सबसे पहले तो हुकम आपको जय माताजी की अब जो हुकम आप जो भूमिया का जो मतलब बता रहे हैं सायद ये बात कही सुक हैं हुकम जहा तक हमने जो सुना हैं तो भूमिया कहो या भोमिया अलग अलग जगह पर अलग अलग बोली होती हैं हुकम और वास्विक जो भोमिया का मतलब हैं वह ऐसे लोग जो भूमि या अपनी धरती माता के बचाव के लिए युद्ध भूमि मे अपने प्राणो की आहुति दे देते थे तो वास्विक भोमिया वही कहलाते थे हुकम
पहले भूमि के स्वामी स्थानीय जागीरदार होते थे, उन्हें भी भूमिया कहा जाता था, वे ही युद्धों में प्राणों का उत्सर्ग करते थे, सो मरने के बाद लोग उन्हें भूमिया जी महाराज कह कर पूजने लगे, बाद में बाद युद्ध में व साधारण मरने के बाद जिन्होंने चमत्कार दिखाएँ उन्हें भी भूमिया जी महाराज कह कर पूजा जाने लगा | युद्ध में सिर कटने के बाद भी लड़ने वाले झुंझार जी और मरने के बाद ना लड़ने वालों को भूमिया जी भौमिया जी महाराजा कहा जाने लगा |
@@ShekhawatRatanSingh हुकम हम भूमिया नही भोमया राजपूत हैं कहने का मतलब यह है भोमिया का स्थानीय भाषा में शाब्दिक अर्थ है... भोम रा रखवाला मतलब मात्रभुमि के रक्षक | और एक बात यह भी कहते हैं कि मारवाड में भोमिया की पदवी उस रजपुत योद्धा को दी जाती थी जो युद्ध भूमि मे सर्वश्रेष्ठ प्रदशन करता था
जय माताजी आपने यह राजपूतों को 3 भागो में जालौर सिरोही क्षेत्र मैं बांटने का जो प्रयास हो रहा है उन भोमिया शासकों का इतिहास उठाकर यह बता दिया राजपूत ही हैं भोमिया कोई जाती नहीं है वह एक उनका हक है उनका पद भी है
भोमिया राजपूत जो की जालोर और पाली जिले के क्षेत्र में है । वह असल में राजपूत ही है। ये वह राजपूत है जिनकी जागीर जब्त हो गई कभी जागीर जब्त हो जाने पर वे लोग खेती से जुड़ गए क्युकी वे खेती करते थे तो उनमें परदा प्रथा की कुछ कमी रही । तो स्थानीय ठिकानेदारों ने उन्हें अपनी बराबरी का मानने से मना कर दिया और उन्हें अपने से निम्न माना और उनमें रिश्ते करने बंद कर दिए जब भी किसी भोमिया राजपूत की वंशावली देखी जाती है तो मिलता है की वह लोग किसी ने किसी ठिकाने से निकले है उदाहरण के लिए परमारो का आबू पर्वत पर राज था कालांतर में आबू पर्वत को देवडा चौहनो द्वारा जीत लिया गया तो चुकी वह परमार अब राज को बैठे तो अब जीवन यापन के लिए कृषि करने लगे तो ठिकाने दार राजपूतों ने उन्हें अपने से निम्न समझा और जैसे जालोर के दहिया राजपूत जिनके जागीर जब्त करके जोधपुर महाराजा ने राठौड़ सिरदारो को दे दी तो अब जिनकी जागीर जब्त हो गई उन्हे आपसी भेदभाव का सामना करना पड़ा जो आज भी जालोर ,पाली के क्षेत्र में प्रचलित है वह राजपूत समाज दो भागो में बट गया है एक वो राजपूत वो ठिकानेदार है उन्हे वहा सिरदार नाम से जाना जाता है और दूसरे वह जो ठिकानेदार नहीं है वे भोमिया कहलाए अब उन्होंने राजनीतिक रूप से वह के सिरदारो का समर्थन न कर के अपना अलग समाज बना लिया है
Ye hakikat he, halanki aaj ke jmane me visheshkar shekhawati ke ati shikshit srdar keval post, pesa.., ko hi tvjo dekar apni mhanta jahir kr purani prmpraon se mukt ho rahe he
स्टेट काल की पद सोपानिक व्यवस्था थी, चुंकि वंशानुगत सत्ता होने से पद स्थायित्व से वह जाति का पर्याय बन गया।शनै शनै राजपूत समाज के दो भाग हो गये और आपसी ईर्ष्या वश भेदभाव बढता ही गया। कालांतर में स्टेट पीरियड तो चला गया लेकिन स्टेटस रह गया जिसका बोझा राजपूत समाज अभी तक झेल रहा है।
यह बात सत्य है कि भूमियाँ शब्द की उत्पत्ति भूमि से हुई है। अर्थात् भूमि की रक्षा के लिये बलिदानी वीर चाहे किसी भी जाति से हों, को भूमियाँ कहाँ गया है।लेकिन इतिहास की प्रत्येक शृंखला को राजपूतों से जोड़ना भी एक माइंड सेट है। क्योंकि इतिहास साक्षी है कि किसी भी राजपूत राजाओं के द्वारा मात्र अपनी रक्षा के लिये ही या तो समझोता किया गया है अथवा युद्ध किया गया है। इसमें राजपूतों के अलावा अन्य क्षत्रियों जैसे जाट(सूरजमल और नाहर सिंह,यादव(आल्हा-उदल), गुज्जर(मिहिर भोज) और मराठा आदि का देश प्रेम राजपूतों से सैंकड़ों गुणा अधिक है। जैसे- पानीपत के तीसरे युद्ध में मराठों के साथ क्षेत्रीय लाकड़ा जाट युवकों का बलिदान हुआ था जिसमें घायल रामलाल लाकड़ा चौहान ने जिस स्थान पर अंतिम साँस ली वहाँ आज भी किरठल के खेतों में भूमियाँ का एक मन्दिर है जहाँ किरठल, लूम्ब, तुगाना, रमाला और असारा के लाकड़ा चौहान अपने पूर्वज को सिद्ध मानते है। इन महानुभावों के कोई भी सन्देश देखें तो इनके मुखारविंद से केवल राजपूत शब्द का ही बखान किया जाता है। लेकिन जयचंद और मानसिंह की ग़द्दारी पर चुप रहते है। प्राचीन भारत के संस्कृत या हिंदी के किसी भी साहित्य में जी शब्द का उल्लेख नही है। लेकिन आप इसे अपनी परम्परा बताते है।
Phli bat na to mihirbhoj gurjar the wo pratihar rajput the dusri suraj mal bhi jadoun rajputo ke vanshaj hai unke rajkumar ne khud swikara hai loktantra mai sb ko apne bap kahtriya hi njr a rhe hai
भोमिया राजपूत असल में वो राजपूत है जिनके रियासत काल में जागीर जब्त हो गई थी और खेती पर निर्भर हो गए रियासत काल में जिन सरदारों की जागीर खत्म हो जाती थी उन्हे हीन दृष्टी से देखा जाता था और उनके वहा अपनी बेटी की शादी नही करते थे और आज भी ऐसा ही हो रहा है पाली जालोर में और ऊम सिंह चांदरई जैसे लालची नेताओ ने अपने स्वार्थ के लिए इसे राजपूत जिनके साथ भेदभाव होता है। उन्हे खुदको(जाती पूछने पर) राजपूत न बता कर भोमिया राजपूत बताने को उपदेश दिया जिसका विरोध इन राजपूतों द्वारा हुआ जिनको वहा के ठिकानेदार राजपूत राजपूत नही कह कर रजपूत या आड़ा राजपूत कहते है
