मान्यवर मुक्ति में जीव परमात्मा में विलीन ही जाता है उसका अलग़ से अस्तित्व नहीं रहता दरअसल परमात्मा आनंद का महासागर है अतःमुक्ति का आनंद अलग से भोगने की आवश्यकता ही नहीं रहती वह जन्म मृत्यु के चक्र से छूट जाता है ना ही मुक्ति का आनंद भोगने के लिए इधर उधर जाना पड़ता है
ईश्वर, आत्मा, परमात्मा आदि शब्दों के लिए आपको पेरियार ई,वी रामा स्वामी नायकर के विचारों को जानने की जरुरत है मान्यवर । आपको साधुवाद । नमो बुद्धाय जय भीम जय भारत ।🌹🌹🌹🌹🌹।
* Jo yaha Mrityulok= Bhumi par Avtar Leta he vo Nashvant he..chahe koi bhi ho.. DEKHNE- SUNNE me jo Aata he ve sab SAKAR-NIRAKAR he.jiska NASH- KSHAY hota he.. *( Kshar sarvani Bhutani KUTATCHO AKSHAR UCHYATE == GEETAJI..15. * 3.TYPES ki Shrushti he. * Jiv shrushti * ishwari shrushti * & Brahmshrushti..sabhi Shashtronme Likha he.. * Aam.*Khas* Khasalkhas.(Kurane Sharif ).. * Flesh* water * Spirit ( BIBLE) * Aatma ye Jo Mukt he vo Harhamesh (12000 Aatmaye) parmatma ke sath Rahti he isiliye.. Aatma so PARMATMA kaha jata he..jo Swarupvan= NOORJAMAL = Darshniy = Shaxirup= Ful feature =SANGOPANG jo Parmatma ki Anand Swarup= Angnaye= Arvahe= Ruhe= Ablaye= Bramatmaye= hakilyukin= Bramhmunis = momins= Pranrup priyaye= Surtaye jo kabhi. ** Aatma na janam ti he na Marti he na GHATTI he Na Badhti he..vo pragat hoti he= ( Sharir me Pravesh karti he) DRASTA he.( GEETAJI.) * JIV ..janam leta he Marta he BHOGTA he anginit he. Jo sab me Rahta he... *Parmatma ki 12 Hazar.. * Akshar Bhagvan ki 24 Hazar.Surtaye . *Kshar Akshar & Akshratit * LAA. ILLAH.& ALLAH. . * GOD. CREATER GOD & THE SUPREME TRUTH GOD.. *SHLOK he... Chidadityam Kishorangam Paredhamni Birajitam swarupam sacchidanandam Nirvikaram Ssnatanam. = Sat +chid +Anand = Sat= SATTA-POWER ka Swarup jo Nirakar ke Rupme kan- kan me he ( rules- regulations= adesh= Gazette circulate hota he Alag-Alag Languages me ADEDH Baki KHUD PARMATMA PARAMDHAM ME.. * NIRVIKAR =CHANGLESS = SHINING BODY ...SWARUP SAHEB SACHIDANAND SWARUP he... PURUSHOTTAM = PuranBrahm/ parvardigar AKSHRATIT kaha jata he * Anjil.* Jambur.*Toret & Kurane sharif.. * Rugved * yajurved* samved* Atharvaved.. * Karmkand-*Upasana *Gyan & *Vigyan. * Shariyat * Tarikat * Hakikat * & Marfat.. Sab Bhasha ka bhed he. ...for More information & Clear cut Details..Ref.books.. Shri kuljam swarup Saheb & Shri Vitak saheb..The. History of Nijanand Sampraday= shri Krishna Pranami Dharm.. Pranamji Namaskar Suprabhatam..
आचार्य जी नमस्ते महत्वपूर्ण व्याख्या हार्दिक आभार वा धन्यवाद कृपया योगदर्शन को सुनने के लिए लिंक प्रेषित करने की कृपा करें सुरेश कुमार गर्ग गाजियाबाद यूपी
आपने कहा मोक्ष मे आत्मा अपनी शक्ति के प्रयोग से आनंद मे रहता है जबकी आत्मा की शक्ति अति न्यून है ओर वहा ईश्वर की शक्ति का प्रयोग करता है । नमस्ते जी ।😊
प्रणाम आचार्य जी कृपया इस प्रश्न का उत्तर दे दे कि लगभग दो अरब वर्ष पूर्व जब सृष्टि की रचना हुई थी तो जो आत्माएं बंधन में थी वह तो मूर्छित डली हुई थी लेकिन जो आत्माएं मुक्त हो गई थी उन्होंने तो सारी रचना को देखा होगा कैसे रचना हुई , मुक्त आत्माओं ने तो सारी चीजें देखी होंगी ना कि ईश्वर कैसे रचना कर रहा है और जब मनुष्य की रचना की गई तब उन्हें मुक्त श्रेष्ठ आत्माओं में से ही उन श्रेष्ठ आत्मा का चयन किया गया जो आगे वेदों का ज्ञान देती हैं उन्हें मुक्त आत्माओं में से ब्रह्मा जी शिवजी इन सब का भी चयन उन मुक्त आत्माओं मैं से ही किया होगा ना !!!
