पापांकुशा एकादशी व्रत कथा || Papankusha Ekadashi Vrat Katha || Papankusha Ekadashi 2021

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  • เผยแพร่เมื่อ 4 ธ.ค. 2024
  • पापांकुशा एकादशी व्रत कथा || Papakunsha Ekadashi Vrat Katha || Papankusha Ekadashi 2021
    पापांकुशा एकादशी व्रत 16 अक्टूबर 2021 को रखा जाएगा. इसमें भगवान पद्मनाभ की पूजा का विधान है. आश्विन के शुक्ल पक्ष में जो एकादशी होती है, वह ‘पापांकुशा’ के नाम से विख्यात है| वह सब पापों को हरने वाली तथा उत्तम है| उस दिन सम्पूर्ण मनोरथ की प्राप्ति के लिये मनुष्यों को स्वर्ग और मोक्ष प्रदान करने वाले पद्मनाभ संज्ञक मुझ वासुदेव का पूजन करना चाहिये| जितेन्द्रिय मुनि चिरकाल तक कठोर तपस्या करके जिस फल को प्राप्त करता है, वह उस दिन भगवान् गरुड़ध्वज को प्रणाम करने से ही मिल जाता है| पृथ्वी पर जितने तीर्थ और पवित्र देवालय हैं, उन सबके सेवन का फल भगवान् विष्णु के नाम कीर्तन मात्र से मनुष्य प्राप्त कर लेता है| जो शार्ङग धनुष धारण करने वाले सर्वव्यापक भगवान् जनार्दन की शरण में जाते हैं, उन्हें कभी यमलोक की यातना नहीं भोगनी पड़ती| यदि अन्य कार्य के प्रसंग से भी मनुष्य एकमात्र एकादशी को उपवास कर ले तो उसे कभी यम-यातना नहीं प्राप्त होती| जो पुरुष विष्णु भक्त होकर भगवान् शिव की निन्दा करता है, वह भगवान् विष्णु के लोक में स्थान नहीं पाता; उसे निश्चय ही नरक में गिरना पड़ता है| इसी प्रकार यदि कोई शैव या पाशुपत होकर भगवान् विष्णु की निन्दा करता है तो वह घोर रौरव नरक में डालकर तब तक पकाया जाता है, जब तक कि चौदह इन्द्रों की आयु पूरी नहीं हो जाती| यह एकादशी स्वर्ग और मोक्ष प्रदान करने वाली, शरीर को नीरोग बनाने वाली तथा सुन्दर स्त्री, धन एवं मित्र देने वाली है| राजन्! एकादशी को दिन में उपवास और रात्रि में जागरण करने से अनायास ही विष्णुधाम की प्राप्ति हो जाती है| राजेन्द्र! वह पुरुष मातृ-पक्ष की दस, पिता के पक्ष की दस तथा स्त्री के पक्ष की भी दस पीढ़ियों का उद्धार कर देता है| एकादशी-व्रत करने वाले मनुष्य दिव्य रूप धारी, चतुर्भुज, गरुड़ की ध्वजा से युक्त, हार से सुशोभित और पीताम्बरधारी होकर भगवान् विष्णु के धाम को जाते हैं| आश्विन के शुक्ल पक्ष में पापांकुशा का व्रत करने मात्र से ही मानव सब पापों से मुक्त हो श्री हरि के लोक में जाता है| जो पुरुष सुवर्ण, तिल, भूमि, गौ, अन्न, जल, जूते और छाते का दान करता है, वह कभी यमराज को नहीं देखता| नृपश्रेष्ठ! दरिद्र पुरुष को भी चाहिये कि वह यथाशक्ति स्नान-दान आदि क्रिया करके अपने प्रत्येक दिन को सफल बनावे| जो होम, स्नान, जप, ध्यान और यज्ञ आदि पुण्यकर्म करने वाले हैं, उन्हें भयंकर यमयातना नहीं देखनी पड़ती| लोक में जो मानव दीर्घायु, धनाढ्य, कुलीन और नीरोग देखे जाते हैं, वे पहले के पुण्यात्मा हैं| पुण्यकर्ता पुरुष ऐसे ही देखे जाते हैं| इस विषय में अधिक कहने से क्या लाभ, मनुष्य पाप से दुर्गति में पड़ते हैं और धर्म से स्वर्ग में जाते हैं|
    The Ekadashi that occurs in the Shukla Paksha of Ashwin is known as 'Papankusha'. She is the destroyer of all sins and the best. On that day one should worship me Vasudeva, the Padmanabha Sangya, who bestows heaven and salvation to human beings, to attain all the desires. The result obtained by Jitendriya Muni by doing severe penance for a long time, he gets it only by paying obeisance to Lord Garudadhwaja on that day. All the pilgrimages and holy shrines on earth, the fruit of their consumption is attained by a man by simply chanting the name of Lord Vishnu. Those who take refuge in the all-pervading Lord Janardana, who holds a sharp bow, never have to suffer the torment of Yamaloka. If a person fasts on the sole Ekadashi even with regard to other work, then he will never get Yama-torture. A person who, being a devotee of Vishnu, criticizes Lord Shiva, does not find a place in the world of Lord Vishnu; He must surely fall into hell. Similarly, if someone, being a Shaiva or Pashupat, denounces Lord Vishnu, he is thrown into the ghastly Raurava hell and cooked until the life of the fourteen Indras is completed. This Ekadashi bestows heaven and salvation, makes the body healthy and gives beautiful women, wealth and friends. Rajan! By fasting during the day and awakening in the night on Ekadashi, one attains Vishnudham unintentionally. Rajendra! That man saves ten generations on the mother's side, ten on the father's side and ten generations on the woman's side as well. Ekadashi fasting people go to the abode of Lord Vishnu wearing a divine form, four-armed, with Garuda's flag, adorned with necklace and wearing a Pitambar. Only by observing the fast of Papankusha in the Shukla Paksha of Ashwin, a person becomes free from all sins and goes to the world of Shri Hari. The man who donates gold, sesame, land, cow, food, water, shoes and umbrella, never sees Yamraj. Blessed! Poor man should also make his every day successful by doing bath-donation etc. as much as possible. Those who are doing virtuous deeds like home, bathing, chanting, meditation and yajna, they do not have to see the terrible sacrifice. The human beings who are seen to be of longevity, rich, noble and diseased in the world, they are the pious souls of the past. Virtuous men are seen like this. What is the use of saying more in this matter, human beings fall into misfortune from sin and go to heaven by religion.
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