Bhagavad Gita: Chapter 2, Verse 39

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  • เผยแพร่เมื่อ 15 ต.ค. 2024
  • एषा तेऽिभिहिता साङ्ये बुद्धिोंगे त्विमां शृणु।
    बुद्धया युक्तो यया पार्थ कर्मबन्धं प्रहास्यसि ॥39॥
    अब तक मैंने तुम्हें सांख्य योग या आत्मा की प्रकृति के संबंध में वैश्लेषिक ज्ञान से अवगत कराया है। अब मैं क्योंकि बुद्धियोग या ज्ञानयोग प्रकट कर रहा हूँ, हे पार्थ! उसे सुनो। जब तुम ऐसे ज्ञान के साथ कर्म करोगे तब कर्मों के बंधन से स्वयं को मुक्त कर पाओगे।

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