आचार्य जी, प्रणाम भगवान एवं ईश्वर मे अंतर है। मृत्यु के पश्चात हमारी आत्मा ईश्वर मे विलय पाती है। भगवान तो अवतारों को कहा जाता है, जैसे राम, कृष्ण,... कृपया समझाए ।
गुरूदेव, आत्मा कोई पिंड नही है अपितु मीडियम है किंतु जब वह जीव मे प्रवेश करता है तब वह टेंपररीली पिंड स्वरूप ले लेता है उस स्थिती मे उसे स्वाद के लिए जीभ, देखने के लिएआँख, बोलने के लिए कंठ आदि अवयवों की आवश्यकता पडती है अन्यथा इन अवयवों की कोई भी आवश्यकता नही होती। यह मेरी धारणा है। कृपया समझाएँ।
जनता को भ्रमित मत करो गीता अध्याय नं 18का श्लोक 62 व66मए लिखा है की गीता अध्याय 18का श्लोक 62मे कह रहे हैं कि हे अर्जुन अगर मोक्ष प्राप्त करना चाहते हैं तो उस परमात्मा की शरण में चला जा जहां जाने के बाद वह साधक कभी लोटकर इस संसार में कभी वापस नहीं आते 💠गीता अध्याय 17 श्लोक 23-28 में ओम मंत्र जो क्षर पुरूष का है तथा तत मंत्र जो सांकेतिक है, यह अक्षर पुरूष की साधना का है तथा सत मंत्र भी सांकेतिक है। यह परम अक्षर पुरूष की साधना का है। इन तीनों मंत्रों के जाप से पूर्ण मोक्ष प्राप्त होता है।
Baut badia, sambhav ho to please Bible padiye.. Bible kya Keye ta hai. Dhanyabaad. Appke ki Gyanki kami nahi, such kya hai anusandhan karo. GOD bless U and ur family.
इतनी सुंदर विषय को इस प्रकार व्याख्या करना एवं एक ही बात को बार बार दोहराने और विषय वस्तु से हटकर व्याख्या करना उचित नहीं है कृपया संक्षिप्त रूप से मूल बिंदु पर प्रकाश डालें आनुवंशिक रूप से व्याख्या ना करें
परमात्मा आनंद का महासागर है मुक्ति के समय जीव इसमें विलीन हो जाता है उसका अपना अलग से कोई अस्तित्व नहीं रहता उसको देखने सूंघने स्पर्श करने की कोई इच्छा नहीं रहती जिस प्रकार बहती हुई नदी सागर में मिल जाती है विलीन हो जाती है उसका अपना अस्तित्व समाप्त हो जाता है उसी तरह जीव परमात्मा रूपी आनंद के सागर में बिलींहों जाता है
बिल्कुल गलत और असंगत व्याख्या।।जो ज्ञानी पुरुष सदेह मुक्ति को प्राप्त हो जाता हैं वही शरीर छूटने पर विदेह मुक्ति को प्राप्त होता है और सदा के लिए निज स्वरूप में ठहर जाता हैं और उसका कही आना जाना नहीं होता और ना ही किसी गति को प्राप्त होता है। बहुत ही गहन चिंतन का विषय है।
जब आपकी मृत्यु ही नहीं हुई , तो फिर आप दावा या प्रमाणित कैसे कर सकते हैं । इसी को मूर्ख बनाकर पाखंड फैलाना कहते हैं । इन्ही पाखंडों की बजह से मनुवादी दुकान चल रही है । भाई अब लोग शिक्षित हो गए हैं , सही ग़लत सब जानने लगे हैं ।
आपने बहुत सुंदर प्रयत्न किया आचार्य प्रभाकर जी।
बहुत सुन्दर प्रस्तुति किए आप ने सत्य वचन सुनकर बहुत अच्छा लग
श्रीमान जी आपका बताने का तरीका बहुत ही अच्छा और आसान है आपको तहे दिल से धन्यवाद
धन्यवाद आचार्य जी🙏 इतनी अच्छी जानकारी देने के लिए।
आचार्य जी बहुत सरल तरीके से क्लिष्ट विषय को समझाया 🙏
बहुत अच्छा व्याखान दिया। आचार्य जी प्रणाम मैं आपके विचारों से बहुत प्रभावित हुईं ।
Pranam acharya ji god bless u.
