श्री विन्ध्येश्वरी स्तोत्रम् l Vindhyavasini Stotram l Durga Stotram l Madhvi Madhukar Jha
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- เผยแพร่เมื่อ 31 มี.ค. 2022
- श्री विन्ध्येश्वरी स्तोत्रम्
निशुम्भ-शुम्भ-मर्दिनीं प्रचण्ड-मुण्ड-खण्डिनीम् ।
शुम्भ तथा निशुम्भ का संहार करने वाली, चण्ड तथा मुण्ड का विनाश करने वाली,
वने रणे प्रकाशिनीं भजामि विन्ध्यवासिनीम् ॥
वन में तथा युद्ध स्थल में पराक्रम प्रदर्शित करने वाली भगवती विन्ध्यवासिनी की मैं आराधना करता हूँ|
त्रिशूल -रत्न -धारिणीं धरा-विघात-हारिणीम् ।
त्रिशूल तथा मुण्ड धारण करने वाली, पृथ्वी का संकट हरने वाली
गृहे-गृहे निवासिनीं भजामि विन्ध्यवासिनीम् ॥
घर-घर में निवास करने वाली भगवती विन्धवासिनी की मैं आराधना करता हूँ
दरिद्रदुःख-हारिणीं, सतां विभूतिकारिणीम् ।
दरिद्रजनों का दु:ख दूर करने वाली, सज्जनों का कल्याण करने वाली
वियोग-शोक-हारिणीं, भजामि विन्ध्यवासिनीम् ॥
वियोगजनित शोक का हरण करने वाली भगवती विन्ध्यवासिनी की मैं आराधना करता हूँ|
लसत्सुलोल-लोचनां लतां सदावरप्रदाम् ।
सुन्दर तथा चंचल नेत्रों से सुशोभित होने वाली, सुकुमार नारी विग्रह से शोभा पाने वाली, सदा वर प्रदान करने वाली
कपाल-शूल-धारिणीं, भजामि विन्ध्यवासिनीम् ॥
और कपाल तथा शूल धारण करने वाली भगवती विन्ध्यवासिनी की मैं आराधना करता हूँ|
करे मुदा गदाधरां, शिवां शिवप्रदायिनीम् ।
प्रसन्नतापूर्वक हाथ में गदा धारण करने वाली, कल्याणमयी, सर्वविध मंगल प्रदान करने वाली
वरा-वराननां शुभां भजामि विन्ध्यवासिनीम् ॥
सुरुप-कुरुप सभी में व्याप्त परम शुभ स्वरुपा भगवती विन्ध्यवासिनी की मैं आराधना करता हूँ|
ऋषिन्द्रजामिनप्रदां, त्रिधास्यरूप-धारिणीम् ।
ऋषि श्रेष्ठ के यहाँ पुत्री रुप से प्रकट होने वाली, ज्ञानलोक प्रदान करने वाली, महाकाली, महालक्ष्मी तथा महासरस्वती रूप से तीन स्वरुपों धारण करने वाली
जले स्थले निवासिनीं, भजामि विन्ध्यवासिनीम् ॥
और जल तथा स्थल में निवास करने वाली भगवती विन्ध्यवासिनी की मैं आराधना करता हूँ|
विशिष्ट-सृष्टि -कारिणीं, विशाल रूप-धारिणीम् ।
विशिष्टता की सृष्टि करने वाली, विशाल स्वरुप धारण करने वाली,
महोदरां विशालिनीं, भजामि विन्ध्यवासिनीम् ॥
महान उदर से सम्पन्न तथा व्यापक विग्रह वाली भगवती विन्ध्यवासिनी की मैं आराधना करता हूँ
पुरन्दरादि-सेवितां मुरादिवंशखण्डिनीम्
इन्द्र आदि देवताओं से सेवित, मुर आदि राक्षसों के वंश का नाश करने वाली
विशुद्ध-बुद्धिकारिणीं, भजामि विन्ध्यवासिनीम् ॥
अत्यन्त निर्मल बुद्धि प्रदान करने वाली भगवती विन्ध्यवासिनी की मैं आराधना करता हूँ|
Song Credits:
Song Name : Sri Vindhyeshwari Stotram
Lyrics : Sanskrit/ Traditional
Singer : Madhvi Madhukar Jha
Music Label: SubhNir Productions. Music Director : Nikhil Bisht, Raajkumar
मेरे और मेरे पती के बीच आने वाली औरत और शत्रु का नाश करो माता🙇♀️🙇♀️🙇♀️
आप स्तोत्र का पठन कर अपना और दुसरे सभी लोगो को संस्कृत रचना को सुनने को मिला उसे हम भीआप से प्रभावित हुए हैं। आप धन्य है। नमस्कार..!
Jay Vindhyachal wali mata
सनातन धर्म की सेवा इसी तरह करते रहो । भारत विश्व गुरु बने । भारत हिन्दू राष्ट्र बने , इसमें। आपका अदभुत योगदान हो रहा है। जय मां
अत्यंत सुमधुर एवं कर्णप्रिय...... आप से ह्रदयतल प्राथर्ना है कि दुर्गा सप्तशती का गायन अपने कर्ण प्रिय कण्ठ से करे.........🙏🙏
जय़ मां विंध्यवासिनी 🙏🌹🙏
मां मेरे बच्चे को अद्भुत सफलता दो मां इस वर्ष उसकी सफलता को फोन करो मां दया करो मां❤
जय़ मां विंध्यवासिनी 🙏🌹🙏
जय माँ विध्यवासिनी माँ🙏🙏
जय माँ विध्यवासिनी माँ🙏🙏
जय हो माई विंध्यवासिनी देवी माई कुपा बनायें रखीह पूरे परिवार पर
हर महिला जो अपने भीतर साहस जगाती है वह दुर्गा है
🙏🙏🙏जय देवी विन्ध्यवासिनी🙏🙏🙏
जय हो माई विंध्यवासिनी देवी माई कुपा बनायें रखीह
जय माँ विन्ध्वासिनी कॄपा करदो कष्ट दूर करदो
Jai mata di Jai Mahadev ji jai maa Gauri jai shree Radhe Krishna 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🌸🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
जय माता दुर्गा लक्ष्मी सरस्वती काली हरसिद्धि बगुलामुखी विन्ध्यवासिनी तारा माता मैना कुमारी पार्वती अशोक सुन्दरी रिद्धि-सिद्धि गौरी पुत्र गणेश महादेव
आंखे बंद हो जाती है ।, अश्रु निकलने लगते है । एक दिव्य अनुभूति होती है । लगता है मां सामने आ गई हो । इसे बड़ा पूजा कोई हो नही सकता । भाव जगा देती है आप । आप सभी को चैत्र नवरात्रि, गुड़ी पड़वा, चेती चंद, उगादी
जय हो माई लक्ष्मी जी माई कुपा बनायें रखीह पूरे परिवार पर
गृहे गृहे निवासिनी भजामि विंध्यवासिनी ।