चलो, ज़िन्दगी की आखिरी तस्वीर बनाते हैं | Dr. Nawaz Deobandi | Mushaira & Kavi Sammelan

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  • เผยแพร่เมื่อ 18 ธ.ค. 2024

ความคิดเห็น • 1

  • @ZRP37
    @ZRP37 ปีที่แล้ว

    सर बचपन में आप कि एक ग़ज़ल सुनी थी जिसका एक ही मिसरा मुझे याद है मगर आप कि वो ग़ज़ल नहीं मिली आप से गुजारिश है कि वो ग़ज़ल सैंन्ड करें जज़ाक‌अल्लाह
    जो पतता हवा का पता दे रहा था
    वो पतता हवा में उडा जा रहा है