महोदय, आप उद्यमशील है, और मेरा भी प्रयास है कि मैं आपके उद्यम को व्यर्थ न जाने दूं। यदि आप गाइड ढूंढ रहे हैं तो पापुलर मास्टर गाइड " आदि आपको गाइड मिल जाएगी, परन्तु महोदय अवलोकन करके आप स्वयं समझ जाएंगे विषयवस्तु अत्यधिक दोषपूर्ण एवं संक्षिप्त है, अतः एव आपको भिन्न भिन्न ग्रन्थों का अवलोकन करना पड़ेगा, यथा- शास्त्रीय विषयों में दर्शन के लिए सर्वदर्शनसंग्रह, वेद से सम्बन्धित वैदिकसाहित्यस्येतिहास:(बलदेवोपाध्याय) उपनिषद्- ईशादि नौ उपनिषद् (गीता प्रेस) यज्ञादि- नित्यकर्म और बृहद् नित्यकर्म समुच्चय आदि और कर्मकाण्डविषयक, धर्मशास्त्र- मनुस्मृति,याज्ञवल्कयस्मृति, गीता , अर्थशास्त्र , मीमांसा और वेदान्त का विशिष्ट अध्ययन , पुराणों का परिचय ये तो अतीव मुख्य है
इसकी एक विस्तृत विषय सूची है। जिसमें वेद पुराण कर्मकांड ज्योतिष मीमांसा को सबसे ज्यादा महत्व दिया जाता है, परन्तु गाइड आप ले सकते हो परन्तु तथ्य अति सीमित है।
चातुर्वर्ण्यं मया सृष्टं गुणकर्मविभागशः। तस्य कर्तारमपि मां विद्ध्यकर्तारमव्ययम्।।4.13।। श्रीमद्भगवद्गीता के ४अध्याय का १३ पद्य जरूर देखें महोदय। स्पष्ट उल्लेख है चार वर्णों की रचना परब्रह्म ने मनुष्यों के गुण कर्म के आधार पर की। जातिनीतिकुलगोत्र दूरगं नामरूपगुणदोषवजितम्। देशकालविषयातिर्वात यत् ब्रह्म तत्त्वमसि भावयात्मनि ॥ जो जाति,नीति, कुल और गोत्र से परे है,नाम,रूप,गुण और दोष से रहित है तथा देश,काल और वस्तु से भी पृथक है तुम ही वही ब्रह्म हो। ऐसे अपने अंतःकरण में भावना करो। इस श्रुति वाक्य को देखें। यह जाति को स्पष्टतः नकारता है। याज्ञवल्क्य इत्यादि अनेकों ऐसे आप्त पुरुष हैं जिनकी वेदना थी स्थायी जाति व्यवस्था। यहां तक की अनादिनिधन उस ब्रह्म को न जानने वाला ब्राह्मण कभी हो ही नहीं सकता। ब्राह्मण का अर्थ है "यः ब्रह्म जानाति सः ब्राह्मणः" अतः गुरु को ब्राह्मण का दर्जा दिया जाता था। न कि जन्म कुल के आधार पर। और यदि ऐसा होता मनुस्मृति इत्यादि ग्रन्थों में उनका लक्षण न दिया जाता कि अध्यापनं अध्ययनं यजनं याजनं तथा । दानं प्रतिग्रहं चैव ब्राह्मणानां अकल्पयत् । वहां ब्राह्मण कुल में जन्म लेने वाला भी ब्राह्मण कहा जाए, ऐसा कुछ लिखा होता
@@user-SANSKRITJIGYASA aap gita ji ka path mt pdaiye ji mujhe kantast gita ji ke १८ chapter yad h. Or aapne bola ki karm ke aadar pr jana jata h to aap mujhe ye btaye parsuram ji ek brahman the lekin unhone २१ bar पृथ्वी ko छत्रिय विहीन किया था to ve छत्रिय bn gye the kya? महा भारत me ब्राह्मण dronacharya ne सस्त्र उटाये थे क्या वे छत्रिय बन gye. Kasi bat krte ho aap. एकलव्य ne सस्त्र विद्या सीख ली थी क्या vo छत्रिय बन gye the. कर्ण खूब अंग देश का राजा था और छत्रिय भी था लेकिन सूत पुत्र khlaya kuki uska पालन पोषण ek सूत ne hi kiya था. जवाब jrurr dena ji meri bato ke . Or btana mera konsi bat glt h. Or aage se aap apni soch me ejfa krna. @brahman #brahman So aap exampal dena ban kre or jo सत्य है उसे savikar कीजिए.