हुकम क्षत्रिय दहिया राजपूत जो है दाधिचिक वंश गडपति यानी कि सबसे ज्यादा गढ़ों पर राज किया हो। मगर इनका इतिहास कुछ ज्यादा नहीं है यदि आपके पास है तो प्लीज शेयर करावे हुकम। जय हिन्द, जय माताजी सा।
Shekhawati Area me Amarsarwati Tourawati Bhomiya sangh Bana tha Wo sadharan Rajputo ko represent karata tha iska matlab ye tha ki Jagirdaro ke Alawa sabhi Rajput Bhomiya the
Bhomiya koi alag rajput nahi h Bhomiya vo log h jinki bhumi chuda utaar putta se alag hoti thi or Ye log Kala patta se bhi alag h inki bhumi Raja apne under me bhi nahi le sakta tha Bhomiya jamidar or jagirdar vo log h jo raja ke sagey sambandhi hotey Thai Ye rajput Mewar me thai or conol Tod ne inka Barey me likha h
Yaha gujrat me bhumiya rajput me solanki chouhan jesi bahot se rajput he Bhumiya me esa he ke dusre aria se rajput aate he unko jamin kuch gav ki jagiri dete the To is prakar se bhumia rajput hote Char prakar se jagiri dete the pahle Jagirdar ke 5 prakar 1)bhayat jagirdar 2)sardar jagirdar 3)bhomiya jagirdar 4)inami jagirdar 5)seshani jagirdar
भोमिया का मतलब है झूज़ार राजा जिन्होंने बिना सिर के लड़ते लड़ते अपनी भूमि अबला कन्या गायो बच्चो के लिए हजारो सेकड़ो की फौज के लड़ जाते थे। जो युध मे जूजते थे जो क़ाली दुर्गा देवियो के पुजारी थे और ये देवताओ के वरदान थे। अपना ही सिर धड़ से अलग करके चुनोती को स्वीकार करते थे। जो आज पूजनीय है। 🙏
@@luckysinghrajput3469 i cant get down to your level...Ho sakta hai ki mujhe waha ke Bhomiya na na malum ho but Bhomiyaar toh waha hote hai(so in a way i was right)..Baat bolne ka tareeka hota hai...Abe aur Bhag jaise shabd se jyada ganda bol sakta hu per Nahi bolunga...Let people read n decide...Thanks for improving my knowledge...Thoda apni Bhasha per kaam karo(aapke pariwar ke sanskar aapki bhasha mai Jhalakte hai)...
@@prashantsingh4941 pahli bat tumlog hamara title singh kyu lagata ho of sirf hamara Hi nahi sabhi swarn caste ka tumlog lagata ho or ha Jab mera jaban khul ga to bohot ka band ho jata hai
Bhomiya ki Jamin koi Raja upney under me nahi le sakta or Bhomiya ke utteradhikari se bhumi ki katoti Raja nahi ker sakta jabki chuda utaar or Kala patta dono me bhumi ki katoti hoti h
Bhomiya hona badey respect ki bat hoti thi Mewar me Bhomiya jamino ke khandani malik h jabki chuda utaar or Kala puttey waley rajputo se bhi jyada respected Thai
@@avirajput9790 chuda utaar mutlab jagir ka size pidhi der pidhi kum hona jaisey hathi daat ki chudi ka size kandhey se kalai tuk kum hota jata h or Kala putta mutlab jo Bhomiya se alag jagirdar h unko mewar me kabhi bhi jagir se alag ker sakta tha Raja
@@avirajput9790 jub koi thakur Marta tha to uskey nay utteradhikari se Raja matampursi ke rup me mutlab tax ke rup me jagir ka kuch hissa le Leta tha is prakar pidhi der pidhi koi bhi jagir kum hoti jati thi
@@avirajput9790 Kala putta Mewar rajvansh se alag rajputo ka hota tha kyoki Mewar me Bhomiya rajput jyadatar rajvansh ke hi hotey Thai jo thodi si bhi galti kartey Thai to Rana unki jagir chheen sakta tha isko Kala putta kehtey Thai
Hmare jalore me unko jujaar ji momaji bolte h but bhomiya alg h bhomiya means june jaagirdaar thakur jo 17 vi sdi tk ye setra pe unka adhikar th ahamdabadh waar me in ka mukhye yogdaan rha fir maharaja ajitsinghji ki glti se unse jaagiri jbt chin li gyi tb bahut ladai huyi new jaagirdar or june jaagirdaaro ke bich tb mharaja ne bhom bhumi ka maalik june jaagirdaaro ko bnaye rkhne ka aadesh diya tb se bhomiya rajput name se phechane jaate h jisme dahiya rathore parmar chuan khici solanki etc etc 36 rajput vans saamil h bhomiya pdvi me
@@devichandnagar3199 bhumi ke malik june jagirdar hai toh fir gav ke thakur sab naye jagirdar kaise hai ? june jagirdar bahot kam jagah pe kisi gav ke thakur hai kyu aise?
झुझार जो युद्ध में सिर कटने के बाद भी लड़ता रहे और भौमिया जो शहीद तो युद्ध में हुआ पर सिर कटने के बाद नहीं लड़ा | भोमिया जी साधारण मृत्यु को प्राप्त व्यक्ति भी हो सकता है जो देवयोनि में हो |
@@ShekhawatRatanSingh आपका उतर संतोषजनक हैं इसके लिए आपको बहुत बहुत धन्यवाद लेकिन एक बात समझ नहीं आती कि भौमिया जी को किसी विशेष वार संभवतः मंगलवार को विशेष भोग चढ़ाया जाता हैं लेकिन जुझार जी को किसी विशेष तिथि संभवतः शुक्ल पक्ष त्रयोदशी को , ऐसा क्यों ? क्या ये दोनों पुण्यात्मा पौराणिक कथाओं के यक्ष और गंधर्व यौनी से कुछ कुछ समान है क्या? इनका स्वरूप कैसा होता हैं?
