Dhanywad अति सुन्दर बताया आपने, समझ आया श्री माता ने 4 दिशाओं में अपने आप को स्थापित किया, उत्तर में वैष्णो देवी, दक्षिण में मुकाम्बिका, पश्चिम में तनोट, पूर्व में त्रिपुरसुंदरी रूप में , फिर विंध्यवासिनी हुई, भक्तों की रक्षा हेतु शक्तिपीठ, सिद्दपीठ रूप में विद्यमान हुई। धन्यवाद आपके कारण एक और रहस्य ज्ञात हुआ यह माँ भगवती भुवनेश्वरी ही है जो त्रिगुण रूपों के साथ हैं। धन्यवाद
जय माता दी मां🙏🏻🙏🏻
Jai mata di 🙏
Dhanywad अति सुन्दर बताया आपने, समझ आया श्री माता ने 4 दिशाओं में अपने आप को स्थापित किया, उत्तर में वैष्णो देवी, दक्षिण में मुकाम्बिका, पश्चिम में तनोट, पूर्व में त्रिपुरसुंदरी रूप में , फिर विंध्यवासिनी हुई, भक्तों की रक्षा हेतु शक्तिपीठ, सिद्दपीठ रूप में विद्यमान हुई। धन्यवाद आपके कारण एक और रहस्य ज्ञात हुआ यह माँ भगवती भुवनेश्वरी ही है जो त्रिगुण रूपों के साथ हैं। धन्यवाद
Jai maa Bhagwati, Jai माता di, prem से bolo माता रानी की jay, माता thi जो apko bheji punh dhanywad
@@KumarGaurav-jy1gm माता रानी के भक्तों की भी जय हो 🙏