इसे समझने के लिए मैंने कई घंटो का लेक्चर देखा करता था लेकिन कुछ समझ में नहीं आता था घूम फिर के वहीं पहुंच जाता था।।।। लेकिन गुरु जी ने इतना कम समय में इतना प्रभावी रूप से बताया कि एकदम से जीवन भर के लिए मस्तिष्क में। आत्मसात हो गया।।। जय हो गुरु जी की 🙏🙏
Both the concepts which emerged from Jain Darshan, briefly but properly explained. He hinted about Nyay but then video concluded. Hope to hear him later.
अनेक + अन्त = अनेकान्त। अनेक का अर्थ होता है अनंत और जो एक नहीं है। जो एक नहीं है याने बहुत सारे हैँ ऐसे अनंत। अन्त का अर्थ यहाँ पर finish या समाप्त हो जाना नहीं है, अन्त का अर्थ होता है धर्म और अंत का अर्थ होता है गुण, 2 अर्थ होते है। ये अनेकान्त का शाब्दिक अर्थ है। • अनेक - अनंत / जो एक नहीं है, 2 है • अन्त - गुण / धर्म जो एक नहीं है, तो ‘एक’ क्या एक नहीं है? 2 है ना वो एक नहीं है। इसलिए अपन क्या बोलते है अनेक, 2 का नाम भी अनेक हैँ। जो 2 है। 2 क्या है? धर्म। तो अनेकान्त का अर्थ क्या हुआ? अनंत गुण और 2 धर्म।
@@rj_d धर्म तो 2 ही है, जोड़े में पाएँ जाते हैं। ऐसे परस्पर विरुद्ध 2 धर्म वाले अनन्त जोड़े प्रत्येक वस्तु में पाएँ जाते हैं। जैसे (एक-अनेक) वस्तु किसी अपेक्षा से एक भी है और अनेक भी। एक और अनेक ये 2 धर्म है जो सुनने में परस्पर विरुद्ध है परंतु वस्तु की व्यवस्था बनाते है। जैसे वस्तु द्रव्य की अपेक्षा से नित्य भी है और पर्याय की अपेक्षा से अनित्य। और गुण अकेले पाए जाते है, होते वे भी अनन्त है।
@@rj_d अनेकान्त का जो व्यवसाय है वह अनन्त गुणों में नहीं होता पर परस्पर विरुद्ध जो दो-दो धर्म है ऐसे अनन्त धर्म युगलों में अनेकान्त और स्यादवाद का व्यवसाय होता है।
शब्द नाहि हैं हमारे पास... गुरुजी आपका बहुत बहुत धन्यवाद जी . नमन आप श्रेष्ठ ज्ञानी आत्मा हैं. Metaphysics aur logic समझाने में सिर्फ 2-3 मिनिट. लगे आपको.जब की JNU में (Philosophy) refresher course 20-22 दीन में
इसे समझने के लिए मैंने कई घंटो का लेक्चर देखा करता था लेकिन कुछ समझ में नहीं आता था घूम फिर के वहीं पहुंच जाता था।।।। लेकिन गुरु जी ने इतना कम समय में इतना प्रभावी रूप से बताया कि एकदम से जीवन भर के लिए मस्तिष्क में। आत्मसात हो गया।।।
जय हो गुरु जी की 🙏🙏
Nice explanation sir ❤❤
guru ji हृदय से आभार, अपका ग्यान हमारे लिए अनमोल 🙏❤
हृदय से आभार गुरुजी 💞🙏🏽🙏🏽 आपने इतने सरल माध्यम से समझाया की आभार के लिए में निशब्द हूं।। भैया आपका भी बहुत बहुत धन्यवाद💞🙏🏽🙏🏽
सहजानन्द चैतन्य-प्रकाशाय महीयसे
नमोsनेकान्त-विश्रान्त-महिम्ने परमात्मने ॥1॥
दुर्निवारनयानीक विरोधध्वंसनौषधिः ।
स्यात्कारजीविता जीयाज्जैनी सिद्धान्तपद्धतिः ॥2॥
Itne kam samay me , isse accha explanation possible hee nahi h❤
Waaaaa....🤯 इतना शानदार explain किया है आपका जैसा ही अध्यापक होना चाहिए🙏🙏🙏🙏
Both the concepts which emerged from Jain Darshan, briefly but properly explained. He hinted about Nyay but then video concluded. Hope to hear him later.
