भूमि उपचार की प्रक्रिया सफलता की कहानी

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  • เผยแพร่เมื่อ 31 ก.ค. 2024
  • भूमि उपचार की प्रक्रिया सफलता की कहानी #tcbt bhumi upchar se mitti ki upaj shakti badhi #bhumiupchar
    रसायनिक व आधुनिक कृषि कार्यो के कारण कृषि भूमि बहुत ज्यादा प्रभावित हुई है,भूमि पत्थर जैसी सख्त होने लगी है,भूमि में जड़ो का विकास नही होता,भूमि के अंदर फंगस,वायरस व कीटो की भयंकर कॉलोनियां बन गई है,जो फसल को उगते ही बीमार कर देती है।
    प्राकृतिक खेती शोध संस्था के पद्धति और जैविक किसान संस्था राह के पैकेज ऑफ़ प्रेक्टिश से भूमि को ऐसी उपचारित किया जा सकता है।
    उपचारित भूमि में
    1)मिट्टी मक्खन जैसी मुलायम हो जाती है।
    2)मिट्टी में पानी डालने पर मिट्टी पूरे पानी को सोख लेती है।
    3) पूरे वर्ष भर मिट्टी से सोंधी महक आती रहती है।
    4) हाथों से मिट्टी को मसलने पर मिट्टी रेशम के धागे जैसी फिसलती है ।
    5)प्रति वर्ग फुट कम से कम तीन केंचुए मिलते हैं ।
    6)फसलों की जड़ें स्वस्थ रहती हैं फिटर रूट्स भोजन लेने वाली जने बहुत ज्यादा रहती हैं जड़ों में जीवाणुओं की गांठे (राइजोम) बनते हैं।
    भूमि उपचार की प्रक्रिया आपको अधिकतम 2 वर्ष में पूरी करनी है,
    सबसे पहले चार काम अपनी खेती में बंद करनी है
    1) किसी भी तरह की जहर नही डालें यानी कि किसी भी तरह की फफूंदीनाशक जीवाणुनाशक कीटनाशक जहर नहीं डालना है,
    खरपतवार नाशक नहीं डालना है।
    2) खेत में आग नहीं लगानी है।
    3) SSP सिंगल सुपर फास्फेट नहीं डालना है।
    4) खेती की बार-बार जोताई से परहेज करना है और गहरी जुताई बिल्कुल बंद कर देना है।
    इन चार कामो के विकल्प के तौर पर आपको 4 काम शुरू करने है।
    1) फंगीसाइड डालने से बचने के लिए अपना फफूंद रोधी रसायन बनाकर रखना है,सूक्ष्म तत्वों की फसल में पूर्ति के लिए भस्म रसायन बनाकर रखना है। भूमि के निर्विशिकरण के लिए 100 ग्राम अग्निहोत्र भस्म तैयार करनी है,इसके लिए अग्निहोत्र करना है, मिट्टी को पॉजिटव और निर्विष किये बिना मिट्टी में सकारात्मक पारिस्थितिक तंत्र(इकोलॉजी) का निर्माण नही होता है ।
    2) खेत में जलाने वाला बायोमास का आच्छादन करना है इससे आपके खेत में खरपतवार भी नहीं होंगे ।
    3) सिंगल सुपर फास्फेट के स्थान पर रॉक फास्फेट का उपयोग करना है ।
    4) गहरी जुताई और बार बार जुताई से बचने के लिए आपको अपने खेत में भूमि में 2000 लीटर जीवाणु घोल डालना है।
    इसके लिए सातों कैप्सल स्ट्रिप बुलवाकर रखे।
    कीटो की कालोनियों को समाप्त करने के लिए कीटभक्षक M-1 और कीटभक्षक V-2 के 500-500ml बुलवाकर रखे माइकोराइजा ढाई सौ ग्राम प्रति एकड़ की दर से 6 बार डालना है।
    भूमि उपचार की शुरुआत:
    सबसे पहले पलेवा देने वाले पानी मे 100ग्राम अग्निहोत्र भस्म घोल दे और इस पानी से जमीन की पहली सिचाई करें,
    शुरू की तीनों जुताई के पहले आधा ग्राम अग्निहोत्र भस्म प्रति लीटर पानी मे मिलाकर मिट्टी के ऊपर स्प्रे करें।
    ऐसा तीन बार करवाएंगे तो ऊपर नीचे की मिट्टी पॉजिटिव हो जायेगी।
    दूसरा काम सिचाई के सेक्शन पाइप में एक वेंचुरी फिट करके इसके पास 3 ड्रम रखकर इनमें जीवाणु घोल बनाये।
    जब भी सिचाई हो इस घोल को सिचाई के पानी मे मिलाकर जमीन में जाने दे।
    पंचगव्य घोल,सजीव जल इसी में मिलाकर जाने दें।
    ऐसा हर सिचाई में करे
    बाकी उक्त नियमो का ध्यान रखे,डेढ़ दो साल में आपकी मिट्टी स्वस्थ हो जाएगी।
    मिट्टी के ऊपर बताई गई स्थिति या लक्षण प्रकट हो जाएंगे इसी को सजीव भूमि कहते हैं।
    यह कोर्स आप एक से डेढ़ वर्ष में पूरा कर सकते है।
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