श्री गुरु देवाय नमः। ऊं श्री गणेशाय नमः। ऊं नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय। जय श्री राम।
ईशवरप्रदत अनुग्रह ही है।मन की गति,को भी कंट्रोल कर लेती हैं। एसा अलौकिक वाक्चातुर्य। संबोधन,। व्यासपीठ की तरफ अग्रसर स्वामी जी के कलम,,,( तीस मिनट तक। का प्रसारण बार बार सुन लेने को। सुनते ही। रहनें को जी। चाहता। है,,,,
ये। कत्ई। न कहें। कि ।यार। क्या। करें?? बस जिद करके। चल। दे। कथामृत पान के लिये मन में उमंग हो वरना हम कब। ख़ुशनसीब। कहलायेगी?? ( बजे। दिनों पे खुशी। का। दिन। आया) ध्रुव। धारणा।
प्रसंगवश? कि जीव, प्राणी,,हम इन्सान, अच्छा और अनुकरणीय,दीखना तो चाहते हैं,, लेकिन व्यवहार में हम वैसख कुछ करना नहीं चाहते ,न ही करते वो अनुशरण,। रास्ते मैं पड़ी। हुई रोटी और भगवान की तस्वीर को हम कहां उठाते हैं? ( कोई देख लेगा तो? क्या कहेगा?) हां हम अठन्नी को उठा कर जेब में डाल लेते हैं ,चलती नहीं वो अठन्नी,,! आपके पीछे आ रहा बंदा तो अपने आप को बदनसीब तक समझ लेता है , कुढ़ता हुआ,बडबडाता। ,,,हुआ,,,,
फर्श से अर्श परकाबिज हो जाने, अथशा, भौतिक जगत टे उच्चतम,स्तर पर पहुंच जाने की लालसा,और चाहत तो ( उसयुग में) भी जीव को थी ही । ( कि मेरी पुत्री से उत्पन्न संतान ही राज्य की उत्तराधिकारी होगी) अनुबंध, शर्त करार ।राजा शांतनु,,,
अनयढ़़,होने के कारण।उचित भावाभिवय्कति नही कर पा। रहा। में।( थीमे थीमे,, व्यासपीठ पर आ कर मानवमैदिनी को प्रणाम करना,! कि। जैसे। प्राची से। अरुणोदय,,,हो गया। हो,,, अस्तु,,,
Hariom swamiji prannam swamiji
🙏🏼🌹🙏🏼🌹भगवान राम की तरह सहज हैं🙏🌹 हमारे गुरूदेव🙏 🌹🌹
बरबस ही। वो। बात। याद। आ। ही। जाती। है ।जब कभी। स्वामी ने। हमरी। नित्य स्मरणीय। माता जी। को। यह। कह। दिया। था। कि,,,,माँ। ।गुरू दीक्षा के। बाद ,,,( मै। आपको। याद। न। रख। सका। ) यही वे। शब्द। हैं। जो। मुझे। अध्यात्म। की। तरफ। ले। गये। ( सतत्। श्रवण। की। ओर ) ।
🙏💐🌼💐🌼हरि ॐ श्रीगुरु शरणम् 💐🌼💐🌼💐🌼💐🌼💐🌼💐🌼💐🙏हरि ॐ 💐🌼💐🌼💐🌼💐🌼💐🌼💐
श्री परम प्रकाश सद्गुरु देव के चरणों में कोटि कोटि नमन वंदन प्रणाम करते हैं।
वाह, ये हम सभी का बहुत बड़ा सौभाग्य है। 🎉🎉🎉
समारोह, सम्बोधन,समापन,।
सत्यम,शिवम, सुन्दरम।
नमोस्तु नंनताय।
गुरु देव, एकोहम बहुष्याम का तात्पर्य एक से अनेक। सबसे पहले चार दिशाओं के लिए श्री ब्रह्मा जी की उत्पत्ति करनी पड़ी।
जैसे जैसे नदियां सुखेंगी, वैसे वैसे हमारे मन भी सुख जायेंगे।
मृत्यु नहीं, परिवर्तन के लिए तत्पर हैं।।
श्री परमहंस परमानंद परमात्मा जी के चरणों में बलिहारी जाऊं ।
गुरु देव ये, काम की उत्पत्ति हो गई।
गुरु देव ये, काम की उत्पत्ति हो गई। तीसरा वेद।
ये कथा मां पार्वती जी ने सूनी।
जय जय श्री राम। ऊं श्री शुभ गुरु देवाय नमः। श्री शुभ रात्रि। 😅😅😅😅
🙏🏻🙏🏻हरि ॐ, हरि ॐ, हरि ॐ..... 🙏🏻🙏🏻
अनहद। नाद। तान! स्वतहस्फूर्तस्पंदन।
सत्यं शिवम् सुन्दर किसने किया
आदत, सठ सम्पत्ति।
शिक्षा व्यवस्था। व्यवहार बनता है।
श्री गुरु देवाय नमः। ऊं श्री गणेशाय नमः। ऊं नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय। जय श्री राम।
Jai gurudev
आदत,लगाव,चाव, कौतूहल,या फिर लालच,ही। सही,। ,,,हम,,,,तेरे। बिन। जी। ना। सकेंगे,,,,सनम,,,( दिल की। ये। आ,,,,वा,,,जी। है,,,, ।( श्रवण मंगलमय। तव,, कथामृतम),
स्वामीजी का ,,, धीमें धीमें,,,व्यासपीठ तक। चलकर आना,,।) कितने। भाग्यशाली हैं। वे श्रोता,,,जो। कथामृतपानसमारोह में,,,,,
अनंत में।
Shri Guru ji ko shat shat Naman hai om namo Shivah🙏🙏
Guru charno me koti koti pranam svikar kare guruvar maharj ji aap ki kirpa dristi hamesha bani rahe 😊
तिरंगा का सबसे उच्च रंग।
बड़े दिनों। पे। खुशी। का दिन। आया।
धन घङी धनभाग ।( यही। वो। पल। हैं ) जिसके। लिये। दर से। हम। ,,,,
Jai maa brahmcharni.,........