@@user-SANSKRITJIGYASA एक बात ओर जो आप गीता जी का श्लोक पढ़ा rahe ho vo dvapryug me bhagvan shree krishna dvara kha gya h kya esse phele ब्राह्मण nhi the kya esse phele koi yug nhi tha?
@@RohitSharma-be1ps महोदय, महाभारत के एकलव्य वर्णन में ग्रन्थ ने गुरुनिष्ठा का परिचय दिया है, और आर्ष ग्रन्थों का कार्य अननुष्ठापक को अनुष्ठापक बनाना होता है, इस दृष्टि से तो रामायण, महाभारत आदि लोककथाएं हमारे लिए व्यर्थ सिद्ध हो जाएगी। कृष्ण, राम द्वारा कंस , रावण आदि का वध वर्णन आपके लिए हत्या का प्रेरक हो जाएगा। अर्जुन का धर्मयुद्ध करना राज्यलोभ हो जाएगा। आचार्यों का रणभूमि में आना उनका उस शास्त्र में राज्य के प्रति उनकी वचनबद्धता (धर्मनिर्वाहता) थी, क्योंकि वचन धर्म का ही मोल"शस्त्रे शास्त्रे च कौशलम्" यह वाक्य है। कृष्णलीला द्वारा अधर्म पक्ष में होने से ही उनका विनाश हुआ। एकलव्य वर्णन तो मूलरामायण में अंगुष्ठ अवच्छेदन का वर्णन लक्षणा के द्वारा अर्थ ग्रहण करवाता है। कर्णप्रसंग से ही आप वर्ण व्यवस्था को जान सकते हैं, परन्तु इसका विशिष्टज्ञान अभाव से हम मूल अर्थ को समझने से वञ्चित है। वंशाधारित वर्णव्यवस्था नहीं है, कर्माधारित ही है। एवं श्रीमद्भगवद्गीता का कंठस्थिकरण मुझ आप जैसे माणवकों को गुरुकुल पद्धति में करवाया जाता है,परन्तु गुरुकुल में हमारे गुरु ने हमेशा कहा था, गीता वेद को कंठस्थ करना सत्यज्ञान का प्रथम पदक्षेप है, जब इसके विशिष्ट अर्थ का अन्वेषण कर लोगे , तब ही अन्तिम पदक्षेप समझना , वर्ना प्रथम पदक्षेप के आधार पर ये ग्रन्थ तुम्हारे लिए वैसे ही हो जाएंगे,जैसे कुत्ते को नारियल का मिल जाना और यदि कर्माधारित वर्ण प्रणाली का होना सत्य होता तो कौन जानता है - आद्य सप्तर्षि कौन से वर्ण के है यदि सभी ब्राह्मण है तो गोत्रानुसार अन्य कैसे कोई क्षत्रिय आदि वर्ण का व्यवहार करते हैं। क्यूं, मनु ने वर्णाश्रम धर्म वर्णन में वंश शब्द प्रयोग नहीं किया । ऐसे अनेकों उदाहरण है महोदय, परन्तु हमने समझने का प्रयास नहीं किया। और इसी वंशाधारित वर्णव्यवस्था के कारण एक विशाल सम्प्रदाय के खण्ड होते होते आज भी छिन्न पडा हुआ है।
🌹🙏🌹 जय हो श्रीमान 🙏🌹🙏
jai ho...guru je....ate sundar
गुरू जी दूसरे पेपर के बारे में भी जानकारी देने का कृपा करें ।।
🎉🎉🎉🎉🎉🎉
Bohot mehnat kr rhe ho ap,💗💗💗💗
अति उत्तम श्रीमन
Waah sir bohat acha lga apki video dekh ke
Mene to sir like & subscribe dono kr diya h
ज्ञानयोगेन सांख्यानां कर्मयोगेन योगिनाम्" इति लोकेऽस्मिन् द्विविधा निष्ठा।
धन्यवादः महोदय
Guruji dharmguru ke liye koi achhi book btaiye jisme sb topic ka samaveshan ho jaye
महोदय, आप उद्यमशील है, और मेरा भी प्रयास है कि मैं आपके उद्यम को व्यर्थ न जाने दूं।
यदि आप गाइड ढूंढ रहे हैं तो पापुलर मास्टर गाइड " आदि आपको गाइड मिल जाएगी, परन्तु महोदय अवलोकन करके आप स्वयं समझ जाएंगे विषयवस्तु अत्यधिक दोषपूर्ण एवं संक्षिप्त है, अतः एव आपको भिन्न भिन्न ग्रन्थों का अवलोकन करना पड़ेगा, यथा-
