड़की थी और इसी राजघराने में झाड़ू दिया करती थी एक दिन एक मuनीदत्त नाम के मुनिराज गड्ढे में बैठे हुए थे और तू वहां बुहारी दे रही थी तूने मुनिराज से कहा कि हे ढोंगी उठ यहां से, मुझे इस स्थान को झड़ने दे, आज महाराज इसी महल में आएंगे. मुझे इस स्थान को झाड़ना है मुनिराज ध्यान में थे इसलिए वे ध्यान पूरा होने तक उठ नहीं सकते थे. तुझे बहुत अधिक गुस्सा आया और तूने उस गड्ढे को कूड़े से भर दिया तू उस समय अज्ञानी थी, कुछ भी नहीं समझती थी लेकिन बेटा तूने यह काम बहुत बुरा किया तू नहीं समझती थी कि साधु संत तो पूजा करने योग्य होते हैं उन्हें कष्ट देना उचित नहीं अचानक महाराज वहां आए और मुनिराज के साथ लेने से वह कूड़ा ऊपर नीचे हो रहा था उन्हें कुछ संदेह सा हुआ तभी उन्होंने वह कूड़ा कचरा हटvaया
Kyuki vrashabsena ka kambal jab unhone meghpingal ke pas dekha to unhe esa laga ki vrashabsena or meghpingal ke beech koi galat relation he isliye unne bina jane hi use samudra me dalwa dene ka order de diya
Bahut sundar katha 🙏🏽🙏🏽
Thanks for word of appreciation 🙏🏻
Anumodna 🙏🙏
Bahut hi acche se aapane Katha ka varnan Kiya aur animated video to bahut kamal ka tha
Jai Jinendra 🙏🙏🙏
Bahut Sundar Katha Hai.
Thanks for word of appreciation 🙏🏻
Jai jinender ji 🙏
@@AjayJain-j1n सादर जय जिनेन्द्र जी 🙏🏻
Jay jinendra
अतीव सुदर
👏🏻👏🏻👏🏻👏🏻👏🏻👏🏻👏🏻
मुनिराज के मुख से अपने पूर्व सुन के वृषभ से ना का वैराग्य और अधिक बढ़ने लगा और उसने गुणधर्म मुनिराज से एरिका दीक्षा ले ली.
इस प्रकार औषधी दान में प्रसिद्ध वृषभसेना की कहानी समाप्त हुई.
💠🌟💠🌟💠🌟💠
🌟 अप्रतिम 👌👌👍🌟
💠🌟🙏🙏🌟💠
🙏 🙏 🙏
ऊत्तम कथा !!!
Thanks for word of appreciation 🙏🏻
बहुत ही सराहनीय कार्य
Thank you
Wah Anumodna 🙏🙏🙏
Thanks :)
Story bahut acchi lagi
धन्यवाद जी 🙏🏻
Bahut sundar 🌟🌟🌟
Thanks
Muni raj sahu mara mathe nirdos amar raho aatlo upkar karjo raxa karjo laj rakhjo
बहुत सुंदर
Thanks for the words of appreciation 🙏
Good for kids
Bahut Sundar Story... Dhanyvad... aapke Prayas hi harday he Anumodna
Thank You
Jai jinendra
उसे वहां मुनिराज दिखाई दिए
तुझे जब यह ज्ञात हुआ तो तू वहां आई और तूने मुनिराज को पहले जैसा ही शांत पाया.
तब तुझे योग्य गुणों की कीमत आई.
तू बहुत पछताe, तूने अपने को बहुत धिक्कारा.
