आचार्य जी ये background में अजीब सा संगीत बजता है ना यह अच्छा नहीं लगता सुनने में कानों में चुभता है, कृपया वीडियो सरल आपकी वाणी में रखें , Video Editor भाई को बोल दीजिए कि ये ठीक नहीं है भाई।
धर्म्म के मूल केवल वेद हैं। आदरणीय वेद स्वतः प्रमाण हैं। आदरणीय वेद के प्रामाण्य ही स धर्म्म अधर्म्म कर्त्तव्य अकर्त्तव्य के सुखपूर्वक निर्णय सम्भव होवे है। हमारै प्राचीन सर्वश्रेष्ठ सर्वोत्तम भारत केवल सनातन धर्म्म एवं महान् वेद ही के कारण ही महिमाशाली हैं। आदि सृष्टि स केवल भारत ही सर्व ज्ञान विज्ञान आचार व्यवहार योग आयुर्वेद शाकाहार भोजन व्यायाम शुद्ध पवित्र जीवनशैली उत्तम सद्गुण उत्तम वैदिक कलायैं शिल्प मन्दिर आदि के दाता सीखानै वालै महान् राष्ट्र हैं। पूज्य भारतभूमि पर ही करोडों ऋषि महर्षि मुनि महामुनि योगी महायोगी योद्धा महायोद्धा राजा महाराजा चक्रवर्ती सम्राट् आदि पूज्य हिन्दु पूर्वज तैय्यार होयै। पूज्य परमात्मा ब्रह्म के गुण लक्षण आदरणीय वेद में वतायै हैं। महायोगी महर्षि पतञ्जलि जी के मतानुसार परमात्मा ब्रह्म के नाम प्रणव ओम् हैं। ओम् के अनन्त महिमा है। आदरणीय वेद के गायत्री मन्त्र अति श्रेष्ठ मन्त्र है। यह मन्त्र के श्रद्धापूर्वक जाप करैं।
श्रीमान जी मात्र वेद का नाम पूछा था। यदि ज्ञात नहीं था तो कह देते ज्ञात नहीं है और जानने का प्रयास करते। ऐसे ही ज्ञान के कारण यह देश गुलाम हुआ। ज्ञान विज्ञान से सम्पन्न सोने की चिड़िया कहलाने वाला देश एक लोहे की सुई के निर्माण की कला को भूल गया। यहां का प्रत्येक व्यक्ति अपने आपको सबसे बड़ा ज्ञानी समझता है चाहें उसे यह भी ज्ञात न हो कि ज्ञान क्या है। मैं उस परम तत्व की बात कर रहा हूं जिसके विषय में गार्गी ने जब याज्ञवल्क्य से जानना चाह था तो याज्ञवल्क्य ने कहा अति प्रश्न मत कर नहीं तो तेरी मूर्धा गिर जाएगी। आपको भय भी नहीं लगता ऐसा उत्तर लिखने में। किसी तत्व दर्शी से उस परम तत्व का ज्ञान प्राप्त कर लें।
@@sanataniGist क्या कुम्हार मिट्टी का निर्माण भी स्वयं कर लेता है। इंजीनियर मशीन बनाता है क्या लौह तत्व भी बना लेता हैं । Matter neither be created nor destroyed अगर ईश्वर आत्मा का निर्माण करता और प्रकृति का निर्माण करता तो ये अवैज्ञानिक सिद्ध होता और वेद ही विज्ञान है ये भी झूठ होता। शास्त्रार्थ में कैसे सिद्ध करेंगे कि ईश्वर ने जब कुछ था ही नहीं तो किस से किसके लिए निर्माण किया
तुम जैसे वितंडा प्रलापीयो के लिए सर्वशक्तिमान का अर्थ 👇 पौराणिक-आर्य संवाद विषय:- क्या ईश्वर भी नियमों से बंधा है? पौराणिक:- ईश्वर को किसी नियम से बंधा होना मानना युक्तियुक्त नहीं है यदि ईश्वर अपने ही बनाएं सृष्टि के नियम से बंध जाए फिर वह सर्वशक्तिमान काहे का ? आर्य :- सर्वशक्तिमान होने का अर्थ यह नहीं होता की जो कुछ भी असंभव हम सोच सकते हैं उसे ईश्वर संभव कर दिखा दे, बल्कि ईश्वर के संबंध में सर्वशक्तिमान होने का अर्थ है अपने काम करने में पूर्ण समर्थ होना जगत की उत्पत्ति, जगत का पालन, और जगत का प्रलय करने के साथ जीवों को उसके किएँ गए कर्मों का फल भुगाना ईश्वर का कार्य है और इसको करने में ईश्वर पूर्ण समर्थ है इस तात्पर्य से ईश्वर सर्वशक्तिमान है ना की असंभव को संभव कर दिखाने से। पौराणिक:- हा हा हा आर्य समाजीयो का ईश्वर इतना नकारा है कि वह असंभव को संभव नहीं कर सकता हम तो ईश्वर उसे जानते हैं जो वह जैसा चाहे वैसा कर सकें दुनिया का कोई नियम उसे रोक नहीं सकता आर्य :- यदि तुम मेरे किंचित प्रश्नों का उत्तर देने में बईमानी न करो तो मैं तुम्हें तुम्हारे ही मुंह से बुलवा दुंगा की सृष्टि का नियंता कभी अपने नियम से विरूद्ध जा ही नहीं सकता पौराणिक:- ठीक है बुलवाओ आर्य :- ईश्वर सर्वव्यापक है या एकदेशीय पौराणिक :- सर्वव्यापक आर्य:- क्या ईश्वर भारत में है रूस और जापान में नहीं, अथवा क्या ईश्वर एशिया में है यूरोप और अमेरिका में नहीं, अथवा क्या ईश्वर केवल पृथ्वी पर है अंतरिक्ष और मंगल आदि ग्रहों पर नहीं? अथवा ईश्वर केवल इस आकाश गंगा (Milky Way galaxy) में है इसके बाहर नहीं पौराणिक:- क्या मजाक करते हो आप भी तो मानते हो ईश्वर सब जगह व्याप्त है कोई भी स्थान ईश्वर से खाली नहीं आर्य :- अब मुझे बताओ यदि कोई मनुष्य राष्ट्रद्रोह करें तो राजा उसे क्या दंड दे सकता है? पौराणिक:- राजा उसे मृत्यु दंड दे सकता है अथवा देश की सीमा से बाहर निकाल सकता है आर्य:- अब मुझे बताओ कोई मनुष्य कितना ही अधिक पाप कर ले क्या ईश्वर चाहकर भी उसे उठाकर अपनी सीमा से बाहर फेंक सकता हैं? पौराणिक :- शांत आर्य:- अब मुझे बताओ क्या ईश्वर अपने आपको सदा के लिए मार, वा स्वयं से ज्यादा शक्तिशाली दूसरे अन्य ईश्वर को बना सकता हैं?? पौराणिक:- चिर शांत आर्य:- आपकी चुप्पी से इस बात की पुष्टि होती है कि आपने मेरे प्रश्नों का उत्तर बिना छल किएँ पूरी ईमानदारी से दिया, आज के वाद-विवाद के विजेता आप है क्योंकि आप के स्थान पर यदि कोई अन्य होता तो वह वितंडा करने पर उतर आता और अंत तक इस बात पर अड़ा रहता की हा ईश्वर सबकुछ कर सकता है किसी दार्शनिक के कथनानुसार यदि सृष्टि का नियंता स्वयं नियमों से बंधा न होता तो वह एक बार अवश्य सूर्योदय पश्चिम दिशा से करवा कर , अंतहीन बहस पर पूर्ण विराम लगा देता।
Swami Dayananda ji ki Ishwar shaktiheen hai kyun ki wo bina prakriti aur atma ke sansar ki ek bhi kan sristi nahi kar sakta hai. Acharya ji sach main Satya ke sath hai toh jawab jarur de.🙏🙏🙏
स्वामी दयानंद जी का ईश्वर का क्या अर्थ है उन्होंने कोई घर में बनाया है 😂। उन्होंने वेद में पढ़ कर विचार करके व्याख्या की है उसके अनुसार ऐसा है।वो शक्तिमान है तो बुद्धिमान भी है कुछ भी उल्टा सीधा नहीं करता। हां जब तक उपादान और निमित कारण नहीं होगा तो कोई उत्पति नहीं होगी। जैसे यदि आटा पानी होगा तो उसे गूंथ कर रोटी बनाई जा सकती है बिना उसके नहीं। यदि उससे मिलना या देखना चाहते हो तो बहस छोड़े, समझे। और आप को मिलवा देंगे।
