गायन जी सुभाष चंद्र जी ने जो अपना कमेंट दिया वह सही है यदि कोई आदमी हमारा पुराना दुश्मन है और आज वह हमसे दोस्ती करना चाहता है तो क्या उससे दोस्ती कर ले
गयानी जी आपका कहने का मतलब ये समझे कि व्यक्ति अपनी बैहतरी का कोई प्लान ना करे, भविषय की कोई भी योजना ना बनाये कयोकि मन का यो यही प्रमुख कार्य है, इस विषय पर स्पष्ट दिशा निर्देश करे,यही तो कन्फ्यूजन है
ईश्वर दर्शन से बेहतर और क्या हो सकता है ? भैंस के आगे बीन ? और जिस भविष्य की बात आप करते हो वहां तो आपका कब्र खुद रहा है अंत्येष्ठि हो रही है पिछे मुड़कर अपने ही पुर्वजों को देख लो इसी मिट्टी में मिलना है आपके लिए अलग से कोई धरती नहीं लाई जाएगी। इसलिए मन के पार जाइये जहां समय आकाश (शरीर धरती पिंडादि) और मृत्यु नहीं है।धन्यवाद !
ପ୍ରଣାମ ଗୁରୁଦେବ 🙏
Radhey Radhey Dhanyawad
Vilaxan. God bless you.❤❤❤
Dhanyvad
Well explained.. 👌👌✌
एकाग्रता के अभ्यास का मूल उद्देश्य ही मन से मुक्त होना है
Sahi hai
Pranam guruni❤❤
👍🌹
MAN HI DEVTA MANN HI ISHWER
🙏 ati sundar ❤
आपकी हर बात सही है।
MIND OF MAN IS HIS OWN
FRIEND &:ENEMY.
Pranam Acharya
Pranam guruji 🎉🎉🎉
Thanks
God bless you
❤❤
Nice
🙏🙏
🙏🙏🙏🙏🙏
🙏❤️🙏
दूरदृष्टी पर आपके क्या विचार है।
गायन जी सुभाष चंद्र जी ने जो अपना कमेंट दिया वह सही है यदि कोई आदमी हमारा पुराना दुश्मन है और आज वह हमसे दोस्ती करना चाहता है तो क्या उससे दोस्ती कर ले
गयानी जी आपका कहने का मतलब ये समझे कि व्यक्ति अपनी बैहतरी का कोई प्लान ना करे, भविषय की कोई भी योजना ना बनाये कयोकि मन का यो यही प्रमुख कार्य है, इस विषय पर स्पष्ट दिशा निर्देश करे,यही तो कन्फ्यूजन है
Ok
ईश्वर दर्शन से बेहतर और क्या हो सकता है ? भैंस के आगे बीन ? और जिस भविष्य की बात आप करते हो वहां तो आपका कब्र खुद रहा है अंत्येष्ठि हो रही है पिछे मुड़कर अपने ही पुर्वजों को देख लो इसी मिट्टी में मिलना है आपके लिए अलग से कोई धरती नहीं लाई जाएगी। इसलिए मन के पार जाइये जहां समय आकाश (शरीर धरती पिंडादि) और मृत्यु नहीं है।धन्यवाद !
जब आवास्यकता हो मन का यूज करके फिर वर्तमान में आ जाइए ,हमेशा मंथन मत कीजिए
Sidhi baat 😂wah@@jaykrishnajha6749