Junjaru ka matalab ki kisi yudh m dharam ki rekhsa ke liye ladai ki ho or waha yudh m Shir katne ka bhi na rukha ho or ladta hi rakh ho unko junjaru kte the or kahi kahi to unko bhi junjaru bhomiya kte h pr wo junjaru dev yoni m chale jate h log unki Pooja kte h to fir unko bhomiya ji ya junjaru bhomiya ji kte h
देखो भाई जाति में मत बांटो भूमिया बाबा एक है उनके साथ ही उनके है रामायण काल में जाति नहीं थी धर्म था जिसने शस्त्र धारण कर लिया वह छतरी युग वाला है उस तरीके से आदि अनादि काल से उसका नाम पड़ा वहीं से जातियां शुरू हुई, साधु महात्मा के जैसे दया उसे ब्राह्मण कहते और किसी निर्धन असहाय की सहायता करना अपने की निर्मल की रक्षा करना परेशान करने वाले से बचाना उसे दोनों गुण होते हैं तब जाकर छत्रिय कहलाते हैं इसीलिए छतरी हर किसी का आजकल होना असंभव है जाति जन्म से नहीं कर्म से होती है
यह इतिहास 1303 का है जब मेवाड़ पर तुर्क अल्लउदीन खिलजी का कब्जा हो जाने पर मेवाड़ के राजपूतो ने अपने स्वाभिमान के लिऐ एंव खिलजी के आधिप्तय मे रहने के बजाय वहां से पलायन करना उचित समझा.... 🚩🚩 मै सीधा अब अपने टौपिक पर आता हुँ मेवाड के राजपूतो को अब मालवा मे लगभग तीन महीने हो चुके थे इस दौरान उनका महिदपुर के राजा निदशी भील से चुंगी कर के लिऐ युद्ध भी हो चुका था जिसमे 4500 मेवाड राजपूत वीरगति को प्राप्त हो चुके थे व 150 क्षत्रणिया भी जौहर कर चुकी थी हालंकि यह युद्ध राजपूतो ने जीता था, महिद पुर का किला भी जीत कर भील राणी को बहन बना कर वापस सौपा था... I अब मेवाड राजपूतो का पडाव मदाना तिंगजपूर की कालीसिंध नदी पर था जहा से बादशाह माण्डव के कसाई गाय ले कर जा रहे थे तब राजपूत सरदार प्रेमसिंह पंवार, जालम सिंह डोड और जगसिंह सिसौदिया ने उन कसाईयो से पुछा कि ये गाय कहा से आई है और कहा जा रही है तब बादशाह के कसाई बोले कि गाय तो माडव गढ जा रही है जहां बादशाह की लडकी की शादी है ,वह गाय काटी जाऐगी उस दिन एकादशी का दिन था और सभी क्षत्रिय राजपूत व्रत थे राजपूत बोले अपना क्षत्रिय धर्म गाय एंव ब्रहाम्णों की रक्षा करना है । यदि गाय कटेगी तो हमारा धर्म नष्ट हो जाऐगा । सभी राजपूत सरदारो ने सलाह मशवरा कर तलवार निकाल ली और कसाईयो को मार डाला तथा उन गायो को ब्रहाम्णो को दान मे दे दी जिस कसाई ने घास का तिनका मुंह मे दबा रखा था उसे छोड़ दिया फिर उस कसाई ने माण्डव गढ जाकर सारी घटना बादशाह को बताई बादशाह सात हजार सैनिक लेकर कालीसिंध नदी के ऊपर आया इस युद्ध मे सांरगपुर के तत्कालिन राजा सांरग देव खिंची ने भी राजपूतो को साथ दिया.... पूरी राजपूत सेना माथे पर केसरिया पगड़ी बांधे निकली है। आज सूर्य भी रुक कर उनका शौर्य देखना चाहता है, आज हवाएं उन अतुल्य स्वाभिमानी योद्धाओं के चरण छूना चाहती हैं, आज धरा अपने वीर पुत्रों को कलेजे से लिपटा लेना चाहती है, आज इतिहास स्वयं पर गर्व करना चाहता है, आज भारत स्वयं के भारत होने पर गर्व करना चाहता है। इधर मृत्यु का आलिंगन करने निकले वीर राजपूत बादशाह की सेना पर विद्युतगति से तलवार भाँज रहे हैं, यह युद्ध राजपूत ही जीते थे जिसमे 6500 वीर राजपूत वीरगति को प्राप्त हुऐ पर मुसलमानो को हमेशा से ही छल कपट के लिऐ जाना जाता रहा है मुसलमानो ने यह भी कुछ ऐसा किया मुसलमानो ने काला झण्डा फेहरा दिया जिससे देखकर राजपूत क्षत्राणियो ने सोचा कि हम युद्ध हार गये और उधर 750 देवियाँ मुह में गंगाजल और तुलसी पत्र लिए अग्निकुंड में समा रही हैं। यह जौहर है। वह जौहर जो केवल राजपूत देवियाँ जानती है पर जब तक उनके पास सही संदेश पहुंच पाता 750 क्षत्राणिया जौहर कर चुकी थी वह जौहर जिसके कारण भारत अब भी भारत है। चारो तरफ जीवित मांस की गंध से पूरा वायुमंडल बसा उठा है और घृणा से नाक सिकोड़ कर खड़ी प्रकृति जैसे चीख कर कह रही है- "भारत की आने वाली पीढ़ियों! इस दिन को याद रखना, और याद रखना इस गन्ध को। जीवित जलती अपनी माताओं के देह की गंध जबतक तुम्हें याद रहेगी, तुम्हारी सभ्यता जियेगी। जिस दिन यह गन्ध भूल जाओगे तुम्हें फारस होने में दस वर्ष भी नहीं लगेंगे..." इस युद्ध के बाद मेवाड के राजपूतो की कम संख्या होने कारण मालवा मे ही रेहने लगे जिनके वर्तमान ठिकाने शुजालपुर , कालापीपल ,अकोदिया, सीहोर व आष्टा के आसपास के गांव है इन्दौर के पास धार સાંવેર इंदौर उज्जैन बड़नगर, खाचरोद, देवास के पास चले गये और रेहने लगे, कई गांव सारंगपुर से आगर के बीच लखुंदर नदी के किनारे किनारे बसे, 12 गांव संडावता के आस-पास बसे जो पंवार વંશ के हैं 20 गांव नसरुल्लागंज के आसपास हैं और 700 साल मालवा મેં रहने के कारण कुछ रीति रिवाज मालवा के बाकी अधिकतर परंपराएं आज भी राजस्थानी हैं... I
Bhomiya ka matlab veer hota h ....or jiske baare me tu baat kr rha h.......wo log to akbar ke dar se apni beti muslimo ko de dete the .......hamesha muglo se haare h .......or muglo ke talwe chaate h