शास्त्रीय विषयों में दर्शन के लिए सर्वदर्शनसंग्रह, वेद से सम्बन्धित वैदिकसाहित्यस्येतिहास:(बलदेवोपाध्याय) उपनिषद्- ईशादि नौ उपनिषद् (गीता प्रेस) यज्ञादि- नित्यकर्म और बृहद् नित्यकर्म समुच्चय आदि और कर्मकाण्डविषयक, धर्मशास्त्र- मनुस्मृति,याज्ञवल्कयस्मृति, गीता , अर्थशास्त्र , मीमांसा और वेदान्त का विशिष्ट अध्ययन , पुराणों का परिचय ये तो अतीव मुख्य है
Guru g pranam isi prakar aaur bhi videos banaye please
Guru ji aapne aage question answer kyu nahi Dale hai
Well done bro 🙏🙏🙏🙏
धन्यवाद भ्राता
@@user-SANSKRITJIGYASA are bro ma harshu hu
Rt Jco ke liye sbse axi book kon si he महोदय
RT jco dharmguru pepper hai sir padah dijiye please
जी महोदय कार्य कर रहे हैं
RT jco book ka pada dijiye
इसकी एक विस्तृत विषय सूची है। जिसमें वेद पुराण कर्मकांड ज्योतिष मीमांसा को सबसे ज्यादा महत्व दिया जाता है, परन्तु गाइड आप ले सकते हो परन्तु तथ्य अति सीमित है।
Bro bhardwaj ma kye cast ate ha na
Nice voice
115-घ
Reply kre sir
Please
Bed entrance exam question bataye jii
शिक्षाशास्त्री से सम्बन्धित, बहुत शीघ्र प्रयास किया जा रहा है
Dhanyabad jii
Aap glt ho ji karm ke. Aadar pr varn nhi hota tha blki varan ke aadar pe karm hote the. Phele only teacher ek pandit hota tha or ab?
चातुर्वर्ण्यं मया सृष्टं गुणकर्मविभागशः।
तस्य कर्तारमपि मां विद्ध्यकर्तारमव्ययम्।।4.13।।
श्रीमद्भगवद्गीता के ४अध्याय का १३ पद्य जरूर देखें महोदय। स्पष्ट उल्लेख है चार वर्णों की रचना परब्रह्म ने मनुष्यों के गुण कर्म के आधार पर की।
जातिनीतिकुलगोत्र दूरगं नामरूपगुणदोषवजितम्।
देशकालविषयातिर्वात यत् ब्रह्म तत्त्वमसि भावयात्मनि ॥
जो जाति,नीति, कुल और गोत्र से परे है,नाम,रूप,गुण और दोष से रहित है तथा देश,काल और वस्तु से भी पृथक है तुम ही वही ब्रह्म हो। ऐसे अपने अंतःकरण में भावना करो।
इस श्रुति वाक्य को देखें। यह जाति को स्पष्टतः नकारता है। याज्ञवल्क्य इत्यादि अनेकों ऐसे आप्त पुरुष हैं जिनकी वेदना थी स्थायी जाति व्यवस्था।
यहां तक की अनादिनिधन उस ब्रह्म को न जानने वाला ब्राह्मण कभी हो ही नहीं सकता। ब्राह्मण का अर्थ है "यः ब्रह्म जानाति सः ब्राह्मणः" अतः गुरु को ब्राह्मण का दर्जा दिया जाता था। न कि जन्म कुल के आधार पर। और यदि ऐसा होता मनुस्मृति इत्यादि ग्रन्थों में उनका लक्षण न दिया जाता कि
अध्यापनं अध्ययनं यजनं याजनं तथा ।
दानं प्रतिग्रहं चैव ब्राह्मणानां अकल्पयत् ।
वहां ब्राह्मण कुल में जन्म लेने वाला भी ब्राह्मण कहा जाए, ऐसा कुछ लिखा होता
@@user-SANSKRITJIGYASA aap gita ji ka path mt pdaiye ji mujhe kantast gita ji ke १८ chapter yad h. Or aapne bola ki karm ke aadar pr jana jata h to aap mujhe ye btaye parsuram ji ek brahman the lekin unhone २१ bar पृथ्वी ko छत्रिय विहीन किया था to ve छत्रिय bn gye the kya?
