Supreme Court's Landmark Judgment on Section 498A IPC | Vasu Dev Monga | Unacademy Judiciary

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  • เผยแพร่เมื่อ 1 ธ.ค. 2024

ความคิดเห็น • 11

  • @AdvocateAbidMir
    @AdvocateAbidMir 4 วันที่ผ่านมา +2

    Thanks sir
    I am from Jalandhar

  • @nancysharma8848
    @nancysharma8848 4 วันที่ผ่านมา

    Thank you so much sir... amazing explanation of law point and case 😊😊🙏🙏

  • @mandeepkumar318
    @mandeepkumar318 5 วันที่ผ่านมา

    great session sir

  • @mukeshdevi7923
    @mukeshdevi7923 4 วันที่ผ่านมา

    🙏🙏🙏

  • @laxminarayanjoshi6896
    @laxminarayanjoshi6896 3 วันที่ผ่านมา

    आपकी सब बात मानी लेकिन देशभक्ति-जनसेवा के नाम से जो पुलिस है उसको मेवा कौन खिलायेगा ? ये सब एक प्रणाली /सिस्टम में बंधे हैं । ट्रायल कोर्ट की भृष्ट प्रणाली को कोई रोक नहीं सकता है । तब ही को लोग सुप्रीम कोर्ट जाते हैं जो बहुत कम लोगों के बस की बात है ।

  • @vineetsharma4633
    @vineetsharma4633 2 วันที่ผ่านมา

    INDIAN LAW.पर मुझे पहले ही विश्वास नहीं है और यह साबीत भी हो gaya😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂🤭🤭😂कानून जो पाड़ सके तोह पाड़ के देखाए लड़कियों का क्युकी इनके मामले मे कानून वानून कुछ नहीं है.......

  • @vivekkumar-k6j
    @vivekkumar-k6j 4 วันที่ผ่านมา

    उच्च न्यायालय सर्वोच्च न्यायालय के दिशानिर्देशों का पालन नहीं कर रहे हैं, वे महिलाओं के प्रति पक्षपाती हैं लोगों को उच्च न्यायालय को उखाड़ देना चाहिए जो मनमानी करता है

    • @laxminarayanjoshi6896
      @laxminarayanjoshi6896 3 วันที่ผ่านมา

      ये सब एक सिस्टम का पार्ट है कि पति पक्ष की बिल्कुल नहीं सुनना । कानून केवल महिलाओं के संरक्षण के लिए है । पुरूष जावे भाड़ में ।

    • @vivekkumar-k6j
      @vivekkumar-k6j 3 วันที่ผ่านมา +1

      @laxminarayanjoshi6896निचली अदालत और उच्च न्यायालय द्वारा किए गए ये सभी कृत्य अत्यधिक निंदनीय हैं, जनता को निर्णय लेना होगा, यह बहुत ज्यादा हो गया है