Abhe chutiye jab phele yud hote te to raja ke bhai rajput ranbhumi me apni matrabhumi ke liye sis ktvate te un surviro ko bhomiya sabd ki upadhi di gyi hai or unhe surveer bhomiya rajput kaha jata hai , tere ko kya pta hai chutiye Akbar ki gulami ke anusar sc st obc wale log apni orto ko uske paas bhejte te bhdve
Bhomiya ak upadhi he Rajputo ki nahi ke koi jati , jab itihas pata na ho to bola nahi jata Rajput aur bhilo ki mix jati bhil kehlate he nahi ke rajput, unko jat se bahar nikal diya jata he
Kam se kam se common sense toh use kar chutiye ,abhi toh rajputo se jagiri le kar sarkar ne tum bhuke nango ko education free me diya hai fir bhi aaj bhi bhikari wali harkat karte ho saalo .pehle jake apne pitaji ka pata karo ki Meena toh kahi kisi mix brid ka nahi hai ,kaha se aate ho be tumlog anadi saale
Bhomiya rajputo ka hi ek paryay vachi h or kayam khani khud CHAUHAN rajput thai jo bad me musalman baney Bhomiya jamidaro me shrest Thai or unka apna sasan bhi hota tha vo chotey motey Raja ke saman Thai jaisey kuch thakur Raja ke saman Thai Rajasthan me perantu her Bhomiya Raja ke saman nahi tha
सबसे पहले तो हुकम आपको जय माताजी की अब जो हुकम आप जो भूमिया का जो मतलब बता रहे हैं सायद ये बात कही सुक हैं हुकम जहा तक हमने जो सुना हैं तो भूमिया कहो या भोमिया अलग अलग जगह पर अलग अलग बोली होती हैं हुकम और वास्विक जो भोमिया का मतलब हैं वह ऐसे लोग जो भूमि या अपनी धरती माता के बचाव के लिए युद्ध भूमि मे अपने प्राणो की आहुति दे देते थे तो वास्विक भोमिया वही कहलाते थे हुकम
पहले भूमि के स्वामी स्थानीय जागीरदार होते थे, उन्हें भी भूमिया कहा जाता था, वे ही युद्धों में प्राणों का उत्सर्ग करते थे, सो मरने के बाद लोग उन्हें भूमिया जी महाराज कह कर पूजने लगे, बाद में बाद युद्ध में व साधारण मरने के बाद जिन्होंने चमत्कार दिखाएँ उन्हें भी भूमिया जी महाराज कह कर पूजा जाने लगा | युद्ध में सिर कटने के बाद भी लड़ने वाले झुंझार जी और मरने के बाद ना लड़ने वालों को भूमिया जी भौमिया जी महाराजा कहा जाने लगा |
@@ShekhawatRatanSingh हुकम हम भूमिया नही भोमया राजपूत हैं कहने का मतलब यह है
भोमिया का स्थानीय भाषा में शाब्दिक अर्थ है... भोम रा रखवाला
मतलब मात्रभुमि के रक्षक |
और एक बात यह भी कहते हैं कि मारवाड में भोमिया की पदवी उस रजपुत योद्धा को दी जाती थी जो युद्ध भूमि मे सर्वश्रेष्ठ प्रदशन करता था
@@chutkulemaster926 आप कहां से हो हुकम
@@chutkulemaster926 aapka number bhejo hukm
जय माताजी आपने यह राजपूतों को 3 भागो में जालौर सिरोही क्षेत्र मैं बांटने का जो प्रयास हो रहा है उन भोमिया शासकों का इतिहास उठाकर यह बता दिया राजपूत ही हैं भोमिया कोई जाती नहीं है वह एक उनका हक है उनका पद भी है
भोमिया राजपूत जो की जालोर और पाली जिले के क्षेत्र में है । वह असल में राजपूत ही है। ये वह राजपूत है जिनकी जागीर जब्त हो गई कभी जागीर जब्त हो जाने पर वे लोग खेती से जुड़ गए क्युकी वे खेती करते थे तो उनमें परदा प्रथा की कुछ कमी रही । तो स्थानीय ठिकानेदारों ने उन्हें अपनी बराबरी का मानने से मना कर दिया और उन्हें अपने से निम्न माना और उनमें रिश्ते करने बंद कर दिए जब भी किसी भोमिया राजपूत की वंशावली देखी जाती है तो मिलता है की वह लोग किसी ने किसी ठिकाने से निकले है उदाहरण के लिए परमारो का आबू पर्वत पर राज था कालांतर में आबू पर्वत को देवडा चौहनो द्वारा जीत लिया गया तो चुकी वह परमार अब राज को बैठे तो अब जीवन यापन के लिए कृषि करने लगे तो ठिकाने दार राजपूतों ने उन्हें अपने से निम्न समझा और जैसे जालोर के दहिया राजपूत जिनके जागीर जब्त करके जोधपुर महाराजा ने राठौड़ सिरदारो को दे दी तो अब जिनकी जागीर जब्त हो गई उन्हे आपसी भेदभाव का सामना करना पड़ा जो आज भी जालोर ,पाली के क्षेत्र में प्रचलित है वह राजपूत समाज दो भागो में बट गया है एक वो राजपूत वो ठिकानेदार है उन्हे वहा सिरदार नाम से जाना जाता है और दूसरे वह जो ठिकानेदार नहीं है वे भोमिया कहलाए अब उन्होंने राजनीतिक रूप से वह के सिरदारो का समर्थन न कर के अपना अलग समाज बना लिया है
Ye hakikat he, halanki aaj ke jmane me visheshkar shekhawati ke ati shikshit srdar keval post, pesa.., ko hi tvjo dekar apni mhanta jahir kr purani prmpraon se mukt ho rahe he
Nagaur ke daiya rajputo ke bare me jante ho toh batao kuch..!!
@@ajaysinghdaiya9398 jyada to pata nhi parbatsar rajdhani thi dahiyo ki or jalore k dahiya yaha se aaye hue h
Ek dam satik uttar
Super dada.
