पुण्यश्लोक राजमाता देवी अहिल्याबाई होलकर | Ahilyabai Holkar
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- เผยแพร่เมื่อ 29 พ.ย. 2024
- #अहिल्याबाई_होल्कर #AhilyabaiHolkar #जीवन_परिचय
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अहिल्याबाई का जन्म 31 मई, 1725 को महाराष्ट्र के जिले अहमदनगर के चौंढ़ी ग्राम तालुका जामखेड़ा में हुआ था। उनके पिता माणकोजी शिंदे और माता सुशीलाबाई बहुत धार्मिक थे। अपने माता-पिता से ही धार्मिक और संवेदनशील होने का संस्कार अहिल्याबाई को विरासत में मिला।
वर्ष 1733 में पुणे में हिंदू विधि-विधान से उनका विवाह श्रीमंत खण्डेराव के साथ सम्पन्न हुआ। उनको आशीर्वाद देने के लिए बाजीराव पेशवा अपने परिवार के साथ आए थे। एक साधारण परिवार की दिव्य कन्या अब इंदौर के राजमहल की रानी हो गई।
राजमाता अहिल्याबाई ने वीरांगना की भाँति कई युद्धों का भी नेतृत्व किया और शत्रुओं से मालवा की रक्षा की। वे महिला सैनिकों की टुकड़ी के साथ अग्रिम पंक्ति में रहकर मोर्चा संभालती थीं। कुछ युद्ध तो उन्होंने अपनी सूझबूझ से ही टाल दिए थे।
राज्य एवं जन कल्याण के लिए उन्हें सदैव याद किया जाता है। उनके पास जो भी सहायता के लिए आता, कभी खाली हाथ नहीं जाता था। शिव की उपासक अहिल्याबाई ने माँ नर्मदा के तट पर स्थित महेश्वर को अपनी राजधानी बनाया।
एक बार मैसूर राज्य में अकाल पड़ गया था, हजारों लोग भूख से मर गये। रानी ने वहाँ के कुशल बुनकरों को महेश्वर में लाकर बसाया। आज महेश्वर की साड़ी एवं हस्तशिल्प का काम दुनिया में प्रसिद्ध है।
देवी अहिल्याबाई ने न केवल इंदौर-महेश्वर में बल्कि काशी, गया, केदारनाथ, एलोरा, मथुरा, नासिक, प्रयाग, अयोध्या, अमरकंटक सहित देश के अन्य स्थानों पर मंदिरों का निर्माण एवं जीर्णोद्धार भी कराया। महेश्वर में माँ नर्मदा के किनारे भव्य घाट तो अपनी सुंदरता के लिए बहुत प्रसिद्ध है।
नीति-पूर्वक और उदारता से राज्य का संचालन करने वाली, सबका कल्याण चाहने वाली, शिव की महान भक्त पुण्यश्लोका अहिल्याबाई होल्कर का स्वर्गवास 1795 में हुआ। लेकिन, उनकी कीर्ति सदैव हमारे दिलों में अमर रहेगी।
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अद्भुत ! महारानी अहिल्यबाई होल्कर का जीवन यह दर्शाता है कि हमारे इतिहास में हिन्दू महिलाएं आध्यात्मिक, सामाजिक और मानसिक स्तर पर कितनी सशक्त थी । धर्म और आत्मविश्वास की अद्भुत मिशाल ! मुगलों के द्वारा कई बार विध्वंश किए गए काशी विश्वनाथ मंदिर का पुनर्निर्माण महारानी अहिल्या बाई होल्कर द्वारा ही सन 1780 में करवाया गया था । श्रद्धालु बाबा के दर्शन के पश्चात उन्हें भी याद करते है । नमन है वीरांगना को 🙏
बहुत बहुत धन्यवाद इस वीडियो के लिए
शत शत नमन
जय हो।
बहुत अच्छी जानकरी दी है 🙏
प्रशंसनीय है
बहुत शानदार फीचर्स है सर 🙏🙏
Proud इन्दोरी 👍👍👍👍
नारी स्वाभिमान की प्रतिमान हैं देवी अहिल्या बाई। एक अभिनव प्रस्तुति के लिए आपको साधुवाद।
धन्यवाद @ink media
बहुत अच्छी प्रस्तुति
बहुत धन्यवाद
नमन...
बहुत अच्छी प्रस्तुति सर , बहुत बहुत धन्यवाद आप ने इंदौर के इतिहास के बारे मे जानकारी दी ।
सुन्दर
Great personality...Always proud
जय मां
🙏🏻
🙏🙏🙏🌹
❤❤❤ garb hai hame hindhio per
शत शत नमन