In seperate lecture he has taken at great length
Sirji dhanya hai aap ❤
बहुत ही सुंदर और आसान व्याख्या की है गुरु जी
धन्यवाद 🙏🙏
Dhanyavad Sir ji 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
अनेक + अन्त = अनेकान्त।
अनेक का अर्थ होता है अनंत और जो एक नहीं है। जो एक नहीं है याने बहुत सारे हैँ ऐसे अनंत। अन्त का अर्थ यहाँ पर finish या समाप्त हो जाना नहीं है, अन्त का अर्थ होता है धर्म और अंत का अर्थ होता है गुण, 2 अर्थ होते है। ये अनेकान्त का शाब्दिक अर्थ है।
• अनेक - अनंत / जो एक नहीं है, 2 है
• अन्त - गुण / धर्म
जो एक नहीं है, तो ‘एक’ क्या एक नहीं है? 2 है ना वो एक नहीं है। इसलिए अपन क्या बोलते है अनेक, 2 का नाम भी अनेक हैँ। जो 2 है। 2 क्या है? धर्म।
तो अनेकान्त का अर्थ क्या हुआ? अनंत गुण और 2 धर्म।
Ye gajab paribhasha kahan se banayi aapne.
@@rj_d मैंने नहीं बनाई, अनादि से है ! अनेकान्त का बड़ा महत्व हैं।
@@DRSOMITJAINतो अनेकांत का अर्थ दो तक सीमित न करे।
अनंत तक उसकी सीमा है।
@@rj_d धर्म तो 2 ही है, जोड़े में पाएँ जाते हैं। ऐसे परस्पर विरुद्ध 2 धर्म वाले अनन्त जोड़े प्रत्येक वस्तु में पाएँ जाते हैं। जैसे (एक-अनेक) वस्तु किसी अपेक्षा से एक भी है और अनेक भी। एक और अनेक ये 2 धर्म है जो सुनने में परस्पर विरुद्ध है परंतु वस्तु की व्यवस्था बनाते है। जैसे वस्तु द्रव्य की अपेक्षा से नित्य भी है और पर्याय की अपेक्षा से अनित्य। और गुण अकेले पाए जाते है, होते वे भी अनन्त है।
@@rj_d अनेकान्त का जो व्यवसाय है वह अनन्त गुणों में नहीं होता पर परस्पर विरुद्ध जो दो-दो धर्म है ऐसे अनन्त धर्म युगलों में अनेकान्त और स्यादवाद का व्यवसाय होता है।
Bahut sunder guru ji ko pranam
ATI ATI SUNDRAM
Great 🙏🙏🙏🙏🙏🙏
To the point
Perfect answer 🙏🙏🙏🙏🙏🙏
Koti koti Pranam guru ji
Isse accha explanation ho hi nahi sakta😊❤
Guru ji gyan ka bhandaar haiñ. plz charan sparsh sveekaar kareñ! 🙏😌
शब्द नाहि हैं हमारे पास...
गुरुजी आपका बहुत बहुत धन्यवाद जी .
नमन आप श्रेष्ठ ज्ञानी आत्मा हैं.
Metaphysics aur logic समझाने में सिर्फ 2-3 मिनिट. लगे आपको.जब की JNU में (Philosophy) refresher course 20-22 दीन में
समझ आया था .
realy you are Great sir 🙏🙏
🙏🙏
Gru g pernam ap k mon sy pak .bharat dosti k liey do shab sunny ki iksha he.
बहुत धन्यवाद
Awesome explanation..🙏
गुरु जी परनाम ज़ी jai Shri krishna from raghav Verma KARNAL
Guruji🙏 law of attraction ka easy and effective method kaunsa hai and kya ye sach mei applicable hai and manifestations hote hai?
Om Shanti
Sir, I have a question naya and praman both are same or there have any difference. Please explain it.
guruji prama aur naya main kya difference hai???
सुंदर विवेचन...
Nice 👍
Wow
Guruji upsc ka philosophy optional padha sakte hai👌👌👌
Guruji Gayatri sadhana par video please ,🙏
Sir क्वाई ki philosophy sir se bole ki bataye🙏 pls my humble request
गुरु जी सौर सम्प्रदाय के बारे में बताएं
❤❤
💯💯
So gud
Sir ढोल गंवार शूद्र पशु नारी सकल ताड़ना के अधिकारी इसकी सही व्याख्या क्या होगी इस पर गुरु जी के विचार क्या होंगे
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
🙏👏❤🌺
🙏😌😌😌😌
🙏🙏🙏🙏🙏
🙏🙏
Kurukshetra university students 🎓 ba philosophy subjects ek Acha subjects h ❤️❤️
Sir app bhi kurukshetra university me prof the kya 🤔
Ye hai" TAJURBA "...... EXPERIENCE aapko jo dega wo khi nhi milega
सात अंधे थे, पाँच नहीं।
Ek tum the
हम दक्षिण मे गौ खाते हैं और उतर मे नही हम क्यों नही खाते और मुश्लिम क्यों खाते है जिनका धर्म आप शांतिपृय बताते हैं? इसका उत्तर दीजिये बाबूजी🙏🏿
syed waad murdabaad