स्टेट काल की पद सोपानिक व्यवस्था थी, चुंकि वंशानुगत सत्ता होने से पद स्थायित्व से वह जाति का पर्याय बन गया।शनै शनै राजपूत समाज के दो भाग हो गये और आपसी ईर्ष्या वश भेदभाव बढता ही गया।
कालांतर में स्टेट पीरियड तो चला गया लेकिन स्टेटस रह गया जिसका बोझा राजपूत समाज अभी तक झेल रहा है।
यह बात सत्य है कि भूमियाँ शब्द की उत्पत्ति भूमि से हुई है। अर्थात् भूमि की रक्षा के लिये बलिदानी वीर चाहे किसी भी जाति से हों, को भूमियाँ कहाँ गया है।लेकिन इतिहास की प्रत्येक शृंखला को राजपूतों से जोड़ना भी एक माइंड सेट है। क्योंकि इतिहास साक्षी है कि किसी भी राजपूत राजाओं के द्वारा मात्र अपनी रक्षा के लिये ही या तो समझोता किया गया है अथवा युद्ध किया गया है।
इसमें राजपूतों के अलावा अन्य क्षत्रियों जैसे जाट(सूरजमल और नाहर सिंह,यादव(आल्हा-उदल), गुज्जर(मिहिर भोज) और मराठा आदि का देश प्रेम राजपूतों से सैंकड़ों गुणा अधिक है। जैसे-
पानीपत के तीसरे युद्ध में मराठों के साथ क्षेत्रीय लाकड़ा जाट युवकों का बलिदान हुआ था जिसमें घायल रामलाल लाकड़ा चौहान ने जिस स्थान पर अंतिम साँस ली वहाँ आज भी किरठल के खेतों में भूमियाँ का एक मन्दिर है जहाँ किरठल, लूम्ब, तुगाना, रमाला और असारा के लाकड़ा चौहान अपने पूर्वज को सिद्ध मानते है।
इन महानुभावों के कोई भी सन्देश देखें तो इनके मुखारविंद से केवल राजपूत शब्द का ही बखान किया जाता है। लेकिन जयचंद और मानसिंह की ग़द्दारी पर चुप रहते है।
प्राचीन भारत के संस्कृत या हिंदी के किसी भी साहित्य में जी शब्द का उल्लेख नही है। लेकिन आप इसे अपनी परम्परा बताते है।
Phli bat na to mihirbhoj gurjar the wo pratihar rajput the dusri suraj mal bhi jadoun rajputo ke vanshaj hai unke rajkumar ne khud swikara hai loktantra mai sb ko apne bap kahtriya hi njr a rhe hai
शानदार
953 like k sath nice sharing sir 🎉🎊🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎊🎊💯✅👌👌👏👍👍👍👏👏👍✅🚩🚩🚩
भोमिया राजपूत असल में वो राजपूत है जिनके रियासत काल में जागीर जब्त हो गई थी और खेती पर निर्भर हो गए रियासत काल में जिन सरदारों की जागीर खत्म हो जाती थी उन्हे हीन दृष्टी से देखा जाता था और उनके वहा अपनी बेटी की शादी नही करते थे और आज भी ऐसा ही हो रहा है पाली जालोर में और ऊम सिंह चांदरई जैसे लालची नेताओ ने अपने स्वार्थ के लिए इसे राजपूत जिनके साथ भेदभाव होता है। उन्हे खुदको(जाती पूछने पर) राजपूत न बता कर भोमिया राजपूत बताने को उपदेश दिया जिसका विरोध इन राजपूतों द्वारा हुआ जिनको वहा के ठिकानेदार राजपूत राजपूत नही कह कर रजपूत या आड़ा राजपूत कहते है
आड़ा क्यों के ऊबा थोरो और मोरो मोमाल या पोमाल तो भूमिया राजपुतो रे घरे है सा😂
@@uttamsinghbhayalrajput716भोमिया ने हरदार एक हि खून है पर भोमिया तो उदा रोवे है
@@uttamsinghbhayalrajput716😊🙏
Jankari ke liye dhanyvad
Bahut bahut dhanyvad
Dabri dhirsing (Jhunjhunu) hamare village men bhoumiyaji ka sthan hai jara unake pradubhav ke vishay men bataiye jai Raghunath ji ki
Jai shree Ram
Jai Maa Bhawani
buht badhya geo rajputo
हुकम क्षत्रिय दहिया राजपूत जो है दाधिचिक वंश गडपति यानी कि सबसे ज्यादा गढ़ों पर राज किया हो। मगर इनका इतिहास कुछ ज्यादा नहीं है यदि आपके पास है तो प्लीज शेयर करावे हुकम। जय हिन्द, जय माताजी सा।
Aap Dahiya ho aapko malum hoga dahiya ne raj nhi kiya vo khali sanik the
Aap kahan ke rahne wale ho?
Rajpurohito ke baare me btao sa
Jai ho
श्रीमानजी, राजपुरोहित को जालोर,पाली में भी पदवी मिलीं है। इतिहास कार। हमें भी अगले विडियो में जानकारी साझा करें।
Jay Surajmal Bhomiya Baba Dausa Rajasthan
buht badhya jai ranghar
Jai ranghar
Shekhawati Area me Amarsarwati Tourawati Bhomiya sangh Bana tha Wo sadharan Rajputo ko represent karata tha iska matlab ye tha ki Jagirdaro ke Alawa sabhi Rajput Bhomiya the
भोमिया राजपूत वो है जो भुमि से जुडते है
भोमिया कोई जाती नही ये रजपूत में एक पद्मी दी गई जिसे भोमिया राजपूत कहा गया है सर कटा धड फिर भी डला
Uttar pardesh me 24 gaw kushwaha ke bare me batao
Ye kaha se aaye or inke bare me pls
Ham bhi bhomiya rajput he hkm
Nihal kiya
@@neetcrackin परमार क्षत्रिय राजपुत
🙏🙏🙏🙏🙏
Make video on Chorasiya Rajput ❤
Khatik samaj ka Hithas batao sri 🙏
Bhomiya Ka MATLAB alag hy har espect me.
Jai Dada Bhomiya ji maharaj khapariya ❣️ 🙏
Sir tak vans ke baare me batana
हमारे दूसरे चैनल ज्ञान दर्पण पर देखिये
भौमिया रजपूत.. जालोर में बहुत है जाति
रावत राजपूत के बारे मैं बताए हुक्म
Ratan Singh Ji Shekhawat !
Jai Shree Krishna !