Wah aacharya ji wah aapka vyakhyan adbhut hai koti koti naman 🙏🙏🏼🙏🙏🏼🚩🚩🚩🚩
आचार्यजी, गहन विचार को सरल तरीके से समझाने के लिए खूब खूब धन्यवाद 🙏🙏
आप सही है दंडवत प्रणाम
ओउम् सादर नमस्ते आचार्य जी 🙏
सुंदर व्याख्या के लिए बहुत, बहुत धन्यवाद।
सादर नमस्ते।
Bahut badhiya tarike se samjhate hai aap . Aapka har video bohot accha hota hai. Dhanyawaad. 🎉🙏👍🎊
हरे कृष्णा ❤❤
ओम् परिणाम आचार्य जीं जय सनातन
आचार्य जी सादर धन्यवाद शुभकामनाएं आयुष्मान भव ओ३म् 🙏🏼🚩
Ati uttam pravchan ,,hai❤
आचार्य जी को प्रणाम 🙏 बहुत सरल ढंग से सम झाया मृत्यु के बाद क्या होता है।
बहुत कुच संमझ आया गुरुजी
आदरणीय आचार्य जी सादर नमस्ते 🌹🌹☂️
गुरुजी बहुत बहुत धन्यवाद
आचार्य जी सादर नमस्ते बहुत सुन्दर व्याख्यान🙏
बहुत अच्छा सर
बहुत सुंदर संदेश। अध्यात्म का गुढ़ ज्ञान से अवगत कराया। धन्यवाद वन्देमातरम, जयश्री कृष्ण
जय हो , प्रणाम आचार्य जी
कृपया हमें ऐसे ही जानकारियां देते रहे 🙏🙏
आत्मा संकल्प विकल्प के परे की अवस्था है...🙏🚩🚩🚩
Om Acharya ji.
Good
मान्यवर मुक्ति में जीव परमात्मा में विलीन ही जाता है उसका अलग़ से अस्तित्व नहीं रहता दरअसल परमात्मा आनंद का महासागर है अतःमुक्ति का आनंद अलग से भोगने की आवश्यकता ही नहीं रहती वह जन्म मृत्यु के चक्र से छूट जाता है ना ही मुक्ति का आनंद भोगने के लिए इधर उधर जाना पड़ता है
ईश्वर, आत्मा, परमात्मा आदि शब्दों के लिए आपको पेरियार ई,वी रामा स्वामी नायकर के विचारों को जानने की जरुरत है मान्यवर । आपको साधुवाद । नमो बुद्धाय जय भीम जय भारत ।🌹🌹🌹🌹🌹।
जिन्दा मनुष्य स्वर्ग जा नहीं सकता,मुर्दा मनुष्य स्वर्ग बता नहीं सकता,, तो मनुष्य,मरने के बाद कहा जाता है, उतर दीजिये गुरु जी🙏🙏
पहले तो ये btao की स्वर्ग होता क्या है उत्तर अपने आप मिल जाएगा
बहुत ही अच्छा
Thank you
🕉🕉🕉🙏🙏🙏Sadar Namastey🙏
उत्तम
Saty sanatan vedik dharma ki jay namaste
Sunder jankari
Thanks
Bht bht dhanyawad
मुक्ति दुखों से सदा सदा के लिए छूट जाना होता है
Namaste ji 🙏
नमस्ते आचार्य जी
तो यदि आत्मा बिन शरीर के सब कुछ अनुभव कर सकता है, जैसे देखना सुनना स्वाद लेना, तो फिर शरीर धारण करना ही क्यों आचार्य जी ?🙏
Taki wo apne karmo ka, khaskar bure karmo ka fal bhog sake
@@ururkram8490 कर्म करने के लिए भी शरीर चाहिए होता है, फिर से कर्मों का फल भोगने के लिए शरीर धारण करना पड़ता है क्या?
