वासांसि जीर्णानि यथा विहाय। श्रीमद्भगवत गीता। कक्षा 12। श्लोक २१-२४। आचार्य योगेश वैदिक
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- เผยแพร่เมื่อ 25 ก.พ. 2023
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#वासांसि_जीर्णानि_यथा_विहाय नवानि गृह्णाति नरोऽपराणि । तथा शरीराणि विहाय जीर्णा- न्यन्यानि संयाति नवानि देही ॥
यहाँ आपको दर्शन उपनिषदों के साथ साथ वैदिक सिद्धान्तों की कर्मफल सिद्धांतों की जानकारी के साथ-साथ शंका समाधान प्राप्त होगा ।
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जय हो मेरे गुरुवर
ओऽम
सादर नमन,आचार्य जी,इतना सरल बना दिया आपने इतने कठिन विषय को!
धन्यवाद!
Sadar Namaste Aacharyji