@sirdr.aanandprakash8658 😂😂😂 स्वामी दयानंद जी का ईश्वर इस लिए कहा क्यों की उनका ईश्वर की मान्यता अलग है और आदि गुरु शंकराचार्य जी की ईश्वर की मान्यता अलग है। आपने आटा पानी और रोटी से निमित कारण और उपादान कारण बताया है। Ok मैं भी एक बात बताता हूं जैसे आटा पूर्ण नही है अपनी पूर्ण नही है मनुष्य पूर्ण नही है रोटी बनने के लिए आटा को पानी मनुष्य आदि चाहिए रोटी बनने के लिए चाहिए या पानी को आटा और मनुष्य चाहिए रोटी बनने के लिए या मनुष्य को आटा और पानी चाहिए रोटी बनने के उसी प्रकार ईश्वर भी पूर्ण नही है संसार बनाने के लिए उसको भी आत्मा और प्रकृति की सहायता लेना पड़ता है । मनुष्य, आटा ,पानी और रोटी इनमें से एक भी सर्वशक्तिमान नही है क्यों की तह तीनो एक दूसरे के पूरक है एक के अभाव में कार्य नही होगा मतलब यह तीनों limited हैं बाधित है इनकी सामर्थ की एक सीमा है तो क्या ईश्वर भी बाधित है limited है ईश्वर की भी सीमा है ????
ईश्वर सर्वशक्तिमान सर्वव्यापक हैं। सर्वशक्तिमान शब्द के अर्थ है कि विना अनन्त बल शक्ति वालै परमेश्वर ब्रह्म के विशाल सूर्य चन्द्र पृथ्वी पर्वत आदि जड़ पदार्थों के निर्माण कौन कर सकतै हैं। विशाल सूर्य चन्द्र पृथ्वी पर्वत आदि पदार्थों के निर्माण अल्प बल शक्ति वालै जीव कभी भी न कर सकतै हैं। क्या आप परमात्मा ब्रह्म के समान विशाल सूर्य चन्द्र पृथ्वी पर्वत आदि पदार्थ के निर्माण कर सकतै हैं। क्या आप परमात्मा ब्रह्म के समान विशाल सृष्टि के संहार कर सकतै हैं। क्या आप परमात्मा ब्रह्म के समान सभी मनुष्य जीवों के एक एक कर्मों को दैख के कर्मफलों दै सकतै हैं। वेदविरुद्ध नास्तिक अद्वैतवेदान्तमत सत्य मत न हैं।
नमो बुद्धा य। जनता जनार्दन को जागृत होना होगा ओर शिक्षित बने खुद सब धर्म कि किताबें पढ़ो शिवपुराण बाइबल बुदधीजम भागवत सुनाई वेद इत्यादि ओर खुद सत्य को खोजे। इन सब पाखंडी बाबाओं और पढ़ें लिखे बाबाओं साधुओं जो धर्म का। धंधा करते हैं इन से। सावधान रहें किसि। के। भरोसे ना बेठे क्युकी समय अधर्मी लोगो का हे सभी पाखंडी बाबाओं साधुओं भगत। दरबार चलाने वाले ओर इस। पाखंड वाद में औरतों भी जुड़ गयी हे भगवा पेहन के युटयुब पर 99% सब झूठे पाखंडी बाबाओं साधुओं औरतों दरबार चलाने वाले नकली। बोडकासट। चलाने वाले बढ गये हे। इन को अपनी मेहनत कि कमाई ना दे
ईश्वर कण कण में है तो एक मिट्टी की ढेला में कितना भाग ईश्वर है???अगर 100% ईश्वर है तो फिर मिट्टी ही ईश्वर हो जाता है।जहा अंतर नहीं होता है वहा एक ही तत्व होता है जैसे सोने (gold) की रिंग,यह सोना 100% है पर सोने की पत्थर(gold stone) यहां सोना और पत्थर में भेद है तो यहां सोने 100% नही है। उसी प्रकार बताए की मिट्टी की ढेला में कितना भाग (%) ईश्वर है।