* Jo yaha Mrityulok= Bhumi par Avtar Leta he vo
Nashvant he..chahe koi bhi ho.. DEKHNE- SUNNE me jo Aata he ve sab SAKAR-NIRAKAR he.jiska
NASH- KSHAY hota he..
*( Kshar sarvani Bhutani
KUTATCHO AKSHAR UCHYATE == GEETAJI..15.
* 3.TYPES ki Shrushti he.
* Jiv shrushti * ishwari shrushti * & Brahmshrushti..sabhi Shashtronme Likha he..
* Aam.*Khas* Khasalkhas.(Kurane Sharif )..
* Flesh* water * Spirit
( BIBLE)
* Aatma ye Jo Mukt he vo
Harhamesh (12000 Aatmaye) parmatma ke sath Rahti he isiliye..
Aatma so PARMATMA kaha jata he..jo Swarupvan= NOORJAMAL
= Darshniy = Shaxirup=
Ful feature =SANGOPANG
jo Parmatma ki Anand Swarup= Angnaye= Arvahe= Ruhe= Ablaye=
Bramatmaye= hakilyukin=
Bramhmunis = momins=
Pranrup priyaye= Surtaye
jo kabhi.
** Aatma na janam ti he na Marti he na GHATTI he Na Badhti he..vo pragat
hoti he= ( Sharir me Pravesh karti he)
DRASTA he.( GEETAJI.)
* JIV ..janam leta he Marta he BHOGTA he anginit he.
Jo sab me Rahta he...
*Parmatma ki 12 Hazar..
* Akshar Bhagvan ki 24 Hazar.Surtaye .
*Kshar Akshar & Akshratit
* LAA. ILLAH.& ALLAH. .
* GOD. CREATER GOD &
THE SUPREME TRUTH GOD..
*SHLOK he... Chidadityam Kishorangam Paredhamni Birajitam swarupam sacchidanandam Nirvikaram Ssnatanam.
= Sat +chid +Anand =
Sat= SATTA-POWER ka
Swarup jo Nirakar ke
Rupme kan- kan me he
( rules- regulations= adesh= Gazette circulate hota he Alag-Alag Languages me ADEDH
Baki KHUD PARMATMA PARAMDHAM ME..
* NIRVIKAR =CHANGLESS = SHINING BODY ...SWARUP SAHEB
SACHIDANAND SWARUP
he... PURUSHOTTAM =
PuranBrahm/ parvardigar
AKSHRATIT kaha jata he
* Anjil.* Jambur.*Toret &
Kurane sharif..
* Rugved * yajurved* samved* Atharvaved..
* Karmkand-*Upasana
*Gyan & *Vigyan.
* Shariyat * Tarikat * Hakikat * & Marfat..
Sab Bhasha ka bhed he.
...for More information &
Clear cut Details..Ref.books..
Shri kuljam swarup Saheb & Shri Vitak saheb..The. History of Nijanand Sampraday= shri Krishna Pranami Dharm..
Pranamji Namaskar Suprabhatam..
ये तो समाधिस्थ स्थिति में होता है।
Bahut sunder questions
🙏🙏
❤❤❤❤🎉🎉🎉
Actually Ankit Pravakar Sadare Namasteji
आचार्य जी सादर नमस्ते
Extensive knowledge 🙏🏼
🙏
आचार्य जी क्या आत्मा मुक्ति के समय संसार के कार्य कर सकती है
Acharya ji muktatma pralaya ke time keise reheta he.
All our actions result into some kind of papa. So no body on earth remains Papa - reht.
Sadar namaste acharya ji
🙏🌹🙏
नमस्ते जी , जब आत्मा की मुक्ति हो जाती है ,तो क्या उसके बाद में क्या परम पिता परमेश्वर से आत्मा की बात चीत होती है या नही ।🙏🙏
आचार्य जी नमस्ते महत्वपूर्ण व्याख्या
हार्दिक आभार वा धन्यवाद
कृपया योगदर्शन को सुनने के लिए लिंक प्रेषित करने की कृपा करें
सुरेश कुमार गर्ग गाजियाबाद यूपी
नमस्ते जी
th-cam.com/play/PLGgSLhwX_HFiGHls6WZhQIjf4AeRvDp1W.html&si=fQz0-c9N2G1RQ5Pk
🙏🙏🙏🙏🙏
Kya atma chiti men hota hai
आप राजस्थान में कौन से जिले में रहते हो और गांव का नाम क्या है
Kiya moksh m atmanen Akeley hi ghumte Hai yaunhen patta Hai k Yanhan moksh m or b atman hai
सुन्दर जानकारी.नमस्ते
नमस्ते जी
मुक्त आत्म और अमुक्त आत्म में क्या अंतर है?