ये रंग खून का है।
नहीं तो उरीण नहीं हो पायेंगे।।२ एक नहीं हो सकता।।
सत्य होगा
💐💐🙇🙇🙏🙏🙏om namo Narayan🙏
आधा ईश्वर, आधी नारी।
राम का आ हट गया।
Sad. Guru. .Sharnum. Prabu. Sharnum 🕉️⚛️💐💐💐💐💐💐💐♥️♥️♥️♥️♥️💐💐💐💐💐💐💐💐💐♥️💐💐💐💐💐💐💐💐💐🕉️⚛️. Veena
🎉🎉🎉🎉
बेल काट दी श्री पितामह जी का।
ईशवरप्रदत अनुग्रह ही है।मन की गति,को भी कंट्रोल कर लेती हैं। एसा अलौकिक वाक्चातुर्य। संबोधन,। व्यासपीठ की तरफ अग्रसर स्वामी जी के कलम,,,( तीस मिनट तक। का प्रसारण बार बार सुन लेने को। सुनते ही। रहनें को जी। चाहता। है,,,,
श्री मति लक्ष्मण सिंह,मालिनी जी गोंड।
आधा शरीर। अर्धनारीश्वर।
न्यायमूर्ति
नहीं तो उरीण नहीं हो पायेंगे।।
यातायात के नियम पश्चिम में बहुत अच्छे हैं।
शुरू शुरु के 15 मिनट अमृत पान है। ।
व्यास रेखा खिचने के बाद।
यह दैवयोग। ही। तो। है। कि। बस जनसेवा की जाये। ( दैवयोग। / देवी भागवत काथमृत पान। समारोह ) ।
में यहां हुं।
अब बदल। गयी। है। वे। ( सनातन, काल। से। चली। आ। रही। उक्ति!
,,,,,,,जिसकी। रचना,,,,इतनी। ,,,,सुंदर,,,,वो। कितना,,,,, सुंदर होगा ,,,।( इन्ही। चर्म। चक्षुओं। से। ही। देख लो। ) । गलत। हो। तो। जो। भी। सजा। मिले। वो। भी। पारीतोषिक,,,,,
केसर की क्यारी सा। महकता। बचपन !! कहां। कायम। रह सका !!!
हमने जबरदस्ती बनाया है। कौन सी जल्दी है, जीवन से भी किमती।
प्रकृति की हानि नहीं होनी चाहिए।
हम सब भी परीक्षार्थी हैं।
ईरषा। या। डाह। ! कुछ। भी। कहा। जासकता। है। कि। कितने। ख़ुशनसीब है। वो। मानव। जो। स्वामी। जी। के। सतत। दर्शन करता। है। काश। कि। मेरा। भी। नसीब। एसा। ही। होता,,,,,,
यातायात व्यवस्था में जबरदस्ती पुकारना, पुकारने ने भगवान को बहरा कर दिया है।
काम करने लगें।
यदा कदा। ही। स्वामी। के। दर्शन। सुलभ। होते। है। क़ायनात। यह शिकायत। नही। कर। सकती। किईशवल। को। नहीं। देखा! व्यासपीठ पर। आसीन ,,,,
हरे, से तात्पर्य, पत्तों में क्रिया करके पेड़ पौधे को भोजन देने की सामार्थ से है।
श्री राम जी ने निशचर विहीन सौपी थी मसाल।
सच्चे गुरु और आचार्य, धर्म बताते हैं। धर्म क्या है।
आज तीस प्रतिशत नहीं होते।
दिन। जो ! पखेरू,,, होते,,,।पिजरे। में। ,,,( मै) रख। लेता। ,, पालता। ऊनको। जतन। से। ।।।मोती। के। दाने। ,, देता,,, ।( यादें। न। जाये। ,,, बीते। दोनों,,, की। ।)
,,,,, कहां। कायम। रह। सका। ! वो। अजहर सी। क्यारी। सा। महकता,,,बचपन,,, लड़कपन
हर। जिद। को। मना। लेने। की। वो,,,
हमारे शरीर में से दुख कष्ट। पानी की शुद्धता के कारण। सब विराट नहीं हो सकते।
रींज रींज कर।
ये। कत्ई। न कहें। कि ।यार। क्या। करें?? बस जिद करके। चल। दे। कथामृत पान के लिये मन में उमंग हो वरना हम कब। ख़ुशनसीब। कहलायेगी??