@@sanataniGist जैसे किसी भी पदार्थ के बनने में अणु परमाणु और नाभिक होता हैं और उसके भी सूक्ष्म रश्मियां होती हैं लेकिन कभी मिट्टी या अन्य पदार्थ को परमाणु कह कर नहीं बोलते उस पदार्थ के गुण के आधार पर नाम होता हैं ऐसे ही ईश्वर अति सूक्ष्म रूप में सभी जगह विद्यमान हैं। यहां अधिक नहीं लिख सकता इसलिए आप जानना चाहते हैं तो गुरुकुल आए या कोई शिविर में जाय ताकि प्रत्यक्ष रूप से संवाद कर सकें। धन्यवाद
ईश्वर सनातन नित्य चेतन तत्त्व है। ईश्वर जड़ प्रकृति स जगत् निर्माण करै है। प्राकृतिक जड़ पदार्थ के निर्माण जड़ प्रकृति के अभाव में सम्भव न है। जो आप मान रहै हैं वह वेदविरुद्ध नास्तिक अद्वैतवेदान्तमत के प्रलाप है। सनातन वैदिक धर्म्म वेद के ज्ञान नास्तिक कुतर्कों कुविचारों स कदापि न समझै आवै है। कृपया आस्तिक वैदिक विद्या ज्ञान प्राप्त करैं।
नमस्ते आचार्य जी ये अच्छी व्याख्यान माला चलाई आपने
सादर प्रणाम गुरु जी 🙏
सुन्दर explanation
🙏💐🙏
Guruji nam jap ke bare me kuch bataye
बहुत सुन्दर व्याख्यान 🙏🙏🙏🙏
सादर नमस्ते
🙏🙏🙏
आचार्य जी आपके thumbnails तो बहुत उत्तम हैं बस यह BG music में थोड़ा बदलाव कर दीजिए ताकि हम आपके ज्ञान से अविद्या हटा सकें 🙏🏻
Koti ka arth prakar bhi hota hai. Jaise ki 12 Adityas, 8 Vasus, 11 Rudras, and 2 Ashvins.
कृपया सर्वश्रेष्ठ भारतीय संस्कृति के भक्त वनैं कट्टर हिन्दु वनैं। कृपया सत्यार्थप्रकाश ग्रन्थ अवश्य पढैं।
Shri maan ji kya aapke pass mere prashn ka uttar nahi hai.
Aa gya ek or namuna market ma. ❤❤❤❤😂😂
आचार्य जी ये background में अजीब सा संगीत बजता है ना यह अच्छा नहीं लगता सुनने में कानों में चुभता है, कृपया वीडियो सरल आपकी वाणी में रखें , Video Editor भाई को बोल दीजिए कि ये ठीक नहीं है भाई।
परमात्मा का स्वरूप किस वेद के मूल में है।
धर्म्म के मूल केवल वेद हैं। आदरणीय वेद स्वतः प्रमाण हैं। आदरणीय वेद के प्रामाण्य ही स धर्म्म अधर्म्म कर्त्तव्य अकर्त्तव्य के सुखपूर्वक निर्णय सम्भव होवे है। हमारै प्राचीन सर्वश्रेष्ठ सर्वोत्तम भारत केवल सनातन धर्म्म एवं महान् वेद ही के कारण ही महिमाशाली हैं। आदि सृष्टि स केवल भारत ही सर्व ज्ञान विज्ञान आचार व्यवहार योग आयुर्वेद शाकाहार भोजन व्यायाम शुद्ध पवित्र जीवनशैली उत्तम सद्गुण उत्तम वैदिक कलायैं शिल्प मन्दिर आदि के दाता सीखानै वालै महान् राष्ट्र हैं। पूज्य भारतभूमि पर ही करोडों ऋषि महर्षि मुनि महामुनि योगी महायोगी योद्धा महायोद्धा राजा महाराजा चक्रवर्ती सम्राट् आदि पूज्य हिन्दु पूर्वज तैय्यार होयै। पूज्य परमात्मा ब्रह्म के गुण लक्षण आदरणीय वेद में वतायै हैं। महायोगी महर्षि पतञ्जलि जी के मतानुसार परमात्मा ब्रह्म के नाम प्रणव ओम् हैं। ओम् के अनन्त महिमा है। आदरणीय वेद के गायत्री मन्त्र अति श्रेष्ठ मन्त्र है। यह मन्त्र के श्रद्धापूर्वक जाप करैं।