मुनिराज से अपने अपराध की क्षमा मांगी
मुनिराज का कष्ट दूर करने की बहुत कोशिश की उनके लिए औषधि तैयार की
उससे तेरे पाप कर्मों की स्थिति बहुत घट गई
बहुत ही सुंदर कथा चित्रण किया ,निर्माता टीम को बधाइयां👌👌👌💐💐
Thank you very much
Saloni jain
Saloni jain
Jain Saloni
@@JainDigitalPathshala.Saloni the
Wow nice excellent story !!!👌👌🙏🙏🙏👍👍👍👏👏👏
Many many thanks
🙏 jaijinedra ji 🔥🔥🔥
🙏
Il
इन दोनों राजा रानी के चरणों में अपना सिर झुकाते हुए चित्र भी बनवाया
उसने वृषभ देना से कहा कि है देवी मैं आपका चिर ऋणी रहूंगा
🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻
🙏🙏🙏🙏🙏
Aushadh dhaan ka matalab badhi sundarta say samjaya
Thanks
good
Thanks 👍🏻
👍👍
राजा ने पृथ्वी चंद्र को नहीं छोड़ा यह बात वृषभ सेना की ज्ञान में आए इसलिए उसकी रानी नारायण दत्ता ने वृषभ सेना के नाम से यह daanshaलाएं बनवाई हैं
वृषभ सेना ने राजा से बात कर पृथ्वी चंद्र को कैद से छुड़वा दिया
पृथ्वी चंद्र ने वृषभ सिंह का बहुत उपकार माना और राजा उग्रसेन रानी वृषभ सेना का बहुत सुंदर चित्र बनवाया
Very nice keep it up👌
Thanks a lot 😊
एक दूध को उन दान शालाओं हकीकत जानने को भेजा.
राजा का क्रोध देखकर मैं पिंगला को कुछ समझ तो नहीं आया लेकिन वह वहां से बहुत दूर भाग गया राजा ने उसके पीछे अपने सिपाही भेजे और वृषभ से ना को समुद्र में फेंक देने का आदेश दिया
वृषभ सेनानी प्रतिज्ञा की कि यदि मैं संकट से बच्ungi तो आर्यika दीक्षा लूंगी
Excellent.. 👌👌
Thanks a lot 😊
मुनि सेवा के फल से तू इस जन्म में सेठ धनपति की लड़की हुई
A good people NM
👌👌🙏🙏
👌👌👍🙏🙏🙏
👍👍🙏🙏🙏
Nice
धन्यवाद
Jai jinendra🙏👌👌👌🙏
Very nice
Thanks
😍😍😍💕nice story
Thank you 😃
Sari jan story ko ese hi animation wali video bna daliye khub prabhavna hogi sach me. Digital yug ha aj ka so
Wow ! Excellent 🙏👍
Thanks a lot
✨Very aptly explained steps to apply Jainism principles in our daily life. Really appreciated. Thanks a lot.🙏🏻
Thank you so much
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
🗓️ Next Story Release On - 25 December 2020
Ap ki video ka bhut intzar rhta h ap itna der mai video kyu dal rahi ho humare se wait ni hota
😅
वृषभsena के नाम से दानशाला बनवाई.
रूपवती को लगा की वृषभ सेना ने अपने नाम से दानशाला बनवाई हैं और उसने मुझे बताया नहीं.
रूपवती को वृषभ सेना पर बहुत क्रोध आया और उसने वृषभ सेना से बात की
🙏🙏🙏
धनपति सेठ
Dhanshri sethani
Dhay रूपvati
कुत्तa
रूपवती की
माँ की आंखे
रूपवती की प्रसिद्धि
उग्रसेन v राजा मेघपिंगल की शत्रुता
उग्रसेन ne रनपिंगल सेनापति को चढ़ाई
जल के स्रोतो में विष
Ran पिंगल भाग कर लौट आया
राजा की इच्छा विवाह की
Astanika पूजा
पशु पक्षियों v कैदियों llको बंधनमुक्त करना होगा
Vrishbhsena पटरानी
बनारस का राजा पृथ्वी चंद्र कैद था
पृथ्वी चंद राजा की रानी नारायण दत्ता
Link for the Quiz based on this story is given in the Description. Do get it solved.
