And also one thing should have been said that the life form which we got of human is one of the most luckiest life form to live and only this has ability to attend moksha so we should think ourselves very lucky
@@saeedzahidjeelani1948 करना कुछ भी नहीं है बस जो हो रहा उसमे साक्षी भाव को जागृत रखिए और शारीरिक कर्म करते रहिए ,ध्यान करते रहिए ,प्रेम में जिए,जैसा ज़िंदगी सामने लाए उसे उसी रूप में ग्रहण कीजिए और मान लीजिए जो हो रहा है वो ठीक हो रहा है।
@@saeedzahidjeelani1948There is nothing to do, live in nature, this is the truth, this is the शून्य, ... Mera pehla question yah he tumse ,ki kisne tumhe kuch bhi krne ko kaha he ,, tumhe kyu Krna he kuch bhi . Agar tum ab शून्य par ho to tumhra answer tumhare pass jarur hoga .. otherwise you haven't reached zero yet .. ~ F o O ~
Hamko sab mayajal lagta hai Ye bhi to mind ki koi bhramna ho sakti hai !🤔Kyoki mind itna powerful hai ki vo kuss bhi soch bana sakta hai Or mind hamesa shortcut hi chunata hai!!! Apki is par kya ray hai??
@@उर्वशी-0 हम अनन्त को नहीं समझ सकते (क्योंकि हमारे मस्तिष्क सीमाएँ हैं) लेकिन यह भी संभव है कि मनुष्य ने ब्रह्माण्ड को समझने के लिए इस फिलोसोफी विकसित किया हो (परमात्मा मोक्ष है) और हम अपने मस्तिष्क द्वारा निर्मित इस दर्शन(फिलोसोफी) को सत्य मानते हो। दुनियाभर मे बहुत सारी फिलासोफी हे अगर मे एक फिलोसोफी दू फि (1)"हमे कोई बाझ जीव से नियंत्रित हे और उसने हि सीमित मस्तिष्क दिया हे कि हम उसे समज न पाये । ओर हम उसके एक पक्रिया के भाग हे।" तो सब विश्वास करेंगे.सब जीवो का मस्तिष्क हि एसा हे कि उसको अंनत काल तक रहने की इच्छा हे।मोक्ष(मुक्ति) फिलोसोफी मे हमको एसा लगता हो की हम ही अंनत हे और हम ही सबकुछ हे। मस्तिष्क अपनी सन्तुष्टी के लिए ये सोच सकता है। आप इस पर क्या कहना चाहोगे ??
@@उर्वशी-0 हम अनन्त को नहीं समझ सकते (क्योंकि हमारे मस्तिष्क सीमाएँ हैं) लेकिन यह भी संभव है कि मनुष्य ने ब्रह्माण्ड को समझने के लिए इस फिलोसोफी विकसित किया हो (परमात्मा मोक्ष है) और हम अपने मस्तिष्क द्वारा निर्मित इस दर्शन(फिलोसोफी) को सत्य मानते हो। दुनियाभर मे बहुत सारी फिलासोफी हे अगर मे एक फिलोसोफी दू फि (1)"हमे कोई बाझ जीव से नियंत्रित हे और उसने हि सीमित मस्तिष्क दिया हे कि हम उसे समज न पाये । ओर हम उसके एक पक्रिया के भाग हे।" तो सब विश्वास करेंगे.सब जीवो का मस्तिष्क हि एसा हे कि उसको अंनत काल तक रहने की इच्छा हे।मोक्ष(मुक्ति) फिलोसोफी मे हमको एसा लगता हो की हम ही अंनत हे और हम ही सबकुछ हे। मस्तिष्क अपनी सन्तुष्टी के लिए ये सोच सकता है। आप इस पर क्या कहना चाहोगे ??
❤❤❤❤
🙏🙏🙏🙏🙏
kitne paichida mazameen ko itne asan alfaaz mein biyan kr deti hein aap urvashi Pranaam
मैं तो चार्वाक का भक्त हूं
Complete detachment is not possible unless you attain the final destination.
I think this is true
And also one thing should have been said that the life form which we got of human is one of the most luckiest life form to live and only this has ability to attend moksha so we should think ourselves very lucky
Sakshi bhav me kaise aaya jata h..plz guide
जानो कि तुम केवल साक्षी हो ,दृष्टा हो ,शरीर नहीं । #ashtavakragita #oshogyan #osho #laotzu #buddha
th-cam.com/video/Nu0jle0UiX8/w-d-xo.html
आप क्सपलेन अच्छे करते हो
Osho 🪔
Madam atma to pure hoti na hi ichha ye hoti hai ...kuchh nahi hota hai..yo atma kahase ichaye k liye janm leti hai..