( बजे। दिनों पे खुशी। का। दिन। आया) ध्रुव। धारणा।
न्याय के लिए होता है।
हमने जबरदस्ती बनाया है। कौन सी जल्दी है, जीवन से भी किमती। प्यारे देशवासियों, केन बेतवा नदी के किनारे किनारे सड़क जरुर बनाएं, टैक्स पेड।
प्रसंगवश? कि जीव, प्राणी,,हम इन्सान, अच्छा और अनुकरणीय,दीखना तो चाहते हैं,, लेकिन व्यवहार में हम वैसख कुछ करना नहीं चाहते ,न ही करते वो अनुशरण,। रास्ते मैं पड़ी। हुई रोटी और भगवान की तस्वीर को हम कहां उठाते हैं? ( कोई देख लेगा तो? क्या कहेगा?) हां हम अठन्नी को उठा कर जेब में डाल लेते हैं ,चलती नहीं वो अठन्नी,,! आपके पीछे आ रहा बंदा तो अपने आप को बदनसीब तक समझ लेता है , कुढ़ता हुआ,बडबडाता। ,,,हुआ,,,,
लोग आज भी धर्म पर अतिक्रमण कर रहे हैं। बारुद के भरोसे।।
ब्रह्म काम नहीं करते।
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Hereमे से आ हट गया। He are. हम यहां हैं।
श्री परिक्षित जी और श्री पितामह नहीं होते तो परीक्षा किस की हुई। हमारे ने सभी ने अपने आपको बलिदान कर दिया। रंग दे बसंती चोला।
गुरु देव light के switch upper push करने पर light up ज्यादा अच्छा है। ऊं ऐं श्रीं क्लीं चामुण्डायै नमः।
पर्जन्यों के बुलाने के लिए, उत्तराधिकारी कौन-कौन बनेगा।।
बाईस जनवरी के बाद पानी का लेवल बढा है। पेड़ पौधे साक्ष्य हैं।
मनुष्य बनकर कौन मारेगा।।
सब। काम। क्या खूब में। ही??
फर्श से अर्श परकाबिज हो जाने, अथशा, भौतिक जगत टे उच्चतम,स्तर पर पहुंच जाने की लालसा,और चाहत तो ( उसयुग में) भी जीव को थी ही ।
( कि मेरी पुत्री से उत्पन्न संतान ही राज्य की उत्तराधिकारी होगी) अनुबंध, शर्त करार ।राजा शांतनु,,,
1:37:35
R, l bahara
डाह और ईर्ष्या के। वसीभूत होकर , प्रतिशोध न। करके,( प्रीति शोध करें) सतत। सत्संग की। सही। परिणीती।
( भाज्य,भाजक,,,- भजनफल ।)
R,l. Bagara
पिछले बीस सालों में पानी का लेवल दस फीट नीचे चला गया है। इस साल थोड़ा बढ़ा है।
श्री परिक्षित जी और श्री पितामह नहीं होते तो परीक्षा किस की हुई।
अनयढ़़,होने के कारण।उचित भावाभिवय्कति नही कर पा। रहा। में।( थीमे थीमे,, व्यासपीठ पर आ कर मानवमैदिनी को प्रणाम करना,! कि। जैसे। प्राची से। अरुणोदय,,,हो गया। हो,,, अस्तु,,,
आकाश में छ्लांग लगाकर समुद्र पार करने की शक्ति नहीं रही है।
बर्तन की आवश्यकता।। Capacity.
लाभ कितना हो रहा है।
पर पोते के। त्रिरेता में बेटा ने।
गैस टांसपोर्ट का समाधान, बहुत ज्यादा तो हो गया है, थोड़ा बढ़ाइये। जयपुर घटना।।
पानी कहां से पियोगे। आज भी दुध से आधी कीमत में बिक रहा है।
समस्या। तो। यह। है। कि इस अविस्मरणीय, झांकी का।अविराम। अवलोकन। करू। या। कमेन्ट?? ( नयनाभिराम, अभिराम,अनुपम, प्रस्तुति) ।दैवयोग/ दैवीभागवत ।
निगोड़ी। आँखे। बरबस सब्र का। बाँध। तोङकर बस। यू। ही बहने लगी। हैं। ।आकर ईशवर ही व्यासपीठ पर। विराजमान। है। ।
रिस रहा है।
गलत निर्णय था। पूरा कुल आज ऐसा नहीं होता। धृतराष्ट्र पैदा नहीं होते। सबसे पहला कर्तव्य एकोहम बहुष्याम है।
गलत निर्णय था। पूरा कुल आज ऐसा नहीं होता।
Cells. Battery उर्जा का स्तोत्र। Cell बनाया जिससे रेडियो चलते थे।