सामा चकेवा का त्योहार: भाई-बहन के प्यार का प्रतीक सामा चकेवा मिथिलांचल और कोसी क्षेत्र का एक लोकप्रिय त्योहार है जो भाई-बहन के अटूट प्रेम का प्रतीक है। यह त्योहार कार्तिक पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है और आठ दिनों तक चलता है। त्योहार की कहानी इस त्योहार की उत्पत्ति भगवान श्रीकृष्ण के पुत्री साम्बवती (सामा) और पुत्र साम्ब के पवित्र प्रेम पर आधारित है। पद्म पुराण में इस कहानी का उल्लेख मिलता है। त्योहार कैसे मनाया जाता है? * मिट्टी की मूर्तियाँ: इस त्योहार में सामा, चकेवा, चुगला, सतभैंया आदि की मिट्टी की मूर्तियाँ बनाई जाती हैं। * लोकगीत: महिलाएं इन मूर्तियों को सजाकर पारंपरिक लोकगीत गाती हैं। * भाई के लिए मंगलकामना: बहनें अपने भाई के दीर्घायु और सुख-समृद्धि की कामना करती हैं। * चुगला दहन: अंत में चुगला को जलाया जाता है जो बुराई का प्रतीक है। त्योहार का महत्व * भाई-बहन का प्रेम: यह त्योहार भाई-बहन के पवित्र बंधन को मजबूत करता है। * सांस्कृतिक महत्व: यह मिथिलांचल की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का एक हिस्सा है। * पर्यावरण संरक्षण: इस त्योहार के गीत पर्यावरण संरक्षण का संदेश देते हैं। क्यों मनाया जाता है? यह त्योहार भाई-बहन के प्यार और एकता को बढ़ावा देने के लिए मनाया जाता है। साथ ही, यह हमारे समाज में बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक भी है।
अद्भुत दृश्य मैथिल और मैथिला के ❤🙏🚩
सामा चकेवा का त्योहार: भाई-बहन के प्यार का प्रतीक
सामा चकेवा मिथिलांचल और कोसी क्षेत्र का एक लोकप्रिय त्योहार है जो भाई-बहन के अटूट प्रेम का प्रतीक है। यह त्योहार कार्तिक पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है और आठ दिनों तक चलता है।
त्योहार की कहानी
इस त्योहार की उत्पत्ति भगवान श्रीकृष्ण के पुत्री साम्बवती (सामा) और पुत्र साम्ब के पवित्र प्रेम पर आधारित है। पद्म पुराण में इस कहानी का उल्लेख मिलता है।
त्योहार कैसे मनाया जाता है?
* मिट्टी की मूर्तियाँ: इस त्योहार में सामा, चकेवा, चुगला, सतभैंया आदि की मिट्टी की मूर्तियाँ बनाई जाती हैं।
* लोकगीत: महिलाएं इन मूर्तियों को सजाकर पारंपरिक लोकगीत गाती हैं।
* भाई के लिए मंगलकामना: बहनें अपने भाई के दीर्घायु और सुख-समृद्धि की कामना करती हैं।
* चुगला दहन: अंत में चुगला को जलाया जाता है जो बुराई का प्रतीक है।
त्योहार का महत्व
* भाई-बहन का प्रेम: यह त्योहार भाई-बहन के पवित्र बंधन को मजबूत करता है।
* सांस्कृतिक महत्व: यह मिथिलांचल की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का एक हिस्सा है।
* पर्यावरण संरक्षण: इस त्योहार के गीत पर्यावरण संरक्षण का संदेश देते हैं।
क्यों मनाया जाता है?
यह त्योहार भाई-बहन के प्यार और एकता को बढ़ावा देने के लिए मनाया जाता है। साथ ही, यह हमारे समाज में बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक भी है।
Jai mithila
हमर संस्कार हमर संस्कृती जय मिथिला जय मैथिली
Jai mithala jai maithil🙏🙏
Incredible culture of mithila.
बहुत सुंदर
बहुत सुंदर लागल से हम्मर गाम आबि क शामा चकेबा के विडियो बनेलऊ..... ललित भईया के बहुत बहुत धन्यवाद...
Bahut sundar sneha jii bachpan se hum hu dekhai chhalo lekin exact kahani nai bujhal chhal😊
Bahut sundar
Jaiho
जय मिथिला धाम ❤
Jay mithila jay maithili
जय मिथिला जय मैथिल
❤ sundar sneha jee
Maithili ✨
❤❤
हम्मरा विशवास नै भै रोहल अईछ जे सीतामढी मे सेहो मैथिली बोलल जाई छै ।
Sitamarhi me te nik9maithily bajal aiet achhi
Jay ho mithala ki maharani
Hum Canada sa Dekh rehel chhi❤
Hii
Maithilani kegaurav thiksama pawain
Kon 2924 ke saama chakeba mein dekh raha hai
Jay mithila Jay maithil❤