Dear i have some questions where we can interact
Yahi puchie
@@उर्वशी-0 itna kuch suna, padha, dekha ab samaj nhii aa raha hy finally karna kya hay
@@saeedzahidjeelani1948 करना कुछ भी नहीं है बस जो हो रहा उसमे साक्षी भाव को जागृत रखिए और शारीरिक कर्म करते रहिए ,ध्यान करते रहिए ,प्रेम में जिए,जैसा ज़िंदगी सामने लाए उसे उसी रूप में ग्रहण कीजिए और मान लीजिए जो हो रहा है वो ठीक हो रहा है।
@@उर्वशी-0 i am kashmiri i don't understand hindi
@@saeedzahidjeelani1948There is nothing to do, live in nature, this is the truth, this is the शून्य, ...
Mera pehla question yah he tumse ,ki kisne tumhe kuch bhi krne ko kaha he ,, tumhe kyu Krna he kuch bhi . Agar tum ab शून्य par ho to tumhra answer tumhare pass jarur hoga .. otherwise you haven't reached zero yet .. ~ F o O ~
Hamko sab mayajal lagta hai
Ye bhi to mind ki koi bhramna ho sakti hai !🤔Kyoki mind itna powerful hai ki vo kuss bhi soch bana sakta hai Or mind hamesa shortcut hi chunata hai!!!
Apki is par kya ray hai??
ये शॉर्टकट नहीं सबसे कठिन रास्ता है ,आपको इच्छाए ख़त्म करना आसान बात लगती है?
@@उर्वशी-0 हम अनन्त को नहीं समझ सकते (क्योंकि हमारे मस्तिष्क सीमाएँ हैं) लेकिन यह भी संभव है कि मनुष्य ने ब्रह्माण्ड को समझने के लिए इस फिलोसोफी विकसित किया हो (परमात्मा मोक्ष है) और हम अपने मस्तिष्क द्वारा निर्मित इस दर्शन(फिलोसोफी) को सत्य मानते हो। दुनियाभर मे बहुत सारी फिलासोफी हे अगर मे एक फिलोसोफी दू फि
(1)"हमे कोई बाझ जीव से नियंत्रित हे और उसने हि सीमित मस्तिष्क दिया हे कि हम उसे समज न पाये । ओर हम उसके एक पक्रिया के भाग हे।"
तो सब विश्वास करेंगे.सब जीवो का मस्तिष्क हि एसा हे कि उसको अंनत काल तक रहने की इच्छा हे।मोक्ष(मुक्ति) फिलोसोफी मे हमको एसा लगता हो की हम ही अंनत हे और हम ही सबकुछ हे। मस्तिष्क अपनी सन्तुष्टी के लिए ये सोच सकता है।
आप इस पर क्या कहना चाहोगे ??
@@उर्वशी-0 हम अनन्त को नहीं समझ सकते (क्योंकि हमारे मस्तिष्क सीमाएँ हैं) लेकिन यह भी संभव है कि मनुष्य ने ब्रह्माण्ड को समझने के लिए इस फिलोसोफी विकसित किया हो (परमात्मा मोक्ष है) और हम अपने मस्तिष्क द्वारा निर्मित इस दर्शन(फिलोसोफी) को सत्य मानते हो। दुनियाभर मे बहुत सारी फिलासोफी हे अगर मे एक फिलोसोफी दू फि
(1)"हमे कोई बाझ जीव से नियंत्रित हे और उसने हि सीमित मस्तिष्क दिया हे कि हम उसे समज न पाये । ओर हम उसके एक पक्रिया के भाग हे।" तो सब विश्वास करेंगे.सब जीवो का मस्तिष्क हि एसा हे कि उसको अंनत काल तक रहने की इच्छा हे।मोक्ष(मुक्ति) फिलोसोफी मे हमको एसा लगता हो की हम ही अंनत हे और हम ही सबकुछ हे। मस्तिष्क अपनी सन्तुष्टी के लिए ये सोच सकता है। आप इस पर क्या कहना चाहोगे ??
कौन रहेगा अनंत काल तक ?मैं तो समाप्त ही हो गया शरीर के साथ उसके साथ दिमाग़ भी और उसके साथ बुद्धि भी तो फिर कौन चाहेगा ऐसा ?
@@उर्वशी-0 Par ye bramhna(soch) dimag ki hi ho to??? Moksh pane ki
Kam sansaar ka mul h
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