श्रीमान जी मात्र वेद का नाम पूछा था। यदि ज्ञात नहीं था तो कह देते ज्ञात नहीं है और जानने का प्रयास करते। ऐसे ही ज्ञान के कारण यह देश गुलाम हुआ। ज्ञान विज्ञान से सम्पन्न सोने की चिड़िया कहलाने वाला देश एक लोहे की सुई के निर्माण की कला को भूल गया। यहां का प्रत्येक व्यक्ति अपने आपको सबसे बड़ा ज्ञानी समझता है चाहें उसे यह भी ज्ञात न हो कि ज्ञान क्या है। मैं उस परम तत्व की बात कर रहा हूं जिसके विषय में गार्गी ने जब याज्ञवल्क्य से जानना चाह था तो याज्ञवल्क्य ने कहा अति प्रश्न मत कर नहीं तो तेरी मूर्धा गिर जाएगी। आपको भय भी नहीं लगता ऐसा उत्तर लिखने में। किसी तत्व दर्शी से उस परम तत्व का ज्ञान प्राप्त कर लें।
स्वामी दयानंद जी की ईश्वर सर्वशक्तिमान नही है क्यों की वो बिना प्रकृति और आत्मा के संसार की एक भी कण सृष्टि नही कर सकता है।आचार्य जी जवाब दे 🙏🙏🙏
आप सर्वशक्तिमान का अर्थ नहीं जानते
@@sanataniGist क्या कुम्हार मिट्टी का निर्माण भी स्वयं कर लेता है। इंजीनियर मशीन बनाता है क्या लौह तत्व भी बना लेता हैं । Matter neither be created nor destroyed अगर ईश्वर आत्मा का निर्माण करता और प्रकृति का निर्माण करता तो ये अवैज्ञानिक सिद्ध होता और वेद ही विज्ञान है ये भी झूठ होता। शास्त्रार्थ में कैसे सिद्ध करेंगे कि ईश्वर ने जब कुछ था ही नहीं तो किस से किसके लिए निर्माण किया
तुम जैसे वितंडा प्रलापीयो के लिए सर्वशक्तिमान का अर्थ 👇
पौराणिक-आर्य संवाद
विषय:- क्या ईश्वर भी नियमों से बंधा है?
पौराणिक:- ईश्वर को किसी नियम से बंधा होना मानना युक्तियुक्त नहीं है यदि ईश्वर अपने ही बनाएं सृष्टि के नियम से बंध जाए फिर वह सर्वशक्तिमान काहे का ?
आर्य :- सर्वशक्तिमान होने का अर्थ यह नहीं होता की जो कुछ भी असंभव हम सोच सकते हैं उसे ईश्वर संभव कर दिखा दे, बल्कि ईश्वर के संबंध में सर्वशक्तिमान होने का अर्थ है अपने काम करने में पूर्ण समर्थ होना जगत की उत्पत्ति, जगत का पालन, और जगत का प्रलय करने के साथ जीवों को उसके किएँ गए कर्मों का फल भुगाना ईश्वर का कार्य है और इसको करने में ईश्वर पूर्ण समर्थ है इस तात्पर्य से ईश्वर सर्वशक्तिमान है ना की असंभव को संभव कर दिखाने से।
पौराणिक:- हा हा हा आर्य समाजीयो का ईश्वर इतना नकारा है कि वह असंभव को संभव नहीं कर सकता हम तो ईश्वर उसे जानते हैं जो वह जैसा चाहे वैसा कर सकें दुनिया का कोई नियम उसे रोक नहीं सकता
आर्य :- यदि तुम मेरे किंचित प्रश्नों का उत्तर देने में बईमानी न करो तो मैं तुम्हें तुम्हारे ही मुंह से बुलवा दुंगा की सृष्टि का नियंता कभी अपने नियम से विरूद्ध जा ही नहीं सकता
पौराणिक:- ठीक है बुलवाओ
आर्य :- ईश्वर सर्वव्यापक है या एकदेशीय
पौराणिक :- सर्वव्यापक
आर्य:- क्या ईश्वर भारत में है रूस और जापान में नहीं, अथवा क्या ईश्वर एशिया में है यूरोप और अमेरिका में नहीं, अथवा क्या ईश्वर केवल पृथ्वी पर है अंतरिक्ष और मंगल आदि ग्रहों पर नहीं? अथवा ईश्वर केवल इस आकाश गंगा (Milky Way galaxy) में है इसके बाहर नहीं
पौराणिक:- क्या मजाक करते हो आप भी तो मानते हो ईश्वर सब जगह व्याप्त है कोई भी स्थान ईश्वर से खाली नहीं
आर्य :- अब मुझे बताओ यदि कोई मनुष्य राष्ट्रद्रोह करें तो राजा उसे क्या दंड दे सकता है?