भक बुरबक यही तो बता रहा।
Atma Mukti nahi to atma endriya anubhav karege kya?
आचार्य जी जीव आत्मा और मन एक है या अलग-अलग कृपा बताईये
लगभग 600 रियासतों थीं आचार्य जी
आपने कहा मोक्ष मे आत्मा अपनी शक्ति के प्रयोग से आनंद मे रहता है जबकी आत्मा की शक्ति अति न्यून है ओर वहा ईश्वर की शक्ति का प्रयोग करता है । नमस्ते जी ।😊
Ye point jo aapne rakha is par debate haar gya tha vo Dogi Tiwari 😊
Atma ki ayusha kitna saal ki hoti hai,atma fir sa Janam lati hai aallag aallag jiv may
,आचार्य जी. कया.आत्मा. की.उतपती. ईश्वर. से.होता.है.
आप गुरुजी मुझे मिले मे मेरा भाग्य समझ ता हू
आचार्य आचार्य जी जीव आत्मा और मनुष्य एक ही है अलग-अलग है कृपा करके बताएं
आत्मा का निमार्ण कैसे होता है
Kya atma aur pramatma dono alag h
,kyaatma chitin men atma hotahai
क्या मुक्ति से बाहर आने के बाद जब जीवात्मा फिरसे नया जन्म लेती है तब उसका मुक्ति काल में लिया हुआ ग्यान क्या पूर्ण रूप से जीवात्मा भूल जाती है.
th-cam.com/video/XW9GBUE8iUg/w-d-xo.html
*दो दिन का जग में मेला सब चला चली का खेला*
*कोई चला गया कोई जावे कोई गठरी बांध सिधावे*
Pranam. Please ye bata sakte hai to batayei ke shwan yani dog ke death ke baad uski aatma kaha jaati hai. Kya maanav body milta hai ya nahi
प्रणाम आचार्य जी कृपया इस प्रश्न का उत्तर दे दे कि लगभग दो अरब वर्ष पूर्व जब सृष्टि की रचना हुई थी तो जो आत्माएं बंधन में थी वह तो मूर्छित डली हुई थी लेकिन जो आत्माएं मुक्त हो गई थी उन्होंने तो सारी रचना को देखा होगा कैसे रचना हुई , मुक्त आत्माओं ने तो सारी चीजें देखी होंगी ना कि ईश्वर कैसे रचना कर रहा है और जब मनुष्य की रचना की गई तब उन्हें मुक्त श्रेष्ठ आत्माओं में से ही उन श्रेष्ठ आत्मा का चयन किया गया जो आगे वेदों का ज्ञान देती हैं उन्हें मुक्त आत्माओं में से ब्रह्मा जी शिवजी इन सब का भी चयन उन मुक्त आत्माओं मैं से ही किया होगा ना !!!
आदि सृष्टि में जिन चार ऋषियों को वेदों कांज्ञान दिया गया, उनके चयन पर तो यही नियम लागू होता है
गुरुजी नरक स्वर्ग होता है क्या
आचार्य जी, प्रणाम
भगवान एवं ईश्वर मे अंतर है।
मृत्यु के पश्चात हमारी आत्मा ईश्वर मे विलय पाती है।
भगवान तो अवतारों को कहा जाता है, जैसे राम, कृष्ण,...
कृपया समझाए ।
गुरूदेव,
आत्मा कोई पिंड नही है अपितु मीडियम है किंतु जब वह जीव मे प्रवेश करता है तब वह टेंपररीली पिंड स्वरूप ले लेता है उस स्थिती मे उसे स्वाद के लिए जीभ, देखने के लिएआँख, बोलने के लिए कंठ आदि अवयवों की आवश्यकता पडती है अन्यथा इन अवयवों की कोई भी आवश्यकता नही होती। यह मेरी धारणा है।
कृपया समझाएँ।
अब्याहति गति अर्थात अबाध गति?
