Bhagavad Gita: Chapter 2, Verse 41

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  • เผยแพร่เมื่อ 15 ต.ค. 2024
  • व्यवसायत्मिका बुद्धिरेकेह कुरुनन्दन।
    बहुशाखा ह्यनन्ताश्च बुद्धयोऽव्यवसायिनाम् ॥41॥
    हे कुरुवंशी! जो इस मार्ग का अनुसरण करते हैं, उनकी बुद्धि निश्चयात्मक होती है और उनका एकमात्र लक्ष्य होता है लेकिन जो मनुष्य संकल्पहीन होते हैं उनकी बुद्धि अनेक शाखाओं मे विभक्त रहती है।

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