पौराणिक:- राजा उसे मृत्यु दंड दे सकता है अथवा देश की सीमा से बाहर निकाल सकता है
आर्य:- अब मुझे बताओ कोई मनुष्य कितना ही अधिक पाप कर ले क्या ईश्वर चाहकर भी उसे उठाकर अपनी सीमा से बाहर फेंक सकता हैं?
पौराणिक :- शांत
आर्य:- अब मुझे बताओ क्या ईश्वर अपने आपको सदा के लिए मार, वा स्वयं से ज्यादा शक्तिशाली दूसरे अन्य ईश्वर को बना सकता हैं??
पौराणिक:- चिर शांत
आर्य:- आपकी चुप्पी से इस बात की पुष्टि होती है कि आपने मेरे प्रश्नों का उत्तर बिना छल किएँ पूरी ईमानदारी से दिया, आज के वाद-विवाद के विजेता आप है क्योंकि आप के स्थान पर यदि कोई अन्य होता तो वह वितंडा करने पर उतर आता और अंत तक इस बात पर अड़ा रहता की हा ईश्वर सबकुछ कर सकता है
किसी दार्शनिक के कथनानुसार यदि सृष्टि का नियंता स्वयं नियमों से बंधा न होता तो वह एक बार अवश्य सूर्योदय पश्चिम दिशा से करवा कर , अंतहीन बहस पर पूर्ण विराम लगा देता।
@brahmarshipranav.7 तुमको पता है तो बता दो।😂😂😂😂इस आचार्य से बोलो एक लाइव दिन में भी करे मैं आऊंगा डिबेट करूंगा।
@@sanataniGist क्या ईश्वर अपने को मार सकता है?
क्या अपने जैसा दूसरा ईश्वर बना सकता है?
उत्तर दो ?
आचार्य के सामने तुम किसी भी गणना में नहीं हो
Swami Dayananda ji ki Ishwar shaktiheen hai kyun ki wo bina prakriti aur atma ke sansar ki ek bhi kan sristi nahi kar sakta hai. Acharya ji sach main Satya ke sath hai toh jawab jarur de.🙏🙏🙏
स्वामी दयानंद जी का ईश्वर का क्या अर्थ है उन्होंने कोई घर में बनाया है 😂। उन्होंने वेद में पढ़ कर विचार करके व्याख्या की है उसके अनुसार ऐसा है।वो शक्तिमान है तो बुद्धिमान भी है कुछ भी उल्टा सीधा नहीं करता। हां जब तक उपादान और निमित कारण नहीं होगा तो कोई उत्पति नहीं होगी। जैसे यदि आटा पानी होगा तो उसे गूंथ कर रोटी बनाई जा सकती है बिना उसके नहीं। यदि उससे मिलना या देखना चाहते हो तो बहस छोड़े, समझे। और आप को मिलवा देंगे।
@sirdr.aanandprakash8658 😂😂😂 स्वामी दयानंद जी का ईश्वर इस लिए कहा क्यों की उनका ईश्वर की मान्यता अलग है और आदि गुरु शंकराचार्य जी की ईश्वर की मान्यता अलग है। आपने आटा पानी और रोटी से निमित कारण और उपादान कारण बताया है। Ok मैं भी एक बात बताता हूं जैसे आटा पूर्ण नही है अपनी पूर्ण नही है मनुष्य पूर्ण नही है रोटी बनने के लिए आटा को पानी मनुष्य आदि चाहिए रोटी बनने के लिए चाहिए या पानी को आटा और मनुष्य चाहिए रोटी बनने के लिए या मनुष्य को आटा और पानी चाहिए रोटी बनने के उसी प्रकार ईश्वर भी पूर्ण नही है संसार बनाने के लिए उसको भी आत्मा और प्रकृति की सहायता लेना पड़ता है । मनुष्य, आटा ,पानी और रोटी इनमें से एक भी सर्वशक्तिमान नही है क्यों की तह तीनो एक दूसरे के पूरक है एक के अभाव में कार्य नही होगा मतलब यह तीनों limited हैं बाधित है इनकी सामर्थ की एक सीमा है तो क्या ईश्वर भी बाधित है limited है ईश्वर की भी सीमा है ????
