हमे कर्मयोग क्यों करना चाहिए। || आचार्य दयानन्द राव

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  • เผยแพร่เมื่อ 13 ม.ค. 2025

ความคิดเห็น • 2

  • @ashwanirao7354
    @ashwanirao7354 9 หลายเดือนก่อน

    कर्म चक्र को तोड़ने और अहंकार या आसक्ति से मुक्त होकर अपने सच्चे स्वरूप की खोज किस प्रकार करें ?

    • @ashwanirao7354
      @ashwanirao7354 9 หลายเดือนก่อน

      कर्म चक्र से मेरा आशय यह है कि,
      हमारे द्वारा किए गए प्रत्येक कार्य का परिणाम होता है, चाहे वह तत्काल हो या भविष्य में। और हम बिना कर्म किये एक छन भी नही रह सकते।
      जैसे हमें भली भाँती ज्ञात है, सकारात्मक कार्यों से सकारात्मक कार्मिक प्रतिक्रियाएं होती हैं, जबकि नकारात्मक कार्यों का परिणाम आज हम 'बुरे कर्म' के रूप में जानते हैं।
      कर्म जीवन भर चलता रहता है, पिछले जन्मों के कर्मों का परिणाम वर्तमान जीवन में वापस आता है।