Bhagavad Gita: Chapter 8, Verse 17

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  • เผยแพร่เมื่อ 11 ก.พ. 2025
  • सहस्रयुगपर्यन्तमहर्यद्ब्रह्मणो विदुः।
    रात्रिं युगसहस्रान्तां तेऽहोरात्रविदो जनाः ॥17॥
    हजार चक्र के चार युग (महायुग) का ब्रह्म का (कल्प) एक दिन होता है और इतनी अवधि की उसकी एक रात्रि होती है। इसे वही बुद्धिमान समझ सकते हैं जो दिन और रात्रि की वास्तविकता को जानते हैं।

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