तुझे क्या पता ये दर्द ए जुदाई क्या चीज है. कोई अपना बिछड़ा होता, तो एहसास होता || गम नहीं होता उनको किसी का आशियाना तबाह करके. कभी अपना घर टूटा होता, तो एहसास होता || दरख़्त से तोड़कर फल तुम खुश होते हो यहां. शीशे सा कभी खुद टूटे होते, तो एहसास होता || जेहन की जीत को तू जीत कहता है मगर. तू जीत कर हारा होता,तो एहसास होता || बड़ी तकलीफ से एक झोपड़ी बनाते हैं मां-बाप अगर तू भी किसी का बाप होता, तो एहसास होता || मेरे आंसुओं को देखकर यूँ उदास मत हो " रियाज़ " किसी मजलूम का कभी अश्क पोछा होता, तो एहसास होता||
Behtreen shayri ❤️
Kya kahne aalam saab .... waaaa ❤️❤️❤️
Bahut khoob🎉
Waah waah waah waah waah waah
बेहतरीन मुशायरा 💗
आलम जी क्या कहने वाह वाह
Wah kiya baat hai🌹
WOW ✌VERY TRUE AND BEAUTIFUL
तुझे क्या पता ये दर्द ए जुदाई क्या चीज है.
कोई अपना बिछड़ा होता, तो एहसास होता ||
गम नहीं होता उनको किसी का आशियाना तबाह करके.
कभी अपना घर टूटा होता, तो एहसास होता ||
दरख़्त से तोड़कर फल तुम खुश होते हो यहां.
शीशे सा कभी खुद टूटे होते, तो एहसास होता ||
जेहन की जीत को तू जीत कहता है मगर.
तू जीत कर हारा होता,तो एहसास होता ||
बड़ी तकलीफ से एक झोपड़ी बनाते हैं मां-बाप
अगर तू भी किसी का बाप होता, तो एहसास होता ||
मेरे आंसुओं को देखकर यूँ उदास मत हो " रियाज़ " किसी मजलूम का कभी अश्क पोछा होता, तो एहसास होता||