Nice
@@anjalikothari7234 1¹¹111111
👌👌👌👌👌
🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻
Î#
Mai apni awaj se esi education l katha ko explain karana chahti hoo but how plz guide me
राजा uग्रसेन ने राजा पृथ्वी चंद्र को राजा मेघ पिंगला पर चढ़ाई करने की आज्ञा दी
मेघ पिंगला राजा उग्रसेन के दरबार मे स्वयं उपस्थित हो गया
मेघ पिंगला राजा पृथ्वी चंद्र से बहुत डरता था
वह uग्रसेन का सामंत राजा बन गया
राजा उग्रसेन की मेघ पिंगल पर बहुत कृपा हो
गई
दो कंबल भेंट में आए एक कंबल वृषभ से ना को और एक कंबल मेघ पिंगल को भेंट कर दिया राजा उग्रसेन ने
मेक पिग मेघ पिंगला की रानी उसे कंबल को ओढ़ कर एक दिन वृषभ से नाक से मिलने आई वृषभ सेना का कंबल मेघ पिंगला के कंबल से बदल गया मेरी पिंगला उसे कंबल को ओढ़ कर राज दरबार आया राजा ने पहचान लिया कि यह तो वृषभ से ना का कंबल है और उसको बहुत क्रोध आया
राजा अग्रसेन को वृषभ से ना और मेघ पिंगल के प्रति संदेह हो गया
रानी ऋषभ सिंह राजा आजा के अनुसार समुद्र में डाल दी गई
देवों ने वृषभ से ना को सिंहासन पर विराजमान किया
वृषभ सेना के शील का महात्म्य देखकर राजा उग्रसेन को बहुत पश्चाताप हुआ
उन्होंने वृषभ सेना से अपने इस अपराध की क्षमा मांगी
वृषभ से ना अपनी प्रतिज्ञा पर दृढ़ थी
ऋषभ सिंह और राजा उग्रसेन गुणधर मुनिराज के पास गए
वृषभ सेना ने पूछा कि मुनिराज मैंने ऐसे क्या कर्म करे हैं कि मुझे उसका यह फल भोगना पड़ा
तो पूर्व जन्म में नाग श्री नाम की लड़की थी और इसी राजघराने में झाड़ू दिया करती थी
एक दिन एक मuनीदत्त नाम के मुनिराज गड्ढे में बैठे हुए थे और तू वहां बुहारी दे रही थी
तूने मुनिराज से कहा कि हे ढोंगी उठ यहां से, मुझे इस स्थान को झड़ने दे, आज महाराज इसी महल में आएंगे. मुझे इस स्थान को झाड़ना है मुनिराज ध्यान में थे इसलिए वे ध्यान पूरा होने तक उठ नहीं सकते थे.
तुझे बहुत अधिक गुस्सा आया और तूने उस गड्ढे को कूड़े से भर दिया
तू उस समय अज्ञानी थी, कुछ भी नहीं समझती थी लेकिन बेटा तूने यह काम बहुत बुरा किया
तू नहीं समझती थी कि साधु संत तो पूजा करने योग्य होते हैं
उन्हें कष्ट देना उचित नहीं
अचानक महाराज वहां आए और मुनिराज के साथ लेने से वह कूड़ा ऊपर नीचे हो रहा था
उन्हें कुछ संदेह सा हुआ तभी उन्होंने वह कूड़ा कचरा हटvaया
Aap yeh animation kaha se karte ho ?
⁰
sir बाकि सब तो ठीक है और मैंने स्टोरी की परीक्षा भी दे दी लेकिन वृशाभ्सेना को क्यूँ फेका जब की कम्बल तो उग्रसेन ने ले लि थी
Kyuki vrashabsena ka kambal jab unhone meghpingal ke pas dekha to unhe esa laga ki vrashabsena or meghpingal ke beech koi galat relation he isliye unne bina jane hi use samudra me dalwa dene ka order de diya
@@suruchijain7537 thanks for clearing mu doubt
𝓜𝓮𝓰𝓱𝓹𝓲𝓷𝓰𝓪𝓵 𝓫𝓱𝓲 𝓷𝓲𝓻𝓸𝓭𝓸𝓼𝓱 𝓽𝓱𝓮
Yes
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