Kripya TANWAR BHANBHERU/BANBHERU ka meaning batane ka kasht kare! Dhanyawad 🙏
Jay Mata Ri Hukum dahiwayat rajput Itihaas batao
Bhomiya koi alag rajput nahi h Bhomiya vo log h jinki bhumi chuda utaar putta se alag hoti thi or Ye log Kala patta se bhi alag h inki bhumi Raja apne under me bhi nahi le sakta tha Bhomiya jamidar or jagirdar vo log h jo raja ke sagey sambandhi hotey Thai Ye rajput Mewar me thai or conol Tod ne inka Barey me likha h
भुमिपुत्र भोमिया जिसका सर कट जाता था धड़ लडता था भोमिया सबसे पहले पद्मी रजपुतो से हैं मे हु भोमा जालोर से
Me aslam khan Bhomiya from nagour
હુ ભુમિયા રાજપુત છુ ગુજરાત થી અગ્ની વંશી પરમાર અને બીજા પણ ઘણા બધા છે
Jo desh k liye Kate or mare vo rajput hi bhomiya he or koi bhomiya nahi kahlate
Fake pure bhomiya wale than fake hai ye sab andhewishwas hai
Kon kon bhumiya he
Bhumihar brahman par ek video Banna dena
Yaha gujrat me bhumiya rajput me solanki chouhan jesi bahot se rajput he
Bhumiya me esa he ke dusre aria se rajput aate he unko jamin kuch gav ki jagiri dete the
To is prakar se bhumia rajput hote
Char prakar se jagiri dete the pahle
Jagirdar ke 5 prakar
1)bhayat jagirdar
2)sardar jagirdar
3)bhomiya jagirdar
4)inami jagirdar
5)seshani jagirdar
👌👌👌👍👍👍
भोमिया का मतलब है झूज़ार राजा जिन्होंने बिना सिर के लड़ते लड़ते अपनी भूमि अबला कन्या गायो बच्चो के लिए हजारो सेकड़ो की फौज के लड़ जाते थे। जो युध मे जूजते थे जो क़ाली दुर्गा देवियो के पुजारी थे और ये देवताओ के वरदान थे। अपना ही सिर धड़ से अलग करके चुनोती को स्वीकार करते थे। जो आज पूजनीय है। 🙏
Hamare bihar me bhuth se bhomiya rajput hi .
Kis jila se ho
They are BHUMIYAR not Bhomiya/Bhumiya...Bhumiyar is a different community(Up n Bihar) and has nothing to do with Rajasthan.
@@prashantsingh4941 abe bha bhana. Bhag waha se yaha bhomiya rajput hai bohot sare
@@luckysinghrajput3469 i cant get down to your level...Ho sakta hai ki mujhe waha ke Bhomiya na na malum ho but Bhomiyaar toh waha hote hai(so in a way i was right)..Baat bolne ka tareeka hota hai...Abe aur Bhag jaise shabd se jyada ganda bol sakta hu per Nahi bolunga...Let people read n decide...Thanks for improving my knowledge...Thoda apni Bhasha per kaam karo(aapke pariwar ke sanskar aapki bhasha mai Jhalakte hai)...
@@prashantsingh4941 pahli bat tumlog hamara title singh kyu lagata ho of sirf hamara Hi nahi sabhi swarn caste ka tumlog lagata ho or ha Jab mera jaban khul ga to bohot ka band ho jata hai
Namskar sir apse kuch puchna he apke no. Send karo
🙏🙏🙏
Bhomeya. Bheel. Hi. Demba. Ji. Canda. Ji
हमारे गांव में भी डोडिया सरदारों को भोमिया जी कहते ।
कोनसा गाँव ?
Hum,Rajasthan,ky,sbsy,big,village,phephana,ky,bhomiya,h
Bhomiya ki Jamin koi Raja upney under me nahi le sakta or Bhomiya ke utteradhikari se bhumi ki katoti Raja nahi ker sakta jabki chuda utaar or Kala patta dono me bhumi ki katoti hoti h
Ravana rajput bhi hai jalor me
Bhomiya hona badey respect ki bat hoti thi Mewar me Bhomiya jamino ke khandani malik h jabki chuda utaar or Kala puttey waley rajputo se bhi jyada respected Thai
chuda utaar or kala puttey matlab?
@@avirajput9790 chuda utaar mutlab jagir ka size pidhi der pidhi kum hona jaisey hathi daat ki chudi ka size kandhey se kalai tuk kum hota jata h or Kala putta mutlab jo Bhomiya se alag jagirdar h unko mewar me kabhi bhi jagir se alag ker sakta tha Raja
@@avirajput9790 jub koi thakur Marta tha to uskey nay utteradhikari se Raja matampursi ke rup me mutlab tax ke rup me jagir ka kuch hissa le Leta tha is prakar pidhi der pidhi koi bhi jagir kum hoti jati thi
@@avirajput9790 Kala putta Mewar rajvansh se alag rajputo ka hota tha kyoki Mewar me Bhomiya rajput jyadatar rajvansh ke hi hotey Thai jo thodi si bhi galti kartey Thai to Rana unki jagir chheen sakta tha isko Kala putta kehtey Thai
Aap kis district se ho kripya bataye
Aapka mobile Number do hkm me aapko btata Hu bhomeya Rajput kon hote h
यहाँ बात सिर्फ भूमिया की हो रही रही है भोमिया राजपूत जाति की नहीं |
@montusingh mujhe bta skte hain agar m wtsapp number dn
Bhomiya devta ke rup me bhi Puja jata h, jaisey any rajput bhi pujey jatey h
हां
Hmare jalore me unko jujaar ji momaji bolte h but bhomiya alg h bhomiya means june jaagirdaar thakur jo 17 vi sdi tk ye setra pe unka adhikar th ahamdabadh waar me in ka mukhye yogdaan rha fir maharaja ajitsinghji ki glti se unse jaagiri jbt chin li gyi tb bahut ladai huyi new jaagirdar or june jaagirdaaro ke bich tb mharaja ne bhom bhumi ka maalik june jaagirdaaro ko bnaye rkhne ka aadesh diya tb se bhomiya rajput name se phechane jaate h jisme dahiya rathore parmar chuan khici solanki etc etc 36 rajput vans saamil h bhomiya pdvi me
@ratan singh ji ye succhai h ap jodhpur me vikaram singh maalunga itihasskar h unse smprk krke puri deteal le skte ho
@@devichandnagar3199 vikram singh malunga kaise aur kaha mil sakte hai?
@@devichandnagar3199 bhumi ke malik june jagirdar hai toh fir gav ke thakur sab naye jagirdar kaise hai ? june jagirdar bahot kam jagah pe kisi gav ke thakur hai kyu aise?
