23.11.1979 avyakt mahavakya/नम्रता रूपी कवच द्वारा स्नेह और सहयोग की प्राप्ति/in sindhi
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- เผยแพร่เมื่อ 5 ก.พ. 2025
- 🌟संस्कार में भी बेहद का त्याग और बेहद की तपस्या, दो चार घण्टे की तपस्या नहीं। बेहद की तपस्या अर्थात् हर सेकेण्ड तपस्या-स्वरूप, तपस्वी मूर्त और सूरत से।🌟 मधुबन निवासी विशेष अल्लाह अवलदीन के चिराग हैं। सेकेण्ड में घर और राज्य दिखाने वाले अर्थात् मुक्ति, जीवनमुक्ति देने वाले।
🌟कोई नई बात निकालो जो वायब्रेशन चारों ओर फैलें। ‘होना चाहिए’ यह एक ही संकल्प तो सभी का है लेकिन फिर होता क्यों नहीं है उसका क्या कारण है? प्रैक्टिकल में कमी क्यों हो जाती? कौन सी ऐसी दीवार है जो ‘होना चाहिए’ के संकल्प को रूकावट डालती है।👉एक तरफ संकल्प उठता है कि ‘होना चाहिए’ दूसरी तरफ फिर यह भी संकल्प आता कि ‘यह तो अन्त समय होगा। अभी तो ऐसा ही चलेगा,अभी तो सभी का चलता है।’👉 ऐसे-ऐसे व्यर्थ संकल्पों की ईटों की दीवार खड़ी हो जाती है जो पुरूषार्थ की तीव्र गति को रोक लेती है। इसको पार करने के लिए एक दृढ़ संकल्प का हाई जम्प लगाओ वह कौन सा? हरेक समझे ‘मैं करके दिखाऊंगा।’👉‘चाहिए’ को ‘करके दिखाऊंगा’ ऐसा दृढ़ संकल्प एक-एक इन्डीविजुअल अपने साथ करे। 👉एक दो मिलकर बारह हो जावेंगे ऐसा हाई जम्प लगाओ, तब ही बाप-समान बेहद के सेवाधारी बनेंगे।
👉अमृतवेले क्या संकल्प रखेंगे, क्लास के समय विशेषता क्या लेंगे, कर्मणा समय क्या लक्ष्य रखेंगे, शाम के समय योग में क्या विशेष अटेन्शन रखेंगे, सैर करते हुए कौन-सी मन्सा सेवा द्वारा वायब्रेशन्स फैलायेंगे, रात को किस बात की चेकिंग करेंगे।
👉 ऐसा दिल का उमंग होना चाहिए। प्रोग्राम से अल्प काल के लिए होता है और मन का संकल्प अविनाशी होता है।👉🔔🌟 यह संकल्प उठना चाहिए कि करेंगे और रिज़ल्ट निकालेंगे तब चारों ओर यह वायब्रेशन्स फैलेंगे।
🌟 ब्रह्मा बाप समान कदम-कदम चलना चाहिए। जैसे ब्रह्मा बाप को देखा रात जाग करके भी वायब्रेशन्स फैलाने का मंथन करते थे। तो ऐसे सब बच्चों का मंथन चलना चाहिए।
👉इस बात में जो ओटे सो अर्जुन। सब को देखने से रह जावेंगे। इसलिए जो करेगा उसको सब फालो करेंगे👉 मन्सा से विश्व की सेवा करो, विश्व-सेवाधारी एक काम नहीं डबल काम करते हैं। 👉स्थूल में हाथ चलते रहें और मन्सा से शक्तियों का दान देते रहो। 👉सदैव सेवा के समय यह ध्यान रखो कि गुण-मूर्त होकर सेवा करें तो डबल जमा हो जावेगा, सदैव डबल सेवा करो।
👉🔔अपने को विश्व-परिवर्तन के निमित्त समझो हरेक समझें कि मैं निमित्त हूँ।👉 दूसरे की गलती को देख स्वयं गलती न करो।🌟🔔 दूसरे की गलती देखने में आती है लेकिन मैं भी गलती कर रही हूँ वह दिखाई नहीं पड़ती। समझो एक गलत बोल रहा है लेकिन उसके संग के रंग में खुद भी गलत बोलते हैं तो संग के रंग का असर हो गया ना। अगर कोई गलती करता है तो हम राइट में रहें, उसके संग के प्रभाव में न आएँ, प्रभाव में आने के कारण अलबेले हो जाते हो। सिर्फ एक ज़िम्मेवारी उठा लो कि मैं राइट के मार्ग पर ही रहूँगी। राँग को देख कर राँग नहीं। अगर दूसरा राँग करता है तो उस समय समाने की शक्ति युज़ करो। अगर यही संकल्प हरेक कर ले तो विश्व का परिवर्तन सहज ही हो जायेगा।