महा भारत me ब्राह्मण dronacharya ne सस्त्र उटाये थे क्या वे छत्रिय बन gye. Kasi bat krte ho aap.
एकलव्य ne सस्त्र विद्या सीख ली थी क्या vo छत्रिय बन gye the.
कर्ण खूब अंग देश का राजा था और छत्रिय भी था लेकिन सूत पुत्र khlaya kuki uska पालन पोषण ek सूत ne hi kiya था.
जवाब jrurr dena ji meri bato ke . Or btana mera konsi bat glt h. Or aage se aap apni soch me ejfa krna. @brahman #brahman
So aap exampal dena ban kre or jo सत्य है उसे savikar कीजिए.
@@user-SANSKRITJIGYASA एक बात ओर जो आप गीता जी का श्लोक पढ़ा rahe ho vo dvapryug me bhagvan shree krishna dvara kha gya h kya esse phele ब्राह्मण nhi the kya esse phele koi yug nhi tha?
Rt jco के लिए सबसे अच्छी किताब कौन सी है भाई साहब
@@RohitSharma-be1ps महोदय, महाभारत के एकलव्य वर्णन में ग्रन्थ ने गुरुनिष्ठा का परिचय दिया है, और आर्ष ग्रन्थों का कार्य अननुष्ठापक को अनुष्ठापक बनाना होता है, इस दृष्टि से तो रामायण, महाभारत आदि लोककथाएं हमारे लिए व्यर्थ सिद्ध हो जाएगी। कृष्ण, राम द्वारा कंस , रावण आदि का वध वर्णन आपके लिए हत्या का प्रेरक हो जाएगा। अर्जुन का धर्मयुद्ध करना राज्यलोभ हो जाएगा।
आचार्यों का रणभूमि में आना उनका उस शास्त्र में राज्य के प्रति उनकी वचनबद्धता (धर्मनिर्वाहता) थी, क्योंकि वचन धर्म का ही मोल"शस्त्रे शास्त्रे च कौशलम्" यह वाक्य है। कृष्णलीला द्वारा अधर्म पक्ष में होने से ही उनका विनाश हुआ।
एकलव्य वर्णन तो मूलरामायण में अंगुष्ठ अवच्छेदन का वर्णन लक्षणा के द्वारा अर्थ ग्रहण करवाता है।
कर्णप्रसंग से ही आप वर्ण व्यवस्था को जान सकते हैं, परन्तु इसका विशिष्टज्ञान अभाव से हम मूल अर्थ को समझने से वञ्चित है। वंशाधारित वर्णव्यवस्था नहीं है, कर्माधारित ही है।
एवं श्रीमद्भगवद्गीता का कंठस्थिकरण मुझ आप जैसे माणवकों को गुरुकुल पद्धति में करवाया जाता है,परन्तु गुरुकुल में हमारे गुरु ने हमेशा कहा था, गीता वेद को कंठस्थ करना सत्यज्ञान का प्रथम पदक्षेप है, जब इसके विशिष्ट अर्थ का अन्वेषण कर लोगे , तब ही अन्तिम पदक्षेप समझना , वर्ना प्रथम पदक्षेप के आधार पर ये ग्रन्थ तुम्हारे लिए वैसे ही हो जाएंगे,जैसे कुत्ते को नारियल का मिल जाना
और यदि कर्माधारित वर्ण प्रणाली का होना सत्य होता तो कौन जानता है - आद्य सप्तर्षि कौन से वर्ण के है यदि सभी ब्राह्मण है तो गोत्रानुसार अन्य कैसे कोई क्षत्रिय आदि वर्ण का व्यवहार करते हैं।
क्यूं, मनु ने वर्णाश्रम धर्म वर्णन में वंश शब्द प्रयोग नहीं किया ।
ऐसे अनेकों उदाहरण है महोदय, परन्तु हमने समझने का प्रयास नहीं किया।
और इसी वंशाधारित वर्णव्यवस्था के कारण एक विशाल सम्प्रदाय के खण्ड होते होते आज भी छिन्न पडा हुआ है।
Sir 105 ka क hoga
कलशस्य मुखे विष्णुः कण्ठे रूद्रः समाश्रितः।
क्षमा करें मैने प्रश्न को अच्छी तरह से नहीं पढ़ा था 🙏🙏🙏