Maru Rajput ka itihaas
Aapke no do
Bhomiya ek Tarah se upadhi h rajputo ki jaisey thakur Rav Rana rawal or Bhomiya sub ek hi rajputo ki upadhiya h bus thodey bahut adhikaro ka unter h
Ye bat sahi hai
@jaydeepkumar3938 phrr bhomiya kayamkahni kyun likhte thy
सर जी, नमस्कार🙏
राजा टोडरमल जी के इतिहास भी बताईए...
Shekhawat Sahab bhomiya ko lagane ki aur har type Ke Karan ki mafi hoti thi
आपकी क्या राय है । भोमिया पदवी के बारे में
यह जो भोमिया लगाते है यह राजपूत है या नही ?
भोमिया राजपूत ठाकुर लगान ना देकर सीधे जोधपुर महाराजा को कर देते थे भूमि स्वामित्व के खुद केपास में था इसलिए भोमिया राजपूत कहलाते थे
ohhhhh
r u bhomiya
जुंझार जी और भोमिया जी में अंतर क्या है?
झुझार जो युद्ध में सिर कटने के बाद भी लड़ता रहे और भौमिया जो शहीद तो युद्ध में हुआ पर सिर कटने के बाद नहीं लड़ा | भोमिया जी साधारण मृत्यु को प्राप्त व्यक्ति भी हो सकता है जो देवयोनि में हो |
@@ShekhawatRatanSingh आपका उतर संतोषजनक हैं इसके लिए आपको बहुत बहुत धन्यवाद लेकिन एक बात समझ नहीं आती कि भौमिया जी को किसी विशेष वार संभवतः मंगलवार को विशेष भोग चढ़ाया जाता हैं लेकिन जुझार जी को किसी विशेष तिथि संभवतः शुक्ल पक्ष त्रयोदशी को , ऐसा क्यों ? क्या ये दोनों पुण्यात्मा पौराणिक कथाओं के यक्ष और गंधर्व यौनी से कुछ कुछ समान है क्या?
इनका स्वरूप कैसा होता हैं?
Hamre ya to jitane bhi bhomiya ji huwa h wo sabhi junjaru huwe the
Junjaru ka matalab ki kisi yudh m dharam ki rekhsa ke liye ladai ki ho or waha yudh m Shir katne ka bhi na rukha ho or ladta hi rakh ho unko junjaru kte the or kahi kahi to unko bhi junjaru bhomiya kte h pr wo junjaru dev yoni m chale jate h log unki Pooja kte h to fir unko bhomiya ji ya junjaru bhomiya ji kte h
@@ShekhawatRatanSingh jis ki kat kar muthy huyi ho wo agar pujwaye to kis roop me hota ha
भोमिया भील समाजका सरकार को कितना झूठ बोलोगे आप लोग भील समाज कब से पता है
देखो भाई जाति में मत बांटो भूमिया बाबा एक है उनके साथ ही उनके है रामायण काल में जाति नहीं थी धर्म था जिसने शस्त्र धारण कर लिया वह छतरी युग वाला है उस तरीके से आदि अनादि काल से उसका नाम पड़ा वहीं से जातियां शुरू हुई, साधु महात्मा के जैसे दया उसे ब्राह्मण कहते और किसी निर्धन असहाय की सहायता करना अपने की निर्मल की रक्षा करना परेशान करने वाले से बचाना उसे दोनों गुण होते हैं तब जाकर छत्रिय कहलाते हैं इसीलिए छतरी हर किसी का आजकल होना असंभव है जाति जन्म से नहीं कर्म से होती है
Ek to bhomiya Shabd Dev roop ke liye aata hai Devta ke liye
Fake jooth matt bol bhai bhomiya devta ye sab kooth hai tum logo ka andhewishwas hai
@@jayantchoudhary4657 chutiya bhumiya baba devta He aaj bhi Hum bhumiya baba ke vanshaj he gurjar jo me khud hu
यह इतिहास 1303 का है जब मेवाड़ पर तुर्क अल्लउदीन खिलजी का कब्जा हो जाने पर मेवाड़ के राजपूतो ने अपने स्वाभिमान के लिऐ एंव खिलजी के आधिप्तय मे रहने के बजाय वहां से पलायन करना उचित समझा.... 🚩🚩
मै सीधा अब अपने टौपिक पर आता हुँ मेवाड के राजपूतो को अब मालवा मे लगभग तीन महीने हो चुके थे इस दौरान उनका महिदपुर के राजा निदशी भील से चुंगी कर के लिऐ युद्ध भी हो चुका था जिसमे 4500 मेवाड राजपूत वीरगति को प्राप्त हो चुके थे व 150 क्षत्रणिया भी जौहर कर चुकी थी हालंकि यह युद्ध राजपूतो ने जीता था, महिद पुर का किला भी जीत कर भील राणी को बहन बना कर वापस सौपा था... I
अब मेवाड राजपूतो का पडाव मदाना तिंगजपूर की कालीसिंध नदी पर था जहा से बादशाह माण्डव के कसाई गाय ले कर जा रहे थे
तब राजपूत सरदार प्रेमसिंह पंवार, जालम सिंह डोड और जगसिंह सिसौदिया ने उन कसाईयो से पुछा कि ये गाय कहा से आई है और कहा जा रही है तब बादशाह के कसाई बोले कि गाय तो माडव गढ जा रही है जहां बादशाह की लडकी की शादी है ,वह गाय काटी जाऐगी
उस दिन एकादशी का दिन था और सभी क्षत्रिय राजपूत व्रत थे
राजपूत बोले अपना क्षत्रिय धर्म गाय एंव ब्रहाम्णों की रक्षा करना है । यदि गाय कटेगी तो हमारा धर्म नष्ट हो जाऐगा । सभी राजपूत सरदारो ने सलाह मशवरा कर तलवार निकाल ली और कसाईयो को मार डाला तथा उन गायो को ब्रहाम्णो को दान मे दे दी
जिस कसाई ने घास का तिनका मुंह मे दबा रखा था उसे छोड़ दिया
फिर उस कसाई ने माण्डव गढ जाकर सारी घटना बादशाह को बताई
बादशाह सात हजार सैनिक लेकर कालीसिंध नदी के ऊपर आया
इस युद्ध मे सांरगपुर के तत्कालिन राजा सांरग देव खिंची ने भी राजपूतो को साथ दिया....
