मालवी लोक शैली में कबीर भजन ~ रस कबीर ~ Ras Kabir ~ Kabir Bhajan By Ghanshyam Chouhan ~ Kabir Songs

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  • เผยแพร่เมื่อ 14 ธ.ค. 2024

ความคิดเห็น • 10

  • @सुरेशपरमार-ज5छ
    @सुरेशपरमार-ज5छ ปีที่แล้ว

    सतसाहेबजयगुरुदेव

  • @amoliram
    @amoliram ปีที่แล้ว +4

    Piyush

  • @NarenderKumar-ig4ry
    @NarenderKumar-ig4ry ปีที่แล้ว +2

    Satsaheb satnam satkabir

  • @premsinghanand3641
    @premsinghanand3641 2 ปีที่แล้ว +3

    सत साहेब महाराज 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏

  • @salikramsoni4560
    @salikramsoni4560 ปีที่แล้ว +2

    ✳कदम रुक गए जब पहुंचे
    हम "रिश्तो" के बाज़ार में..
    ✳बिक रहे थे रिश्ते,
    खुले आम व्यापार में..
    ✳कांपते होठों से मैंने पूँछा,
    "क्या "भाव' है भाई
    इन रिश्तों का..?"
    ✳ दुकानदार बोला:-
    ✳ "कौन सा लोगे..?
    ✳ बेटे का ..या बाप का..?
    ✳ बहिन का..या भाई का..?
    ✳ बोलो कौन सा चाहिए..?
    ✳ इंसानियत का..या प्रेम का..?
    ✳ माँ का..या विश्वास का..?
    ✳बाबूजी कुछ तो बोलो
    कौन. सा चाहिए??
    ✳चुपचाप खड़े हो
    कुछ बोलो तो सही...
    ✳मैंने डर कर पूँछ लिया
    "दोस्त का.."
    ✳दुकानदार नम आँखों से बोला:-
    ✳"संसार इसी रिश्ते
    पर ही तो टिका है..."
    ✳माफ़ करना बाबूजी
    ये 'रिश्ता बिकाऊ नहीं है..
    ✳इसका कोई मोल
    नहीं लगा पाओगे,
    ✳और. जिस दिन
    ये बिक जायेगा...
    ✳उस दिन ये संसार उजड़ जायेगा.....
    ✌सभी मित्रों को समर्पित..