🌟 किसी की गलती को नोट न करो। लेकिन उसको सहयोग का नोट दो अर्थात् सहयोग से भरपूर कर दो, शक्तिवान बना दो। इसने यह किया, यह ऐसा करता दूसरे को देखेंगे, दूसरे की सुनेंगे तो स्वयं अलबेले हो जायेंगे।
🌟समय के प्रमाण अब व्यर्थ के नाम-निशान को भी खत्म करो। न व्यर्थ बोल न व्यर्थ कर्म, न व्यर्थ संग। व्यर्थ संग भी समय और शक्ति खत्म कर देता है।
🌟 कोई कितना भी आपके बीच कमी ढूँढने की कोशिश करे लेकिन ज़रा भी संस्कार-स्वभाव का टक्कर दिखाई न दे।👉अगर आज सभी यह दृढ़ संकल्प करके व्यर्थ के रावण को जला दें तो क्या हो जायेगा? सच्ची दीपावली।👉 ऐसी प्रतिज्ञा करो। अगर कोई गाली भी दे, इनसल्ट भी करे, आप सेन्ट (Saint) बन जाओ।👉 अगर आप से कोई टक्कर लेता है तो आप उसे अपने स्नेह का पानी दो, इससे अग्नि समाप्त हो जायेगी।👉 अगर कहते ‘यह क्यों’ ‘ऐसा क्यों’ तो उस पर तेल डाल देते हो। सदेव नम्रता की ड्रेस पड़ी रहे। यह नम्रता हैं कवच। कवच उतार देते हो। जहाँ नम्रता होगी वहाँ स्नेह और सहयोग अवश्य होगा। जहाँ स्नेह और सहयोग है वहाँ तेल नहीं डालते।
🌟संस्कार तो भिन्न-भिन्न रहेंगे ही लेकिन उन संस्कारों का अपने ऊपर प्रभाव न हो। संस्कार तो अन्त तक किस के दासी के रहेंगे, किसी के राजा के।
👉‘संस्कार बदल जाएँ’ यह इन्तज़ार न करो लेकिन मेरे ऊपर किसी का प्रभाव न हो। क्योंकि एक तो हरेक के संस्कार भिन्न-भिन्न हैं,दूसरा कोई-न-कोई माया का रूप बनकर भी आते हैं।👉यह तो खत्म होगा ही नहीं लेकिन उसमें स्वयं साक्षी और कमल पुष्प के समान सेफ रहें,यह तो कर सकते हो?बोलने वाला बोले लेकिन सुनने वाल न सुने, यह तो हो सकता है ना!
👉मर्यादा की लकीर के अन्दर रहकर कोई भी बात का फैसला करो। संस्कार भिन्नभिन्न होते हुए भी टक्कर न हो, इसके लिए नालेज़फुल हो जाओ। जब कहते हो हम विश्व-कल्याणकारी हैं तो जरूर कोई अकल्याण वाले भी हैं तब तो आप कल्याणकारी बनेंगे। अगर अकल्याण वाले ही न हों तो किसके कल्याणकारी बनेंगे।
🌟अगर कोई कुछ राँग कर रहा है तो उसको परवश समझ कर रहम की दृष्टि से परिवर्तन करो। डिसकस नहीं करो। 👉अगर कोई पत्थर से रूक जाता है, तो अपना काम है पास करके चले जाना या उसको भी साथी बना कर पार ले जाओ।👉 अगर इतनी हिम्मत नहीं है तो खुद तो नहीं रूको। क्रास करते हुए चलते जाओ। यह अटेन्शन चाहिए।
🌟अगर देखना है तो विशेषता देखो। छोड़ना है तो कमियों को छोड़ो। सम्पर्क में आना पड़ता है, देखना पड़ता है तो विशेषता ही दिखाई दे, नहीं तो बाप को देखो।
🌟हरेक यही संकल्प ले कि हमें शान्ति की, शक्ति की किरणे फैलानी हैं, तपस्वी मूर्त बनकर रहना है, एक दूसरे को मन्सा से वा वाणी से भी अब सावधान करने का समय नहीं, अब मन्सा शुभ भावना से एक दूसरे के सहयोगी बनकर आगे बढ़ो और बढ़ाओ।’’