वासांसि जीर्णानि यथा विहाय। श्रीमद्भगवत गीता। कक्षा 12। श्लोक २१-२४। आचार्य योगेश वैदिक

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  • เผยแพร่เมื่อ 25 ก.พ. 2023
  • #गीता #श्रीकृष्ण #गीताज्ञान #पुराने_शरीर_को_छोड़ना_नए_शरीर_को_धारण_करना
    #वासांसि_जीर्णानि_यथा_विहाय नवानि गृह्णाति नरोऽपराणि । तथा शरीराणि विहाय जीर्णा- न्यन्यानि संयाति नवानि देही ॥
    यहाँ आपको दर्शन उपनिषदों के साथ साथ वैदिक सिद्धान्तों की कर्मफल सिद्धांतों की जानकारी के साथ-साथ शंका समाधान प्राप्त होगा ।
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ความคิดเห็น • 5

  • @manishchoudhryaarya5608
    @manishchoudhryaarya5608 ปีที่แล้ว +1

    जय हो मेरे गुरुवर

  • @thegamersgaming600
    @thegamersgaming600 ปีที่แล้ว

    ओऽम

  • @alkashrivastava1467
    @alkashrivastava1467 ปีที่แล้ว +1

    सादर नमन,आचार्य जी,इतना सरल बना दिया आपने इतने कठिन विषय को!
    धन्यवाद!

  • @sureswaripanda9340
    @sureswaripanda9340 ปีที่แล้ว

    Sadar Namaste Aacharyji