ईश्वर सर्वशक्तिमान सर्वव्यापक हैं। सर्वशक्तिमान शब्द के अर्थ है कि विना अनन्त बल शक्ति वालै परमेश्वर ब्रह्म के विशाल सूर्य चन्द्र पृथ्वी पर्वत आदि जड़ पदार्थों के निर्माण कौन कर सकतै हैं। विशाल सूर्य चन्द्र पृथ्वी पर्वत आदि पदार्थों के निर्माण अल्प बल शक्ति वालै जीव कभी भी न कर सकतै हैं। क्या आप परमात्मा ब्रह्म के समान विशाल सूर्य चन्द्र पृथ्वी पर्वत आदि पदार्थ के निर्माण कर सकतै हैं। क्या आप परमात्मा ब्रह्म के समान विशाल सृष्टि के संहार कर सकतै हैं। क्या आप परमात्मा ब्रह्म के समान सभी मनुष्य जीवों के एक एक कर्मों को दैख के कर्मफलों दै सकतै हैं। वेदविरुद्ध नास्तिक अद्वैतवेदान्तमत सत्य मत न हैं।
नमो बुद्धा य। जनता जनार्दन को जागृत होना होगा ओर शिक्षित बने खुद सब धर्म कि किताबें पढ़ो शिवपुराण बाइबल बुदधीजम भागवत सुनाई वेद इत्यादि
ओर खुद सत्य को खोजे। इन सब पाखंडी बाबाओं और पढ़ें लिखे बाबाओं साधुओं जो धर्म का। धंधा करते हैं इन से। सावधान रहें
किसि। के। भरोसे ना बेठे क्युकी समय अधर्मी लोगो का हे सभी पाखंडी बाबाओं साधुओं भगत। दरबार चलाने वाले ओर इस। पाखंड वाद में औरतों भी जुड़ गयी हे भगवा पेहन के युटयुब पर 99% सब झूठे पाखंडी बाबाओं साधुओं औरतों दरबार चलाने वाले नकली। बोडकासट। चलाने वाले बढ गये हे। इन को अपनी मेहनत कि कमाई ना दे
ईश्वर कण कण में है तो एक मिट्टी की ढेला में कितना भाग ईश्वर है???अगर 100% ईश्वर है तो फिर मिट्टी ही ईश्वर हो जाता है।जहा अंतर नहीं होता है वहा एक ही तत्व होता है जैसे सोने (gold) की रिंग,यह सोना 100% है पर सोने की पत्थर(gold stone) यहां सोना और पत्थर में भेद है तो यहां सोने 100% नही है। उसी प्रकार बताए की मिट्टी की ढेला में कितना भाग (%) ईश्वर है।
@@sanataniGist जैसे किसी भी पदार्थ के बनने में अणु परमाणु और नाभिक होता हैं और उसके भी सूक्ष्म रश्मियां होती हैं लेकिन कभी मिट्टी या अन्य पदार्थ को परमाणु कह कर नहीं बोलते उस पदार्थ के गुण के आधार पर नाम होता हैं ऐसे ही ईश्वर अति सूक्ष्म रूप में सभी जगह विद्यमान हैं। यहां अधिक नहीं लिख सकता इसलिए आप जानना चाहते हैं तो गुरुकुल आए या कोई शिविर में जाय ताकि प्रत्यक्ष रूप से संवाद कर सकें। धन्यवाद
ईश्वर सनातन नित्य चेतन तत्त्व है। ईश्वर जड़ प्रकृति स जगत् निर्माण करै है। प्राकृतिक जड़ पदार्थ के निर्माण जड़ प्रकृति के अभाव में सम्भव न है। जो आप मान रहै हैं वह वेदविरुद्ध नास्तिक अद्वैतवेदान्तमत के प्रलाप है। सनातन वैदिक धर्म्म वेद के ज्ञान नास्तिक कुतर्कों कुविचारों स कदापि न समझै आवै है। कृपया आस्तिक वैदिक विद्या ज्ञान प्राप्त करैं।