MAHA MRITYUNJAY MANTRA । महामृत्युंजय मंत्र । ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्

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  • เผยแพร่เมื่อ 24 ก.ย. 2024
  • महामृत्युंजय मंत्र भगवान शिव को समर्पित एक प्राचीन और शक्तिशाली वेद मंत्र है जिसे मृत्यु पर विजय पाने वाला महान मंत्र" कहा जाता है। यह मंत्र जीवन में दीर्घायु आरोग्य और सुरक्षा प्रदान करने के लिए जाना जाता है और भय बीमारी और मृत्यु से मुक्ति की प्रार्थना मानी जाती है। इसे आध्यात्मिक जागृति और मोक्ष के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है।
    महामृत्युंजय मंत्र
    ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।
    उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्॥
    अर्थ
    ॐ यह पवित्र ध्वनि है जो ब्रह्मांडीय ऊर्जा और सृष्टि का प्रतीक है।
    त्र्यम्बकं तीन नेत्रों वाले भगवान शिव को संदर्भित करता है जो भूत वर्तमान और भविष्य को देखने की शक्ति रखते हैं।
    यजामहे हम आपकी पूजा करते हैं।
    सुगन्धिं सुगंधित जो भगवान शिव की कल्याणकारी और कृपालु प्रकृति को दर्शाता है।
    पुष्टिवर्धनम् जो जीवन को पुष्ट करता है और आरोग्यता को बढ़ाता है।
    उर्वारुकमिवजैसे ककड़ी जो अपनी बेल से पकने पर स्वतः मुक्त हो जाती है।
    बन्धनान् बंधनों से विशेषकर संसार के बंधनों से।
    मृत्योर्मुक्षीय मृत्यु से मुक्ति दें।
    माऽमृतात्ह में अमरता या मोक्ष प्रदान करें।
    महत्व
    सुरक्षा और आरोग्य इस मंत्र का उच्चारण स्वास्थ्य रोगमुक्ति और दुर्घटनाओं से सुरक्षा के लिए किया जाता है।
    आध्यात्मिक उन्नति यह मंत्र शारीरिक मानसिक और भावनात्मक बाधाओं को दूर करने में मदद करता है और आत्मिक शांति और उन्नति लाता है।
    ककड़ी का प्रतीक मंत्र में ककड़ी का संदर्भ इस बात का प्रतीक है कि जैसे पकने पर ककड़ी बेल से सहजता से मुक्त हो जाती है वैसे ही हम भी संसार के बंधनों से मुक्त हो जाएं और मोक्ष प्राप्त करें।
    महामृत्युंजय मंत्र ऋग्वेद (7.59.12) का हिस्सा है और हिंदू धर्म के सबसे शक्तिशाली मंत्रों में से एक माना जाता है। इसे कठिन समय में बीमारों की आरोग्यता के लिए या शांति और सौहार्द्र के लिए जप किया जाता है।
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