आत्मा शरीर से निकलने के बाद निकलने के बाद जाने का कोई प्रमाण हैं? पुनर्जन्म की बात क्या सिद्ध है
M jab bhi moksh ke bare m sochta hu to mujhe anxiety hone lagti hai 😢
Kya manushya marnaka bad kundya darereltaha batra
जनता को भ्रमित मत करो
गीता अध्याय नं 18का श्लोक 62
व66मए लिखा है की गीता अध्याय 18का श्लोक 62मे कह रहे हैं कि हे अर्जुन अगर मोक्ष प्राप्त करना चाहते हैं तो उस परमात्मा की शरण में चला जा जहां जाने के बाद वह साधक कभी लोटकर इस संसार में कभी वापस नहीं आते
💠गीता अध्याय 17 श्लोक 23-28 में ओम मंत्र जो क्षर पुरूष का है तथा तत मंत्र जो सांकेतिक है, यह अक्षर पुरूष की साधना का है तथा सत मंत्र भी सांकेतिक है। यह परम अक्षर पुरूष की साधना का है। इन तीनों मंत्रों के जाप से पूर्ण मोक्ष प्राप्त होता है।
सिर्फ मुक्ति के बाद ही ये सब पावर आती है सूंघने, छूने की, देखने की।। या फिर मरने के बाद जो आत्मा रहती है वो भी ये सब महसूस कर सकते है ?
ज्यान के अलावा सही शब्द का उच्चारण ज्ञान ही किया करे ।
आत्मा जीवित शरीरों में आकर क्यों परेशान करती हैं ??
एक इन्सान कि मृत्यू के पश्चात दुसरे जन्म के लिये कितना अवधी होता है
120 years me ek baar manav janm hota hai
Baut badia, sambhav ho to please Bible padiye.. Bible kya Keye ta hai. Dhanyabaad. Appke ki Gyanki kami nahi, such kya hai anusandhan karo. GOD bless U and ur family.
इतनी सुंदर विषय को इस प्रकार व्याख्या करना एवं एक ही बात को बार बार दोहराने और विषय वस्तु से हटकर व्याख्या करना उचित नहीं है कृपया संक्षिप्त रूप से मूल बिंदु पर प्रकाश डालें आनुवंशिक रूप से व्याख्या ना करें
भाई मौत के बाद क्या होता है ये तोह बताया ही नही इंसान की आत्मा कहा जाती है
Science ki language na hi bole to accha hai kyunki science to bhagvan ko hi nahi manti lekin bhagvan bhi hai aur aadhyatm bhi
मान्यवर, क्या आप मोक्ष को प्राप्त हो गए हैं।
परमात्मा आनंद का महासागर है मुक्ति के समय जीव इसमें विलीन हो जाता है उसका अपना अलग से कोई अस्तित्व नहीं रहता उसको देखने सूंघने स्पर्श करने की कोई इच्छा नहीं रहती जिस प्रकार बहती हुई नदी सागर में मिल जाती है विलीन हो जाती है उसका अपना अस्तित्व समाप्त हो जाता है उसी तरह जीव परमात्मा रूपी आनंद के सागर में बिलींहों जाता है
ब्रह्म भगवान नहीं है।
ब्रह्म
भगवान कै रहने का स्थान है।भगवान सर्वत्र व्याप्त नहीं होता है। भाई जी इस जानकारी में शायद आप बहुत पीछे हैं।
Nonsense knowledge.please read garud puran
Jab gyan nhi h tow gyan kyu dete ho is bholi janta kabewcup banate ho sir or sirf paise k liye shram ani chahiye
बिल्कुल गलत और असंगत व्याख्या।।जो ज्ञानी पुरुष सदेह मुक्ति को प्राप्त हो जाता हैं वही शरीर छूटने पर विदेह मुक्ति को प्राप्त होता है और सदा के लिए निज स्वरूप में ठहर जाता हैं और उसका कही आना जाना नहीं होता और ना ही किसी गति को प्राप्त होता है। बहुत ही गहन चिंतन का विषय है।
आत्मा और मुक्ति के बारे में आपकी थ्योरी बिल्कुल सही नहीं है बिल्कुल गलत लगती है माफ करना
आप भी अपना तर्क रखो आपकी थ्योरी क्या है
😂😂😂😅😅😅😅😅 bde agyani hoo tum ......
जब आपकी मृत्यु ही नहीं हुई , तो फिर आप दावा या प्रमाणित कैसे कर सकते हैं । इसी को मूर्ख बनाकर पाखंड फैलाना कहते हैं । इन्ही पाखंडों की बजह से मनुवादी दुकान चल रही है । भाई अब लोग शिक्षित हो गए हैं , सही ग़लत सब जानने लगे हैं ।