पूरी राजपूत सेना माथे पर केसरिया पगड़ी बांधे निकली है। आज सूर्य भी रुक कर उनका शौर्य देखना चाहता है, आज हवाएं उन अतुल्य स्वाभिमानी योद्धाओं के चरण छूना चाहती हैं, आज धरा अपने वीर पुत्रों को कलेजे से लिपटा लेना चाहती है, आज इतिहास स्वयं पर गर्व करना चाहता है, आज भारत स्वयं के भारत होने पर गर्व करना चाहता है। इधर मृत्यु का आलिंगन करने निकले वीर राजपूत बादशाह की सेना पर विद्युतगति से तलवार भाँज रहे हैं,
यह युद्ध राजपूत ही जीते थे जिसमे 6500 वीर राजपूत वीरगति को प्राप्त हुऐ पर मुसलमानो को हमेशा से ही छल कपट के लिऐ जाना जाता रहा है मुसलमानो ने यह भी कुछ ऐसा किया मुसलमानो ने काला झण्डा फेहरा दिया जिससे देखकर राजपूत क्षत्राणियो ने सोचा कि हम युद्ध हार गये
और उधर 750 देवियाँ मुह में गंगाजल और तुलसी पत्र लिए अग्निकुंड में समा रही हैं। यह जौहर है। वह जौहर जो केवल राजपूत देवियाँ जानती है पर जब तक उनके पास सही संदेश पहुंच पाता 750 क्षत्राणिया जौहर कर चुकी थी
वह जौहर जिसके कारण भारत अब भी भारत है। चारो तरफ जीवित मांस की गंध से पूरा वायुमंडल बसा उठा है और घृणा से नाक सिकोड़ कर खड़ी प्रकृति जैसे चीख कर कह रही है- "भारत की आने वाली पीढ़ियों! इस दिन को याद रखना, और याद रखना इस गन्ध को। जीवित जलती अपनी माताओं के देह की गंध जबतक तुम्हें याद रहेगी, तुम्हारी सभ्यता जियेगी। जिस दिन यह गन्ध भूल जाओगे तुम्हें फारस होने में दस वर्ष भी नहीं लगेंगे..."
इस युद्ध के बाद मेवाड के राजपूतो की कम संख्या होने कारण मालवा मे ही रेहने लगे जिनके वर्तमान ठिकाने शुजालपुर , कालापीपल ,अकोदिया, सीहोर व आष्टा के आसपास के गांव है इन्दौर के पास धार સાંવેર इंदौर उज्जैन बड़नगर, खाचरोद, देवास के पास चले गये और रेहने लगे, कई गांव सारंगपुर से आगर के बीच लखुंदर नदी के किनारे किनारे बसे, 12 गांव संडावता के आस-पास बसे जो पंवार વંશ के हैं 20 गांव नसरुल्लागंज के आसपास हैं और 700 साल मालवा મેં रहने के कारण कुछ रीति रिवाज मालवा के बाकी अधिकतर परंपराएं आज भी राजस्थानी हैं... I
Good
Aapko Puri Jankari Nahin Hai
Rao PAk
बिहार में भोमिया बोलकर तो पूरा ब्राह्मण जमीनहर्बल लिया है
Bhumiya Rajput nhi hote hai. Wo Bhil women aur Chauhan Rajput Kings se paida hue log the.
Juthe kyu fela raha he
,
Tu pakka meghwal hai or mar khai hai tune pakki rajput ya bhomiya rajputo ke hath ki
महाराज आप खेराज भोमीयाजी कचोरा आगुणी बीकानेर के बारे में बताओ
Ham to bhomiya ha
Nihal kiya
Bhomiya ka matlab veer hota h ....or jiske baare me tu baat kr rha h.......wo log to akbar ke dar se apni beti muslimo ko de dete the .......hamesha muglo se haare h .......or muglo ke talwe chaate h
Abhe chutiye jab phele yud hote te to raja ke bhai rajput ranbhumi me apni matrabhumi ke liye sis ktvate te un surviro ko bhomiya sabd ki upadhi di gyi hai or unhe surveer bhomiya rajput kaha jata hai , tere ko kya pta hai chutiye Akbar ki gulami ke anusar sc st obc wale log apni orto ko uske paas bhejte te bhdve
Rajputo or bhilo ki mix jati K vansaj..jinhai bhomia Rajput kahte hai..or bhomia rawat jagirdar thakur ye upadhi hai.. mewad me aese 13 Riyasate hai..
Bhomiya ak upadhi he Rajputo ki nahi ke koi jati , jab itihas pata na ho to bola nahi jata
Rajput aur bhilo ki mix jati bhil kehlate he nahi ke rajput, unko jat se bahar nikal diya jata he
Kam se kam se common sense toh use kar chutiye ,abhi toh rajputo se jagiri le kar sarkar ne tum bhuke nango ko education free me diya hai fir bhi aaj bhi bhikari wali harkat karte ho saalo .pehle jake apne pitaji ka pata karo ki Meena toh kahi kisi mix brid ka nahi hai ,kaha se aate ho be tumlog anadi saale
@@himmatsinhrajput783 rajput or bhilo ki mix jati bhil nhi kehlati unka alg smaj he..... Or wo na rajputo me riste krte he na bhilo me..
Agar Meena yodha nahi hothe to in rajputho ka kya hota
💪💪🙏Meena hai hm hindu hai hm Indian hai hm hai bhim
हुकम किया भौमिया राजपुत और सरदार राजपुत में संबंध हो सकता हैं किया हुकम
Srdaro me sata v ghargharna nhi hota tha, bhomiya, ko kahi rjput, palvi bhi khte he
होता है
Ha ho sakta hai,agar bhomiya rajput ,parde riti rivaj ,aur ache khandan se ho toh
Hota he
@@gulabsinghmahecha2381 jo khandani bhomiya padvi ke rajput he un me gargarna nhi hota
Bhomiya rajputo ka hi ek paryay vachi h or kayam khani khud CHAUHAN rajput thai jo bad me musalman baney Bhomiya jamidaro me shrest Thai or unka apna sasan bhi hota tha vo chotey motey Raja ke saman Thai jaisey kuch thakur Raja ke saman Thai Rajasthan me perantu her Bhomiya Raja ke saman nahi tha
ap se rabta ho skta hai @jaydeepkumar3938
भोमिया सिर्फ सवर्ण जाति का ही हो सकता है !
भूमिया जमीन के मालिक थे
राजपूत समाज के है
Chhut bhaye
Ha tumhare akbar ki bataye please
@@deorabanna9727 ham to jawab hi nhi dete ab tum hi batawo
Hame to Mohammad shah rangeela ne tabah kr diya tha
क्या मजाक, है,ये इतिहास गजब ज्ञान कहा से पाया
Jankari ke liye dhanyvad
Ap raj dhamami ke bare mai btao sa
🙏
🙏🙏🙏🙏